रहस्यमयी टापू--भाग (२) Saroj Verma द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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रहस्यमयी टापू--भाग (२)

रहस्यमयी टापू---भाग(२)

मानिक ने चित्रलेखा से पूछा,
आखिर ऐसा क्या राज है ?और वो लोग कौन थे,?कोई भटकती रूहें या कोई अंजानी ताकतें,जो इंसानों को देखकर इस क़दर वार करती है,कौन सी सच्चाई छुपी है इस जगह में जो आप मुझसे छुपाने की कोशिश कर रही हैं।।
चित्रलेखा बोली, रहने दो, बहुत लम्बी कहानी है,सुनोगे तो तुम्हारा दिल दहल जाएगा,राज जब तक राज रहे तो अच्छा है।।
अभी तुम सो जाओ,रात का तीसरा पहर खत्म होने वाला है और सुबह होते ही तुम अपनी कस्ती को देखो, अपनी जगह हैं कि नहीं और वापस लौट जाओ, बाक़ी बातें सुबह करेंगे।।
सुबह सुबह नाश्ते में चित्रलेखा ने किसी पौधे की कुछ भुनी हूं जड़ें,मानिक के सामने खाने को रख दी।।
मानिक ने वो जड़ें खा लीं और चला समुद्र के किनारे जहां उसकी कस्ती थी,वो धीरे धीरे बढ़ता चला जा रहा था, रास्ते में उसे नारियल के ऊंचे ऊंचे पेड़ दिख रहे थे, उसने जमीन पर से एक कच्चा नारियल उठाया और अपने पास मौजूद चाकू की मदद से उसमे सुराख करके पानी पी लिया।
मौसम बहुत ही खूबसूरत लग रहा था,रात को जो रास्ता भयानक और डरावना लग रहा था,दिन के उजाले में वही रास्ता शांतप्रिय लग रहा था____
वो अब जंगल पार करके समुद्र किनारे की रेत पर आ पहुंचा था, नीचे कुनकनी रेत,आसमान से आ रही सूरज की सुनहरी धूप, आसमान में घूम रहे परिंदे और दूर दूर तक फैला नीले समुद्र का खारा पानी, समुद्र में उठती हुई लहरें मन को एक अजीब सी तसल्ली दे रही थी।।
मानिक समुद्र तट पर नज़ारों का आनन्द उठा रहा था तभी उसकी नज़र बहुत दूर एक टीले पर पड़ी___
मानिक वो नज़ारा देखकर हैरान रह गया, उसे दूर से बस यही दिख रहा था कि कोई लड़की अपने घने भूरे बालों को अपनी पीठ की तरफ करके टीले पर बैठी है।।
अब मानिक ने सोचा,इस सुनसान टापू पर भला कौन हो सकता है? फिर उसने सोचा क्यो नही हो सकता,जब उस सुनसान जंगल में बिना किसी सुविधा के चित्रलेखा रह सकती है तो यहां इस सुनसान टापू पर इस लड़की का होना कौन सी बड़ी बात है?
मानिक ने सोचा जरा पास जाकर देखूं तो आखिर वो लड़की कौन है भला!!
अब मानिक उस दिशा में चल पड़ा जहां उसे वो सुनहरे बालों वाली लड़की चट्टान पर बैठी दिखाई दे रही थीं,वो धीरे धीरे चट्टानों पर चढ़ता हुआ चलता चला जा रहा था।
वो उस लड़की तक बस पहुंचने ही वाला था कि वो लड़की पीछे की ओर मुड़ी और उसने जैसे ही मानिक को देखा तो समुद्र के पानी में उतर गई।।
अब मानिक भागकर गया कि शायद उसे रोक पाएं, उससे मिल पाएं, उससे पूछ पाएं कि आखिर वो कौन है?
मानिक जब तक उस ओर पहुंचा,वो बस उसकी एक झलक ही देख पाया, समुद का पानी बहुत ही साफ और पारदर्शी था उसने जो देखा,वो देखकर मानिक आश्चर्य में पड़ गया,उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि जो उसने देखा वो सच था या सपना, मतलब उसे समझ नहीं आ रहा था कि जो उसने अभी देखा वो सच में एक जलपरी थी वो भी असली की,जो कि अब तक उसने सिर्फ किस्से और कहानियों में ही सुनी थी।।
उसने उसे आस पास के और भी चट्टानों पर जाकर ढूंढा लेकिन वो कहीं नहीं मिली।
मानिक दिनभर बदहवास सा समुद्र के किनारे टहलता रहा फिर उसे भूख लगी उसने कुछ मछलियां पकड़ी और कुछ लकड़ियां इकट्ठी करके पत्थरों की मदद से आग जलाई फिर मछलियां भूनी और पत्तो पर रख कर खा लीं, नारियल में चाकू की मदद से सुराख करके पानी पिया।।
उसने सोचा,क्या करूं, कहां जाऊं, मेरे पास तो छोटी सी कस्ती है,इस पर लम्बी यात्रा नहीं हो सकती,शाम को फिर से चित्रलेखा के घर पर ही रूकना पड़ेगा।।
शाम होते ही मानिक उदास मन से फिर से चित्रलेखा के घर लौट चला,वो सोच रहा था,क्या कहेगा चित्रलेखा से कि अभी कुछ दिन यहां रहने दो,अगर किसी दिन कोई जहाज समुद्र किनारे दिखाई दिया तो उसी जहाज से चला जाएगा।।
पगडंडी वाले रास्ते से मानिक फिर से चित्रलेखा के घर चला, सामने देखा तो चित्रलेखा ऊपर के माले की बालकनी पर खड़ी होकर लैंपपोस्ट की मोटी मोमबत्ती को जलाकर उसे शीशे से ढ़क रही थी,मानिक को देखकर बोली__
ठहरो, नीचे आती हूं!!
और नीचे आकर उसने दरवाज़ा खोला।।
मानिक बोला,माफ कीजिए, मुझे आज रात फिर से आपके यहां रूकना होगा लेकिन आप मेरे खाने की चिंता ना करें, मैं अपने साथ कुछ भुनी हुई मछलियां लाया हूं अगर आपको जरूरत है तो आप भी ले सकतीं हैं।।
चित्रलेखा बोली, कोई बात नहीं,ये जगह ही ऐसी है जो एक बार यहां आ जाता है वो आसानी से फिर यहां से जा नहीं पाता, कोई भी साधन नहीं है ना! यहां से वापस जाने का।।
मानिक अंदर पहुंचकर चित्रलेखा से बोला,क्या हर रात वो दोनों यहां आकर गाना गाते हैं?क्या आज रात भी आएंगे?
चित्रलेखा बोली, हां !! सालों से हर रात यहीं होता आया है,इसके पीछे एक कहानी है ‌‌।।
मानिक बोला तो आप सुनाइए वो कहानी मुझे भी सुननी है।।
सुनना चाहते हैं तो सुनो, चित्रलेखा ने कहा ,
और चित्रलेखा ने कहानी सुनाना शुरू किया।।
तभी जोर की बिजली कड़की और बारिश शुरू हुआ गई।।
चित्रलेखा बोली,वो लोग आज रात नहीं आएंगे क्योंकि बारिश हो रही है,ऐसी ही तूफ़ानी रात थीं जब उस रात राजकुमार शुद्धोधन यहां नीलाम्बरा से मिलने आया तो था लेकिन मृत अवस्था में ,नीलाम्बरा उस रात बहुत दुखी हुई।।
राजकुमार शुद्धोधन, नीलगिरी राज्य का राजकुमार था,एक दिन घोड़े पर सवार वो अपने राज्य का मुआयना करने निकला,तभी उसे अपने राज्य में जाकर पता चला कि उसके राज्य के लोग बहुत बड़े संकट से जूझ रहे हैं और उस संकट का कारण था एक जादूगरनी,जो वहां के पुरूषों को अपने जादू के दम पर अपने झूठे प्यार में फंसा लेती थीं फिर उस जगह ले जाती थीं जहां वो जादू सीखा करतीं थीं, वहां उन पुरुषों को ले जाकर उनके हृदय निकाल लेती थी फिर कुछ जादू करके उन सबके हृदयों को अपनी उम्र बढ़ाने में इस्तेमाल करतीं थीं।।
अब राजकुमार शुद्धोधन ने अपने राज्य को उस जादूगरनी से मुक्त कराने की सोची और वो जादूगरनी को ढूंढने निकल पड़ा,जंगल में जादूगरनी को खोजते हुए उसकी मुलाकात नीलाम्बरा से हुई और वो उसे प्यार करने लगा,नीलाम्बरा भी शुद्धोधन को पसंद करने लगी थी फिर एक दिन शुद्धोधन को पता चला कि नीलाम्बरा ही उस जादूगरनी की बेटी है।।
रोज रात को शुद्धोधन,नीलाम्बरा से मिलने आने लगा,नीलाम्बरा भी हर रात शुद्धोधन का बेसब्री से इंतज़ार करती लेकिन एक ऐसी ही तूफ़ानी बारिश की रात थीं,उस दिन भी नीलाम्बरा , शुद्धोधन का इंतज़ार कर रही थी,उस दिन शुद्धोधन घोड़े पर सवार आया तो लेकिन मृत अवस्था में,नीलाम्बरा ने इस बात से दुखी होकर कुएं में कूदकर जान दे दी।।
तब उन दोनों की आत्माएं ऐसे ही भटक रहीं हैं।।
कहानी सुनकर मानिक को बहुत डर लगा और उसने चित्रलेखा से पूछा कि उस जादूगरनी का क्या हुआ?
चित्रलेखा बोली, फिर एक रोज राजकुमार शुद्धोधन का छोटा भाई सुवर्ण अपने भाई को खोजते हुए उस जादूगरनी तक पहुंच गया और उसने जादूगरनी को मार दिया।।
फिर मानिक ने चित्रलेखा से कहा कि आज मुझे चट्टान पर एक जलपरी बैठी हुई दिखी लेकिन जब तक मैंने उससे बात करनी चाही उसने तब तक पानी में छलांग लगा दी।।
ये बात सुनकर चित्रलेखा थोड़ी डर सी गई और मानिक से बोली,कभी भूलकर भी उससे बात मत करना,हो सकता है वो कोई छलावा हो।।
चित्रलेखा की बात सुनकर मानिक ने सोचा,वो कहां आकर फंस गया है, यहां से जाने का कोई रास्ता भी नहीं दिख रहा, जहां देखो वहीं छलावा दिख रहा है।।

क्रमशः___
सरोज वर्मा___