यादों के झरोखे से Part 12
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मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - शादी और सेटल्ड लाइफ एट बोकारो
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15 अप्रैल 1970
भैया ने आ कर एक लड़की का फोटो और बायोडाटा दिया और कहा “ इसे देख लो ठीक से . लड़की एम ए फर्स्ट ईयर में है . घर में सभी को यह पसंद है और हमलोग अगले सप्ताह पटना में लड़की देखने जा रहे हैं . तुम भी चाहो तो चल सकते हो . “
मैंने फोटो और बायोडाटा उन्हें लौटाते हुए कहा “ मुझे इस साल नहीं करनी है . “
“ हम सब लोग तुम्हारे गिरते हेल्थ के चलते चिंतित हैं और यह सब तुम्हारे खाने पीने की अव्यवस्था के चलते है . यहाँ प्लांट और शहर दोनों निर्माणाधीन हैं . अभी डेवलप करने में काफी समय लगेगा . हम पर काम का प्रेशर भी बहुत रहेगा . शादी होगी तो कम से कम खाने पीने का रेगुलर इंतजाम हो जायेगा . हम लोग तुम्हारी भलाई के लिए ही कह रहे हैं . लड़की और परिवार सब तरह से अच्छा है और इसीलिए हम लोग इसे देखने जा रहे हैं . तुम भी चलो साथ में . “
“ आप लोगों सब कुछ देख कर मेरे भले के लिए यह सब कर रहे हैं तो मुझे आप लोगों पर भरोसा है . मुझे नहीं जाना है और आप लोग जो उचित समझें करें . “
15 मई 1970
बाबा के बुलाने से मैं रांची अपने घर गया . वहां दादी , बड़े बाबा , छोटे चाचा , भैया और परिवार के अन्य सदस्य थे .बड़े बाबा ने कहा “ हमलोगों ने लड़की पसंद कर ली है और शगुन और गोद भराई भी कर दिया है . ये शादी के कुछ डेट्स हैं . पंडित के अनुसार 19 जून बहुत अच्छा लग्न है . तुम देख लो और छुट्टी की प्लानिंग कर लो . ठीक रहेगा न . तुम्हें कुछ कहना है तो अभी बोल दो ताकि हम लोग तैयारी शुरू कर दें . “
“ अब सब कुछ आप लोगों ने तय कर ही लिया है तो मुझे कुछ नहीं कहना है . “
“ ठीक है तुम छुट्टी के लिए अप्लाई कर दो , एक महीने की छुट्टी मिल जाये तो खूब धूमधाम से शादी होगी और एन्जॉय करेंगे सभी . “
“ एक सप्ताह की छुट्टी मिल जाये तो वही बहुत है . प्लांट की एक यूनिट का उदघाटन करने प्रधान मंत्री को आना है . उसके पहले बहुत सारे काम पूरे करने हैं . “
“ फिर भी ज्यादा से ज्यादा दिन लेने की कोशिश करना . “
20 मई 1970
मुझे सिर्फ आठ दिनों की छुट्टी मिली है . मैंने घर में बता दिया कि इसी बीच सभी रस्में पूरी हो जानी चाहिए . “
मैंने औपचारिकता वश ऑस्ट्रेलिया में डॉर्थी को शादी की सूचना दे दी थी .
18 जून 1970
रांची पटना एक्सप्रेस से शाम को दूल्हा यानि मैं बारात के साथ पटना के लिए रवाना हुआ .
19 जून 1970
सुबह पटना पहुंचे . एक सरकारी बंगले में जनवासा था वहीँ बाराती ठहरे . कुछ फ्रेंड्स पटना में भी हैं . शाम तो को शादी है . बारातियों के नाश्ते खाने आदि का प्रबंध लड़की वालों को ही करना है . रांची से पटना बस एक ही ट्रेन चलती है . खैर शाम को बत्ती बाजे के साथ बारात निकली . देर रात तक शादी के रस्म पूरी .
20 जून 1970
वापस रांची जाने के लिए भी मात्र एक ट्रेन है , वही ट्रेन जो सुबह में आती है रात को लौटती है . बारातियों का नाश्ता , लंच और डिनर सब का इंतजाम लड़कीवालों को ही करना पड़ा है . कल सुबह रांची पहुंचना है फिर तीन चार दिन कुछ और रस्में , पूजा पाठ बाकी है .
27 जून 1970
मैं अपनी नयी नवेली पत्नी शकुन को रांची छोड़ कर बोकारो वापस आया . एक महीना बाद जाकर उसे बोकारो लाना है . इस बीच घर में कुछ फर्नीचर आदि अन्य व्यवस्था करनी है क्योंकि बीबी के आने के बाद यार लोगों के आने जाने का सिलसिला शुरू होगा .
27 जुलाई 1970
इस बीच मैं प्रत्येक शनिवार शकुन से मिलने रांची जाता और सोमवार सुबह बोकारो लौट आता था . आज रविवार मैं शकुन को ले कर बोकारो आया हूँ . सोचा दिन भर घर को और व्यवस्थित कर लेंगे दोनों मिल कर क्योंकि शाम से लोगों के आने का सिलसिला शुरू होगा और कुछ दिनों तक चलेगा . जो भी फ्रेंड शादी कर के आता है उसे ऐसा फेस करना पड़ता है . बीच बीच में बैचलर फ्रेंड्स के नाश्ते खाने का भी इंतजाम करना पड़ता है . कुछ लेटर्स डाकिया ने फ्राइडे और सैटरडे को लेटर बॉक्स में डाले थे उन्हें निकाल कर बेड रूम में टेबल पर रख दिया था कि फुर्सत में पढूंगा . उन में दो लेटर्स ऑस्ट्रेलिया से डॉर्थी के भी थे .
6 जुलाई 1970
मैं आज से दोपहर लंच में आने लगा हूँ . डाइनिंग टेबल पर खाते समय शकुन ने कहा “ आपके दो लेटर्स ऑस्ट्रेलिया से हैं . किसका हो सकता है ? “
“ नाम तो लिफाफे पर लिखा होगा - डॉर्थी , मेरी पेन फ्रेंड है . “
मैं लंच के बाद प्लांट जाने लगा तो वह बोली “ मैं ऑस्ट्रेलिया वाली चिठ्ठी पढ़ सकती हूँ ? “
“ व्हाई नॉट ? हम जस्ट पेन फ्रेंड हैं . “
रात आने में देर हुई . फ्रेश हो कर सीधे डिनर करने बैठा . पत्नी ने डॉर्थी के लेटर्स दिखाए - एक में शादी की बधाई दी थी और शादी के कुछ फोटो भेजने को कहा था . दूसरे में सी बीच पर बिकिनी में अपना फोटो भेजा था और पूछा था कैसी लग रही हूँ .
मैडम के तेवर बदले थे . बेड पर उसने कहा “ मैं पेन फ्रेंड नहीं जानती पर किसी लड़की से आपकी फ्रेंडशिप मुझे हरहीज बर्दाश्त नहीं है . आज के बाद उसकी कोई चिठ्ठी नहीं आनी चाहिए और न ही आप लिखेंगे . “
मैंने कहा “ एवमस्तु , वैसे भी अब इन सब बातों के लिए मेरे पास टाइम नहीं बचा है . “
“ सुना है आप UPSC की तैयारी कर रहे हैं ? “
“ कर रहा था अब लगता है नहीं हो पायेगा . खैर वो मेरे लिए इतना जरूरी नहीं है . पर तुम अपना एम पूरा कर लो . लिटरेचर ही तो है . यहीं अपनी किताबें मंगवा लो और रांची यूनिवर्सिटी से प्राइवेट एग्जाम दे देना . “
जुलाई 1971
मेरे लिए बेहद ख़ुशी का दिन है . मेरी पत्नी ने एम की परीक्षा सेकंड क्लास अच्छे पोजीशन के साथ पास कर लिया है .
वैसे मैंने डायरी लिखना एक साल से छोड़ दिया है . प्लांट और घर के कामों और दुनियादारी निभाने के बाद समय नहीं मिलता . अब मुझे उसकी जरूरत भी नहीं है . हाँ , अब एक नयी डायरी खुल गयी है जिसमें श्रीमती जी धोबी और दूध वाले का हिसाब लिखती हैं . हाँ , फर्स्ट पेज पर कुछ इंपोर्टेंट फोन नंबर होते हैं .
क्रमश