मित्रता shelley khatri द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मित्रता


प्रिया का फोन बंद ही आ रहा था। तीन चार बार फोन लगाने के बाद चिंता होने लगी, पता नहीं क्या बात है जो उसने फोन नहीं उठाया। कुछ सोचकर तनु ने, उसे टेक्स्ट और वाट्सएप पर मैसेज भेजा- ‘तुमने फोन नहीं उठाया। चिंता हुई। सब हाल चाल ठीक है न। फेसबुक पर देखा तुमने मुझे अनफ्रेड कर दिया है।’
इसके बाद भी तनु को तसल्ली नहीं हुई। उसने प्रिया का फेसबुक अकांटउ फिर से सर्च किया और देखा एक घंटे पहले प्रिया ने एक रोमांटिक शायरी पोस्ट की है। सारे पोस्ट चेक किए तो पता चला पहले की तरह ही उसने दिन में चार से पांच पोस्ट रोज किए हैं। इसका मतलब वो ठीक- ठाक है। मेरी चिंता बेकार है। और अनफ्रेंड भी उसने नहीं किया होगा। हो गया होगा किसी कारण। आजकल ये ऑनलाइन सिस्टम में कब क्या हो जाए पता कहां रहता है। सबकुछ सोच कर और फेसबुक देखकर उसे तसल्ली हो गई। प्रिया जब मैसेज देखेगी तो उसे खुद ही फोन करेगी। उसने मोबाइल टेबल पर रख दिया और टीवी चला लिया।
न्यूज की बजाय उसका मन प्रिया की ओर ही घूम गया। दस साल से हम फेसबुक फ्रेंड हैं। तीन – चार बार मिल भी चुके हैं। चैटिंग भी लगभग रोज ही होती है। बात थोड़ी कम होती है। बस इसी पंद्रह दिन से फोन मैसज सब कुछ नदारत है। वो तो आज प्रिया की याद आई और फिर याद आया कि इधर उसकी कोई पोस्ट नहीं दिखी है तो उसका अकाउंट खोला तभी तो पता चला उसे अनफ्रेंड कर दिया है। धत्त्, किया नहीं है, हो गई हूं मैं अनफ्रेंड किसी तरह। प्रिया देखते ही फिर से रिक्वेस्ट भेज देगी। या फिर मैं ही भेज दूंगी। पहले जवाब तो आ जाए। उसने मन को समझाया।
मन के किसी कोने से फिर दबी सी आवाज आई- प्रिया नाराज तो नही…..।
क्यों होगी? उसने प्रत्यक्ष कहा। नाराज होती न तो मुझे ब्लॉक कर दिया होता। ऐसा तो किया नहीं।
अब उसका मन टीवी में रमा। पूरा दिन निकल गया और पूरी रात प्रिया का मैसेज नहीं आया। तनु ने बार- बार मैसेज चेक किया। प्रिया ने वाट्सप खोला ही नहीं है तो देखेगी कैसे और जवाब क्या देगी? फिर एक- एक कर छह दिन निकल गए। तनु ने कई बार फोन किया पर जवाब नहीं मिला। कई बार फोन व्यस्त मिलता पर वापस कोई कॉल नहीं आती। तनु अक्सर फेसबुक चेक कर देख लेती प्रिया की क्या गतिविधियां है उसी से अंदाजा लगा लेती कि वो कैसी है।
पूरे एक महीने बाद प्रिया का फोन आया। तनु ने लपक कर उठाया और चहकते हुए बोली, “कैसी हो? मैं तो परेशान हो गई थी। कई बार लगता कोई समस्या तो नहीं, तबियत तो ठीक होगी। फिर मैं तेरी फेसबुक प्रोफाइल चेक करती और समझ जाती तु ठीक है। कभी- कभी ये भी लगा तु नाराज तो नहीं, वो तुने मुझे अनफ्रेड किया है। नहीं मतलब मैं अनफ्रेंड हूं।“ तनु ने एक ही सांस में कितनी बातें कह दी।
‘हां, किया है मैंने। कैसी दोस्ती ? जब फेसबुक पर तुने मेरा समर्थन नहीं किया। फ्रेंड लिस्ट में है और मेरे पोस्ट के विरोध में लिख दिया तो क्या मैं दोस्ती रखूंगी।‘ प्रिया का ठंडा उत्तर आया।
तनु सन्न थी। उसे याद आया,फेसबुक पर कुछ दिन पहले उसने प्रिया के पोस्ट पर विपरीत प्रतिक्रिया दी थी तो प्रिया ने दुबारा उसे जवाब दिया था और अपना पक्ष रखा था। तनु ने अपना। एक और पोस्ट पर उसने कुछ कमेंट किया था तो प्रिया ने लिखा था, पहले पूरी तैयारी कर लो फिर मैदान में आना, जाकर जानकारी इकठ्‌ठी करो। इससे क्या दोस्ती टूट सकती है?
फिर से प्रिया की आवाज आई, ‘बार- बार मैसेज आए थे तो सोचा लगता है तू समझी नहीं इसलिए बता रही हूं। नहीं है अब हमारे बीच मित्रता’। फोन कट चुका था। तनु के हाथ से मोबाइल फिसल गया।