आज की द्रौपदी और सुभद्रा - 4 आशा झा Sakhi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - 4

धवल के बार - बार कहने पर भी जब शुभी धवल के घर पर जाकर रहने को तैयार नहीं हुई तो धवल ने उसे समझाते हुए समय दे दिया कि तुम अपने को तैयार कर लो। जब मन हो तो बता देना। पर हर बार वो शुभी को ये याद दिलाना न भूलता कि घर पर अंशिका और पूरा परिवार उसका इन्तजार कर रहा है। हर बार शुभी जाने से मना कर देती।
धीरे -धीरे पाँच वर्षों का समय बीत गया। तभी अचानक एक दिन शुभी को अहसास हुआ कि वो गर्भवती है। उसके गर्भ में उसका व धवल का प्यार साँसे ले रहा है।इस अहसास ने ही शुभी को अनोखे आनंद से भर दिया। आज उसे अपने स्त्री होने की संपूर्णता का अहसास हो रहा था।
एक बार तो उसका मन हुआ कि वो तुरंत फोन करके धवल को ये खुशखबरी सुना दे ।इसके लिए उसने कई बार फोन भी उठाया पर हर बार ये सोच कर रख दिया कि फोन पर उसके चेहरे के हावभाव कैसे देखेगी वो। बस दो दिन की ही तो बात है।फिर तो धवल घर आएंगे ही ।तब ही सामने से उनको ये ये खुशखबरी सुनाकर अचंभित कर दूँगी।तब तक वो अकेले ही अपने अंतर्मन में उस खुशी को महसूस कर आनन्दित होती रही। दो दिन बाद जब धवल घर आया तो उसका चेहरा भी खुशी से चमक रहा था। शुभी के मन में एक बार तो ख्याल आया कि क्या धवल को इस खुशी का अहसास अपने से ही हो गया है ।जो वो इतना खुश है। अगले ही पल धवल ने शुभी को गले लगाते हुए बताया - शुभी, मेरे पास तुम्हारे लिये बहुत बड़ी खुशखबरी है। आज मुझे एक विदेशी कंपनी के साथ एक बहुत बड़ा आर्डर मिला है। जिसके पूरा होने पर हम लोगों को करोड़ों का लाभ मिलेगा। धवल शुभी की गोद में सिर रखकर लेटते हुए बोला- अब तुम घर चलने की तैयारी कर लो । तुम्हारी ननद यानि मेरी छोटी बहन सुमन की शादी तय हो गयी है। पंद्रह दिन बाद ही शादी है। लड़के को तीन साल के लिए विदेश जाना है तो वो लोग शादी कर के ही भेजना चाहते हैं। लड़के वालों को बहुत जल्दी है शादी की । तो समय न लेते हुए तुरंत शादी कर रहे हैं। अंशिका को तुम्हारे साथ की जरूरत है अब।शुभी के चेहरे के बदलते भावों को देखकर धवल ने उसे अपनी बाहों में भरकर प्यार से उसके गाल चूमते हुए कहा- अरे मैं भी कितना पागल हूँ।आते ही अपनी बेकार की बातें सुनाने लगा। इतना बोलते ही शुभी के बदन पर प्यार से अपने हाथों की शरारत करते हुए पूछने लगा- हाँ तो जानेमन ! क्या खुशखबरी है इस गुलाम के लिए अपनी मलिका की तरफ से। धवल की बातों का असर था या उसके हाथों का, शुभी के चेहरे पर लाज की आभा फैल गयी। वो मुस्कुराते हुए उसके कान में धीरे से बोली- इस गुलाम ने अपनी मलिका का पद बढ़ा दिया। उनके जीवन में एक नन्हा सा धवल या शुभी आने वाली है जो उसे मम्मा कह कर बुलायेगी।इतना सुनते ही धवल ने शुभी को हर्षातिरेक में गोद में उठाकर गोल -गोल घुमा दिया।फिर प्यार से सोफे पर बैठाते हुए बोला- आज का दिन कितना अच्छा है । लगता है अब सब कुछ ठीक होने लगा है। शुभी ने चौंक कर पूछा- क्या मतलब! कोई परेशानी थी क्या? धवल बोला-- अरे कुछ नहीं, बस ऐसे ही निकल गया मुँह से।
धवल ने एक बार फिर शुभी को समझाते हुए कहा- जान,अब तो घर चलो न ।कब से वो घर तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है। अब तो घर में शादी भी है।हर बार की तरह ही शुभी ने रटा-रटाया सा जबाब दिया- मैं अंशिका का सामना कैसे करुँगी।अंशिका के कारण ही मेरी जिंदगी में खुशियों ने दस्तक दी है।जीवन को सार्थकता मिली है।जीवन में सुरक्षा व प्यार के रंग को अनुभव कर पायी हूँ।पर मेरे कारण ही आज अंशिका की खुशियां आधी हो गयी।इस बात की ग्लानि मुझे उसके सामने जाने से रोकती है हमेशा।तुम ही बताओ धवल ,मैं क्या करूँ।कैसे सामना करूँ इस आत्मग्लानि का।ओहो------,ये बात परेशान करती है मेरी गुड़िया को,कहकर धवल शुभी को प्यार व मासूमियत से गले लगा लेता है। धवल प्यार से शुभी का सिर सहलाते हुए कहता है - इस बात का समाधान तो अंशिका के पास ही है। तुम कहो तो मैं अंशिका को भेज दूँ तुमसे बात करने को।
वैसे मैंने उससे कहा था,आकर तुमको समझाने के लिए।पर शायद वो तुमको मुझसे ज्यादा समझती है इसलिए उसने साथ रहने की बात का दबाब डालने को मना कर दिया।उसका कहना है - शायद मेरे कहने से वो मना न कर पाए।पर पूरे मन से आरामदायक महसूस नहीं करेगी वो।जो काम स्वेच्छा से न किया जाए तो फिर नकारात्मकता उतपन्न करता है। इसका असर तुम्हारे स्वास्थ्य पर न पड़े।ऐसा न हो कि फिर से तुम्हारी तबियत पहले जैसी हो जाये। बस ये सोचकर ही वो नहीं आयी। अच्छा जी-----ये बात अंशिका को कैसे पता चली कि मैं ये सब सोचती हूँ।धवल बोला- जिसको हम दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं,स्नेह करते हैं ।उसके लिए हमारी छठी इंद्रीय सक्रिय रहती है। जिसके कारण हम उसकी सोच ,उसके हावभाव से पूर्व परिचित हो जाते हैं।
शनै - शनै शादी की व्यस्तता में भी धवल ने शुभी को घर में रहने के साथ -साथ शादी में आने के लिये भी मनाता रहा।पर शुभी आने में हिचकती रही। एक बार तो गुस्से में धवल ने शुभी को ये भी बोल दिया कि ये लो ,अंशिका से बात करो। तब डर के कारण शुभी ने फोन ही रख दिया।
इधर शादी के काम करते - करते ,रस्मों रिवाज निभाते- निभाते शादी का दिन भी आ पहुंचा पर शुभी नहीं आयी। रात को जयमाला से पहले जब धवल अपनी बहन को देखने आया तो सुमन ने एक बार फिर अपने भाई से पूछा-- भईया, क्या शुभी भाभी नहीं आयेंगी अपनी ननद को आशीर्वाद देने। धवल भी सजल नयनों से बोला- मैं तो समझा - समझा कर हार गया।पता नहीं आएगी या नहीं। उसके बारे में तुम्हें मुझसे ज्यादा सही तरीके के अंशिका ही बता पाएगी। सुमन ने प्रश्नवाचक निगाह से अंशिका की ओर देखा। अंशिका बोली- परेशान मत हो ,आती ही होगी।और क्या पता दरवाजे के पीछे चुपचाप खड़ी होकर हम लोगों की बातें सुन रही हो।
क्रमशः