अनकहा अहसास - अध्याय - 26 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनकहा अहसास - अध्याय - 26

अध्याय - 26

शेखर। ये नाम कुछ जाना पहचाना लगता है। कहीं ये हमारे शहर से तो नहीं है। आभा ने पूछा
हाँ शायद मैं पहले नहीं जानती थी उसको। अनुज के माध्यम से ही जानी हूँ।
अच्छा ? फिर, आभा ने पूछा
वो एक लड़की को चाहता है और उसी को बोलने के लिए मेरे साथ बातचीत कर रहा था।
अनुज को लगा कि वो मुझे शादी के लिए प्रपोज कर रहा है और उसका अविश्वास और बढ़ गया।
ओह !!! तो ये बात है। देखो रमा। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। अगर तुम दोनों एक दूसरे को प्यार करते हो और एक दूसरे से शादी करने के लिए सहमत हो, पर अनुज तुमसे शादी करने की बजाय मुझसे शादी करना चाहता है तो मैं बिलकुल करूँगी। मुझे तो किसी ना किसी से शादी करनी ही है।
पर इससे तुम्हारा जीवन खराब होगा आभा। रमा विचलित होते हुए बोली।
हाँ तो तुम मना लो उसको। मैं तो नहीं बोल सकती यार कि मैं तुमसे शादी करना नहीं चाहती वो भी तब जब वो मुझसे बोल चुका है कि वो रमा से प्यार नहीं करता। मेरी दुविधा भी समझो ना प्लीज ? आभा बोली।
हाँ तुम ठीक कह रही हो आभा। चलो ये बात अच्छी है कि वो अगर मान जाए तो तुमको कोई आपत्ति नहीं होगी। सिर्फ एक रिक्वेस्ट है आभा कि तुम शेखर के आते तक शादी मत करना यार। मुहुर्त का नाम लेकर या और किसी बहाने से शादी को टाल देना।
देखो रमा ये ज्यादा कुछ मेरे हाथ में भी नहीं है अगर दोनो के पैरेंट्स अभी शादी करने की तय कर लिए तो मुझे तो शादी करनी ही पड़ेगी।
रमा और विचलित होने लगी।
ठीक आभा तुमने इतनी ही मदद की मेरे लिए इतना ही पर्याप्त है चल तुझको बाकी कॉलेज घुमा कर ऑफिस छोड़ देते हैं।
इधर गगन भले बाहर से खुश दिख रहा था। परंतु आभा के कन्वींस होने से उसकी चिंता भी बढ़ गई थी। वो भी चाहता थी कि आभा और अनुज की शादी हो जाए तो उसे रमा को हासिल करने में आसानी होगी परंतु आभा तो तटस्थ हो गई। उसे दोनो ओर से कोई मतलब नहीं है क्योंकि उसके लिए ये शादी एक ऑफर मात्र था प्यार तो था ही नहीं। इसी उधेड़बुन में वो स्टोर चला गया।
दो तीन दिन शांति से बीत गए थे और शादी की कोई खबर नहीं उठी थी इसलिए रमा थोड़ी शांत थी। फिर एक दिन शेखर आ ही गया। उसे इधर की किसी भी घटना का ज्ञान नहीं था। इसलिए लैंड करते ही सीधा अनुज को फोन किया।
हेला अनुज।
ओ हाँ शेखर ? कब पहुँचे ?
अभी कुछ देर पहले ही लैंड किया है।
अच्छा क्या किसी और से बात हुई है तुम्हारी ?
मतलब ?
अरे यार मेरे से पहले किसी और को फोन किया था क्या ?
नहीं तो पर ऐसा क्यों पूछ रहा है ?
बस ऐसे ही तू किसी और से बात मत कर बस फ्रेश होकर सीधे ऑफिस आ जा। ठीक है, ठीक है। मैं फ्रेश होकर सीधे ऑफिस ही आऊँगा।
आजा कुछ बात करनी है।
बता ना क्या बात करनी है ?
अभी नहीं तू पहले ऑफिस आजा फिर बात करतें हैं पर तब तक किसी और से कोई बात नहीं करना। अनुज बोला।
शेखर आश्चर्यचकित था कि इसे क्या हो गया पहले अचानक मुझे दिल्ली भेज दिया फिर मेरे से कोई पर्सनल बात करना चाहता है। मेरी ओर से कोई गलती तो नहीं हो गई ? यह सोचते सोचते वह घर पहुँच गया। फिर फ्रेश होकर वो कॉलेज के लिए निकल गया।
कॉलेज पहुंचकर जैसे ही उसने ऑफिस का दरवाजा खोला उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।
ओह !!! आभा तुम ?
शेखर !!! वो गौर से उसकी ओर देखते हुए बोली।
अरे तुम दोनो एक दूसरे को जानते हो ? अनुज ने भी आश्चर्य करते हुए पूछा।
हाँ अनुज हम एक दूसरे को जानते हैं, पर आभा तुम यहाँ कैसे ? शेखर ने पूछा।
मैं इसे यहाँ लेकर आया हूँ शेखर। मेरी और आभा की शादी होने वाली है, ये मेरी मंगेतर है। अनुज बोला।
क्या ??? शेखर एकदम शाक्ड हो गया। क्योंकि आभा वही लड़की थी जिससे शेखर प्यार करता था। उसी के पिता की उसने जान बचाई थी। उसका दिमाग एक सेकेण्ड के लिए शून्य हो गया।
अरे! ऐसे क्यों आश्चर्य कर रहे हो शेखर ? कोई बात है क्या? अनुज ने पूछा।
नहीं, नहीं अनुज कोई बात नहीं है। ये तो अच्छी बात है। बधाई हो तुम दोनों को।
हमने औपचारिक सगाई कर ली है शेखर।
ओह !! फिर से बधाई, तो कब कर रहे हो शादी ?
जब हमारे पैरेंट्स चाहेंगे। क्या है माँ अभी स्वस्थ नहीं हुई हैं वो थोड़ा ठीक हो जाएं तब करेंगे।
क्या हुआ आंटी को अनुज ?
उनका एक्सीडेंट हो गया था।
कब कैसे ?
बस हो गया था पर अब ठीक हैं। अनुज ने रमा वाली बात छिपा ली।
अच्छा। तुमने मुझे किसी बात के लिए बुलाया था बताओ क्या बात है ?
अच्छा हाँ। तुमसे कुछ व्यक्तिगत बात करनी है आभा तुम यहीं बैठो। हम शेखर के रूम में जाकर बात कर लेते हैं।
ठीक है कहकर आभा सोफे में बैठ गई।
और दोनों वहाँ से निकलकर शेखर के रूम में आ गए।
शेखर के रूम में आकर दोनों सोफे पर बैठ गए।
अनुज इतनी क्या इमरजेंसी वाली बात हो गई कि तुमने मुझे किसी से बात करने के लिए मना कर दिया था। शेखर बोला।
कुछ नहीं यार। बस एक पर्सनल सी खबर मुझे तुम्हारे बारे में मिली तो सोचा कन्फर्म कर लूँ। ओ आओ रमा बैठो।
उसने रमा को भी बुलवा लिया था पर शेखर को कुछ नहीं बताया।
अच्छा तो पूछो ? शेखर बीच में बोला।
सिर्फ एक सवाल है क्या तुम किसी से प्यार करते हो ?
ये कैसा सवाल है अनुज ?
बड़ा सीधा सा सवाल है शेखर। बस मुझे ऐसा पता चला तो पूछा रहा हूँ। बताओ ना ? क्या तुम किसी से प्यार करते हो।
शेखर थोड़ी देर सोचता रहा फिर बोला शायद हाँ, क्योंकि मैं तुमसे झूठ नहीं बोल सकता।
तो उसका नाम बता सकते हो ?
नहीं दोस्त। इस सवाल के लिए सॉरी, पर मैं उसका नाम नहीं बता सकता। कहकर उसने रमा की ओर देखा।
रमा एकदम शाक्ड थी।
अनुज ने पहले रमा की ओर एकटक देखा फिर शेखर की ओर देखा।
ठीक है शेखर तुम बैठो। आभा मेरा वेट कर रही है मैं जाता हूँ कहकर वो उठा और तेजी से बाहर निकल गया।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।