Ankaha Ahsaas - 25 books and stories free download online pdf in Hindi

अनकहा अहसास - अध्याय - 25

अध्याय - 25

रमा पैर पटककर रह गयी।
ओ ! रमा ! रमा, रमा ? अचानक माला पीछे से आकर लिपट गई।
अब तुझे क्या हुआ ? रमा पीछे पलटकर पूछी।
मुझे पहले से ही अंदाज हो गया था कि तेरे और अनुज सर के बीच पक्का कोई लफड़ा है वो चहकते हुए बोली। जिस तरह तुम लोग एक दूसरे को देखते हो ना वैसे सिर्फ प्रेमी लोग एक दूसरे को देखते हैं। तू तो छुपी रूसतम निकली यार।
दोनो अब आकर चेयर में बैठ गए थे।
पर एक बात बता। जब तुम दोनो आपस में एक दूसरे को प्यार करते हो तो फिर अचानक ये अनुज की सगाई कहाँ से आ गयी?
फिर रमा ने उसको पूरी बात विस्तार से बताई।
तो तुम अब क्या करोगी रमा ? माला ने पूछा।
मैं तो पहले शेखर का इंतजार करूँगी और क्या ? वो आ जाए तो हो सकता है सभी चीज क्लीयर हो जाए। मुझे लगता है उस दिन की काफ्रैंस हाँल की घटना से ही नाराज होकर अनुज ने उसको दिल्ली भेजा है।
हो सकता है। अब तो यार किसी भी तरीके से अनुज को आभा से अलग करके उसे कन्वेंस करना है।
मैं तुम्हारी इस काम में मदद करूँगी रमा। माला बोली।
और मैं भी। पीछे से गगन आते हुए बोला।
अरे गगन सर आप छिपकर सब बातें सुन रहे थे ये तो अच्छी बात नहीं है रमा बोली।
मैं तो आप से मिलने ही आ रहा था। पूरी बात तो नहीं सुन पाया। पर आप इतनी मगन थी बताने में कि मेरे आने का एहसास ही नहीं हुआ।
अच्छा अच्छा बैठिए। बताइये क्या बात है।
अब वो तो बात रहने दो। पहले आपका प्राबलम।
आभा को सर से अलग करना है ना और आपको उनके जीवन में एंट्री करानी है ना ?
पहले ये काम करेंगे।
अरे ऐसा कुछ नहीं है। वो तो शेखर आएगा तो हो ही जाएगा। पहले तो हम लोगों को उसके आने का वेट करना है।
नहीं रमा मैडम, शेखर के आने तक अगर सर ने शादी कर ली तो ? गगन ने कहा।
हाँ ये तो आप सही कह रहे हैं गगन सर। तो फिर क्या करें ?
हम आभा से अकेले में बात करने की कोशिश करें क्या ? हमको अनुज सर को कन्वेंस करने की बजाय आभा को कन्वेंस करने की कोशिश करनी चाहिए।
पर वो रोज आयेगी तब तो ? अगर अनुज ने उसे लाना बंद कर दिया तो फिर उससे मुलाकात करना तो संभव नहीं है। रमा बोली।
वो लायेंगे मैडम देखिएगा। क्योंकि अगर वो आपको जलाने और दिखाने के लिए ये सब कर रहे हैं तो पक्का रोज लेकर आयेंगे। आज तो मत करिए क्योंकि आज तो मामला ताजा है। कल का इंतजार कर लेते हैं।
नहीं तो कल भी अगर आती है तो बुलाएंगे कैंसे ?
अरे रमा तुम चिंता क्यों करती हो ? मैं हूँ ना। मैं उसको कॉलेज दिखाने के बहाने यहाँ बुला लूँगी। यहाँ एक बार आ जाए तो हम सब मिलकर उससे बात करेंगे। माला बोली।
ठीक है अगर ऐसा हो पाए तो मैं उससे बात करके देखूँगी। वो मान जाए तो अच्छा है।
हाँ और अगर नहीं मानती है तो शेखर को भी इसमें शामिल कर लेंगे। आखिर वो भी तो तुम्हारा दोस्त है। माला बोली।
ठीक फिर कल देखते हैं। रमा बोली
अगले दिन रमा समय पर कॉलेज आ गई थी और उसने देखा कि पीछे-पीछे ही कार में अनुज और आभा दोनों साथ आए।
उन दोनों को साथ देखते ही रमा के दिमाग में एक विचार कौंधा। ये आभा आखिर रूक कहाँ रही है। अगर इसी शहर में अनुज के साथ रूक रही हो तब तो और भी ज्यादा खतरा है और अगर अनुज अपनी माँ के पास रोज जा रहा होगा तब तो कोई दिक्कत नहीं हैं यह सोचकर वो रजिस्टर में दस्तखत करने लगी।
अनुज ने रमा को देख लिया था और उसके पीछे से आभा को लेकर चेम्बर में घुस गया । फिर उसने कालबेल बजाया।
जी सर ? चपरासी बोला
बाहर रमा मैडम खड़ी हैं उनको बुलाओ।
जी सर। कहकर वो रमा मैडम को बुला लाया।
मे आई कम इन सर ? रमा ने पूछा
हाँ मैडम आईए।
रमा ने देखा कि अनुज आभा के आँचल से अपना मुँह पोछ रहा है। उसका दिमाग खराब हो गया। तुम्हारी इतनी हिम्मत कि मेरे सामने किसी और का आँचल पकड़ा है। मुझे दिखाने और जलाने के लिए बुलाया है ना अंदर। वो मन ही मन गुस्से से सोची।
वो क्या है ना मैडम मैं इनके आँचल से अपना मुँह पोछता हूँ ना तो मुझे बड़ा सुकून मिलता है। अनुज जानबुझकर बोला।
अच्छी बात है सर। रमा भी थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली।
अरे रमा। कैसी हो तुम ? कहकर आभा उससे लिपट गई।
मैं ठीक हूँ आभा। सर कुछ काम से बुलाये थे इसलिए आई थी।
हाँ मैडम मैंने इसलिए बुलाया था कि स्टोर की जाँच रिपोर्ट का क्या हुआ ? आपने किया कि नहीं? अनुज ने पूछा।
हाँ सर आधे ज्यादा जाँच हो गयी है मैं एक दो दिन में रिपोर्ट सौंप दूँगी। रमा बोल ही रही थी माला अंदर आई।
गुड मार्निग सर। हेलो एवरी वन। माला बोली।
हेलो माला। रमा बोली।
सर एक बात कहूँ। आभा मैडम को हमको अपना कॉलेज दिखाना चाहिए। आप अनुमति दें तो मैं उनको अपना कॉलेज दिखा लाती हूँ।
उनको पूछ लो माला अगर वो जाना चाहती हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। अनुज बोला।
ठीक है चलो। आभा बोली।
रमा की तो इच्छा पूरी हो गई। वो तो अवसर ही ढूंढ़ रही थी कि कब आभा से अकेले में बात कर पाए।
फिर तीनों वहाँ से निकलकर पहले कॉलेज घूमने लगे और वहाँ से जब रमा के विभाग पहुँचे तो रमा ने कहा -
थोड़ी देर यहीं बैठते हैं आभा मैं तुमको चाय पिलाती हूँ। तभी गगन भी वहाँ आ गया।
सभी वहाँ इकट्ठे बैठे थे।
आभा मैडम आपसे एक बात करनी थी। माला बोली।
क्या बात है माला मैडम। बताईये ना ?
अनुज सर रमा मैडम से बदला लेने के लिए आपसे शादी कर रहे हैं।
क्या ? क्या कहा मैडम आपने ? बदला लेने लिए ? मैं समझी नहीं।
हाँ मैडम। एक्चुअली में रमा मैडम और अनुज सर एक-दूसरे को बहुत प्यार करते हैं। माला बोली
ये कैसे संभव है मैडम। अगर यही बात होती तो वो मुझसे सगाई क्यों करता ? क्यों रमा ? तुमने उससे शादी से मना किया तभी तो वो मुझसे शादी कर रहा है ना।
हाँ आभा पर ये अधूरा सच है, मैं भी उससे बहुत प्यार करती हूँ आभा। रमा बोली।
ये क्या बोल रही हो तुम रमा ? आभा एकदम शाक्ड थी।
हाँ कुछ ऐसी घटनाएँ बीत गई कि मुझे मजबूरी में उससे अलग होना पड़ा। हालांकि वो मुझसे प्यार करते रहा और मेरा इंतजार भी करते रहा। उसने सिर्फ मेरे लिए अपना परिवार बिजनेस धन दौलत सब छोड़कर कॉलेज आया। नहीं तो उसका बिजनेस वहाँ अच्छा चल रहा था। पर मैं हमेशा इंकार करती रही और जब मेरी मजबूरी हटी तो उसको मैं कारण भी नहीं बता पा रही हूँ कि मेरी क्या मजबूरी थी। इसलिए उसका प्यार जो है अविश्वास में बदल गया। कुछ और घटना इसी बीच ऐसी हो गई कि एक दिन उसने मेरे एक दोस्त और मेरी बात को सुनकर गलत मतलब निकाल लिया तब से एकदम मेरे एंटी हो गया है।
कौन दोस्त रमा ?
है एक कामन फ्रेंड, शेखर नाम है उसका।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा आ2शाय दे - भूपेंद्र कुलदीप।

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