मुकम्मल मोहब्बत - 21 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मुकम्मल मोहब्बत - 21



मुकम्मल मोहब्बत- 21


आज घर से चलते समय मैंने मन ही मन निश्चय कर लिया था. मधुलिका से बादल का पता लेना है. बादल से मिलकर यह पता लगाना है कि बादल मधुलिका को कितना चाहता है. साथ ही बादल को यह भी बता देगा कि मधुलिका उसे बहुत प्यार करती है.


इस प्यार में अड़चनें तो बहुत हैं. जातिगत समस्याएं सिर उठायेंगी ही.उम्र भी आड़े आयेगी. इन सबका एक रास्ता भी है-पढ़लिख कर पहले अपने पैरों पर खड़े हो जाओ. उसके बाद घर वालों को मनाने की कोशिश करो.न माने तो रास्ता कोर्ट मैरिज का भी है.



अपने विचारों में खोया हुआ, कब झील के किनारे पहुंच गया पता ही नहीं लगा.मधुलिका वहां पहले से ही मौजूद थी.आज उसने सफेद ड्रेस पहनी थी.सफेद लॉग फ्राक,पिंक फ्रिल वाली. सफेद केप पर खूबसूरत पिंक फ्रिल. सफेद मोजे, गुलाबी जूते. हाथों में ताजा मोगरों के फूलों का गजरा. हमेशा की तरह खूबसूरत लग रख रही थी.चेहरा कल जितना उदास नहीं था.लेकिन, हमेशा जैसा खिला हुआ भी नहीं था.मुझे देखकर धीरे से बोली -"हाय स्वीट !"


"हाय!कैसी हो?"मैंने वोट में अपना बैग रखते हुए कहा.

"ठीक हूँ."कहते हुए मधुलिका वोट में बैठ गई.


आज झील में काफी वोट हैं. सीजन चल रहा है. पर्यटकों का आना बढ़ेगा ही.मैं वोट को किनारे से निकाल कर भीड़भाड़ से दूर ले गया.


"हां,यहां ठीक है."मधुलिका ने गहरी सांस ली.

"मधुलिका, एक बात कहूं."मैंने बैग से लेपटॉप निकालते हुए कहा.

"डियर ,रायटर. तुम्हें परमीशन की जरूरत नहीं है. तुम कुछ भी कह सकते हो."कहकर उसने एक बार अपने हाथ में बंधा मोंगरे का गजरा सूंघा.


"तुम मुझे बादल का पता बताओ.मैं उससे बात करके जानना चाहता हूं कि वह तुम्हें कितना प्यार करता है."


हँसी मधुलिका-"यार,तुम्हें पता है.वह मेरे लिए अपनी जान जोखिम में डाल चुका है."

"वह हेल्प तो सभी की करता है."मैंने अपनी बात पर जोर दिया.


"वह ठीक है. लेकिन, उसकी आँखों में मुझको कुछ अलग सा भी दिखता है."

"प्यार...."मैंने मुस्कुरा कर कहा.


शरमा कर नजरें झुका लीं मधुलिका ने.


"बादल यह जानता है कि तुम भी उसे प्यार करती हो."

"पता नहीं. वैसे जब भी मिला मेरे पर कुछ ढूंढता है. साधारण बातों से अलग कुछ और सुनना चाहता है."

"मैं तुम्हारी तरफ से उसे तुम्हारे प्यार का पैगाम दे दूंगा."

"नो,डियर !यह आइडिया उसे पंसद नहीं आयेगा"मधुलिका जल्दी से बोली.

"क्यूँ?"

"वह कहता है -तुम वही करो जो कर सकते हो. जो नहीं कर सकते हो और उसे करना चाहते हो उसके लिए हिम्मत जुटाओ और करो. किसी का सहारा न लो.आखिर दूसरों के पैरों से कैसे चल सकते हो."शब्द मधुलिका के होठों से ऐसे निकल रहे थे. जैसे मधुलिका नहीं बादल बोल रहा है.


"रियली.बहुत ग्रेट है,तुम्हारा बादल."

मुस्कुरा दी,वो.

"मधुलिका ,तुम बादल से सिर्फ प्यार ही करती हो या उससे शादी भी करना चाहती हो ?"मैंने धीरे से पूँछा.

"क्या प्यार करने के लिए शादी करना जरुरी है. क्या शादी के बिना प्यार नहीं हो सकता. वैसे भी हमारी शादी इतनी आसान नहीं है. मेरे घरवाले मानेंगे नहीं. यदि मैं अपना घर छोड़ दूं तो शायद बादल नहीं मानेगा. वह बड़ों की खुशी के लिए कुछ भी कर गुजरता है."

"इस तरह तुम्हारे प्यार का क्या अंजाम होगा?"

"प्यार अंजाम कहां देखता है. वह तो बस हो जाता है. जिससे भी हुआ बस हो गया. मुझे भी बादल से प्यार हो गया है. मैं उससे हमेशा हर जन्म में प्यार करती रहूंगी."


"बादल की किसी और लड़की से शादी हो जाये तब भी?"मैने उसके चेहरे पर अपनी नजरें गड़ा दी.

"बस,बादल मुस्कुराता रहे. मैं तब भी उससे इतना ही प्यार करूंगी.मेरा प्यार इबादत है.उसमें, स्वार्थ, ईष्या, बदले जैसी भावनाओं की कोई जगह नहीं है."कहते हुए उसके चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास था.एक अनोखी चमक थी.

"तुम्हें जब अपनी ही तरफ से प्यार करना है तो बादल का यह जानना आवश्यक कहां रह गया कि तुम उसे प्यार करती हो या नहीं."


"डियर, उसका यह जानना जरूरी है. वह हमेशा मेरी आँखों में इसी सबाल का उत्तर ढूंढता है. जब भी मेरी उससे बात होती है. उसके कान आई लव यू "शब्द सुनने को बैचेन रहते हैं."


"ऐसा है,तब वह स्वयं क्यूं नहीं आई लव यू बोल देता."मैंने तेज लहजे में कहा. मुझे बादल पर गुस्सा आ रहा था. भोलीभाली लड़की उसके लिए इतना परेशान हैं और वह ईगो बनाये बैठा है.


"शायद,मुझे प्रपोज कर देता. आई लव यू बोल ही देता लेकिन, उसके दोस्त अंम्बर ने उससे कहा था-"मधुलिका से जायदा दोस्ती मत बढ़ा. तुझपे बड़े घर की लड़की फांसने का इल्ज़ाम आयेगा."मधुलिका ने स्पष्ट किया.


"ओह,यह बात है"बादल के लिए गलत राय बनाने का मुझे अफसोस हुआ.

"इसीलिए मैं बादल तक अपने दिल की बात पहुंचाना चाहती हूं. वह मुझे फांस नहीं रहा है. मैं भी उसे बहुत जायदा प्यार करती हूं."

"मुझे उसके पास जाने नहीं दे रही हो .कैसे उस तक अपने दिल की बात पहुंचाओगी?"मैंने प्रश्न सूचक दृष्टि से उसकी ओर देखा.


"बताऊँगी."कहकर वह चुप हो गई.

शाम ढ़ल चुकी थी.बस्तियों की लाईट जल गई थीं. मैंने वोट किनारे की ओर मोड़ दी.

"सुनो,डियर, मैं कल नहीं आ रही हूं."वोट से उतरते हुए मधुलिका ने कहा.


"क्यूँ?"मैंने अचकचा कर मधुलिका की ओर देखा.

"कल मैं बादल से मिलने जा रही हूं. परसों तुमसे रोज वाले समय पर मिलती हूँ."कहकर मधुलिका ने हाथ हिलाया और पहाड़ी की ओर सदे कदमों से चल दी.


मेरा भी हाथ ऊपर उठा. मैं उसको तब तक देखता रहा ,जब तक वह आँखों से ओझल नहीं हो गई.


क्रमशः