दीदी , वहां नीचे मम्मी अकेले काम कर कर के मर रही हैं और आप यहां आ कर के यह कर रही हैं , रिया गुस्से से चिल्लाई और फिर नगमा की तरफ घूमी और दहाड़ी ,
ए ऐड़ी तू मेरी दीदी को बिगाड़ रही है ,जहां जाना हो जा ,जा कर मर जो करना हो कर लेकिन यहा से तुरंत ही चलती फिरती नजर आ ,नहीं तो फिर एक मुक्के में जमीन चाटती सी नजर आएगी, बगल छत पर खड़ी नगमा को रिया ने अपना मुक्का तान कर कहा
रिया की आदत नगमा जानती थी उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी इसलिए वह दुम दबाकर नीचे भागी
तो आप इसीलिए छत पर आती हैं कि जिससे ऐसे फालतू फालतू लड़कों को देख सके , आप इसीलिए पूरा दिन छत पर ही रहती हैं मैं अभी मम्मी को बताती हूं कि आप छत पर आकर के क्या करती हैं, मम्मी मुझे बहुत रोक टोक लगाती है ना आपको कुछ नहीं बोलती है ना अब बताती हूं मैं। रिया ने कहा
अरे अरे रिया मेरी बहन ,मेरी बात तो सुन , प्रतिमा का डर के मारे बुरा हाल होगया उसने लपक कर रिया का हाथ पकड़ा और उसे नीचे जाने से रोकते हुए बोली
प्लीज रिया मम्मी से कुछ मत बोलना तू जो कहेगी मैं करूंगी। प्रतिमा ने गिड़गिड़ाते हुए कहा
रिया के मम्मी से बोलने की बात सुनकर के प्रतिमा की हालत खराब हो गई वह डर गई थी
ठीक है, आप मेरी दीदी है नही बोलूंगी लेकिन इसके बदले में बस मेरा एक काम करवा दो। रिया ने कहा
कैसा काम ? प्रतिमा ने कहा
जो ड्रेस मुझे पसंद है, मम्मी और पापा से कहलवा करके मुझे वही ड्रेस दिलवा दो फिर मैं मम्मी पापा से कुछ नहीं कहूंगी वरना समझ लो ।रिया ने प्रतिमा को धमकी देते हुए कहा
लेकिन मैं कैसे दिलवा सकती हूं पैसे तो पापा को ही देना है और तूने ऐसी डिमांड भी की है तुझे पता है ना अपने घर में कोई भी जींस और टॉप नहीं पहनता है फिर तूझे पता नहीं क्या फितूर चढ़ गया है जींस और टॉप पहनने का यहां माहौल ठीक नहीं है रिया तू बात को समझ बहन और कुछ बोल और कुछ करवा दूंगी लेकिन प्लीज प्लीज । प्रतिमा ने रिया को प्यार से समझाया
और कुछ नहीं चाहिए मुझे वही कपड़े चाहिए अगर आप दिलवाने के लिए राजी हो तब तो ठीक है नहीं तो फिर आज तुम गई । रिया ने अपनी उंगली दिखा करके प्रतिमा को धमकी दी
अच्छा अच्छा सुन प्लीज कुछ मत कहना मैं कोशिश करूंगी देख गारंटी नहीं ले रही हूं लेकिन मम्मी से बोल दूंगी आखिर में पैसे तो उनको ही देना है मेरे पास तो है नहीं, नहीं तो मैं दे देती, लेकिन प्लीज मम्मी से कुछ मत कहना प्रतिमा मिन्नते करती हुई बोली
वैसे दीदी तुमको यही मिला था क्या ,साला शक्ल से ही सड़कछाप लग रहा है और सुट्टे तो ऐसे लगा रहा था जैसे कोई अमृत पी रहा हो आई हेट सुट्टे बाज ।रिया ने नफरत से मुंह बनाया
ऐसा कुछ नही है रिया वही आ जाता है छत पर मैं नही ,लेकिन अब आज के बाद उसे कभी नही देखूंगी ,छत पर आऊंगी भी नहीं ,लेकिन तू प्लीज प्लीज मम्मी से कुछ मत बोलना प्रतिमा की हालत खराब थी
अच्छा वो खुद आ जाता है इसका मतलब वो तुम्हे छेड़ता है क्या? अगर छेड़ता हो तो मुझे बताओ जाकर नाक तोड़ दूं ।रिया ने प्रतिमा से कहा
नहीं-नहीं वह तो देखता भी नहीं मेरी तरफ । प्रतिमा ने कहा
वैसे नाम क्या है इस नसेड़ी का । रिया ने फिर से पूछा
शिवेंद्र इसका नाम शिवेंद्र सिंह है हमारे सामने वाले घर में रहता है प्रतिमा ने बताया
अच्छा सामने ही रहता है मुझे तो आज तक दिखाई नहीं दिया, अच्छा ही है नहीं दिखा, जिस दिन मेरे हत्थे चढ़ गया ना इसका मोर बना दूंगी ,जो स्टाइल मार मार के सिगरेट पी रहा था ना उसका सारा स्टाइल एक मिनट में निकाल दूंगी मैं। रिया ने बड़बड़ाते हुए कहा
तभी शिवेंद्र की नजर प्रतिमा और रिया पर पड़ी
प्रतिमा को तो लगभग लगभग वह रोज देखता था परंतु रिया उसे आज पहली बार इस तरह छत पर मिली और इसी वजह से वह एकटक कर के रिया को देखने लगा।
यह देखकर रिया का पारा गरम हो गया
वह खुद चलकर छत के किनारे गयी और शिवेंद्र से बोली कुछ आराम मिला कि नही मुझे इस तरह देख कर, डॉक्टर ने कहा है ना कि किसी लड़की को बिना पलके झपकाए देखने से आराम होगा ,कहो तो मैं आजाती हूँ जी भर के निहार लो ,क्या पता आज की रात तुम्हारी अंतिम रात हो दुबारा से मेरी सूरत देखना नसीब न हो क्यो, अपनी तरफ इस तरह शिवेन्द्र को घूरता हुआ पाकर के रिया ने गुस्से से तंज किया
शिवेंद्र को रिया से ऐसे जबाब की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी उसने सटपटा कर अपनी नजर दूसरी तरफ घूमा ली
रिया वापस से प्रतिमा के पास आ गयी
आप चलोगी नीचे कि अभी और दर्शन करना बाकी रह गया है भगवान भोलेनाथ का ,जिसको देखो इश्क का ही बुखार चढ़ा हुआ है ससुरी अजीब बीमारी फैली है अपने को पल्ले ही नही पड़ती और लोग बौराये ये इसके पीछे ,रिया ने गुस्से से प्रतिमा को देखा और बोली
हां हां चल चल प्रतिमा ने रिया का हाथ पकड़ कर कहा रिया के इस तरह से आ जाने पर उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था।
रिया और प्रतिमा दोनों नीचे आ गए
शिवेंद्र रिया के सामने वाले घर में रहता था ,वह गांव के प्रधान का लड़का था काफी अच्छी पकड़ और हैसियत थी उनके पापा की गांव में शिवेंद्र उनका इकलौता बेटा था लेकिन मिजाज से थोड़ा सा बिगड़ा हुआ था देखने में तो सुंदर था इसी वजह से प्रतिमा और नगमा दोनों ही शिवेंद्र को प्यार करते थे परंतु शिवेंद्र उनकी तरफ ढंग से देखता भी नहीं था।
उसके पापा के रसूख का ही असर था कि शिवेंद्र से कोई फालतू बात नहीं करता था परंतु आज जिस तरह रिया ने उसको झिडका, कहीं ना कहीं शिवेंद्र के अहम को चोट लग गयी और वह रिया के बारे में सोचने को मजबूर हो गया
प्रतिमा नीचे आ गयी और मम्मी के साथ अपने कपड़े धुलवाने लगी ,कपडे धुलने के बाद मालती ने प्रतिमा को कपड़े ऊपर छत पर सूखने के लिए फैला देने के लिए कहा
और इसी वजह से प्रतिमा गीले कपड़ो की बाल्टी लेकर के ऊपर ही पहुंची थी कि तभी न जाने कहां से फिर से शिवेंद्र प्रगट हो गया और प्रतिमा को अकेला देख कर के वह मुंडेर के पास आ गया और बोला
कैसी हो प्रतिमा मैं 2 मिनट बात कर सकता हूं
प्रतिमा को तो मानो मुंह मांगी मुराद मिल गई हो वह तो कब से शिवेंद्र से बात करने के लिए मरी जा रही थी ,वह भाग करके मुंडेर के पास आई और बोली
हाँ शिवेंद्र बोलो
कहां गई तीखी मिर्ची क्या बोल रही थी वह मुझे देखकर शिवेंद्र ने पूछा
कुछ नहीं जाने दो, तुम तो जानते हो उसकी आदत फिर क्यों उसके मुंह लग रहे हो, तुम सिगरेट पी रहे थे ना और रिया को सिगरेट पीने वाले पसंद नहीं है ,इसी लिए उसका पारा हाई हो गया । प्रतिमा ने कहा
तो कैसे लोग पसंद है फिर उस तीखी मिर्ची से पूछ कर बताओ मैं भी तो उसकी थोड़ी सी पसंद और ना पसंद भी जान लूं शिवेंद्र ने मुस्कुराते हुए कहा
क्यों आज तो बड़ा इंटरेस्ट आ रहा है रिया में वैसे तो आज तक नहीं पूछे उसके बारे में ,जिसपर इंटरेस्ट दिखाना चाहिए उस पर तो दिखा नहीं रहे हो । प्रतिमा ने शर्माते हुए कहा
शिवेंद्र मुस्कुरा कर रह गया और बोला
ऐसी कोई बात नही है प्रतिमा, तुम बहुत अच्छी हो मैं तुमसे कुछ कहूं तो तुम करोगी क्या ? शिवेंद्र ने पूछा
एक बार बोल कर तो देख लो जान मांग लोगे वह भी दे दूंगी प्रतिमा ने कहा
शिवेंद्र खिलखिला कर हंस पड़ा और बोला
तुम्हारी जान ले कर के क्या करूंगा मुझे तुम्हारी जान नहीं चाहिए एक फेबर चाहिए लेकिन अगर तुम करने को तैयार हो तब ही मैं तुम से बोलूंगा ।शिवेंद्र ने कहा
कैसा फेबर बताओ , प्रतिमा ने पूछा
पहले प्रॉमिस करो करोगी शिवेंद्र ने अपना हाथ आगे बढ़ाया
प्रतिमा खुशी से फूली न समाई उसका तो जैसे सपना सच हो रहा था उस पर लपक करके शिवेंद्र का हाथ अपने हाथों में थाम लिया और जोर से बोली प्रॉमिस
आज रिया ने मेरी इंसल्ट की है और मुझे उससे उसका बदला लेना है क्या तुम मेरा साथ देने के लिए तैयार हो
मैं जैसे-जैसे कहूंगा तुम करोगी अगर तुम मेरी बात मान जाओगी तो जो तुम चाहती हो मैं तुम्हारे लिए करूंगा मंजूर है।शिवेंद्र ने प्रतिमा से कहा
लेकिन तुम करोगे क्या कहीं कुछ उल्टा-पुल्टा तो नहीं करोगे तुम्हें शायद रिया के बारे में पता नहीं है कुछ ,जान ले लेगी वह तुम्हारी बहुत खतरनाक पीस है ,उसे और लड़कियों जैसी मत समझो। प्रतिमा ने सहम कर कहा
ये मत भूलो तुम शिवेंद्र से बात कर रही हो,और ऐसी कौन सी तोप है रिया, आज भी किसी की ताकत नहीं है कि शिवेंद्र से कोई इस तरह से बात कर पाए वो तो तुम्हारे घर की है इसीलिए मैंने उसे कुछ कहा नही लेकिन तुम्हारी बहन ने मुझे ऐसे बोला है तो उसको इसकी कीमत तो चुकानी पड़ेगी अगर तुम साथ देती हो तो ठीक नहीं देती हो तो भी बता दो मैं किसी और को कह दूंगा वैसे भी नगमा इस काम के लिए कभी भी मना नहीं करेगी ।शिवेन्द्र ने कहा
नही नहीं शिवेन्द्र मैं करने के लिए तैयार हूं लेकिन प्लीज रिया मेरी बहन है तो जो भी करना थोड़ा सोच समझ कर करना जैसी भी है वो मेरी बहन है नगमा का नाम सुनते ही प्रतिमा झट से शिवेंद्र का साथ देने के लिए राजी हो गयी ।
तुम उसकी चिंता मत करो शिवेंद्र इतना भी गया गुजरा नहीं है तो तुम्हारी बहन के साथ कुछ गलत हरकत करे लेकिन यह जो रिया मोहल्ले की डॉन बनी फिर रही है ना उसको थोड़ा सा सबक सिखाना बहुत जरूरी है ,शायद उसे अभी तक मुझ जैसे किसी लड़के से पाला नही पड़ा है ,और यह उसकी जिंदगी के लिए और तुम्हारे मम्मी पापा के लिए भी बहुत जल्द जरूरी है उसे एहसास दिलाना पड़ेगा कि वह लड़की है लड़का नहीं और ऐसे किसी लड़के से भिंडने पहले उसे 10 बार सोचना पड़ेगा।शिवेंद्र ने हर एक शब्द चबा कर कहा
ठीक है शिवेंद्र मैं तैयार हूं लेकिन रिया बहुत तेज है वह इतनी आसानी से तुम्हारी चंगुल में आने वाली नहीं है कहीं ऐसा ना हो कि उल्टा ही तुम्हे लेने के देने पड़ जाय ,जो भी करना सोच समझ कर करना पहली बात दूसरा मुझसे वादा करो अगर में तुम्हारा काम करवा दूंगी तो फिर मैं तुमसे जो भी मांगूँगी मिलेगा ।प्रतिमा ने कहा
ठीक है मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है
तो ठीक है फिर बताओ मुझे करना क्या होगा
वह सब मैं तुम्हे बाद में बता दूंगा अभी मुझे सोचने दो । शिवेंद्र ने कहा और फिर नीचे जाने लगा
तृषा के जाने के बाद देव के जिंदगी की गाड़ी उसी रफ्तार से अपने आगे की तरफ बढ़ती हुई जा रही थी कुछ दिनों तक इसे तृषा की याद आती रही लेकिन फिर वक्त के साथ-साथ धीरे-धीरे तृषा की यादें धुंधली होती चली गई और देव के दिमाग से तृषा का ख्याल बिलकुल भी निकल चुका था हां उसका दिया हुआ वह प्यारा सा लॉकेट वह जरूर पहना करता था लेकिन पिछले 4 सालों से वह भी निकाल कर के अपने पर्स में रख लिया था
इंटरमीडिएट कंप्लीट होने के बाद मेरठ के एक मशहूर कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए वह मेरठ आया हुआ था
उसे यह बिल्कुल भी पता नहीं है था कि यह वही शहर है जहां पर उसकी तृषा है।
वक्त के साथ-साथ देवांश भी काफी खूबसूरत और गबरु जवान हो गया था ,उसका पूरा शरीर भरा पूरा था मसल्स और एब्स देखकर लग रहा था कि वह नियमित रूप से जिम जाता है ,हैंडसम तो वह था ही लेकिन अपनी इस उम्र में वह और भी खूबसूरत लग रहा था उसके सिल्की से बाल वैसे के वैसे थे जैसे बचपन मे पतले पतले गुलाबी होंठ ,गोल और खूबसूरत सा चेहरा और गोरे गोरे गाल हाथों में एक रिस्ट वाच ,नीले रंग की जींस और पैरों में स्पोर्ट्स शूज उसने अपनी आंखों पर सनग्लासेस चढ़ा रखे थे जो उसके गोरे गोरे मुखड़े पर बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।
उसने एडमिशन का सारा प्रोसेस कंप्लीट कर लिया अभी तुरंत ही बैठा ही था की उसके पापा को फोन आया
हेलो क्या हुआ बेटे एडमिशन हो गया कि नहीं दिव्यांश के पापा ने पूछा
जी पापा हो गया देव ने कहा
कोई परेशानी तो नहीं हुआ बेटे
जी नही कोई परेशानी नहीं है ,
बेटे तू कानपुर से पहली बार कहीं बाहर गया है ना इसलिए मुझे घबराहट हो रही थी और तेरी मम्मी भी बार-बार पूछ रही थी इसीलिए मैंने तुझे फोन किया
अब घबराइए मत मैं ठीक हूं पापाजी और मम्मी को भी बोल दीजिए कोई प्रॉब्लम नहीं है
अच्छा सुबह से भूखा प्यासा होगा जब पहले कुछ खा ले उसके बाद फिर कोई काम करना तेरी मम्मी ने बोल बोल कर मेरा दिमाग खराब कर दिया है पता नहीं मेरे बच्चे ने कुछ खाया है कि नहीं खाया है
जी मैं लेकर कुछ खा लूंगा
मम्मी को भी बोल दीजिए परेशान मत हो
कोई दिक्कत होगी तो मुझे फोन करना
आप टेंशन मत लीजिए , आप जाइए आराम कीजिए मैं ठीक हूं बिल्कुल
देव ने कहा और फ़ोन रख दिया
देवांश ने इधर उधर नजर दौड़ाई लेकिन उसे कहीं कुछ भी नहीं दिखा वह थोड़ा सा आगे बढ़ा तभी उसे एक बोर्ड लिखा हुआ दिखा,उस पर कैंटीन का साइन बना हुआ था और एरो से उसकी दिशा भी दर्शाई गई थी दिव्यांश ने अपने कदम कैंटीन की तरफ बढ़ा दिए क्योंकि उसने सच में सुबह से कुछ नही खाया था और उसी भूख लगी थी
देवांश जाकरके टेबल पर बैठ गया और पूरे कैंटीन को देखने लगा तभी उसके पास एक लड़की जिसने बहुत खूबसूरत और ब्रांडेड ड्रेस पहन रखा था वह देवांश के पास आई और खड़ी हो गयी
देवांश ने उस पर एक नजर डाली और फिर वापस से अपने आंखों को उसने कैंटीन के सामने टेबल पर चिपके हुए रेट लिस्ट पर टिका दिया
सब कुछ पढ़ लेने के बाद वह वह अपनी जगह से उठा और उसने जाकर अपना आर्डर वहां काउंटर पर खड़े हुए शख्स को दिया अब पैसे जमा करके वह अपना खाने का सामान लिया
देव ने कचौरी लिया था ,
अभी वह खाने के लिए पहला निवाला उठाया था तभी वह लड़की जिसकी शक्ल सूरत ठीक-ठाक थी हालांकि उसने महंगे और ब्रांडेड कपड़े अपने शरीर पर डाल रखे थे ने देव से पूछा
एक्सयूज मी , क्या मैं यहां बैठ सकती हूं
देव ने उसे बिना देखे अपने हाथ में ली हुई कचौड़ी आराम से पहले वापस से प्लेट में रखी और फिर दोनों हाथों को बांधकर टेबल पर टिकाते ते हुए बोला
नहीं आप नहीं बैठ सकती देव की आंखों में इरिटेशन था और जैसे उसे लड़की का यहा आना अच्छा नही लगा हो ।
सॉरी लड़की ने आश्चर्य से कहा देव की न वह लड़की बिल्कुल भी एस्पेक्ट नहीं कर रही थी उसने सटपटा कर फिर से पूछा
तुम लड़कियों को किसी का ना सुनाई नहीं पड़ता है क्या ? नहीं तुम्हे क्या लगता है कोई तुम्हें ना नहीं बोल सकता क्या
मैं बिल्कुल वही कह रहा हूं जो आपने सुना आप यहां नहीं बैठ सकती हैं ।देव ने कहा
लेकिन लड़की भी कम जिद्दी नही थी उसने देव के सामने वाली चेयर खिंची और उस पर बैठ गई और फिर मुस्कुराते हुए बोली
वो क्या है ना कि मुझे अकेले खाने की आदत नहीं है कुछ भी, इसीलिए मैं अपने लिए एक कंपनी ढूढ रही थी, पर कोई दिख नहीं रहा था फिर अचानक से तुम्हे देख कर मैंने सोचा चलो आपके साथ थी इंजॉय करते हैं मुझे बहुत तेज भूख लगी है उस लड़की ने कहा
लेकिन मुझे आदत नहीं है किसी के साथ बैठकर खाने की मुझे अकेले खाना पसंद है और इसलिए आप किसी दूसरी जगह बैठने का कष्ट करेंगी । देव ने अपने शब्दों को चबाकर कहा
यार इतना क्यूट और हैंडसम हो ,कोई ऐसे ट्रीट करता है क्या किसी लड़की के साथ ,माना कि मेरी आपसे कोई जान पहचान नहीं है लेकिन बातचीत करने से तो जान पहचान बनेगी तो चलो सबसे पहले जान पहचान ही कर लेते हैं
हेलो माय नेम इज रिद्धिमा एन्ड योर लड़की ने मुस्कुराते हुए अपना हाथ देव की तरफ बढ़ाया
देखिये मुझे ना तो आप में और ना ही आपके नाम में कोई इंटरेस्ट है आप या तो यहां से चले जाइए या फिर मैं खुद जा रहा हूं देव ने अपनी कचौड़ी का प्लेट उठाया और दूसरी जगह जाने लगा।
लड़की शॉक्ड की शॉक्ड खड़ी देव को जाते हुई देख रही थी ।उसे देव से ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नही थी ।
क्रमशः
पास इतने की हाथ बढ़ा कर छू ले ,लेकिन अब तो खुद का ही होश न था उन्हें
पास रहकर भी इतने दूर से हो गए ,बचपन कि दोस्ती का भी जोश न था उन्हें
अब तो यादे भी धुंधली पड़ने लगी अब तो उम्मीदे भी टूट सी गयी है
रास्ते अलग हो गए कब के उनसे ,अब तो बिछड़ने का भी अफसोस न था उन्हें