अध्याय - 20
ओह !!! आप ???
मधु की माँ मिसेस अनीता सामने खड़ी थी।
क्या मैं अंदर आ सकती हूँ ? मिसेस अनीता ने कहा।
हाँ आईए। रमा नहीं गेट को और खोलते हुए कहा।
मसेस अनीता अंदर आ गई।
बैठिए। मैं दो मिनट आती हूँ। कहकर वो गैलरी का लाईट चालू करने चली गई।
मिसेस अनीता सोफे पर बैठकर पूरे घर को देखने लगी कही पर भी अनुज का कोई फोटो नजर नहीं आया।
रमा गैलरी का लाईट जलाने की कोशिश की पर वो जला नहीं तो थक हारकर वापस लौट गई।
अंदर आई तो देखा मिसेस अनीता आराम से सोफे पर बैठी हुई हैं।
क्या तुम यहाँ अकेले रहती हो ? अनीता देवी ने पूछा
जी। मैं यहाँ अकेले ही रहती हूँ। रमा ने का।
मैं जानती हूँ रमा कि अनुज सिर्फ तुम्हारे लिये यहाँ आया है और ये बात मुझे बिलकुल पसंद नहीं है। तुमको पता है अनुज ने सिर्फ तुम्हारे करीब आने के लिए 50 लाख रूपए कॉलेज में इनवेस्ट कर दिया है। जो कि मुझे बिलकुल बर्दास्त नहीं हो रहा है। तुम चली क्यों नहीं जाती अनुज के जीवन से ? मिसेस अनीता ने कहा।
देखिए। मैंने आपकी बात का मान रखते हुए उस शहर को ही छोड़ दिया था। अब वो मुझे ढूंढते हुए यहाँ आ गया तो मैं क्या करूँ। मैंने यहाँ से भी जाने की कोशिश की थी। परंतु उसने मेरे माता-पिता को लीगल कोर्ट में घसीटने की धमकी देकर मुझे जबरदस्ती रोक लिया। मैंने उसे यह भी कभी नहीं बताया कि आपने मुझे ऐसा करने को कहा है। अब आप ही बताईये कि मैं क्या करूँ।
तुम उसे बता क्यों नहीं देती कि तुम उससे प्यार नहीं करती।
मैं उसे बता चुकी हूँ और जब भी मिलती हूँ उसे बताती ही हूँ कि मैं उससे प्यार नहीं करती। और क्या करूँ।
तो फिर उसे यकीन क्यों नहीं हो रहा है कि तुम उससे प्यार नहीं करती। वो शांत क्यों नहीं हो रहा है।
इस बारे में मुझे कैसे पता होगा ? रमा बोली।
तुम जब तक शादी नहीं करोंगी वो तुम्हारे पीछे पागल ही रहेगा, और इसी तरह तुम्हारे पीछे पैसा लुटाता रहेगा। अनीता देवी बोली।
तो आप संभालिए उसे, मुझे कहने से क्या मतलब। आपकी परेशानी खत्म करने के लिए मैं क्यूँ बलि का बकरा बनूँ। अपने स्वार्थ के लिए आप बार-बार मुझसे बलिदान क्यों मांगती हैं।
इसलिए क्योंकि तुम्हारी वजह से मेरा दुर्भाग्य बढ़ते जा रहा है। मैं लगातार बर्बाद हो रही हूँ।
ठीक है मैं चली जाऊँगी पर इस बात की क्या गारंटी है कि अनुज मुझे खोजते हुए फिर वहाँ नहीं आएगा। रमा बोली।
देखो बहस करने का कोई औचित्य नहीं है। तुमको क्या करना है तुम जानो परंतु मैं बस यह चाहती हूँ कि तुम उसकी जिंदगी में ना रहो।
देखिए मेरी भी यहाँ रूके रहने की कोई इच्छा नहीं है मैं भी यहाँ से जल्द से जल्द चले जाना चाहती हूँ। पर मैं क्या करूँ मजबूरी की वजह से अब तक रूकी हूँ। जैसे ही मेरा वक्त पूरा होगा चली जाऊँगी।
तुमको मालूम है ना आज वो कितना हाईपर हुआ था, मैं नहीं चाहती कि ऐसा दुबारा हो। अनीता देवी बोली।
मैं भी नहीं चाहती कि वो मेरी वजह से इस तरह की कोई हरकत करे। रमा बोली।
तम्हारा टर्म कितना बचा है अभी ? अनीता देवी पूछा
अभी तो एक वर्ष है, और वो तो मुझे जाने नहीं देगा, मुझे मालूम है।
ठीक है लगता है मुझे ही कुछ करना होगा। उससे अनीता देवी ने कहा।
वो आप देख लीजिए कि क्या करना है। रमा बोली
ठीक है। कहकर अनीता देवी उठी और बाहर जाने लगी।
रमा ने आगे बढ़कर गेट खोल दिया।
अनीता देवी सोचते हुए गेट से बाहर निकली।
असल में वो रमा को ही दोष देने आई थीं पर उसके पास तो सभी बातों का जवाब था। कहीं भी वो कमजोर नहीं पड़ रही थी। हर बात से यही समझ आ रहा था कि अनुज ही उसके पीछे पागल है। मैं क्या करूँ ? क्या करूँ ?
तभी अचानक चीखने की आवाज रमा को सुनाई दी। वो तेजी से गेट खोलकर सीढ़ियों की तरफ भागी। वहाँ अंधेरा था, वो घबराते हुए नीचे की तरफ धीरे-धीरे उतरी। अचानक उसने देखा अनीता देवी वहाँ नीचे पड़ी थी उनका सिर और कंधा फट गया था ढ़ेर सारा खून वहाँ बिखरा पड़ा था। रमा ये दृश्य देखकर एकदम डर गई।
बचा लो मुझे, बचा लो मुझे। अनीता देवी कराहते हुए रमा की ओर हाथ बढ़ाई।
रमा ने तुरंत हाथ पकड़ा और वहीं बैठ गई।
हाँ मैं कुछ करती हूँ। हाँ मैं कुछ करती हूँ। वो एकदम हाँफ रही थी। वो हाथ छोड़ी और दौड़ते हुए नीचे गई।
गार्ड भैया गार्ड भैया। ऊपर सीढ़ियों में एक दुर्घटना हो गई है। जल्दी देखो बाहर उनका ड्राईवर है क्या ?
नहीं मैडम गाड़ी में तो कोई नहीं है लगता है मैडम खुद ही गाड़ी चलाकर आई थी। गार्ड ने दौड़ते हुए आकर बताया।
अच्छा। फिर एक ऑटो रोको जल्दी। देखो जाओ रोड पर जल्दी बाहर। ये बोलकर वो ऊपर की ओर भागी। तब तक अनीता देवी बेहोश हो चुकी थीं। रमा थोड़ी डर गई, उसने अनीता देवी के नाक के पास ऊँगली रखकर देखा। सांस चल रही थी। उसकी जान में जान आई परंतु अब भी खून तेजी से बह रहा था। उसने अपनी चुन्नी उनके कंधे पर जोर से बांध दी, तभी गार्ड आ गया।
मैडम मैंने ऑटो मंगा लिया है। इन्हें उठाकर ऑटो में डालतें हैं। फिर आप हॉस्पिटल ले जाईए।
ठीक है भैया उठाईये। कहकर उसने भी अनीता देवी को उठाया और ऑटो में डालकर हास्पिटल ले गई।
अनीता देवी अभी भी अचेत थी। ऑटो के हॉस्पिटल पहुँचते ही रमा दौड़कर अंदर गई और इमरजेंसी स्टाफ बुला लायी। उन्होंने अनीता देवी को स्ट्रेचर डाला और सीधे आपरेशन थियेटर में ले गए।
रमा का पूरा कपड़ा खून से भीग गया था। उसने आपरेशन थियेटर के बाहर से अनुज को फोन किया, पूरा रिंग गया पर अनुज ने फोन नहीं उठाया। फिर उसने मधु को फोन ट्राई किया। ऐसा उसने कई बार किया परंतु शायद दोनों सा गए थे या फोन साइलेंट पर रखा था किंतु बात हो ही नहीं पाई।
अब रमा को ही मैनेज करना था। वो बाहर बेंच पर बैठ गई।
सुनिए। एक नर्स बाहर आकर बोली।
हाँ क्या हुआ बताईए ? रमा घबराते हुए पूछी। देखिए तत्काल आपरेशन करना होगा, और उसके लिए आपको बीस हजार तुरंत जमा करना होगा, और हाँ ब्लड बैंक जाईए और बी पाजिटिव ब्लड पता करिए। ब्लड की आवश्यकता पड़गी।
ठीक है। कहकर रमा बाहर की ओर दौड़ी और तुरंत एटीएम से बीस हजार रूपए निकाल लाई। उसे रिसेेप्शन पर जमा करके तेजी से ब्लड बैंक की ओर गई।
भैया मुझे कम से कम 2 यूनिट बी-पाजिटिव ब्लड की चाहिए। रमा पूछी।
देखिए हमारे पास तो केवल एक यूनिट रखा है। बाकी के लिए आप किसी को बुला लिजिए।
ठीक है फिलहाल आप मुझे एक यूनिट तो दे ही दीजिए। रमा पेमेंट करते हुए बोली और मेरा खून भी चेक कर लिजिए। सब कुछ नार्मल हुआ तो मैं ही खून दे दूँगी।
उन्होंने रमा का ब्लड सैंपल टेस्ट के लिए ले लिया और टेस्ट कर लिया कि सब कुछ ठीक है कि नहीं।
क्रमशः
मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।