अंतर्द्वन्द - 2
अभी तक आपने पढ़ा कि नेहा अपनी ससुराल में अपने पति निखिल के साथ बहुत खुश थी कि तभी एक दिन सासूमाँ की तानाकशी से तंग आकर उसने निखिल से शिकायत की तो फिर क्या हुआ आगे पढ़िए-
नेहा भी गुस्से से बोले जा रही थी "सासूमाँ मुझसे क्यों नफरत करती हैं, में इतने महीने से देख रही हूँ, कि वह मुझसे ठीक से बात भी नहीं करती हर वक्त मुझे सुनाती रहती हैं।इतना सुनना था कि निखिल बुरी तरह नेहा पर बरस पड़ा -"अब देखूँगा में तुझे ,बहुत ज्यादा जवान चल रही है तेरी" रात का वक्त था,वह फिर नफरत से बोला "चल चादर ओढा मुझे"।निखिल का ये रूप देखकर नेहा हदप्रद रह गई। इन चार महीनों में निखिल का ये रूप उसने पहली बार देखा था।क्या ये वही निखिल है, जो कुछ घंटे पहले तक उस पर प्यार बरसा रहा था।वह बुरी तरह सहम और डर गई कि "अब उसके साथ क्या होगा ?।वह रात भर रोती रही थी।सुबह उठी तो देखती है कि निखिल उससे बात नहीं कर रहा।अब उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था कि "क्यों वह गुस्से में इतना बोल गई ?"।शायद उसने सासूमाँ की इस बात को सच समझ लिया था, कि निखिल उनका बेटा नहीं है।कई दिन गुजर गए, निखिल अब भी उससे बात नहीं कर रहा था और बहुत ही बेरुखी से पेश आ रहा था।वह रोज रात को अपने बिस्तर पर पड़ी-पड़ी आँसू बहाती रहती।और निखिल अपना तकिया लेकर बिस्तर के एक कोने में सिमट जाता।उसे समझ नहीं आ रहा था, कि वह क्या करे ?, कैसे निखिल को मनाए ?।सासूमाँ से भी यह बात छुपी नहीं थी ।उन्होंने निखिल की अनुपस्थिति में नेहा से निखिल को मनाने के लिये कहा और कहा कि "वह आइंदा निखिल से मेरे बारे ऐसी वैसी कोई बात न करे ,उसका गुस्सा बहुत तेज है"।निखिल का गुस्सा तो वह पिछले कई दिनों से देख ही रही थी। निखिल उसके कमरे तक में नहीं आ रहा था।वह खाना लगा देती तो चुप चाप खाना खाकर चला जाता और यदि वह और सब्जी,खाने आदि के लिये पूछती तो नफरत से हाथ हिला कर मना कर देता, मुँह से कुछ नहीं बोलता। और रात को कमरे में आता भी तो अपना तकिया उठाकर चुपचाप बिस्तर के एक कोने में सो जाता ।सासूमाँ की बात सुनकर उसने मन ही मन निश्चय किया कि, वह आज निखिल को मना ही लेगी।रात में खाना खाकर सास ससुर अपने कमरे में सोने चले गए, वह अपने कमरे में आ गई। निखिल रोज की तरह अपना तकिया लेकर बिस्तर के एक कोने में सिमट कर सो गया।वह भी अपने बिस्तर पर लेट गई ।उस दिन जो निखिल का जो रौद्र रूप उसने देखा था उससे वह बहुत सहम-सी गई थी,उसे समझ नहीं आ रहा था कि, वह निखिल से कैसे बात करे।निखिल तो बिस्तर के एक कोने पर था।वह हिम्मत जुटा कर सरकती हुई निखिल के पास पँहुची और बड़े प्यार से उसकी पीठ से सटकर लेट गई,और जैसे ही अपनी बाँह निखिल की बाहों में डालनी चाहीं, निखिल ने गुस्से से उसके हाथ को झटक दिया ।जब दुबारा उसने निखिल के पास आना चाहा तो उसने गुस्से से कहा "क्यों परेशान कर रही है।में तो ऐसी औरत से कोई वास्ता ही नहीं रखना चाहता, जो जवान लड़ाए"।अपने लिये औरत शब्द सुनकर वह सोचने लगी कि "कुछ ही महीनों में एक 22 साल की लड़की एक परिपक्व औरत बन गई "।निखिल नेहा से उम्र में कई साल बड़ा था, फिर भी हर तरह की समझदारी की उम्मीद वह सिर्फ नेहा से ही पाले था। अपने इस अपमान पर उसकी आत्मा रो रही थी ,फिर भी उसने अपमान का घूँट पीकर निखिल से रो रोकर माफी माँगी।तब जाकर निखिल का गुस्सा शांत हुआ और जब उसने नेहा को अपने बाहों में लिया तो, नेहा की आँख में आँसू आ गए। नेहा के ये आँसू निखिल के इतने दिनों के बाद मिले प्यार के कारण थे या अपने आत्म सम्मान के जख्मी होने के कारण थे आगे पढ़िए-