शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 5 Kumar Rahman द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 5



तकरार


सार्जेंट सलीम खामोशी से जाकर टेबल के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया।

उसके ठीक बगल की टेबल पर विक्रम के खान बैठा हुआ था। उसे वहां बैठा देख कर ही सार्जेंट सलीम ने मेकअप से अपना गेटअप बदला था।

विक्रम के सामने की सीट पर एक खूबसूरत लड़की बैठी हुई थी। उसने मस्टर्ड कलर का टूल गाउन पहन रखा था। इसके साथ लड़की ने रेड मूंगे की ज्वैलरी की मैचिंग की थी। उसके बाल काले घने और काफी लंबे थे। बालों को उसने खोल रखा था। लड़की की आंखें गहरे काले रंग की थीं। आंखों में उसने मोटा काला काजल लगा रखा था। लड़की की आंखें गहरी सोच में डूबी हुई थीं।

अभी शेयाली को मरे कायदे से 24 घंटे भी नहीं हुए थे और विक्रम यहां एक दूसरी लड़की के साथ इश्क फरमा रहा था। सलीम ने सोचा। सलीम को बैठे कुछ मिनट ही हुए थे कि वेटर हाजिर हो गया।

“सर, यह सीट रिजर्व है।” वेटर ने अनुरोध भरे लहजे में कहा।

जवाब में सार्जेंट सलीम ने पांच-पांच सौ के दो नोट पर्स से निकालकर मेनू कार्ड में रखकर उसे पकड़ा दिए। वेटर की आंखों में चमक आ गई।

“एक डीकैफ।” सार्जेंट सलीम ने वेटर से कहा।

वेटर चला गया।

डीकैफ फिल्टर काफी को कहते हैं। इसमें से कैफीन निकाल ली जाती है।

सलीम ने हाथों में मोबाइल फोन ले लिया और उसे चेक करने की अदाकारी करने लगा। हालांकि उसका सारा ध्यान उनकी बातें सुनने में ही लगा हुआ था।

“तुम मेरी बात समझने की कोशिश क्यों नहीं करते.... तुम्हें वह वापस करना ही होगा हर हाल में।” लड़की ने थोड़ा तेज आवाज में कहा।

“देखो हाशना, मैं पहले ही बहुत परेशान हूं... मेरे लिए नई मुश्किलें मत खड़ी करो।” विक्रम का लहजा गुर्राने वाला था, लेकिन आवाज धीमी थी।

“बाबा बहुत परेशान हैं.... वह कह रहे थे कि किसी प्राइवेट जासूस की मदद लेंगे।”

“जो मर्जी आए सो करो... लेकिन अभी मेरा भेजा मत खाओ।” विक्रम ने कुछ देर की खामोशी के बाद गंभीर लहजे में कहा, “सुबह इंस्पेक्टर सोहराब और सार्जेंट सलीम घर आए थे। उन्हें शेयाली की मौत का शक मुझ पर है। यह भी अजीब हुआ कि सार्जेंट सलीम की चोरी हुई बिल्ली मेरे घर से बरामद हुई है। मैं संदेह के घेरे में हूं। अभी मैं कुछ नहीं कर सकता।”

“यह तुम्हारा आखिरी फैसला है!” हाशना ने गंभीर आवाज में पूछा।

“भाड़ में जाओ।” विक्रम ने तेज आवाज में कहा।

उसकी आवाज सुनकर कई लोग उनकी तरफ देखने लगे।

हाशना वहां से गुस्से में पैर पटकते हुए चली गई।

हाशना के जाने के बाद विक्रम कुछ देर शांत बैठा रहा। उसके बाद उसने किसी के नंबर डायल किए और मोबाइल कान से लगा लिया। अजीब बात यह थी कि उसने हैलो कहने के बाद मुंह से एक शब्द भी नहीं निकाला था। वह लगभग ढाई मिनट तक सिर्फ सुनता रहा था। यह काफी अजीब बात थी।

सलीम काफी कोशिश के बाद भी दूसरी तरफ की बात नहीं सुन सका था।

फोन काटने के बाद विक्रम ने वेटर को बुलाकर बिल लाने को कहा।

तभी एक अजीब बात हुई। हाशना लौट आई और उसने विक्रम के सामने खड़े होकर उतने ही जोर से कहा, “तुम भाड़ में जाओ।”

हाशना के इस रियेक्शन पर विक्रम के चेहरे पर कोई भाव नहीं पैदा हुए। हाशना वहां रुकी नहीं। वह तेजी से बाहर चली गई। हाल में बैठे लोग उनकी तरफ देखने लगे। यह सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि किसी के कुछ समझ में नहीं आया।

सार्जेंट सलीम के लिए वेटर डीकैफ ले आया था। उसने वेटर को पांच सौ रुपये देते हुए कहा, “बिल अदा कर देना। बाकी तुम्हारी टिप... और हां यह काफी भी तुम ही पी लो।”

उसकी इस हरकत पर वेटर पलकें झपकाने लगा। उसके कुछ भी समझ में नहीं आया था।

सार्जेंट सलीम ने देखा कि विक्रम बाहर जा रहा था। उसने भी सीट छोड़ दी। जब वह बाहर निकला तो विक्रम अपनी कार में बैठ रहा था। जब उसकी कार आगे बढ़ गई तो सलीम तेजी से सड़क पर आया और एक टैक्सी रोक कर उसमें सवार हो गया। उसने ड्राइवर से आगे वाली कार का पीछा करने को कहा।

इस वक्त दोपहर के साढ़े बारह बजे थे। सड़क पर ज्यादा भीड़ नहीं थी। विक्रम की कार तेजी से भागी चली जा रही थी। सार्जेंट सलीम की टैक्सी कुछ दूरी बनाकर उसका लगातार पीछा कर रही थी।

विक्रम खान की कार डे स्ट्रीट की तरफ मुड़ गई। कुछ आगे जाने के बाद कार एक बड़ी सी इमारत के सामने रुक गई। विक्रम ने बेसमेंट में कार पार्क की और बाहर निकल कर लिफ्ट की तरफ चला गया।

उसके जाने के बाद सार्जेंट सलीम सिक्योरिटी गार्ड की तरफ बढ़ गया।

“यह मशहूर पेंटर विक्रम के खान हैं न।” उसने सिक्योरिटी गार्ड से पूछा।

“जी। आपको मिलना है क्या इनसे?” सिक्योरिटी गार्ड ने पूछा।

“जी मैं प्रेस रिपोर्टर हूं। इनका इंटव्यू लेना चाहता हूं। यह यहां रहते हैं क्या?”

“नहीं साहब! यहां इनका स्टूडियो है। वह यहीं पर पेंटिंग बनाते हैं।”

“किस फ्लोर पर?”

“थर्ड फ्लोर पर।”

“ओके थैंक्यू। मैं फिर किसी दिन आता हूं। अभी मुझे कुछ काम याद आ गया है।” यह कहते हुए सार्जेंट सलीम बाहर आ गया।


मोबाइल ऐप की लांचिंग


डे स्ट्रीट से सार्जेंट सलीम लौट आया। वह विशेश्वर कातिल के ऑफिस में बैठा हुआ था। उसने कार में बैठे-बैठे ही अपना मेकअप हटा दिया था।

“जी क़ातिल भाई! क्या जानकारी जुटाई आपने।” सलीम आदत के बरखिलाफ काफी तहजीब से पेश आया था।

“ऐप की लांचिंग होटल रोजारियो में हुई थी।” कातिल ने बताया।

“हुई थी... इसका मतलब!”

“जनाबे आली पार्टी कैंसिल हुई थी..... लेकिन ऐप की लांचिंग एक घंटे पहले ही हो गई थी।” विशेश्वर कातिल ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।

इस सूचना के बाद सार्जेंट सलीम उठ खड़ा हुआ। उसने फिर रेडीमेड मेकअप करके अपना हुलिया बदल लिया था। उसने पार्किंग से मिनी निकाली और होटल रोजारियो की तरफ चल दिया। चालीस मिनट की ड्राइविंग के बाद वह होटल पहुंच गया। उसने कार पार्क की और सीधे मैनेजर के दफ्तर में घुस गया।

“मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं।” होटल मैनेजर ने उससे बड़े अदब से पूछा।

“सर मेरा नाम डॉ. नो है। मैं फ्रीलांस जर्नलिस्ट हूं।”

उसका नाम सुनकर मैनेजर के होठों पर मुस्कुराहट फैल गई।

“आप बैठिए प्लीज।” मैनेजर ने कहा।

सार्जेंट सलीम उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ गया। जेब से उसने पेंसिल और डायरी निकाल ली।

“सर, कल आपके यहां एक ऐप लांचिंग पार्टी हुई थी। मैं जानना चाहता हूं कि उस पार्टी में कौन-कौन से सेलिब्रिटी आए थे?”

“दरअसल वह पार्टी रात दस बजे थी, लेकिन अचानक उसका टाइम बदल कर रात नौ बजे कर दिया गया। इस वजह से पार्टी में सिर्फ उसके आर्गनाइजर कैप्टन किशन और उनकी टीम के लोग ही मौजूद थे।”

“’अचानक टाइम क्यों बदल दिया गया?”

“आपको तो पता होना चाहिए सर.... उनकी भतीजी शेयाली की मौत हो गई न....!” मैनेजर ने आश्चर्य से सार्जेंट सलीम की तरफ देखते हुए कहा।

“क्या पार्टी में आने वाले मेहमानों को मना कर दिया गया था?” सार्जेंट सलीम ने उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए पूछा।

“जी हां, उनकी टीम के पांच लोग, आने वाले मेहमानों को पार्टी कैंसिल होने के बारे में फोन करके बता रहे थे।”

“ऐप की लांचिंग किसने की?” सार्जेंट सलीम ने उसकी बात को डायरी में नोट करते हुए पूछा।

“मशहूर फिल्म एक्टर दिवाकर ने। उन्होंने ऐप की लांचिंग अपने घर से ऑन लाइन की थी।”

“लेकिन अखबारों में तो पार्टी कैंसिल होने की कोई खबर नहीं है?”

“इस सवाल का जवाब तो आप प्रेस वाले ही दे सकते हैं।” मैनेजर ने मुस्कुराते हुए कहा।

सार्जेंट सलीम को अपने इस बेतुके सवाल पर खीझ होने लगी। वह होटल मैनेजर का शुक्रिया अदा करके वहां से उठ आया।


काम का जुनून


सार्जेंट सलीम को शेयाली की मौत का गहरा दुख पहुंचा था। उसके दिमाग में शेयाली की वह तस्वीर बस गई थी, जब वह उसके सामने बैठकर लूसी से खेल रही थी। उस पर जुनून सवार हो गया था। ऐसा लगता था कि वह आज ही इस केस को हल कर डालना चाहता है।

वह होटल रोजारियो के डायनिंग हाल में जाकर बैठ गया। हाल में ज्यादा भीड़ नहीं थी। उसने बैठने के लिए एक कोने की मेज चुनी और सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया।

सार्जेंट सलीम ने जेब से पाइप निकाल लिया और उसमें वान गॉग तंबाकू भरने लगा। उसने सुबह से अभी तक एक बार फिर पाइप नहीं पिया था। पाइप को लाइटर से सुलगा कर हलके-हलके कश लेने लगा। उसने वेटर को बुलाकर लंच का आर्डर दिया।

सार्जेंट सलीम का दिमाग तेजी से काम कर रहा था। कुछ देर बाद उसने पाइप को ऐश ट्रे पर टिका दिया और एक मशहूर सोशल साइट खोलकर उसमें से विक्रम के खान का प्रोफाइल तलाश करने लगा। कुछ देर बाद ही उसे इसमें कामयाबी भी मिल गई।

उसने विक्रम के बारे में सारी रिसर्च कर डाली। फ्रैंड लिस्ट से उसके दोस्तों के नाम तलाशने लगा। खुशकिस्मती से एक दोस्त की प्रोफाइल में उसका फोन नंबर भी मिल गया।

सलीम ने वह नंबर डायल कर दिया। उधर से फोन रिसीव होते ही उसने अमरीकन स्टाइल में अंग्रेजी में कहा, “सर, मैं डाक्टर नो बोल रहा हूं। मैं फ्रीलांस जर्नलिस्ट हूं। एक इंटरनेशल मैग्जीन के लिए मैं विक्रम के खान पर कवर स्टोरी तैयार कर रहा हूं। आपसे मिल कर उनके बारे में कुछ जानकारी हासिल करनी है।”

उधर से कुछ कहा गया, जिसे सार्जेंट सलीम सुनता रहा। उसके बाद उसने कहा, “नो सर, दरअसल यह बात आपको पूरी तरह से गुप्त रखनी है। हम विक्रेम के खान को सरपराइज देना चाहते हैं उनके दोस्तों की तरफ से।”

सार्जेंट सलीम की इस बात का उसके दोस्त पर अच्छा असर पड़ा और वह मिलने के लिए तैयार हो गया। उसने कहा कि वह कुछ और दोस्तों के नंबर भी सार्जेंट सलीम को देगा, जिनसे वह बात कर सकता है।

यह काम पूरा करने के बाद सलीम ने चैन की सांस ली। वेटर खाना लेकर आ गया। सार्जेंट सलीम ने खाना खाया। इसके बाद बिल चुकाकर बाहर निकल आया।

अब वह विक्रम के खान के दोस्तों से मिलने के लिए निकल पड़ा।


आखिरी वीडियो


सलीम ने विक्रम के खान के तीन दोस्तों से मुलाकात कर ली थी। उसने उनके जरिए काफी जानकारी जुटा ली थी। सभी दोस्तों को यह भी ताकीद कर दी थी कि वह विक्रम को इस बारे में कुछ न बताएं। मैग्जीन की कवर स्टोरी विक्रम के लिए सरप्राइज होगी।

इस काम से जब वह फारिग हुआ तो रात के आठ बज रहे थे। वह मिनी से सीधे गुलमोहर विला पहुंच गया। नौकर करीमा से पता चला कि कुमार सोहराब लाइब्रेरी में है।

इंस्पेक्टर सोहराब लाइब्रेरी में बैठा सिगार पी रहा था। उसके चेहरे पर चिंता की गहरी रेखाएं थीं। सार्जेंट सलीम को देखते ही उसके चेहरे पर रौनक आ गई।

“बर्खुर्दार के चेहरे की थकान बता रही है कि आज उन्होंने काफी मेहनत की है।”

“आप ही के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश कर रहा हूं।” सार्जेंट सलीम ने बैठते हुए कहा।

सलीम ने कुमार सोहराब को होटल सिनेरियो में हाशना के साथ विक्रम की नोकझोंक का पूरा किस्सा सुना डाला।

पूरी बात सुनने के बाद सोहराब ने कहा, “तुमसे गलती हो गई। तुम्हें विक्रम की जगह हाशना का पीछा करना चाहिए था।”

सार्जेंट सलीम ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने होटल रोजारियो में ऑन लाइन ऐप की लांचिंग के बारे में भी पूरी रिपोर्ट दे दी।

ऐप की लांचिंग की बात सुनने के बाद कुमार सोहराब ने कहा, “तुम्हारे लिए एक चौंकाने वाली खबर है।”

“क्या शेयाली जिंदा है!” सार्जेंट सलीम ने जल्दी से पूछा।

“लगता है तुम्हारे दिमाग पर उसकी मौत का गहरा असर हुआ है।” कुमार सोहराब ने उसे गंभीरता से देखते हुए कहा।

“ऐसा कुछ नहीं है। आप खबर बताइए।”

“शेयाली ने समुंदर में डूबने से पहले सनसेट के साथ एक वीडियो बनाया था। उसने वह वीडियो अपने उस नए ऐप पर तुरंत अपलोड भी कर दी थी। आज सभी टीवी चैनलों पर यही खबर चल रही है। चैनलों पर बताया जा रहा है कि मौत से ठीक पहले शेयाली ने अपलोड किया अपना वीडियो।”

इसके साथ ही कुमार सोहराब ने मोबाइल पर वह वीडियो सार्जेंट सलीम को दिखा दिया। सलीम ने वीडियो को दो-तीन बार ध्यान से देखा। उसके बाद उसने मोबाइल सोहराब को वापस कर दिया।

“तुमने एक बात गौर की?”

“क्या?”

“ऐसा लगता है जैसे शेयाली किसी ट्रांस में हो।”

सलीम ने मोबाइल लेकर दोबारा उस वीडियो को देखा। उसके बाद उसने कहा, “सही कह रहे हैं आप। यह भी तो हो सकता है कि सनसेट का असर हो। कुछ लोगों पर दिन डूबने का गहरा असर होता है।”

“मुमकिन है।” इंस्पेक्टर कुमार सोहराब ने कहा, “एक और अहम बात है। इस ऐप को 22 घंटे में 70 लाख से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड कर लिया है। ऐसा शेयाली के मौत से ठीक पहले के वीडियो को देखने के लिए हुआ है।”

कुछ देर की खामोशी के बाद सार्जेंट सलीम, विक्रम के दोस्तों से मिली जानकारी बताने लगा।

“फिल्म में आने से पहले शेयाली मॉडलिंग करती थी। एक बार विक्रम की पेंटिंग की भी वह मॉडल रह चुकी थी। विक्रम उसे लेकर न्यूड बनाना चाहता था, लेकिन शेयाली ने साफ मना कर दिया था। इसके बाद भी उन दोनों की मुलाकातें होती रहीं। फिर दोनों में प्यार हो गया था। दोनों इन दिनों लीव इन रिलेशनशिप में थे।”

“एक कॉमन चीज दोनों को करीब लाई थी। वह थी बिल्लियों से प्यार। विक्रम और शेयाली दोनों को बिल्लियां बहुत पसंद थीं।” सोहराब ने कहा।

उसकी इस बात पर सार्जेंट सलीम चौंककर उसकी तरफ देखने लगा।

“एक बार शेयाली की सबसे प्यारी बिल्ली एक आवारा बिल्ले के साथ भाग गई थी। कुछ दिनों बाद वह बिल्ली लौटी तो विक्रम ने अपनी रिवाल्वर से उसे गोली मार दी थी। इस बात पर दोनों में बहुत झगड़ा हुआ था। इसके बाद एक कॉमन फ्रैंड ने दोनों का फिर से मेल करा दिया था।”

“फिर क्या हुआ।” सलीम ने पूछा।

“इसके बाद से ही शेयाली को हथियारों से चिढ़ हो गई थी, जबकि विक्रम को विदेशी हथियार बहुत पसंद हैं।”

“एक पिस्टल तो मेकअप वैगन में भी मिली थी। उसके बारे में आपने उस दिन विक्रम से नहीं पूछा?”

“विक्रम के पास उस रिवाल्वर का लाइसेंस है।”

“शेयाली के मोबाइल रिपोर्ट से कुछ खास नतीजा निकला।” सार्जेंट सलीम ने पूछा।

“मौत से पहले वाला वीडियो उसी मोबाइल से बनाकर ऐप में अपलोड किया गया था। मोबाइल में उसकी कुछ तस्वीरें और दूसरी डिटेल्स मिली हैं। शेयाली का वह सेकेंडरी मोबाइल था। उसका मेन मोबाइल लापता है।”

“ओह।”

सलीम और सोहराब ने लाइब्रेरी में ही डिनर किया और रात 11 बजे दोनों सोने के लिए चले गए।

अगली सुबह चार बजे घोस्ट अचानक ब्रेक की चीं की आवाज के साथ रुक गई। गेट के ठीक सामने एक काली बिल्ली फांसी से लटकी झूल रही थी।
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बिल्ली को फांसी किसने और क्यों दी थी?
शेयाली की मौत से पहले के वीडियो का राज क्या है?

इन सवालों के जवाब पाने के लिए पढ़िए ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ का अगला भाग...