ये जीवन भी अजब दास्तां है। कब क्या किसके साथ हो जाये क्या पता। साथ चलता साथी कब फिसल कर दूर हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता । ये जीवन भी एक पहाड़ की तरह है ,जिस पर चढ़ कर शिखर तक पहुंचना ही जीवन का उद्देश्य लगता है। सभी इसी भावना के साथ तेज दौड़ रहे हैं कि सबसे पहले मैं पहुँचूँ शिखर पर। बस ये सोच कर सब दौड़ रहे हैं। शिखर छूने की होड़ में रास्ते की खूबसूरती का आनंद लेना ही भूल जाते हैं।
इन हसीन वादियों में ही शुरू हुई थी एक अनोखी दास्तां जिसे चाहो तो प्रेम कहानी भी कह सकते हैं चाहो तो नहीं भी । जिस भावना से देखोगे वही नजर आयेगा । ये कहानी है अचला और अमृत की । अचला के पति इंजीनियर है । एक डैम के निर्माण के सिलसिले में उनको उत्तराखंड जाने का अवसर मिला। एक माह का टूर था, तो उन्होंने साथ में अचला को भी ले लिया। पतिदेव अपने काम में व्यस्त हुए तो उन्होंने अपने जूनियर को अचला का ध्यान रखने का निर्देश दे दिया। उस जूनियर का नाम था अमृत पाठक। अविवाहित था, पर सामान्य सा दिखने वाला गजब का ह्यूमन नेचर। उदास माहौल में हंसी की सरगम छेड़ने में माहिर। अचला के पतिदेब ने उसका परिचय करवाते हुए कहा - अचला इनसे मिलो। ये हैं अमृत पाठक, मेरा जूनियर है ।आज से तुमको जहां भी जाना हो घूमने ये साथ रहेगा तुम्हारे। इसके साथ होने से मुझे भी टेंशन नहीं होगा तुम्हारा । ये बहुत ही हाजिर जबाब भी हैं ,तुमको बोर नहीं होने देंगे। सुनकर अचला मुस्कुरा दी ,बोली कुछ भी नहीं। अलखनंदा पर डैम बनाने का काम शुरू होना था तो इसके लिए जमीनी कार्यवाही में , प्रोजेक्ट बनाने में पतिदेब व्यस्त हो गए। सुबह जल्दी निकल जाते और देर रात लौटते। दो - चार दिन तो आसानी से निकल गए नदी किनारे टहलने में ,ग्रामीण परिवेश को देखने समझने में। पर कब तक ऐसा चलता तो उसने पास के स्थानों पर घूमने जाने का प्लान अपने पति को बता दिया । अगले दिन ठीक सुबह नौ बजे गाड़ी का हॉर्न बजा । देखा तो अमृत खड़ा था जीप लिए हुए। बड़ी अदब के साथ नमस्कार करते हुए बोला- mam ,sir का आदेश है की आपको आप पास का क्षेत्र घुमा दूँ। तुम अंदर आ कर बैठो मैं बस पांच मिनीट में आई। पांच मिनिट तो मैं बाहर खड़े खड़े ही इंतजार कर सकता हूँ मैम अमृत बोला। अरे अंदर आ जाओ क्या तुमको महिलाओं के पांच मिनिट का मतलब नहीं पता। जब तक तुम चाय पीओ। अमृत अंदर आकर चाय पीने लगा। आधे घण्टे बाद अचला तैयार होकर आयी। आते ही बोली - थक जाते खड़े खड़े इसलिए बोला था। हम लोगों को समय लगता है तैयार होने में। चले अब,बोलकर अचला जीप की ओर बढ़ गयी। जीप स्टार्ट करते हुए अमृत बोला- मैम ,एक बात कहूँ आप बुरा तो नहीं मानेंगी। गौर से देखते हुए अचला बोली - बोलो क्या कहना है। बुरा मानने लायक होगी तो जरूर सोचूंगी बुरा मानने का। वैसे मैं घूमने निकली हूँ तो दोस्त समझ कर ही सुनूँगी आपकी बात । ये बात आपने सही बोला- आपने दोस्त समझ लिया है तो ये सफर बहुत अच्छा गुजरने वाला है। वरना बहुत बोरिंग हो जाता। अब ज्यादा बातें न बनाओ सीधे मुद्दे पर आओ। क्या बोलना चाहते थे। आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं इस कलर में। ये गहरा नीला रंग आपके गौरवर्ण पर बहुत खिल रहा है। ऐसे लग रहा है कि ये रंग जैसे आपके लिए ही बना है। उस पर ये मैचिंग की बिंदी ,उफ्फ---- कयामत ढा रही है। अमृत के बोलने में कुछ खास अंदाज था कि बात अचला के मन पर लगी। वो खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली - पता है, तुम ये बात अपने बॉस की बीबी को बोल रहे हो। इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है तुमको । यदि मैंने तुम्हारी शिकायत अपने पति से कर दी तो। अमृत बड़े आत्मविश्वास के साथ बोला- मैं आपकी बात में थोड़ा सा संसोधन करना चाहता हूँ। पहली बात ,किसी के सौंदर्य की तारीफ करना गुनाह नहीं।दूसरी बात तारीफ अपनी दोस्त की करी, बोस की बीबी की नहीं। तीसरी बात , सौंदर्य की तारीफ न करना बेअदबी होती है , और हम बेअदब नहीं।चौथी बात sir ने कुछ सोच समझ कर ही मुझे बोला होगा। यदि मेरे चरित्र पर जरा भी संदेह होता उनको ,तो वो मुझे नहीं बोलते। उनको भी पता है बातूना हूँ , पर बदतमीज नहीं हुँ। मैं कभी कोई ऐसी हरकत नहीं करूंगा कि आपके मानसम्मान के ठेस पहुंचे। ये sir का ही आदेश है कि मैडम को खुश रखना है। ठीक बाबा तुम सही हो। बात करते करते वो दोनों लेक तक पहुंच गए । गाड़ी से उतर कर कुछ कदम पैदल चलना पड़ा। दोनों लेक के किनारे लगी रेलिंग को पकड़ कर पहाड़ से गिरते पानी के सौंदर्य में खो गए। अमृत बोला-- sir कितने भाग्यशाली है न ,जो उनको आपके जैसी खूबसूरत व समझदार बीबी मिली। एक बात कहूँ ,आप बुरा मत मानना, sir इतना कम बोलने वाले और आप
को शायद बातें करना बहुत पसंद हैं । आप दोनों की निभती कैसे है। अचला बोली -- सही पहचाना तुमने अमृत, हम दोनों एक दूसरे से बहुत अलग है बहुत से मामलों में।पर एक बात जो हम दोनों को जोड़े रखती है वो है एक दूसरे पर भरोसा। एक दूसरे की भावनाओं का ,जरूरत का ख्याल रखना। उनको पता है जो खुशी मैं नहीं दे सकता यदि वो किसी और से मिल जाती है तो बुरा न मानते हुए सहयोग ही करते हैं। इसी प्रकार में भी ध्यान रखती हूं कि अपनी खुशी के चक्कर में उनकी भावनाएं आहत न हों ।इस तरह हम दोनों अलग अलग होते हुए भी एक दूसरे के पूरक बन जाते हैं । यही है हमारी सुखी गृहस्थी का राज। बोलते हुए अचला न एक मोहक मुस्कान बिखेरी। अमृत ने कहा--- सही है। काश मुझे भी ऐसी ही समझदार बीबी नसीब हो। बिल्कुल होगी ,तुम हो ही इतने अच्छे की अपनी बीबी को हर तरह से खुश रखोगे । एक बात पूछूं-- जब इतनी बात हो गयी तो एक बात मेरी तसल्ली के लिए ,सच सच बोलियेगा -- क्या आप दिल से खुश है अपनी जिंदगी से। अचला बोली-- सच कहूँ , खुश तो हूँ, कोई दुख नहीं जिंदगी में।पर ये भी सच है कि कहीं न कहीं कुछ कमी सी लगती है , कुछ अधूरी सी लगती है जिंदगी । कारण आज तक समझ नहीं आया। हम्ममम्म। अच्छा छोड़ो ये बात , चलो कुछ और बात करते हैं । तभी अमृत गाड़ी से निकाल कर कुछ खाने के पैकेट ले आया ,साथ में दो कोल्डड्रिंक भी थीं। अचला ये देख आश्चर्य चकित रह गयी । सहसा उसके मुंह से निकल पड़ा-- अरे तुमको कैसे पता चला कि मुझे कुछ खाना था। ये सुनकर अमृत हंस पड़ा बोला,- इसे कहते हैं दिल से दिल का कनेक्शन। दोनों ने साथ में खाया पिया फिर घड़ी देखकर उठ खड़े हुए की अब वापस चलना चाहिए। लौटते समय अमृत ने पूछा- कैसा लगा आपको mam, अचला ने उससे कहा- मैम नहीं,सिर्फ अचला । अब हम दोस्त हैं न। जी बिलकुल आगे से ध्यान रखूंगा। पर आपने बताया नहीं कैसा लगा। बहुत अच्छा, थक गई आज तो घूम कर। फिर कल कहाँ चलना है। कल नहीं, पहले आज की थकान तो उतर जाए। अचला को छोड़ कर अमृत चला गया आप ठिकाने। रात को अचला बताना चाहती थी अपने पति को सारी दिनचर्या ,पर वो तो मजे से सो गए थे। ये देखकर अचला का मूड खराब हो गया, रोज का यही है । बस अपने से ही मतलब है ,मुझसे नहीं।कुढ़ती हुई अचला दिनभर के बारे में सोचती रही तो उसे यूँ अमृत का खुले मन से तारीफ करना याद आ गया। ये याद करते ही उसके गालों पर लाली उभर आई । आज तक किसी ने उसकी ऐसी तारीफ न की थी।पतिदेव ने भी नहीं। ये अहसास उसे अंदर तक गुदगुदा गया। कुछ भी हो पर स्त्री के जीवन में इस बात का असर आदि काल से आज तक है। सोचते सोचते उसकी आंख लग गयी। सुबह जब उठी तो पतिदेब जाने को तैयार थे । जाते जाते बोल गए- कहीं जाना हो तो अमृत को बोल देना। आज नहीं जाना कहीं ,बड़ी थकान लग रही है आज तो आराम करुँगी।पता नहीं पतिदेब ने सुना भी या नहीं। तभी अचानक कुछ देर बाद एक चमत्कार हुआ। मेड ने बताया कि बाहर कोई मालिश वाली आयी है। बोल रही है कि अमृत साहब ने भेजा है । मेमसाब की मालिश के लिए। अचला तो खुशी के मारे पागल ही हो गयी। उसने तुरंत उसे बुलाकर काम शुरू करने को कहा। मालिश करवाते समय वो यही सोच रही थी कि अमृत कितना समझदार है। बिना कहे ही मेरी जरूरत समझ जाता है। एक हमारे साहब हैं ,उनको सब बोलना पड़ता है। उसमें भी कुछ समझते है कुछ नहीं। अब हर बात शब्दों में थोड़े ही कही जाती है ।अरे भाई कभी तो बिना कहे समझो कुछ। ऐसे ही दो दिन बाद अमृत ने अचला के लिए डिनर का प्रोग्राम अरेंज किया। वो भी सरप्राइज, हुआ यूं कि पतिदेब की कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोगों के साथ डिनर पार्टी थी तो उनको लेट आना था। फोन से उन्होंने ये बता दिया। उस दिन अचला ने पति के साथ बाहर डिनर का प्लान किया था ,वो कैंसिल करना पड़ा तो वो बड़ी उदास थी। काम की प्राथमिकता के चक्कर में अक्सर उसके साथ ऐसा होता ही रहता था तो उसे आदत तो थी पर दिल को कैसे समझाए। फिर अचानक अमृत का काल आया- क्या आप मेरे साथ डिनर के लिए चल सकती हैं । अचला ने उससे पूछा-- पर तुम लोगों का तो आज ऑफिशियल डिनर का प्रोग्राम है न। हाँ, है तो सही पर मैं वहाँ रहने की अपेक्षा आपके साथ डिनर करना ज्यादा पसंद करूंगा। ऐसे डिनर तो आये दिन होते हैं ,पर आपके साथ मौका बार बार थोड़े ही मिलेगा।आप तैयार रहिए मैं एक घण्टे में आता हूँ, एक बात और हम लोगों का एक घण्टा एक घण्टा ही होता है उससे ज्यादा नहीं।बोलते हुए हंस दिया अमृत। ये सुन अचला भी हंस पड़ी उसे उस दिन वाली पांच मिनिट वाली बात याद आ गयी। दोनों ने शानदार डिनर किया , उस दिन मजेदार बातें सुना सुना कर अमृत ने अचला का पेट दुखा दिया। हंसते हंसते उसे बोलना ही पड़ा-- बस करो अमृत , वरना मैं मर जाऊंगी हंसते हुए। घर लौटते हुए उसने अमृत को धन्यवाद भी दिया कि उसकी वजह से उसका कैंसिल प्रोग्राम इतना शानदार हुआ। अमृत ने जबाब दिया - वो दोस्त ही क्या जो दूसरे दोस्त के दर्द को न समझ पाए। जब sir ने बताया कि उनका भी आज बाहर डिनर का प्रोग्राम है और मैं नहीं जा पा रहा हूँ। तो मैंने उनसे पूछ कर ही ये कार्यक्रम बनाया ताकि आप उदास न हों। आप उदास अच्छी नहीं लगतीं। इसलिये हमेशा मुस्कुराती रहा करो। कभी कभी अमृत अचला के लिए फूल लेकर आता कभी चाकलेट। अब अचला को समझ आने लगा था ,उसे अपने जीवन में जो कमी लगती थी वो थी भावनाओं के इजहार की।उसके पति उसे प्यार तो बहुत करते थे पर कभी जतलाते नहीं, कभी आंखों से ,कभी बातों से छेड़ते नहीं थे। कभी छोटा मोटा मगर प्यारा से तोहफा नहीं लाते थे। उनको ये सब फालतू के चोंचले लगते थे वो भी नयी उम्र की पीढ़ी के। पर औरत कितना भी इंकार करे पसन्द उसे यही सब होता है। जब नहीं मिलता तो अंदर से दुखी होकर भी खुश रहने की कोशिश करती है। पर यदि कोई उनको ये सब दे दे तो बस उस पर निछावर हो जाती हैं। हाँ , यदि पति मिलता है तो सारी खुशी व्यक्त कर देती हैं अपने प्यार ,परवाह के रूप में। यदि किसी और से मिलता है तो संकोच के साथ डरते डरते सोचती रहती हैं क्या ये सब था हमारी भी किस्मत में।पर कभी देने वाले पर अपना मन अपनी खुशी अभिव्यक्त नहीं करती। कुछ ऐसी ही भावनाएं अचला के मन में भी चल रही थीं अमृत के लिए। पता ही नहीं चला अचला को ,कि कब अमृत ने उसके दिल में अपनी जगह बना ली। अब बिछड़ने का समय आ चुका था।परसों उनको अपनी अपनी जिंदगी में वापस जाना था, अचला के मन में एक बात आई ,क्यों मन की बात मन में रखी जाए। अमृत को उसके लिए जो भावनाएं है उसे बता देना चाहिए।मन में बोझ तो नहीं रहेगा , साथ ही साथ उसको धन्यवाद भी बोलना है कि उसने उसका इतना ख्याल रखा। अचला ने अपने पति को बोल दिया कि कल उसे अमृत के साथ घूमने जाना है। अगले दिन अमृत गाड़ी लेकर हाजिर था ,पर इस बार अचला पहले ही तैयार थी ।उसने एक पल का भी इंतजार न करवाया उसे। अमृत ने इसके लिए अचला का ध्यान भी दिलाया ।अचला ने कुछ जबाब न दिया बस हौले से मुस्कुरा दी। जीप स्टार्ट करते हुए अमृत ने पूछा- कहाँ जाना है आज । अचला ने धीरे से कहा - आज तो बस पहाड़ों की ऊँचाई पर ले चलो ,जहां सिर्फ हम दोनों ही हों कोई तीसरा न हो। जो कुछ भी हम दोनों एक दूसरे से कहें उसके गवाह सिर्फ ये ऊंचे ऊंचे पहाड़ और नीला आसमान हों कोई और नहीं। क्या बात है अचला जी, आज कुछ अलग मिजाज लग रहे हैं आपके। है कुछ जो तुमको बताना चाहती हूँ, तुम चुपचाप गाड़ी चलाओ वहीं पहुँच कर बताऊंगी। थोड़ी देर शांति से गाड़ी चलती रही मध्यम मध्यम संगीत रास्ते को और भी खूबसूरत बनाता रहा,लगभग घण्टे भर में दोनों गन्तव्य की ओर पहुंचे। थोड़ा चढ़ाई चढ़ने के बाद दोनों एक खूबसूरत सी जगह रुक गए और एक पत्थर पर बैठ गए। कुछ देर खामोश रहने के बाद अचला ने बोलना शुरू किया- अमृत ,तुम मुझे गलत मत समझना ,बस ये तो दिल में आये कुछ जज्बातों की अभिव्यक्ति है इससे ज्यादा कुछ नहीं। तुमसे मुझे जो अपनापन व परवाह मिली है। मैं बरसों से इसी के लिए ही तरस रही थीं। ये सब पाकर आज मन बड़ा तृप्त महसूस कर रहा है। शायद मुझे तुमसे प्यार हो गया है। प्लीज तुम इसको गलत मत समझना। मुझे पता है ये सब गलत है। मैं तुमसे कुछ चाहती भी नहीं बस एक ख्वाहिश थी कि तुमको बता दूं । मन में आज अजीब सी शांति महसूस हो रही है तुमको ये सब बोल कर ।इतना बोलकर अचला नजर झुका कर नीचे देखने लगी।अचला आप अपने मन में कोई बोझ मत रखिये। आप भी मुझे अच्छी लगती हैं पर उस नजर से नहीं। अभी हम लोगों के बीच बहुत सी सामाजिक व पारिवारिक दूरियां हैं तो हम लोगों का मिलना इस जन्म में तो नहीं हो सकता ।पर हाँ, अगले जन्म के लिए आपकी बुकिंग पक्का समझूँ। इतना बोल कर अमृत ने अपनी बाहें फैला दी अचला भी शरमाकर उन मजबूत बाहों में समा गई। बहुत देर तक दोनों एक दूसरे को महसूस करते रहे। जब बहुत देर हो गई तो एक दूसरे से अलग होते हुए आज उन दोनों को कुछ अलग सा लग रहा था । ऐसा लग रहा था कि मानों फिजाओं में संगीत घुल गया हो ।सब कुछ खूबसूरत सा लग रहा था । अचला ने अमृत को धन्यवाद देते हुए कहा--अमृत इतनी खूबसूरती से मेरे प्यार को सहेजने के लिए लाख लाख धन्यवाद । लोग इसे गलत समझते पर तुमने न सिर्फ मेरी भावनाओं को समझा बल्कि बड़ी सुंदरता से बिना मेरा मन तोड़े हुए वास्तविक स्थिति से रूबरू करवाया । मेरी हर बात को बिना कहे समझ कर पूरा किया ।आज मैं बहुत खुश हूँ। अच्छा चलो ,आज प्रेम का एक और अनुभव करवाता हूँ। यहां से जोर से मेरा नाम पुकारो। मैं आपका नाम लूंगा। देखना लौट कर दोनों का नाम कितना प्यारा सुनाई देगा। ऐसा लगेगा जैसे इस पहाड़ों में हमारी आत्मा कैद हो जो हमें पुकार रही हो। दोनों ने ऐसा ही किया। सच में अचला को ऐसा ही लगा । अब सूर्यदेव अस्ताचल को चलने को उघत हुए तो अचला और अमृत भी वापस लौट चलने को उठे। आज अचला को बहुत ही हल्का महसूस हो रहा था। एक अजीब सी मानसिक शांति , ऐसा लग रहा था कि शायद अब जीवन में पाने को कुछ भी शेष नहीं, सब कुछ पा लिया। दोनों गाड़ी में चुपचाप बैठे रहे ,कोई किसी से कुछ न बोला। अमृत ,अचला को उसकी कॉटेज में छोड़कर अपने रास्ते चला गया शायद कभी न मिलने को।
फिर अचला भी वापस अपनी जिंदगी में रंग गयी । अपने पुराने ढर्रे पर दौड़ पड़ी जिंदगी। हाँ ,एक परिवर्तन जरूर हुआ अब कभी भी उदास होती तो अमृत को याद कर लेती । उसके साथ बिताए गए पल उसे एक अलग आनंद से भर देते ।
धीरे धीरे पांच साल का समय बीत गया। इसी बीच उसे एक ह्रदय विदारक घटना सुनाई दी। उसके पति ने एक दिन बात करते हुए उसे बताया- अचला ,तुम्हें अमृत याद है वही जो उत्तराखंड के टूर पर मिला था। याद आया ,तो वो एक रॉड एक्सीडेंट में मारा गया। ये सुनकर अचला सदमें में आ गयी। धीरे धीरे वो बीमार रहने लगी। डॉक्टर ने उसे किसी हिल स्टेशन पर ले जाने की सलाह दी। अचला ने उसी जगह जाने की जिद की जहां वो अमृत से मिली थी। उसके पति उसकी बात मानते हुए उसे वहां ले गए। वो वहां हर उस जगह गयी जहां उसने अमृत के साथ कुछ पल बिताए थे। अंत में वो उस पहाड़ी स्थान पर गयी जहाँ उसने अमृत को अपने मन की बात बताई थी। उत्तराखंड में इन पांच सालों में काफी कुछ बदल गया था। पर यही एक जगह थी जो आज भी वैसी ही थी जैसी पहले थी। वो चुपचाप वहां खड़ी रहकर अतीत की स्मृतियों में डुबकी लगा रही थी कि अचानक एक तेज हवा का झौंका आया । अचला को लगा जैसे अमृत ने ही उसे पुकारा हो - अचलाआआ---- वो पहाड़ों में खड़ी हुई गुम हुई अमृत की रूह को महसूस करने लगी , पता ही नहीं चला कब दो बूंदे उसकी आँखों से निकल कर गालों पर आ गयी। तभी उसे अपने कंधे पर अपने पति का स्पर्श महसूस हुआ। वो जैसे ही पलटी तो उन्होंने पूछ ही लिया -- अमृत को याद कर रही हो। यदि तुमको अच्छा लगता है तो हम लोग आया करेगे हर साल । खुश हो न अब तो ,आंसुओं को छुपाती हुए हंस पड़ी वो भी। क्योंकि उसे भी पता था न तो जाने वाला लौट सकता हैं और न ही गुजरा हुआ वक्त । सिर्फ उन पलों को यादों में कैद कर आज में जीना ही जिंदगी का सत्य है ।
💐💐💐 समाप्त💐💐💐