Pyar aek khubsurat ahsaas books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार एक खूबसूरत अहसास

नए सत्र का पहला दिन था।वंशिका आज देर से पहुँच कर अपनी शुरुआत बिगड़ना नहीं चाहती थी तो वह हड़बड़ाते हुए स्कूल पहुँची और घड़ी पर नजर डालते हुए राहत की सांस ली कि आज देर नही हुई वरना प्राचार्या जी की डांट पड़ती कि तुम हमेशा देर से आती हो,तुम नहीं सुधरोगी।प्रार्थना के बाद सभी अपनी अपनी कक्षाओं में पहुँच कर पढ़ाने लगे। 12 बजे के लगभग वंशिका की कक्षाएं समाफ्त हुई पर अभी छुट्टी होने में समय है तो वो अपना मोबाइल उठा कर उसमें आये हुए msg देखने लगी।एक अनजान नंबर से आये हुए संदेश पर उसकी नजर ठहर गई।उसमें लिखा था-hi मैं गौरव ,शादीशुदा हूँ इंजीनियर हूँ,, आपकी जाति से हूं ,तो सोचा कि आपसे बात करूं।।आप बहुत अच्छा लिखती है।क्या आप मेरी दोस्त बनेंगी? वंशिका को थोड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि उसने तो कुछ खास लिख कर पोस्ट नही किया ।उसने गौरव को जबाब दिया कि अपने पति से पूछ कर बताऊँगीकि हम दोस्त बन सकते है या नहीं।ok आप पूछ लीजियेगा पर मुझे आपका दोस्त बनकर बहुत खुशी होगी।वंशिका को लग रहा था कि यह उसके पति की ही शरारत है।घर आकर उसने अपने पति को अपने साथ हुए घटनाक्रम के बारे में बताया कि कैसे एक अनजान नंबर से msg आया और क्या बात हुई।वंशिका ने अपने पति से पूछा कि क्या आप ही है वो। तो उन्होंने मना किया कि वो मैं नहीं हूँ।वंशिका को बड़ा आश्चर्य हुआ पर यकीन नही हुआ।उसने अपने पति से पूछा कि फिर क्या करना चाहिए।उसके पति ने जबाब दिया कि जो तुम्हारा मन करे वो करो।दोस्ती करनी है तो कर लो और नहीं करना है तो मत करो।पतिदेव का जबाब सुनकर तो उसे पक्का विश्वास होने लगा कि कुछ तो गड़बड़ हैक्योंकि उसके पति को वंशिका का किसी पुरूष से बात करना पसंद नहीं था और इस कारण दोनों के बीच बहुत झगड़े होते थे।अपने शक को दूर करने के लिए उसने गौरव की मित्रत्रा स्वीकार कर ली।कुछ दिनों तक दोनों के बीच सामान्य सी बात ही होती रही।
एक दिन बातों बातों मे गौौौवररउसका वैवाहिक जीवन ठीक नहीं चल रहा है। जैसा किअक्सर होता है कि जब कपल की लाइफ में खटपट ज्यादा होती है तो व्यक्ति मन का सुकूूून तलाशता है।शायद दोनों ही एकजैसे ही दौर से गुजर रहे थे,
वंशिका की अपने पति से पटती नहीं थी उसके पति को उसका सबसे खुलकर ,हंस करबात करना पसंद नहीं था। इस बात पर
दोनों में अक्सर बहस होजाया करती थी। इन बातों से ही वंशिका का मन दुःखी रहता था।
वंशिका को इस बात का आश्चर्य जरूर होता था कि उसके पति में ये बदलाव क्यों और कैसे आया कि वो गौरव से बात करने
पर आपत्ति नहीं जताते। कई बार उसने जानने की कोशिश की
पर बेकार कोई नतीजा नहीं निकला।इसी उधेड़बुन में कई दिन बीत गए।अपना शक उसने गौरव को भी बताया तो वो भी बहुत नाराज हुए कि तुम मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच सकती हो?पर उसे हमेशा से लगता था कि कुछ तो है दोनों के बीच में संबंध, जो उसे बताया नहीं जा रहा है।खैर अपना शक दूर करने के लिए वो लगातार गौरव से बातें करती रही एक सामान्य दोस्त की तरह। दोनों के दिन की शुरुआत सुबह के नमस्कार से होती और जब भी उनको समय मिलता तो अपनी आदतों ,परेशानियों, दिनचर्या के बारे में बतियाते। दोनों ही एक दूसरे से बहुत अच्छे से परिचित हो चुके थे।
एक दिन गौरव ने वंशिका से बोला कि मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं ,plz मेरी बात को ध्यान से सुनना और समझना, फिर जबाब देना।जो आपका जबाब होगा मुझे मंजूर होगा।वंशिका बोली- ऐसा क्या है, जो इतनी भूमिका बना रहे हैं आप।
गौरव बोला- सबसे पहले तो सॉरी, मुझे माफ़ कर दो झूठ बोलने के लिए, पर उसका दोषी मैं नहीं हूं, आपके पति है।
वंशिका बोली -साफ साफ कहो जो कहना है, यूँ पहेलियाँ न बुझाओ। गौरव बोला- तो सुनो ,पर बीच में न बोलना जब तक मेरी बात खत्म न हो जाये। मैं आपको और आपके पति दोनों को अच्छी तरह से जानताहूँ, और आपका नंबर आपके पति ने ही दिया था , ये बोल कर कि इसके मन में क्या चल रहा है ,ये पता करना है तो तुम मेरा ये काम कर दो। वंशिका ने जब ये पूछा कि आप दोनों दोस्त है क्या? तो गौरव बोला- नहीं, वो मेरे चाचा जी के परिचितों में से है और मैं उनको बड़ा भाई मानता हूँ। पर अब जो मैं कहने जा रहा हूँ उसको ध्यान से ,सोचकर जबाब देना। आपसे बात करके ,आपको जानकर मुझे
आपसे प्यार हो गया है ।वंशिका जी,जबसे आपको जाना है तबसे दिल में एक ख्वाहिश जाग गईहै कि काश ! आप हमारी होती।हमें आपसे प्यार हो गया है।हम जानते है कि हम दोनों शादीशुदा हैं, और इस जन्म में हम नहीं मिल सकते।पर हम अगले छह जन्मों के लिए भगवान से आपका साथ मांगते है।
क्या आपको हमारा प्यार मंजूर है।वंशिका सुनकर अजीब सी हालत में थी। समझ नहीं पा रही थी कि क्या जबाब दे।गौरव की बातों ने उसके दिल को तो छू लिया था,पर दूसरी तरफ पति, परिवार, समाज का था। एक तरफ दिल था तो दूसरी तरफ दिमाग,बड़ी कशमकश चल रही थी दिल और दिमाग के बीच में। जबाब न मिलने पर गौरव बोला आप आराम से सोच कर फैसला करना ।जो आपका फैसला होगा वो मुझे मंजूर होगा। जो मेरे दिल में आपके लिए था वो मैंने आपको बता दिया।धीरे-धीरे प्यार ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया, दिल जीत गया और दिमाग हार गया।वंशिका ने गौरव का प्यार स्वीकार कर लिया।दोनों ने निश्चय किया कि कभी भी अपने प्यार को अपने कर्तव्यों के आगे नहीं आने देगें।अपने परिवार को प्राथमिकता देगें, फिर एक दूसरे को।अपने प्रेम की पवित्रता को हमेशा बनाये रखेंगे।नदी के दो किनारों की तरह साथ तो रहेंगे पर दूरी बनाए रखते हुए।
प्यार एक ऐसी सकारात्मक ऊर्जा है जो व्यक्ति के जीवन की सारी नकारात्मकता को हटा देती है।जिससे जीवन बहुत सुंदर, सुखमय और शांतिपूर्ण लगने लगता है।ऐसा ही उन दोनों ने भी महसूस किया। थोड़ी देर की उनकी बातचीत से वंशिका का दिन बहुत ही खुशनुमा बीतने लगा।अब उनकी जिंदगी में चारों ओर आनंद और प्रसन्नता थी। ऐसा ही हाल गौरव का भी था।दोनों की ही पारिवारिक कलह खत्म हो गयी ।घर में सुख शान्ति छा गयी।किसी ने सच ही कहा है कि एक खुश व्यक्ति
ही अपने चारों ओर खुशियां बिखेरता है।
बस कभी कभी मन में एक दूसरे से मिलने की चाह उठती।कभी कभी दोनों को लगता कि काश ! तुम पहले मिले होते तो जिंदगी आज कुछ और होती।
वंशिका ने अपने मन को गौरव से कुछ इस तरह व्यक्त किया।
" नव वसंत आया है,नव जीवन पाया है
जीवन रूपी बगिया में,नव पुष्प खिलाया है
शुभप्रभात लाया है, नव वसंत आया है
पुलकित तन,उल्लसित मन
फिर उजास लाया है,मधुमास आया है
फिर जीवन महकाया है,
नव जीवन पाया है,नव वसन्त आया है।"

समय अपनी गति से चलता रहा और समय के साथ उन का प्यार भी बढ़ता रहा।एक दिन अचानक गौरव को काम के सिलसिले में वंशिका के शहर जाना पड़ता है। वो वंशिका को बताता है कि मैं आपके शहर में हूँ।काम के सिलसिले में आया था,क्या हम मिल सकते है?वंशिका पशोपेश में पड़ जाती है।वह चाहती तो थी गौरव से मिलना पर परिवार और समाज के बारे में सोच कर रह जाती है।आज तक वंशिका ने न तो गौरव को देखा था और न ही गौरव ने वंशिका को।बस दोनों की सोच मिली तो दिल मिल गए थे।सोचते- सोचते वह फैसला करती है कि वह इस बारे में अपनेपति से पूछेगी।यदि वह हाँ बोलते है तोवह मिलने जाएगी और यदि न बोलते है तो मना कर देगी।उसके पति टूर पर बाहर गए थे।उसने अपने मन की उलझन उनसे कही तो वो बोले -यदि तुम्हारा मन है तो मिल लो।यदि मैं घर पर होता तोउसे घर पर लंच के लिए बुला सकते थे,पर मैं नहीं हूं तो सार्वजनिक जगह पर जहां मन हो ,चली जाओ मिलने।पति से इजाजत मिलने के बाद वो गौरव को शाम को पास के पार्क में मिलने का बताती है।msg पढ़कर गौरव खुशी से पागल हो जाता है और thanks के साथ ☺️☺️ भेजता है।
दोनों ही शाम के बारे में सोचने लगते हैं।
शाम के वक्त दोनों पार्क के गेट पर पहुँचते है।गौरव वंशिका को msg करता है कि मैं पहुंच गया हूँ, आप कहाँ हो? मैं आपको कैसे पहचानूंगा, अपने कोन सी ड्रेस पहनी है,।वंशिका बताती है
कि वह मेनगेट के पास खड़ी है,उसने पीला- हरा सूट पहना है।गौरव ने मेनगेट पर नजर दौड़ाई तो पाया कि पीला सूट हरे दुपट्टे में कोई खड़ा है।वह भाग कर जाता है और आवाज लगाता है---- वंशिका! वह पलट कर देखती है और दोनों के मुँह से एक साथ निकलता है- आप गौरवजी, आप वंशिका जी।बस दोनों एक दूसरे को देखते ही रह जाते हैं। सब कुछ भूल कर खो जाते हैं एक दूसरे की आँखों में।
भूल जाते है कि कहाँ खड़े हैं वो दोनों।तभी वहाँ बच्चों का समूह आता है शोर करते हुए,तब उनको होश आता है।गौरव वंशिका को sorry बोलता है ,तो वंशिका धीरे से मुस्कुरा देती है।दोनों अंदर जाते हैं,और शांत सी जगह देखकर हरी -हरी मखमली घास पर बैठ जाते हैं।गौरव सिर्फ वंशिका को देखे जा रहाहै,और वंशिका शरमाकरघास को। न गौरव ने कुछ बोला ,न वंशिका ने।काफी इंतजार के बाद भी जब गौरव कुछ न बोला तो वंशिका को ही बोलना पड़ा- क्या देख रहे हैं आप।कुछ बात नहीं करेंगे ।गौरव ने कहा- कुछ नहीं, बस आपको देखकर ये सोच रहा हूँ कि क्या सच में मेरा सपना सच हो गया?जिस परी से मैं बात करता था ,क्या सच में उसके सामने बैठे उसे देख रहा हूँ।वंशिका बोली- आप छू कर देख सकते हैं ।ये सपना है या हकीकत ।गौरव ने खुशी से चहकते हुए कहा--सच!!!! मैं आपका हाथ ,अपने हाथ में ले सकता हूँ।वंशिका बोली-- हां, ताकि आपको विश्वास हो जाये कि ये सपना नहीं ,हकीकत है।गौरव ने कहा - हे भगवान!!! आज मैं खुशी से मर न जाऊं ,अपने मेरे दामन में बहुत सारी खुशियाँ डाल दी हैं।
गौरव ने वंशिका का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा-काश!! मैं इन हाथों को हमेशा के लिए थाम पाता ,काश! ये पल यहीं रुक जाये। गौरव ने वंशिका की तारीफ करते हुए कहा किआपकी आंखे बहुत सुंदर हैं ,इन आंखों में डूबने का मन कर रहा है।वंशिका ने हँसते हुए कहा कि यदि आप डूब गए तो आपकी बीबी का क्या होगा?गौरव ने बुरा सा मुहँ बनाते हुए कहा कि उसकी याद दिलाना जरूरी है क्या।अभी अपनी और मेरी बातें करो । बाकी सब भूल जाओ।सिर्फ मैं और आप ,और हमारे सिवा कोई और नहीं।धीर- धीरे शाम ढल रही थी, अंधेरा होने लगा तो वंशिका बोली- अब हमें चलना चाहिए। गौरव मायूस हो गया पर जाना तो था ही,उसने वंशिका से बोला - एक हसरत थी मन में,।वंशिका ने पूछा- क्या।गौरव ने कहा - आपको एक बार गले लगाने की,आपको एक बार kiss करने की,आपके साथ एक बार------------------। आपको देखकर मन बेकाबू हो रहा है।काश ! हम दोनों एक बार------।वंशिका ने गौरव के मुँह पर हाथ रखते हुए कहा- लगाम लगाइये अपनी हसरतों पर ,कहीं हम कुछ गलत न कर बैठे ।बहुत विश्वास है मेरे पति कोमुझ पर ,कहीं उनके साथ विश्वासघात न कर बैठे।गौरव ने वंशिका के हाथ अपने हाथ में लेकर उसे अपने पास खींचा और थोड़ी देर आंखों में आंखें डाल कर देखता रहा।फिर धीरे से उसे गले लगा लिया, और बोला- डरिये मत,हम कुछ गलत नहीं करेंगे।बस आपको एक देखने की, एक बार गले लगाने की ख्वाहिश थी।वो पूरी हो गयी,अब भगवान से मुझे कुछ नहीं चाहिए।मेरे दिल के खालीपन को आपने अपने प्यार से भर दिया है।आपका प्यार लेकर,मैं हमेशा हमेशा के लिए ये देश छोड़कर जा रहा हूँ।ये हमारी पहली और आखरी मुलाकात है।चूंकि चारों ओर अंधेरा और एकांत था,कोई देखने वाला नहीं था,।गौरव की बात सुनकर वंशिका ने गौरव को जोर से गले से लगा लिया।और आंखों में आंसू लिए हुए बोली- गौरव एक चीज मांगू, दोगे मुझे,।गौरव ने पूछा- क्या। आपके होंठों की छुअन का अहसास मेरे होंठो पर।ये सुनकर गौरव ने वंशिका का चेहरा उठाया और अपने होठों को वंशिका के होठों पर रख दिया।कुछ समय तक दोनों सबकुछ भूल कर एक दूसरे मेंखो गए।दूर कहीं गार्ड की सीटी सुनकर उनकी तंद्रा भंग हुई।वंशिका ने गौरव से कहा- ये हमारी पहली मुलाकात जरूर थी पर आखिरी नहीं भगवान ने चाहा तो इस जन्म में फिर कभी जरूर मिलेंगे, मेरी ये बात हमेशा याद रखना

एक दीप आस का जलाये बैठे हैं
हम किसी को अपना बनाये बैठे है
जब याद आये हमारी,तो चले आना
हम राहों में आपकी,अपना दिल बिछाये बैठे है
सुनकर गौरव ने हम्म्म्म कहा और फिर दोनों ने अपने प्यार के अहसासों को अपने में समेट कर एक दूसरे से विदा ली और अपने अपने रास्ते चले गये।।



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