उसी रात को तृषा अपने मम्मी पापा के साथ हमेशा हमेशा के लिए मेरठ में आकर के शिफ्ट हो गई
तृषा के पापा का नाम संदीप था उन्होंने मेरठ के ही एक स्कूल में तृषा का एडमिशन करवा दिया नया माहौल ,नए दोस्त सब कुछ नया नया सा था इसीलिए तृषा इस नए माहौल में एडजस्ट नहीं कर पा रही थी।
उसे अपना पुराना घर पुराना स्कूल , पुराने दोस्त, सब बहुत याद आ रहे थे।
यहां पर उसकी किसी से कोई जान पहचान नहीं थी इसीलिए तृषा का मन बिल्कुल भी यहां पर नहीं लग रहा था।
तृषा की मम्मी पापा उसे इस माहौल में ढालने की पूरी पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन कुछ समय तो लगना ही था।
तृषा को आए हुए 1 महीने हो गया लेकिन एक पल 1 मिनट के लिए भी देव और अपने पुराने घर को नहीं भूल पाई थी ।। और इसी वजह से वह उसके चेहरे पर मुस्कुराहट गायब हो गई थी। जो बच्चों के चेहरे पर होती है । यहां आकर कि तृषा जैसे हंसना भूल गई हो , वह हर वक्त गुमसुम और उदास रहती थी और यह देख कर के उसके मम्मी पापा बहुत परेशान थे।
मिष्ठी क्या हुआ बेटा तुम हर वक्त परेशान सी क्यो रहती हो आखिर में एक दिन तृषा की मम्मी ने तृषा से पूछ लिया
मम्मी मुझे यहां पर अच्छा नहीं लगता चलो ना वापस वही पुरानी जगह पर अपने पुराने घर पर चलते हैं ,मुझे उन सब की बहुत याद आ रही है मुझे स्कूल की बहुत याद आ रही है दिव्यांश हिमांगी सब मुझे बहुत याद आ रहे हैं ,मम्मी यहा बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा ।तृषा ने कहा
मिष्ठी अब वहां हम नहीं जा सकते हैं ,अब हमें यही रहना है यहां पर भी तो स्कूल है यहां पर भी तो बहुत सारे बच्चे हैं यहां तो कोई दोस्त बना लो ना । तृषा की मम्मी ने उसे समझाया
न पुराना स्कूल अच्छा था मम्मी,यह स्कूल अच्छा नहीं है मुझे यहां नहीं पढ़ना है ,मुझे वहीं पर रहना है वहीं पर पढ़ना है ।तृषा ने अपनी मम्मी से जिद की
वहीं पर रहना है वहीं पर पढ़ना है ,दिमाग खराब हो गया है इस लड़की का, एक बार बोल दिया ना तो वहां पर अब नहीं जा सकते हैं , और क्या है , ऐसा क्या था वहां पर जो यहां पर नहीं है ,तृषा को परेसान देख कर संदीप को गुस्सा आगया और वो चीख पड़े
सब तुम्हारी गलती है सरिता तुम्हे पता है कि मेरा इधर उधर ट्रांसफर होता रहता है तो फिर इसको इतना मेलजोल बढ़ाने ही क्यो दिया ,अब वही लेकर बैठी रहो । तृषा को परेशान देखकर के तृषा को पापा को गुस्सा आ गया तृषा को जोर से डांटना शुरू कर दिया
पापा की डांट खाकर कि तृषा सहम गई और रोने लगी
धीरे धीरे ठीक हो जाएगी, क्यों डांट रहे खामखा इसको अब नए माहौल में एडजस्ट करने में थोड़ा सा समय तो लगेगा ही इतने दिनों से साथ थी, कुछ दिन तो वहां की याद आएगी ना अभी वह बच्ची है । तृषा की मम्मी ने संदीप को समझाया
थोड़ी देर बाद तृषा के पापा का गुस्सा शांत हुआ और फिर उन्होंने प्यार से तृषा को अपने पास बुलाया
तृषा डरते डरते अपने पापा के पास आई और खड़ी हो गई,वह अब भी सुबक रही थी ।संदीप को उसपर प्यार आ गया
उन्होंने मुस्कुरा कर मिष्ठी को देखा और फिर कान पकड़ कर बोले
आई एम सॉरी मुझे माफ कर दो, मैंने अपनी गुड़िया को डांटा संदीप ने तृषा को पकड़कर के अपने पास बिठा लिया और फिर उसे प्यार से समझाने और बहलाने लगे ।
अच्छा एक काम करो चलो तुम लोग सारे के सारे तैयार हो जाओ आज तुम्हें एम्यूज़मेंट पार्क में लेकर चल रहा हूं ।संदीप ने कहा
नहीं पापा मेरा मन नहीं है, तृषा उदास होकर बोली
अरे चलो ना बहुत मजा आएगा वहां पर बहुत सारे झूले हैं तुम्हें झूला पसंद है ना और बड़ा वाला स्टाबेरी आइसक्रीम भी तो तुम्हें दिलवाउगा , संदीप ने तृषा को खुश करते हुए कहा
पक्का आप झूठ तो नहीं बोल रहे हो ना ,तृषा ने अपनी बड़ी बड़ी आंखें मटका कर कहा
पक्का वाला पक्का ।संदीप ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया
ठीक है मैं तैयार होकर आ रही हूं तृषा खुश हो गई और अंदर भाग कर तैयार होंगी चली गई
थोड़ी देर बाद तृषा उसके पापा और उसकी मम्मी तीनों एम्यूज़मेंट पार्क में जाने के लिए तैयार थे
वहां जाकर तृषा ने के खूब मस्ती की और जब तक वहां रही सब को भूल गई थी उसे झूला झूलने में बड़ा मजा आ रहा था एक-एक करके उसने दो-तीन झूले थे सब झूल लिए और फिर पॉपकॉर्न आइसक्रीम कोल्ड ड्रिंक और पता नहीं क्या-क्या लेकर के खाया जबसे तृसा वहां से आई थी तब से पहली बार खुल कर मुस्कुराई और हंसी थी यह देख कर के तृषा की मम्मी और उसके पापा बहुत खुश थे हो भी क्यों ना तृषा उनकी एकलौती बेटी जो थी ।और इतने दिल से उदास थी ।
धीरे धीरे समय बीतता जा रहा था ,तृषा को आए हुए 6 महीने बीत गए धीरे-धीरे उसके जहन से उसके पुराने घर की पुराने दोस्तों की पुराने स्कूल की यादें मिट रही थी अब वह नए माहौल में ढलना शुरू हो गई थी हालांकि यह जगह यहां के लोग यहां का माहौल सब कुछ तृषा के लिए नया था लेकिन समय के साथ में उसने स्वीकार कर लिया था कि अब उसे यहीं पर ही रहना है।
तृषा का एडमिशन उसके मम्मी और पापा ने लगभग 1 किलोमीटर दूर एक स्कूल में करवाया था,वह हर रोज सुबह अपनी साइकिल से आती जाती थी
1 दिन से स्कूल से घर आ आ रही थी एक किनारे से धीरे-धीरे अपनी साइकिल चलाते हुए आ रही थी तभी ना जाने कहां से एक तेज रफ्तार कार बहुत तेजी से लहराती हुई आई और उसने तृषा के साइकिल में जोरदार टक्कर मारी
तृषा जोर से उछली और उछलकर के सीधा सड़क के लगे हुए डिवाइडर पर जाकर गिरी उसका सर डिवाइडर के पत्थर से टकराया और वह बेहोश हो गई ।
सड़क पूरा सूनसान था ,कार वाले ने टक्कर मारी और सरपट अपनी गाड़ी भगाता हुआ निकल गया
तृषा सड़क के किनारे बेहोश पड़ी थी ,2 चार गाड़िया निकली लेकिन किसको किसकी पड़ी है ,एक नजर तृषा पर डालते और फिर निकल जाते
उसी रास्ते पर एक ऑटो जा रहा था,जब उसने तृषा को देखा तो अपना ऑटो खड़ा करके उतर गया
उसने तृषा को देखा वह अभी जिंदा थी हालांकि बेहोश थी और सर से खून निकल रहा था उसे उस लड़की पर दया आगयी
उस ऑटो वाले का नाम मंगल था
उसने उसके उठाया और फिर ऑटो की पिछली सीट पर लिटा दिया और उसकी साइकिल जो कि टूट गयी थी को अपने ऑटो के ऊपर बांध लिया और तृषा को लेकर सरकारी हॉस्पिटल की तरफ दौड़ पड़ा ।
तृषा को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया और इलाज शुरू हुआ खून ज्यादा निकल गया था
डॉक्टर ने तृषा को खून चढ़ाने के लिए कहां मंगल ने अपना खून देकर के तृषा को बचाने की गुहार लगाई ।
इधर जब हर रोज के टाइम पर तृषा घर नहीं आई तो उसकी मम्मी को चिंता होने लगी वह दरवाजे के पास आकर से खड़ी हो गई और तृषा का इंतजार करने लगी लेकिन तृषा का कुछ भी अता पता नहीं था आखिर में जब 2 घंटे ज्यादा बीत गए तो तृषा की मम्मी सरिता के बर्दाश्त से बाहर हो गया उन्होंने तृषा के स्कूल में फोन किया
हेलो मैं तृषा की मम्मी बोल रही हूं क्या बात है मैम अभी तक तृषा की छुट्टी नहीं हुई है क्या ? तृषा की मम्मी ने घबराई हुई आवाज में कहा
तृषा घर नहीं पहुंची क्या ?अरे छुट्टी हुए तो कम से कम 2 घंटे हो गए हैं स्कूल के किसी स्टाफ ने बताया
कितने बजे हुई मैम तृषा की मम्मी की आवाज बन्द होगयी थी उसे तृषा की चिंता हो रही थी
मैंम उसी रोज वाले समय पर छुट्टी हुई है । स्कूल से बताया गया
सरिता का दिल बैठा जा रहा था इस तरह तृषा कभी भी लेट घर नहीं आई और अभी यहां पर उसकी कोई सहेली या कोई दोस्त भी नहीं था जहां पर वह जा सकती है ,साइकिल लेकर स्कूल से वह 2 घंटे पहले ही निकल चुकी है ,किसी अनहोनी का सोच कर सरिता का दिल बैठा जा रहा वह बुरी तरह से परेशान हो गई थी आखिर में उन्होंने तृषा के पापा को फ़ोन मिलाया और सारी बातें बताई वह बुरी तरह रो रही थी और परेसान थी ।
तृषा की पापा ने उन्हें चुप करवाया और फिर तुरंत ही ओफिस से घर की तरफ भागे ।
तृषा की मम्मी दरवाजे पर ही उनका इंतजार कर रही थी जैसे ही वह घर पहुंचे उनसे सारी बाते बताते बताते वह फूट-फूट कर रोने लगी।
अच्छा सरिता तुम घबराओ ना मैं देखता हूं परेशान मत हो तृषाकहीं नहीं जाएगी मिल जाएगी मैं जा रहा हूं,उसे ढूढने उसे लेकर आऊंगा संदीप ने अपनी पत्नी को समझाने की कोशिश की
मिष्ठी यहां पर किसी को जानती भी नहीं अभी 6 महीने पहले ही यहां आए पता नहीं कहां गई मेरी बच्ची कहीं उसके साथ कोई हादसा तो नहीं हो गया है मेरा दिल बहुत घबरा रहा है संदीप चाहे जहां से मेरी मिष्ठी को ढूढ कर ला करके दो मुझे सरिता बुरी तरह से रोते हुए बोली
संदीप ने किसी तरीके से अपनी पत्नी को समझाया और खुद तृषा का फोटो लेकर निकल गए सबसे पहले वह तृषा के स्कूल पहुंचे और वहां पर पूछताछ की स्कूल वालों ने बताया कि छुट्टी रोज के समय पर ही हुई है और छुट्टी होने के बाद तृषा अपनी साइकिल लेकर के निकल गई।
वहां से निकलकर वह रोड पर भटक रहे थे ,आखिर कौन उन्हें बताता कि तृषा इस समय हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत के बीच में जूझ रही है कोई जरिया और कोई सोर्स भी नहीं था ,न ही तृषा को एक्सीडेंट होते हुए किसी ने देखा और ना ही उस ऑटो ड्राइवर को तृषा को उठाकर हॉस्पिटल ले जाते हुए किसी ने देखा।
संदीप जी तृषा की फ़ोटो दिख कर सारे रास्ते अपनी बेटी की बारे में पूछते लेकिन सब ना में ही गर्दन हिला देते थे ।
रात भर तृषा के पापा बुरी तरीके से परेशान तृषा को ढूढते और भटकते रहे लेकिन तृषा का कुछ भी पता नहीं चल पाया आखिर में वह थक हार कर घर वापस आ गए
क्या हुआ संदीप मेरी मिष्ठी का कुछ पता चला, कहां है वह और तुम खाली हाथ क्यों आए हो अपने पति को इस तरह खाली हाथ आया हुआ देखकर के तृषा की मम्मी बौखला गई और उन पर सवालों का बौछार कर दिया
आई एम सॉरी सरिता मैं मिष्ठी को नहीं ढूंढ पाया पता नहीं कहां है मेरी बच्ची, मेरी मिष्ठी , पता नहीं उसके साथ क्या हो गया ।संदीप भी बेबसी से बच्चों की तरह बिलख बिलख कर रोने लगे। दोनो एक दूसरे को सहारा दे रहे थे और कार भी क्या सकते थे ।
तृषा के पापा ने अपना हर संभव प्रयास कर लिया लेकिन तृषा का कुछ भी पता ठिकाना नहीं चल पाया रात भर दोनों पति-पत्नी परेशान और दुखी होकर के रोते रहे और आखिर में सुबह हुई तो उन्होंने थाने में जाकर के तृषा के गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज करा दी
इधर तृषा का इलाज हुआ उसको खून चढ़ा ,मंगल ने बिल्कुल अपने परिवार के एक सदस्य की तरह तृषा का ख्याल रखा और अपना खून भी डोनेट किया रात के करीब 2:00 बजे तृषा को होश आया
अपने आसपास उसने देखा कई सारे मरीज उसके आसपास लेटे हुए थे ।
उसे अपने माथे में तेज दर्द होता हुआ महसूस हो रहा था
उसने उठने का प्रयास किया लेकिन शायद उसके पैरों में भी चोट लगी थी और तेज दर्द की वजह से उसकी चीख निकल गई लेकिन वह उठ ना पाई अपने माथे में दर्द होता हुआ देख करके उसने अपने हाथों से अपना माथा छुआ उस पर एक मोटी सी पट्टी बंधी हुई थी
तृषा को होश में आया देख करके तुरंत एक नर्स अपनी फाइल लेकर कि तृषा के सामने आ गई
अब कैसी है आपकी तबीयत बेटे उस नर्स ने तृषा से पूछा
मैं ठीक हूं लेकिन सर में बहुत तेज दर्द हो रहा है और पैरों में भी बहुत तेज दर्द हो रहा है तृषा में हल्की सी आवाज में नर्स को बताया
बेटे इतनी तेज एक्सीडेंट हुआ था यह तो शुक्र मनाओ तुम बच गई और तुम्हारी हड्डी पसली भी नहीं टूटी थी वरना कितनी तेज एक्सीडेंट हुआ था उसमें किसी का बचना संभव नहीं था। लेकिन तुम घबराओ मत अब तुम खतरे से बाहर हो,और जल्दी ही बिल्कुल ठीक हो जाओगी ये बताओ कौन है तुम्हारे साथ तुम्हारे मम्मी हैं या पापा ?
मुझे नहीं मालूम मुझे कुछ भी याद नहीं है तृषा ने अपने माथे पर जोर डालते हुए कहा
हां लेकिन तुम्हें कैसे याद होगा तुमतो अब तक बेहोश पड़ी थी कोई बात नहीं आप अपना नाम बता दो मैं तुम्हारे पापा को बुलाती हूं ।सिस्टर ने प्यार से कहा
नाम तृषा ने उसको ऐसे देखा मानो उसने बहुत ही अजीब सा सवाल पूछ लिया हो
हां नाम बताओ, तुम्हारे साथ जो कोई भी होगा वो नाम सुनकर ही आएगा ना , तुम्हारा नाम लेकर के बुलाऊंगी तभी तो वह आएगा। सिस्टर ने आश्चर्य से तृषा की तरफ देखा
मुझे कुछ भी याद नहीं है तृषा ने हल्के से कहा वह खुद हैरान और परेशान थी
क्या कुछ भी याद नहीं है मतलब अब अपना नाम भी याद नहीं है। सिस्टर ने आश्चर्य से तृषा से पूछा
मैं सच कह रही हूं मुझे कुछ भी याद नहीं आ रहा मेरे सर में बहुत तेज दर्द हो रहा है और मुझे बहुत तेज भूख लगी है ।तृषा ने हल्के से कहा इतना कह कर वह रोने लगी
अच्छा तुम एक काम करो आराम से लेट जाओ मैं तुम्हारे लिए कुछ मंगवाती हूं पहले तुम कुछ खा लो फिर बाद में बात करेंगे ठीक है ।नर्स ने मुस्कुरा कर कहा
उसके बाद बाहर आकर बेड नंबर बोल कर उसने आवाज लगाई
बेड नंबर सुनकर के मंगल दौड़ता हुआ आया और बोला जी मैम कैसी है वह लड़की होश आ गया क्या उसको
जी होश तो आ गया है लेकिन शायद उसके सर पर गहरी चोट लगी हुई है और इसी वजह से उसको कुछ भी याद नहीं आ रहा है और उसको भूख भी लगी हुई है तो सबसे पहले आप जाकर के कुछ हल्का सा बिस्किट का पैकेट और दूध ले आइए उसके पेट में जाएगा तो क्या पता उसका दिमाग थोड़ा ठीक से काम करे और खाली पेट दवा भी नही दे सकते है। सिस्टर ने मंगल से कहा
जी अभी लाता हूं मैं , मंगल ने कहा और कैंटीन की तरफ दौड़ गया
थोड़ी देर बाद वहां वापस लौटा तो उसके एक हाथ में दूध और दूसरे हाथ में बिस्किट के पैकेट थे , वह दोनो चीजो को लेकर के कमरे में आया और फिर तृषा के पास रख दिया
तृषा को देख कर के मंगल को बहुत तकलीफ हुई वह उसके पास आया और आराम से बोला कैसी हो बेटे अब तबीयत कैसी हो
तृषा ने मंगल को अजनबी नजरों से देखा और फिर बोली आप कौन हैं? क्या आप मुझे जानते हैं ? और मैं कौन हूं प्लीज मुझे बताइए मुझे कुछ भी याद नहीं आ रहा हूँ
पहले आप कुछ खा लो उसके बाद बात करते हैं अभी तुम्हारे सर में चोट लगी थी ना इसीलिए तुम सब कुछ भूल गई हो पहले आप कुछ खा लो आपको भूख भी लगी है। मंगल ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा
और हाथ में लिया हुआ दूध का गिलास उसने तृषा को पकड़ा दिया फिर बिस्किट का पैकेट खोल करके तृषा को दे दिया
तृषा दूध में डुबोकर के बिस्किट खाने लगी और एक-एक करके उसने पूरा बिस्किट का पैकेट खा लिया
न जाने क्यों मंगल को उस पर बहुत प्यार आ रहा था वह गौर से उसको देख रहा था
जब तृषा ने अब पूरा दूध और बिस्किट खा लिया तो फिर से वापस से उसने वही सवाल पूछा। कि बताइए मैं कौन हूं
अभी आप आराम करो सो जाओ हम आपसे सुबह बात करेंगे अभी आप की तबीयत ठीक नहीं है डॉक्टर ने ज्यादा बात करने से मना किया है ।मंगल ने तृषा को कहा
नहीं मुझे अभी जानना है मैं कौन हूं मेरा नाम क्या है मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा है तृषा ऐसे बोल रही थी मानो वह अभी रो देगी उसका दिमाग घुमा हुआ था उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था
मंगल ने बहुत टालने की कोशिश की लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ गई थी ,और आखिर में थक हारकर मंगल ने कहा
तुम्हारा नाम रिया है और तुम मेरी बेटी जैसी हो तुम घबराओ मत तुम आराम से लेट जाओ सुबह बात करूंगा उसने झूठ मूठ तृषा को बहका दिया जिससे तृषा ज्यादा न सोचें और उसकी दिमाक पर ज्यादा भार न पड़े और फिर आराम से उसे वापस से बेड पर लिटा दिया
तृषा को आराम से लेटाने के बाद मंगल सीधा नर्स के पास पहुंचा और बोला मैंम इसको क्या हुआ है ,इसको कुछ भी याद नहीं आ रहा है अभी मुझसे कह रही थी कि मैं कौन हूं। मंगल तृषा की यह हालत देख कर के परेशान हो गया था
आपको देख कर के भी उसको कुछ नहीं याद आया क्या ? और क्या बोले आप वह आपसे अपना नाम पूछ रही थी ? सिस्टर ने चौक कर मंगल से पूछा है
जी हां।मंगल ने जबाब दिया
ओ माय गॉड, आइए मेरे साथ आइए ,सिस्टर ने वापस से मंगल को अपने साथ लिया और तृषा के पास पहुंची
तृषा ने उठने की कोशिश की लेकिन सिस्टर ने कहा लेटे रहो बेटा कोई बात नहीं ,अब कैसे हो आप ? कैसा महसूस कर रहे हो?
मैं ठीक हूं लेकिन मेरे पैरों में और सर में बहुत दर्द हो रहा है तृषा ने बहुत ही हलकी आवाज में कहा
आपका नाम क्या है बेटे सिस्टर ने तृषा से पूछा
वैसे तो मुझे कुछ भी नहीं याद है मैं लेकिन अभी जो मुझे बिस्किट देकर गए थे वह बोल रहे थे कि मेरा नाम रिया है
तृषा सीधा ही देख रही थी इसीलिए मंगल को नहीं देख पाई
और कुछ आपका घर द्वार या मम्मी पापा किसी का चेहरा कुछ याद आ रहा है
नहीं मुझे कुछ भी याद नहीं है ज्यादा सोचने लगती हूं तो बस सब कुछ अंधेरा अंधेरा हो जाता है और सर में बहुत तेज दर्द होने लगता है।तृषा ने कहा
अच्छा ठीक है तुम ज्यादा मत सोचो तुम आराम से सो जाओ मैं कल तुम्हें अच्छी सी दवाई दूंगी और तुम ठीक हो जाओगे
ठीक है ।नर्स ने तृषा से कहा
और फिर वापस से आगये
देखिए आप इसके पापा हैं इसलिए मैं आपको बता देती हूं आपकी बेटी की याददाश्त जा चुकी है उसे सर में चोट लगने की वजह से कुछ भी याद नहीं है यहां तक कि वह आपको देख कर के आप को भी नहीं पहचान पा रही है हो सकता है धीरे-धीरे उसे सब कुछ याद आ जाए क्या हो सकता है कभी भी ना आए तो इसीलिए अब आपको उसकी बहुत देखभाल करनी पड़ेगी वह पहले जैसी नहीं रही अब उससे सब कुछ नए सिरे से समझाना और बताना पडेगा
उसकी बातें सुनकर के मंगल को बहुत ही ज्यादा तकलीफ हुई और वह सोचने लगा
वैसे मैंम इसका सर का चोट कब तक ठीक हो जाएगी मंगल ने सिस्टर से पूछा
कल सुबह बड़े डॉक्टर आएंगे वह चेक करेंगे फिर वही बता पाएंगे कि हम इसे कब तक डिस्चार्ज करेंगे अभी मैं कुछ नहीं बोल सकती हूं 2 दिन भी लग सकता है और 10 दिन भी लग सकता है और जब तक यह अच्छे से ठीक नहीं हो जाती तब तक इसको यहीं पर रहना पड़ेगा
लेकिन मैडम मैं ऑटो रिक्शा चलाता हूं अगर मैं यहीं पर रहूंगा तो मेरे बच्चे मेरा परिवार भूखों मर जाएगा
देखिए रहना तो पड़ेगा ही या तो आप किसी और को भेज दीजिए या फिर खुद ही रहिये और कोई ऑप्शन नहीं है क्या पता कब किस चीज की जरूरत पड़ जाए । नर्स ने कहा
मैम अगर मैं सुबह शाम आ जाऊं देखने के लिए तो ,क्योकि अगर कमाऊंगा नही तो कैसे खाऊंगा क्या ? मंगल ने मिन्नत की
सिस्टर ने थोड़ी देर सोचा और फिर बोली वैसे तो कोई दिक्कत नहीं है ,यहां पर सब कुछ अवलेबल है, ठीक है मैं आपकी परेशानी समझ सकती हूं आप ऐसा करले कोई दिक्कत नहीं है आप सुबह और शाम दोनों आ करके अपनी बेटी से मिल लिया करे उससे बात कर लिया करे लेकिन अभी उसे कुछ भी याद दिलवाने की कोशिश मत करना जब वो अच्छे से ठीक हो जाएगी फिर आप मुझसे चाहे जैसे ट्रीट करें अगर वह ज्यादा दिमाग को जोर डालेगी तो उसे तकलीफ होगी
ठीक है मैं ऐसा ही करूँगा आप चिंता मत कीजिये मंगल ने कहा
कमश:
रास्ते एक बन्द होते है और कई हजार खुल जाते है
अगर दुश्मन होते है तो कही दोस्त भी मिल जाते है
मत कर गुमान अपनी रुबाब और दौलत का कभी भी
समय जब करवट लेता है सब कुछ मिट्टी में मिल जाते है
दोस्तो कहानी का यह भाग और यह ट्विस्ट कैसा लगा प्लीज समीक्षा में बताइये ,😁😀
जल्द ही अगला भाग प्रकाशित करूँगा