तृषा के पापा संदीप और सरिता रोज तृषा को ढूंढने की कोशिश करते लेकिन खाली हाथ वापस आ जाते तृषा का कुछ भी सुराग नहीं मिल पाया था।
और पुलिस वालो ने भी कुछ खास मेहनत नहीं की जिसकी वजह से तृषा का कुछ भी पता ठिकाना नहीं चल पाया उल्टे पुलिस वालों ने उन दोनों को डांट कर भगा दिया
वे रोज अपनी बेटी के लिए थाने में आ जाते थे यह देख करके एक पुलिस वाले को गुस्सा आ गया
भाग गई होगी तुम्हारी बेटी अपने किसी आशिक के साथ क्यों रोज रोज आ जाते हो दिमाग खराब करने ,बोला ना जब मिल जाएगी तो तुम्हें सूचना मिल जाएगी फिर भी तुम लोगों को चैन नहीं है एक पुलिस ने इसे झिड़कते हुए कहा
सर प्लीज आपको जितना पैसा चाहिए ले लीजिए लेकिन प्लीज मेरी बेटी को ढूंढ दीजिए वह पता नहीं किस हाल में होगी कहां होगी ,सर मेरी मिष्ठी बहुत मासूम है और उसे यहां की जानकारी भी नहीं है प्लीज सर मैं आपके आगे हाथ जोड़ रहा हूं सरिता और संदीप ने बेबसी से पुलिस वालो के सामने हाथ जोड़ कर कहा
संदीप को इस तरह से रोते और गिडगिड़ाते हुए देख करके उसमें से एक पुलिस वाले का दिल पसीज गया
देखिए हम कोशिश कर रहे हैं जब आपकी बेटी मिल जाएगी तो हम आपको बता देंगे आप जाइए और घर जाकर आराम कीजिए यहां रोज रोज आने की जरूरत नहीं है जैसे ही कुछ पता चलेगा मैं पुलिस को भेज करके आपको बुला लूंगा आपने फोटो दे ही दिया है, और अगर आप एक काम और करवा दें तो और अच्छा होगा अगर आपको ज्यादा दिक्कत लग रही है तो एक काम करें पेपर में ऐड कर दें क्या पता वह आ जाए वैसे एक बात बताइये उसका कोई प्यार व्यार का चक्कर तो नहीं था ना ।
नहीं सर मेरी मिष्ठी अभी बच्ची थी अभी वह सिर्फ और सिर्फ 13 साल की है ।संदीप ने रोते हुए कहा
ठीक है कोई बात नहीं आप भी अपनी तरफ से कोशिश कीजिए हम भी अपनी तरफ से कोशिश करते हैं बाकी देखते हैं जितनी जल्दी से जल्दी हो सकेगा हम कोशिश करेंगे कि आपकी बेटी आपको मिल जाए
जी धन्यवाद आपका, पुलिस वालों की ढूढ लेने की आखिरी उम्मीद भी टूटते ही संदीप और सरिता का बुरा हाल हो गया
तृषा के पापा कहां है मेरी बेटी पता नहीं किस हाल में हो,? क्या कर रही होगी ?,मेरी मिष्ठी बहुत मासूम है तृषा के पापा उसे कुछ भी समझ नहीं आता ,नहीं मेरी बच्ची को कही से भी ढूढ कर लाइये मैं कुछ नहीं जानती मुझे मेरी बच्ची चाहिए चाहे जहां से भी ला कर दो मुझे मेरी मिष्ठी चाहिए सरिता बुरी तरीके से रोते हुए बोली आखिरी उम्मीद टूटते ही वह बौखला गयी थी और बुरी तरह से रो रही थी ।
मैं क्या करू सरिता क्या करूं, तुम्हारे साथ में ही हर जगह ढूंढ लिया हर जगह हाथ पैर मार लिया लेकिन मिष्ठी का कुछ भी पता नहीं चला ,पता नहीं कहां है मेरी बच्ची किस हाल में है पता नहीं जिंदा...... संदीप के आगे के शब्द उनके गले में रूठ गया और आंखों से आंसुओं की धार बह निकली
और निकलती भी क्यो ना ,उनकी एकलौती बेटी मिष्ठी तीन दिनों से लापता है उनके दिल की हालत सिर्फ और सिर्फ वही समझ सकते हैं थे।
दोनों पति पत्नी एक दूसरे का ही सहारा बने हुए थे और दोनों एक दूसरे के आंसू पोछ रहे थे दोनों को ना तो खाने का होश था और ना ही किसी काम का.होश था ।
मिष्ठी के पापा एक बात कहूं चलो एक बार चल कर कानपुर जहां हम पहले रहते थे वहां पर मिष्ठी को ढूढ आते हैं क्या पता उसका मन यहां पर ना लगा हो और वापस से वह वहां पर चली गई हो।
अरे सरिता कानपुर कितना दूर है वह वहां कैसे जा सकती है वह भी अकेले ।संदीप ने कहा
क्या पता किसी से कोई कुछ पता किया हो और वैसे भी हमारी मिष्ठी का दिमाग तेज था एक बार चलकर पूछ लेने में कोई बुराई नहीं है वहां पर उसका एक बहुत ही खास दोस्त था देव कहीं उससे मिलने के लिए अकेले ही ना निकल पड़ी हो। सरिता ने कहा
ठीक है चलो फिर वहां पर भी चल कर देख लेते हैं संदीप को भी सरिता की बात जच गई और वहां उसके साथ कानपुर जाने के लिए तैयार हो गए
वहां जाकर के उन्होंने देव के घरवालों से पूछा
पूर्णिमा और उसकी मम्मी मिली थी लेकिन उन दोनों को कहां से कुछ पता होता जब मिष्ठी वहा गयी ही नहीं तो फिर कैसे पता होता
हां मिष्टी के गायब होने का सुनकर वे भी दुखी हो गए थे उन्होंने तृषा के मम्मी पापा को ढाढस बढ़ाया और फिर समझा बुझा कर के वापस भेज दिया
मम्मी एक बात बोलूं देव को कुछ मत बताना वरना वह परेशान हो जाएगा आखिर में मिष्ठी उसकी बेस्ट फ्रेंड थी और जब उसे पता चलेगा कि उसकी मिष्ठी गायब हो गई है तो वह बहुत दुखी और उदास हो जाएगा आपको याद है ना उसके जाने के बाद 1 महीने तक वह कितना परेशान रहा है बड़ी मुश्किल से अभी सब कुछ सही हो रहा है तो उसे बता दोगी तो वह फिर से परेशान हो जाएगा ।पूर्णिमा ने अपनी मम्मी से कहा
हां तू बिल्कुल सही कह रही है देव को बताने लायक नहीं है और वैसे भी देव अभी बच्चा है कर भी क्या पाएगा खामखा परेशान ही होगा इसलिए यह बात हम दोनों के अलावा किसी और को पता नहीं चलनी चाहिए यह बात तू भी ध्यान रखना। देव की मम्मी ने पूर्णिमा से कहा
लगभग 1 हफ्ते तृषा हॉस्पिटल में एडमिट रही धीरे-धीरे उसका घाव भी इस हद तक भर गया था कि वह अब चलने फिरने लायक हो गई लेकिन उसे कुछ भी याद नहीं आता था मंगल उसे रोज सुबह शाम देखने के लिए जरूर आता था उसे न जाने तृषा से क्या लगाव हो गया था कि तृषा को देख करके उसे अपनी बेटी याद आ जाती थी जो लगभग लगभग तृषा की उम्र की ही थी तृषा से दो-तीन साल बड़ी थी।
एक दिन वह तृषा के लिए खाने का सामान लेकर के आया और फिर तृषा के पास बैठकर के तृषा को खिला रहा था ।
तृषा मंगल से जुड़ गई थी उसे लगने लग गया था कि यही हमारे पापा है क्योंकि उसे कुछ याद था नहीं और जब से होश आया है तब से सिर्फ और सिर्फ उसने मंगल को देखा
पापा मुझे यहां से ले चलो ,कब ले चलोगे मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता मुझे घर चलना है ।तृषा ने कहा
मंगल को जोरदार झटका लगा उसने यह सोचा ही नहीं था और इस तरह तृषा को पापा बोलते हुए सुनकर के न जाने क्यों उसे अंदर से ख़ुशी का एहसास हुआ वैसे तो तृषा देखने में किसी राजकुमारी की तरह लगती थी और समझदार भी बहुत थी मंगल को ना चाहते हुए भी उस पर बहुत ढेर सारा प्यार आ रहा था
ले चलूंगा जल्दी ही ले चलूंगा रिया लेकिन बेटे पहले तुम अच्छे से ठीक तो हो जाओ अभी भी देखो तुम्हारे सर में पट्टी बंधी हुई है मंगल ने तृषा के सर पर हाथ फेरा और उसे समझाया
पापा अब मुझे यहां पर नहीं रहना है अब मुझे घर पर ले चलिए मुझे कुछ भी याद नहीं आ रहा है घर पर चलूंगी तो क्या पता मुझे कुछ याद आ जाए और मम्मी को भी देखने का मन कर रहा है ।तृषा ने मंगल के साथ चलने की जिद की
अच्छा ठीक है आज मैं डॉक्टर से बात करूंगा कि वह कब तक तुम्हें छुट्टी दे देंगे और फिर तुम्हें जल्द से जल्द घर लेकर चलूंगा तुम घबराओ मत मंगल ने तृषा को समझाया
आप दोपहर में कहां चले जाते हो मैं कल दोपहर में आपको ढूंढ रही थी लेकिन उन्होंने बताया कि आप नहीं हो और शाम को आओगे तृषा ने मासूमियत से मंगल से पूछा
बेटे में पैसे कमाने गया था पैसे कमाउंगा ना तभी तो तुम्हारे लिए अच्छे अच्छे खिलौने और कपड़े लाऊंगा और फिर तुम्हारा इलाज भी तो करवाना है ढेर सारा पैसा कमाने गया था
अच्छा ठीक है पापा पहले आप मुझे मम्मी के पास छोड़ दूं उसके बाद जहां भी जाना हो जाओ मुझे यहां अकेले रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता ।तृषा ने मंगल से कहा
अच्छा ठीक है तुम घबराओ मत मैं तुम्हें जल्दी से जल्दी यहां से ले चलूंगा मंगल ने कहा और फिर समझा-बुझाकर के वह हॉस्पिटल से बाहर निकल गए
उनका दिमाग चकरघिन्नी बना हुआ था ,वह पढ़ा लिखा नही था उसे कुछ सूझ नही रह था कि तृषा को कैसे उसकी घर पहुचाये जब उसने तृषा को उठा कर अपनी गाड़ी में डाला तो उसका स्कूल बैग वही रह गया जो एक्सीडेंट के वक्त उछल कर झाडियो में चला गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें कितनी मासूम और प्यारी सी लड़की को ऐसे वह छोड़ नहीं सकता था क्या पता उसके साथ क्या-क्या हादसा हो जाए और उसे अपने घर कैसे ले जाता उसके घर की हालत ठीक नही थी , मंगल इसी उधेड़बुन में परेशान था
उन्होंने शाम को सारी बात अपनी पत्नी को बताने की सोची
रात में जब वह घर आए तो उन्होंने सारी बात सारी कहानी अपनी पत्नी मालती को बताया
मालती भी सारी बात सुनकर के दुखी हो गई लेकिन तृषा को घर लाने की बात सुनकर के बोली
पहले से ही प्रतिमा की शादी करने का टेंशन है और आप एक लड़की को और लाने की बात कर रहे हो आप तो जानते ही हो कि आपकी इतनी कमाई है नहीं ऑटो रिक्शा चला कर के कोई कितना कमा लेगा कि दो दो बेटियों की शादी विवाह कर पाए एक अच्छा सा घर तो तुमसे लिया नहीं गया आज भी हम यही गंदे और इस गलीच जगह पर रह रहे हैं जहां पर ना तो ढंग से पानी है और ना ही ढंग से बिजली रहती है और चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है यहां पर लाकर के उस लड़की की जिंदगी बर्बाद करने से क्या फायदा है इससे अच्छा तो यही है कि किसी और कुछ सौप दो कम से कम उस लड़की की जिंदगी तो बन जाएगी
किसको सौप दू मालती , कौन मिलेगा तुम बताओ अनजान लड़की को कोई कैसे अपने घर में रख सकता है और फिर वह इतनी मासूम और प्यारी है कि तुम देखोगी तो तुम्हें भी उसपर प्यार आ जाएगा फिर एक बेटी तो है ही दोनों एक साथ रहेंगे और तुम उसकी शादी की चिंता मत करो क्या पता उसी के भाग्य से ही हमारी किस्मत बदल जाए मुझे उसको इस हाल में अकेला छोड़ने का दिल नहीं कर रहा है मालती उसे कुछ भी याद नहीं है ना तो अपना घर याद है ना अपना मम्मी-पापा याद है ना ही अपना नाम याद है तुम ही बताओ ऐसे में उसको कहा ले जा करके छोड़ दूं ना मालती ना हम गरीब जरूर है लेकिन इतने बेगैरत नहीं है कि किसी लड़की को ऐसे ही छोड़ दें आज कल का माहौल तो तुम्हें पता ही है उसे भूखे भेड़िये मिलकर नोच डालेंगे कम से कम हमारे घर में रहेगी तो सेफ तो रहेगी और क्या पता कुछ दिनों बाद उसे सब कुछ याद आ जाए और जब उसे याद आ जाएगा तो उसे उसके मम्मी पापा के पास पहुंचा देंगे मंगल के ने अपनी पत्नी मालती को सारी ऊँच नीच समझाई ।
लेकिन प्रतिमा का क्या ,जब उसे पता चलेगा कि कोई अनजान और अजनबी लड़की इस घर में आ गई है तो वह कैसे बर्दास्त करेगी आप उसे क्यों भूल रहे हैं ।मालती ने कहा
प्रतिमा को तुम समझा देना और फिर उसमें क्या करना है दोनों बहन की तरह रहेगी अगर तुम्हारी एक और बेटी होती तो दोनों नहीं रहती क्या ? ऐसा मान लो कि तुम्हारी एक और बेटी है मंगल ने कहा
मालती ने बहुत देर तक सोचा और आखिर में वह भी तो एक मां थी वह कैसे किसी मासूम बच्ची को ऐसे ही छोड़ने के लिए बोल सकती थी वह भी सबको अपने घर में लाने के लिए राजी हो गई
सुबह जाकर के मंगल ने डॉक्टर से बात किया और डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद तृषा को ले जाने की परमिशन दे दी
हॉस्पिटल से निकलकर कि तृषा बहुत खुश थी और अपनी सो कॉल्ड मम्मी से मिलने के लिए बहुत एक्साइटेड थी
मंगल तृषा को अपने ऑटो में बैठा कर के अपने घर की तरफ चल पड़ा तृषा किसी राजकुमारी की तरह पीछे बैठी हुई थी उसे बड़ा मजा आ रहा था इस तरह ऑटो पर बैठकर के चलने में वह खुश थी और खिलखिला कर हंस रही थी और उसकी मासूम और प्यारी मुस्कुराहट देखकर के मंगल तो मानो खुशी से खिल गया था सच में तृषा बहुत खूबसूरत और प्यारी लग रही थी।
तृषा को लेकर के मंगल अपने एक छोटे से घर में पहुंचा तृषा चारों तरफ ऐसे देख रही थी मानो सब कुछ उसके लिए अजनबी और नया नया सा हो
मालती और प्रतिमा तृषा का इंतजार कर रहे थे
रिया बेटे यह तुम्हारी मम्मी है और यह तुम्हारी बड़ी बहन प्रतिमा ,मंगल ने रिया को अपनी पत्नी और अपनी बेटी से मिलवाया
रिया भाग के गई और मालती को बाहो में भर लिया और उसके सीने से चिपक गई मानो कई वर्षों बाद मालती से मिली हो उसे लग रहा था यही उसकी मम्मी है ।
ना चाहते हुए भी मालती के सीने में ममता का तूफान उमड़ पड़ा और उसने अपनी दोनों बाहों में तृषा को भर लिया और उसके माथे को चूम लिया
कैसी हो रिया तुम ठीक तो हो ना मालती ने ऐसे पूछा मानो वह तृषा को बचपन से जानती हो तृषा के इस तरह से लिपटने पर उसे उसके ऊपर बेशुमार प्यार आ रहा था
मैं बिल्कुल ठीक हूं मम्मी मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है हां कभी-कभी थोड़ा थोड़ा सर में दर्द होता है लेकिन ठीक हूं
पहले ये बताइये आप क्यों नहीं आई हॉस्पिटल में मुझे देखने के लिए और दीदी आप ,आप भी नहीं आई किसी दिन ,क्या आप लोग मुझे प्यार नही करते है
पापा रोज आते थे आप लोग नहीं आते थे तृषा ने मासूमियत से मालती और प्रतिमा से पूछा
मालती को कोई जवाब नहीं सूझ रहा था वह सकपका गई उसे समझ में नहीं आया कि वह तृषा को क्या जवाब दें
बात यह है रिया बेटे की हॉस्पिटल यहां से कितना दूर है और तुम्हारी मम्मी के पैरों में दर्द रहता है इसीलिए वो मैं उन्हें लेकर ही नही गया वह तो कह रही थी चलने के लिए । मंगल ने बात को संभाला
और दीदी आप आप भी नहीं आई तृषा ने प्रतिमा को पूछा जो आश्चर्यचकित खड़ी थी और यह पूरा तमाशा देख रही थी।
प्रतिमा को जैसे तृषा का आना अच्छा नहीं लगा वह बिना जवाब दिए उल्टे पैरों घूमी और अंदर चली गई
क्या हुआ मम्मी दीदी मुझसे गुस्सा है क्या ? बात नहीं किया भाग गई प्रतिमा के इस तरह जाने पर तृषा ने पूछा
तुम घबराओ मत रिया धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा तुम इतने दिन उसके पास नहीं थी ना इसलिए वह तुमसे नाराज है मालती ने तृषा के माथे पर हाथ फेरते हुए कहा
अच्छा मम्मी मुझे अपना पूरा घर देख लेने दो ,न जाने क्यो मुझे कुछ भी याद नहीं आ रहा है ना तो मुझे आप याद थी ना दीदी और ना घर याद था ना पापा याद थे । तृषा बोली
और किसी हिरनी की तरह चलती उछलती अंदर चली गई
उसको इस तरह से जाते हुए देख कर के मालती ने मंगल को और मंगल ने मालती को देखा दोनों के चेहरों पर एक मुस्कुराहट फैल गई उनके चेहरे पर एक संतुष्टि और एक सुकून था
सच में प्रतिमा के पापा कितनी प्यारी है यह ,ऐसी मासूम सी बच्ची को तो बहुत अच्छा काम किया आपने छोड़ नहीं दिया बिल्कुल मासूम और भोली सी लड़की है यह और उसे कोई भी इस तरह से नहीं छोड़ सकता था बहुत अच्छा काम किया आप उसे लेकर के अपने घर आ गए अब हम इसे भी पाल लेंगे और इसे कभी एहसास भी नहीं होने देंगे कि हम इसके असली मां पापा नहीं है
तृषा रिया बनकर मंगल और मालती के घर मे रहने लगी
मंगल ने रिया का भी एडमिशन पास के ही सरकारी स्कूल में जहां पर प्रतिमा पढ़ती थी वही करवा दिया।
न जाने क्यों तृषा को लगता कि वह यह सब पहले भी पढ चुकी है और उसे सब कुछ आता था उसकी अंग्रेजी उसका साइंस और उसका मैथ बहुत ही अच्छा था इसी वजह से वह बहुत ही कम समय में अपने स्कूल में सभी टीचरों की फेवरेट हो गई
सब उसे रिया कहकर बुलाते थे और इसी नाम से ही उसकी आगे की पढ़ाई चलने लगी
मंगल और मालती ने कभी भी प्रतिमा और रिया में भेदभाव नहीं किया और और उसे भरपूर प्यार और दुलार देते थे
धीरे धीरे रिया मंगल की घर मे किसी उस घर के सदस्य की तरह रहने लगी मंगल और मालती की बेटी बनकर ।
समय बीत रहा था धीरे धीरे सब कुछ ठीक हो गया सब भूल चुके थे कि तृषा दूसरे की बेटी है । लेकिन प्रतिमा उससे काम से काम रहती थी ज्यादा घुलती मिलती नही थी हालांकि रिया उसे पूरा पूरा सम्मान देने की कोशिश करती थी ,इस तरह से कब तीन साल गुजर गया पता ही नही चला
दसवीं का पेपर हुआ रिया पूरे स्कूल में सबसे अधिक नंबर लाकर के पास हुई ,उसका स्कूल में सम्मान हुआ घर पर भी सब उसकी बहुत तारीफ कर रहे थे ,मंगल और मालती का सीना गर्व से चौड़ा था और वे बहुत खुश थे ,यह सब देख कर के प्रतिमा को रिया से नफरत होने लगी और वह धीरे-धीरे दिया से दूर होती जा रही थी
प्रतिमा को लगता कि जब से रिया उस इस घर में आई है तब से मंगल और मालती उसे कम प्यार करने लगे हैं और रिया पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं इसके अलावा रिया प्रतिमा से ज्यादा खूबसूरत और सुंदर थी इसीलिए प्रतिमा को रिया से जलन होती थी । रिया प्रतिमा से ज्यादा पढ़ने में भी अच्छी थी और स्कूल में भी सब उस रिया से ज्यादा प्यार करते थे प्रतिमा को लगता कि रिया ही इन सब की वजह है ।
क्रमसः
ऐसी भी क्या नाराजगी की मेरी यादों को ही दिल से मिटा डाला
तुमने तो सब कुछ छीन लिया जो मेरी आंखों ने था सपना पाला
अरे तुमसे दूर हुए थे वो तो हमारी और तुम्हारी मजबूरी ही थी
ऐसा भी क्या गुस्सा करना कि तुमने मुझे दिल से भुला
डाला
दोस्तो यह भाग कैसा लगा प्लीज कमेंट में बताइये आपके समीक्षा की बेसब्री से प्रतीक्षा करूँगा प्लीज प्लीज ढेर सारे कमेंट करे अब जल्द ही कहानी में बदलाव होने वाला है क्योंकि इसके पात्र बचपन से निकल कर युवा अवस्था मे कदम रख चुके है आगे क्या क्या होता है अगले भागो में पता चलेगा इन्तेजार करे और ऐसे ही साथ देते रहे