शांतनु जी नव्या के मायके से लौटे तो रास्ते में बाज़ार भी हो लिए । इतनी देर घर से बाहर रहने का कुछ कारण तो होना चाहिए। घर पहुंचते ही सब सवाल - जवाब शुरू के देंगे की इतनी देर तक कहां थे। दरअसल में जब से शाश्वत गया था ;
शांतनु जी का ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं रहता था। वो अचानक से
ब्लड प्रेशर बढ़ने पर बेहोश हो जाते थे , इसलिए जब भी शांतनु
जी बाहर जाते जरा सी भी देर होने पर सब परेशान हो जाते की
कही वो फिर से बेहोश तो नहीं हो गए ।
जल्दी जल्दी बाज़ार से कुछ सामान लिया और घर आ गए । जैसा कि उम्मीद था, साक्षी दरवाजे पर खड़ी उनका इंतजार कर रही थी । अंदर नव्या परेशान मां को दिलासा दे रही थी कि
"मां बाज़ार में भीड़ होगी इसलिए पापा को देर हो रही है, आप
बेकार में ही चिंता कर रही है । पापा बस आते ही होंगे । थोड़ी
देर और इंतजार कर लेते है । फिर मै जाकर पता करती हूं कि
पापा कहा रह गए ।"
शांतनु जी को आता देख साक्षी चिल्लाई, " मां... !पापा आ गए।
भाभी !...पापा आ गए । पापा आपने कितनी देर लगा दी ।"
उलाहना देते हुए साक्षी बोली,"आपको पता है मां कितना घबरा गई थी।"
शांतनु जी साक्षी के साथ अंदर आए, देखा तो नव्या लेटी हुई
मां से कह रही थी कि "देखा मां पापा आ गए ना ! आप बेकार
ही घबरा रही थी।"
"पापा आप कहां रह गए थे ? देखिए मां कितना घबरा गई थी..! खाना भी नहीं खाया।"नव्या ने शिकायती अंदाज में शांतनु जी से कहा।
"अरे बाबा थोड़ा सांस तो लेने दो तुम लोग ;फिर पूछना जितने भी सवाल पूछने हो। ना बैठने दिया ना ही पानी को
ही पूछा की पापा सुबह से गए है प्यासे होंगे। लगे सवाल पे
सवाल करने ।" शांतनु जी ने भी हंसते हुए उनका ध्यान भटकाने की कोशिश की।
"सॉरी पापा " कहते हुए नव्या जल्दी से उठ खड़ी हुई।
शांतनु जी ये कहते हुए नव्या को रोक दिया कि, "तुम बैठो
नव्या साक्षी बेटा पानी तुम भी दे सकती हो ;क्या जरूरी है कि
सारे काम नव्या ही करे। जाओ पानी लेकर आओ।"
साक्षी तुरंत ही उछलती कूदती पानी लेने चली गई।
"वो बेटा मार्केट में नवल जी और गायत्री जी मिल गए थे । उन्हीं से बात करने में देर हो गई और वो माने ही नहीं पास के कॉफी - शॉप में बात चीत के लिए गए और फिर स्नैक्स कॉफी आर्डर कर दिया। मैंने तो बहुत खा लिया है। मुझे
तो बस पानी पिला दो । तुम, मां और साक्षी जाओ खाना खा लो, और हां..! नव्या बेटा मैंने कल उन्हें खाने पर आमंत्रित किया है, तुम अपनी मां और साक्षी के साथ मिल कर कुछ अच्छा सा बना लेना। " शांतनु जी ने नव्या से कहा ।
तब तक साक्षी भी पानी लेकर आ गई । उनकी बातें सुनकर
बोली, "अरे....! वाह कल अंकल आंटी आ रहे है तब तो भाभी
खूब सारी अच्छी अच्छी डिश बनाना । मै भी आपकी मदद कर दूंगी और आपसे बनाना भी सीख लूंगी।" नव्या के गले में बांहे डालते हुए साक्षी बोली।
"कल मम्मी पापा आ रहे है ! ठीक है मै बना लूंगी कल कुछ
अच्छा सा ।" नव्या ने शांतनु जी से कहा।
शांतनु जी पानी पीकर अपने कमरे में आराम करने चले गए।
कमरे में जाकर सबसे पहले नवल जी को फोन मिलाया और बताया कि," जैसे ही मै घर आया सब पीछे पड़ गए की इतनी देर मै कहां था ? मैंने कह दिया कि आप और गायत्री जी मार्केट में मिल गए थे इसी वजह से देर हो गई । मैंने आप लोगो को कल घर पर खाने पर बुलाया है । आप लोग भी यही बात कहना।"
नवल जी ने भी आश्वस्त किया कि, "शांतनु जी जैसा आप कह रहे हैं वैसा ही हम कहेंगे।आप निश्चिंत रहिए। हम नव्या से भी बात करेंगे।"
नव्या अपना, मां और साक्षी का खाना निकाल के आवाज देकर
बुला लिया । तीनो साथ बैठ कर खाना खाने लगे। नव्या खाते
हुए विचारों में गुम सोच रही थी, ' क्या मार्केट में मम्मी पापा का
पापाजी से मिलना इत्तफाक है?' उसे कुछ अंदेशा हो रहा था।
उसे खाना टूंगते देख मां ने टोका , "बेटा जल्दी से खा ले किन
खयालों में खोई हुई है ; मेरा और साक्षी का खाना खत्म भी हो गया और तू वैसे ही बैठी है । पहले ही काफी देर हो चुकी है।"
"जी मां " कहते हुए नव्या जल्दी - जल्दी खाना खाने लगी।
दूसरे दिन सुबह ही गायत्री जी ने नव्या को फोन किया बोली,
" नव्या बेटा हम दोनों तुम सब से मिलने आ रहे है। कुछ चाहिए तो बता । मै क्या लाऊं तेरे लिए ? "
नव्या ने बात टालने कि गर्ज से कहा, "मम्मी जो भी तुम्हारा मन करे लिए आना। "
गायत्री ने जल्दी जल्दी काम निपटा कर हल्का सा नाश्ता खुद भी किया और नवल जी को भी दिया। फिर तैयार होकर दोनों लोग
नव्या के घर के लिए निकल लिए। उसी शहर में रहते हुए भी बेटी से नहीं मिल पाते थे। कोई अपनी इकलौती संतान से दूर कैसे रहे ? पर उसका उदास चेहरा और जिंदगी में छाई वीरानी
उनसे बर्दाश्त नहीं होती थी । फिर नव्या उनके साथ आकर रहने को भी तैयार नहीं थी ; तो रोज रोज वे नव्या के ससुराल तो जा नहीं सकते थे । इस कारण मन मसोस कर बेटी से दूर रहना मजबूरी थी । आज जब मौका लगा तो बड़े ही उत्साह से
नवल जी और गायत्री ने नव्या की पसंद की मिठाई, चाकलेट,
और उसे बचपन से ही सबसे ज्यादा पसंद अंकल चिप्स की ढ़ेर सारी पैकेट और भी उसकी पसंद की चीजों से लदे फ़दे शांतनु
जी के घर पहुंच गए ।
गाड़ी की आवाज सुनकर शांतनु जी बाहर आए । गले लग कर
स्वागत किया,और सम्मान सहित उनको और गायत्री जी को अंदर ले आए ।
शांतनु जी ने नवल जी को अपने पास बिठा लिया । गायत्री को
शाश्वत की मां अपने साथ अंदर के कमरे में ले आई ये कह कर कि "आइए बहन जी हम लोग अंदर बैठते है । ये लोग अपनी बातें करे, और हमलोग अपनी।"
आने के कुछ ही देर बाद नव्या और साक्षी ने पहले चाय और हल्का नाश्ता सभी को करवाया । सभी बात चीत करते रहे ।
तत्पश्चात नव्या ने मम्मी पापा के फेवरेट चीजों के साथ लंच भी
लगा दिया ।
बेहद खुशनुमा माहौल में सभी ने स्वादिष्ट लंच इंजॉय किया ।
काफी समय बाद नव्या का मिलना हुआ था मम्मी पापा से ।
उसे बहुत अच्छा लग रहा था । साथ मे ये शिकायत भी थी कि
"मम्मी पापा आप लोग थोड़ी ही दूरी पर रहते हो, पर कभी मिलने नहीं आते हो । क्या आपको मेरी याद नहीं आती ?" जवाब में दोनों की ही आंखे डबडबा गई । नवल जी ने जवाब में
नव्या का सर सहला कर कहा, "बेटी का बाप हूं ना बेटा रोज रोज तेरे दरवाजे नहीं आ सकता । चाहे कितनी भी तेरी याद आए ! मेरी विवशता तू नहीं समझ पाएगी बेटा। हमारा इस दुनिया में तेरे सिवा है ही कौन ? तू याद की बात करती है हम तो जीते ही तेरे लिए है ।"
माहौल इमोशनल होने लगा तो शांतनु जी बोले, "अरे !! नवल जी आप कैसी बातें कर रहे है ? ये भी तो आप का ही घर है ।
और अपने घर आने मै कैसा संकोच । मुझे नहीं पता था कि आप इतना पराया समझते है हमें ! आप जब दिल करे चले आइए। "
चलने से पहले नवल जी ने बात छेड़ने की कोशिश की । शांतनु जी ने जिस बात के लिए उन्हें बुलाया था वो बात किए बिना कैसे जा सकते थे !
नवल जी ने नव्या से पूछा, "नव्या तुम्हे कब ज्वॉइन करना है ? डेट नहीं आई या नहीं । अब तक तो आ जाना चाहिए था।"
"पापा डेट तो आ गई है, पर मुझे ज्वॉइन नहीं करना । मैंने डिसाइड किया है कि मै आर्मी ज्वॉइन करूंगी । "नव्या ने जवाब दिया ।
नवल जी बोले, "ये क्या फैसला लिया है तुमने ! " और शांतनु जी की ओर देख कर बोले," आपने समझाया नहीं इसे की आर्मी से ज्यादा अच्छा है कि नव्या ' ग्राम विकास अधिकारी '
की नौकरी ज्वॉइन करे।"
"मैंने और नव्या की मां ने बहुत समझाया पर ये कुछ भी सुनने
को तैयार नहीं है । जिद्द पकड़ कर बैठी है कि बस आर्मी ही ज्वॉइन करनी है।अब आप ही समझाइए इसे की हमारी बात मान ले।" शांतनु जी ने कहा।
"नव्या ये मै क्या सुन रहा हूं तुम अपने मां पापा की बात नहीं मान रही हो । बेटा तुम इनकी बात नहीं मानोगी ऐसी मै कल्पना भी नहीं कर सकता।" नवल जी ने कहा।
अब नव्या को सब कुछ समझ में आ रहा था कि पापा को मार्केट में देर कैसे हुई और आज अचानक मम्मी पापा कैसे आ गए मिलने । ये पापा ने उस पर आर्मी ज्वॉइन नहीं करने दबाव बनाने के लिए नवल जी और गायत्री जी को बुलाया था।
नव्या बिल्कुल खामोश हो गई । उसे बिना किसी के भावनाओं को चोट पहुंचाए अपनी बात रखनी थी।
सब की निगाहें नव्या के ऊपर लगी थी कि उसका क्या जवाब होगा ?
क्या नव्या अपने मम्मी पापा की बात मानेगी ,? क्या होगा उसका फैसला । जानिए अगले भाग में।
आप सभी का अनमोल सहयोग देने के लिए सहृदय धन्यवाद।