अनकहा अहसास - अध्याय - 14 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनकहा अहसास - अध्याय - 14

अध्याय - 14

दूसरे दिन गगन कालेज पहुँच गया। और सीधे ऑफिस में गया।
शेखर अपने केबिन में था।
मे आई कम इन सर ? गगन ने पूछा
कम इन। प्लीज सीट। बताईये ?
सर मेरा गगन है।
ओ अच्छा आँटी ने फोन किया था। दिखाईये अपना बायोडाटा।
गगन ने अपना बायोडाटा आगे बढ़ा दिया।
ओ गुड। आपने तो पहले भी काम किया है कॉलेज में। ठीक है आप आज से ज्वाईन कर सकतें हैं मैं अपाईंटमेंट लेटर के लिए बोल देता हूँ।
ठीक है सर। मैं बाहर रूकता हूँ।
ठीक है।
गगन बाहर निकल कर काऊँटर पर गया और सभी के बारे में पूछताछ करने लगा।
हेलो मैडम।
हेलो।
आपका नाम क्या है मैडम ?
मालती।।
ओह मालती मैडम मैं यहाँ हिंदी विभाग में जॉइन कर रहा हूँ, और कौन-कौन काम करते हैं यहाँ ?
बहुत सारे लोग हैं यहाँ सर 150 का स्टाफ है। सबके बारे में बता नहीं पाऊंगी। आप बताईये आपको किसके बारे में जानना है।
चेयनमैन सर का नाम क्या है मैडम ?
अनुज कुमार। अभी आते ही होंगे।
और रमा मैडम करके काम करती हैं क्या यहाँ ?
हाँ करती हैं ना बॉटनी विभाग में है। बुलाऊँ उनको ?
नहींनहीं मैडम बुलाने की आवश्यकता नहीं है मैं स्वयं जाकर मिल लूँगा। तभी उसका अपांइटमेंट लेटर आ गया और वो उसे लेकर चला गया।
जब वो बॉटनी विभाग पहुंचा तो देखा दो लड़कियां बैठकर आपस में बात कर रहीं है। एक तो बहुत आकर्षक और खूबसूरत नजर आ रही थी। वो उसे देखते ही रह गया, ये रमा थी। ऩज़दीक जाकर उसने दोनों को नमस्ते किया।
बैठिए। आप कौन हैं ? माला बोली।
जी मेरा नाम गगन है, मैंने हिंदी विभाग में ज्वाईन किया है।
बढ़िया। आपका स्वागत है। माला बोली।
आपका नाम क्या है ?
मेरा नाम माला है सर।
और इन मैडम का नाम ?
मेरा नाम रमा है सर।
मुझे सर मत बोलिए। हम लगभग हम उम्र है आप लोग मुझे गगन कह सकतें है।
अच्छा गगन कहाँ के रहने वाले हो ? माला ने पूछा
यहीं नजदीक के शहर का हूँ माला। वही से पढ़ा हूँ और बस जॉब के सिलसिले में यहाँ आया हूँ।
तुम कहाँ की हो रमा। मैं भी पास के ही शहर की हूँ। बस मैं भी नौकरी के लिए यहाँ आई हूँ।
अच्छा तो रहती कहाँ हो मेरा मतलब है मुझे भी वहीं आसपास घर किराए पर मिल जाता तो अच्छा होता।
मैं तो स्वर्ण भूमि सोसाईटी में रहती हूँ तुमको वहाँ पता करना हो तो वहाँ के चेयरमैन से बात कर सकते हो।
अच्छा ठीक है तुम मुझे उनका नंम्बर दे दो मैं बात कर लूँगा। यह कहकर गगन वहाँॅ से बाहर निकला और मिसेस अनीता को फोन किया।
आँटी नमस्ते।
हाँ गगन। बोलो।
आपके सुपुत्र महोदय तो पक्का उसी लड़की के लिए यहाँ आए हैं।
कौन रमा के लिए।
हाँ आँटी। वो यही बॉटनी विभाग में काम करती है और शहर में अकेले फ्लैट लेकर रहती है
तो फिर तुम भी उसके घर के आसपास ही घर ले लो और नजर रखो उस पर। संभव हो तो उससे दोस्ती करो और अलग करो उन दोनो को। ये लड़का तो पागल है उस लड़की के पीछे। पता नहीं कौन सी जड़ी बूटी खिला दी है लाखों रूपए लगाकर कॉलेज का चेयरमैन बन गया है। ठीक है तुम मुझे बताते रहना। कहकर मिसेस अनीता ने फोन रख दिया।
और अनुज वो तो वाकई में रमा के लिए पागल था रमा को परेशान करके उसको पता नहीं क्यूँ संतुष्टि होती थी। परंतु रमा की बेहोशी वाली घटना के बाद से उसका मन थोड़ा सकारात्मक हुआ था, पर अभी भी वो चाहता था कि रमा उसके जीवन में किसी तरह वापस आ जाए। वह घर में सोफे पर बैठकर उसी के विषय में सोच रहा था। आज वो रमा को देख नहीं पाया था तो थोड़ा ज्यादा बेचैन था।
क्या हुआ भैया आप थोड़ा ज्यादा बेचैन नजर आ रहे हैं। मधु ने अनुज को बेचैन देखकर पूछा।
कुछ नहीं मधु बस ऐसे ही। अनुज बोला।
मैं समझ रही हूँ भैया। कल से आप रमा को देखे नहींहो ना इसलिए परेशान हो रहे हो।
ऐसी कोई बात नहीं है मधु।
मुझे लगता है भैया आप उसके लिए कुछ ज्यादा ही रूडहो गए हो।
क्यों तुमको ऐसा क्यों लगता है ?
क्योंकि आप उससे अच्छा व्यवहार नहीं करते हो।
जैसा मुझे उचित लगता है वैसा मैं करता हूँ।
पर ये उचित नहीं है भैया। अगर उसकी कोई मजबूरी होगी तो उस बात का आपको सम्मान करना चाहिए।
उसे किस बात की मजबूरी मधु। उसके माता-पिता तो वैसे भी शादी के लिए तैयार थे। और यदि कोई मजबूरी है भी तो मुझे बताने में क्या हर्ज है।
होगी कोई मजबूरी जिसको वो आपको भी नहीं बता पा रही है तो इसका मतलब ये नहीं कि आप उसको बार-बार धोखेबाज कहतें रहे। ये सरासर गलत है भैया। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। आप उससे अच्छा व्यवहार करिए हो सकता है इससे प्रभावित होकर वो वापस आपके जीवन में आ जाए। या फिर भरोसा हो जाने पर वो अपनी मजबूरी आपको बता सके। कुछ तो आप ऐसा करिए कि वो आप पर भरोसा कर सके और अपनी मजबूरी आप को बता सके।
शायद तुम ठीक कहती हो मधु। मैं व्यर्थ ही अपना गुस्सा उस पर निकाल रहा था। मैंने कभी उसके पक्ष में होकर तो सोचा ही नहीं। उसकी यदि कोई मजबूरी होगी तो मेरे इस तरह के व्यवहार से उसे कितनी तकलीफ हो रही होगी।
आप एकदम सही कह रहे हो भैया। आप उससे दोस्ताना व्यवहार क्योंनहीं रखते। शायद इससे वो अपने मन की बात आपको बता दे।
ठीक है मैं कल से इस बात का ध्यान रखूँगा और प्रतीक्षा करूँगा कि वो मुझसे अपने मन की बात कह सके। चलो मैं जाकर आराम करता हूँ। तुम भी आराम करो गुड नाइट।
गुड नाइट भैया। यह कहकर दोनो अपने रूम में चले गए।
बेड पर जाकर भी अनुज इधर उधर पलटने लगा। उसके मन को कौन समझाए। रमा को एक बार देख लेने की उत्कंठा में उसका सिर धीरे-धीरे भारी होने लगा और यह कब माईग्रेन में बदल गया उसको पता ही नहीं चला। वो एक प्रकार की पीड़ा से व्यथित होने लगा।
सुबह जब मधु उठी तो देखा अनुज तो अभी भी सो रहा है तो वो उसके बेडरूम में चली गई जाकर उसने आवाज दी।
अनुज भैया उठिए।
पर उसने कुछ जवाब नहीं दिया।
मधु जाकर उसके नजदीक बैठ गई और उसके हाथों को टच किया।
हाथ एकदम गर्म था। फिर उसने अनुज के माथे को टच किया। वो भी एकदम गर्म था। वो चिंतित हो गई। उसको मालूम था कि अपनी बेचैनी की वजह से अनुज अपनी तबियत खराब कर रहा था। इसलिए डॉक्टर को फोन करने से पहले उसने रमा को फोन लगाया।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।