अर्थ पथ - 10 - उद्यमिता और मातृ शक्ति Rajesh Maheshwari द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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अर्थ पथ - 10 - उद्यमिता और मातृ शक्ति

उद्यमिता और मातृ शक्ति

आज उद्योग जगत में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। उनमे स्वावलंबन एवं आत्मनिर्भरता के कारण वे अब अबला नही सबला के रूप जानी जाती है। अनेक महिलाओं ने उद्योग एवं नौकरी के क्षेत्र में अपने कीर्तिमान स्थापित किये है।

वर्तमान प्रस्पिर्धा के युग में शासकीय नीतियों के कारण उद्योग एवं व्यापार को चलाना एक चुनौती है। हम इसमें सफल या असफल कुछ भी हो सकते है। हमें अपनी जमा पूंजी से उतना ही धन किसी भी उद्योग या व्यापार में लगाना चाहिए ताकि असफल होने पर यदि धन डूब भी जाए तो भी हमारी परिस्थितियों का खर्चों पर कोई विपरीत प्रभाव न पडे। जो भी व्यक्ति उद्योग या व्यापार में सफल होते है वे समाज को रोजगार उपलब्ध कराते हैं। राष्ट्र के आर्थिक विकास में सहभागी बनते है। कर्म को धर्म मानकर सुखी और समृद्ध जीवन व्यतीत करते है।

यदि हम मजदूरों से अधिकतम श्रम की अपेक्षा करते हो तो हमें अपने उत्पादन विभाग में प्रोत्साहन राशि की योजना को लागू करना चाहिए। हमारे द्वारा निर्धारित उत्पादन से अधिक उत्पादन होने पर यह प्रोत्साहन राशि तुरंत प्रदान कर देना चाहिए जिससे उनमें उत्साह बना रहता है और वे अधिकतम उत्पादन के लिए प्रयासरत हो जाते है। किसी भी उद्योग में उत्पादन क्षमता का अधिकतम उपयोग करना चाहिए। यदि हम क्षमता से कम उत्पादन करते है तो स्थायी खर्च लागत में बहुत ज्यादा बढ जायेंगे और कारखाने का अपेक्षित मुनाफा कम हो जायेगा। यह किसी भी उद्योग के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

म.प्र. की सरल, सौम्य एवं समर्पित महिला श्रीमती पुष्पा बेरी ने अपने दृढ संकल्प एवं अपने अथक प्रयासों से जरूरतमंद महिलाओं के हित में जो कार्य किया है वह प्रशंसनीय एवं वंदनीय है। उन्होंने सहकारिता के क्षेत्र में लिज्जत पापड का उत्पादन करके आज लगभग 3500 महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाकर उन्हें स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने की दिषा में गति प्रदान की है। देश में सहकारिता के क्षेत्र में गुजरात के अमूल उद्योग के समान ही लिज्जत पापड के निर्माण ने भी अपनी अलग पहचान बनाई है। इतनी अधिक संख्या में महिलाओं से कार्य करवाना और उनका लेखा जोखा रखना अपने आप में चुनौती है। संस्था को प्राप्त शुद्ध लाभ में से शतप्रतिशत राशि इन महिलाओं को उनके कार्य के अनुसार बांट दी जाती है। अभी तक संस्था के द्वारा 80 करोड़ से भी अधिक राशि बोनस के रूप में संस्था में कार्यरत महिलाओं को दी जा चुकी है। संस्था बेवजह के फिजूलखर्ची को नियंत्रित करके कहीं पर भी अपना विज्ञापन नही देती है।

श्रीमती बेरी का सिद्धांत है कि जो काम करे वही मालिक, जितनी मेहनत करो उतने लाभ के हकदार बनो। आज बेरोजगारी को हटाना और मानव शक्ति का समुचित उपयोग करना हमारे देष की वर्तमान आवश्यकता है। मशीनों से आधुनिकीकरण उतना ही करना चाहिए जिससे उत्पादन में गति एवं गुणवत्ता आ सके। जीवन में सफलता तभी प्राप्त होती है जब आत्मविष्वास, कडी मेहनत एवं ईमानदारी का साथ हो। आज युवा पीढी को किसी भी उद्योग के प्रारंभ करने से पहले उसकी गहराई तक उसे स्वयं पहुँचना होगा। यदि आप पानी के किनारे बैठकर तैरना चाहेंगे तो यह संभव नही है, आपको कूदना ही पडता है। वे युवा पीढी को अपना संदेश देती है कि हमारा उद्देश्य देश और समाज के हित में काम करना होना चाहिए। देश में करोडों जरूरतमंद लोग है जिनके सुख के लिए हम चुनौतियों को स्वीकार करते है और इसी से हमें मन की षांति प्राप्त होती है। यदि हमारे पास धन है किंतु शांति नही है तो वह धन हमारे किसी काम का नही हैं। उनका कथन है कि आपको आपके दो हाथ ही मंजिल तक ले जा सकते है। कभी भी दूसरों से यह अपेक्षा मत करो कि वे तुम्हें मंजिल तक ले जायेंगे। लिज्जत पापड गृह उद्योग स्वरोजगार के माध्यम से आगे बढने के इच्छुक लोगों की मदद करने हेतु सदैव तैयार है और इसके लिए संस्था अपना तकनीकी सहयोग निशुल्क देने के लिए सदैव तत्पर है।

सुनीता नाम की एक महिला उद्यमी थी जिसने बहुत कठिन परिश्रम कर अपने रेडीमेड गारमेंट के व्यवसाय को उन्न्ति के शिखर पर पहुँचाया था। उसका कथन है कि किसी भी उद्योग में आगे बढने के लिए जीवन में उतार चढाव आते ही रहते है, हमें उनसे विचलित न होकर अपने धैर्य एवं बुद्धिमानी से उन पर विजय प्राप्त करना चाहिए। वे सभी के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत थी एवं उनका चयन स्थानीय चेंबर आफ कामर्स के द्वारा सर्वश्रेष्ठ महिला उद्यमी के पुरूस्कार हेतु किया गया था।

वह नियत तिथि पर अपना पुरूस्कार लेने पहुँची। वहाँ का पूरा सभागृह खचाखच भरा हुआ था, वह अपना नाम पुकारने पर मंच पर पुरूस्कार हेतु आगे बढ़ी परंतु अचानक उनका पैर मुड़ जाने के कारण वह मंच पर अकस्मात् ही गिर गयी। वह तुरंत ही उठकर खडी हुयी और इसके पहले वह हँसी की पात्र बनती माइक के पास पहुँच कर बोली कि मैं आयोजकों के प्रति बहुत आभारी हूँ जिन्होने मेरा चयन इस पुरूस्कार हेतु किया है, मुझसे कई लोगों ने पूछा कि मेरी प्रगति का क्या राज है ?

मैंने अभी गिरकर और उठकर सांकेतिक रूप में इस प्रश्न का जवाब देने का प्रयास किया है। मैंने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे हैं, और जीवन में उन्न्ति करने के लिये कई बार गिरी हूँ और वापिस उठकर और भी अधिक लगन और परिश्रम से लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ी हूँ यही मेरी सफलता का राज है। जीवन में परेशानियाँ तो आती ही हैं और हमें इनका दृढ़ता पूर्वक मुकाबला करना चाहिये एवं विचलित नही होना चाहिये। जीवन में चुनौती और संघर्ष के बिना हमारा विकास संभव नही है। उनके प्रेरक विचारों को सुनकर सारा सभागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो उठा और उसने अपना पुरूस्कार ग्रहण किया एवं धन्यवाद देती हुयी चली गई।