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अर्थ पथ - 7 - सफलता की पृष्ठभूमि

सफलता की पृष्ठभूमि

उद्योग, व्यापार एवं नौकरी में यह अंतर होता है कि उद्योग और व्यापार के माध्यम से असीमित धन कमा सकते है परंतु नौकरियों में एक सीमा तक ही धनोपार्जन हो सकता है। उद्योग और व्यापार में जो सफल होते है वे देश के लिए नौकरियों के अवसर प्रदान करके आर्थिक विकास में सहभागी बनते है। वर्तमान में शासकीय व्यवस्थाओं के कारण उद्योग एवं व्यापार को चलाना एक चुनौतीपूर्ण काम है। आप इसमें सफल या असफल कुछ भी हो सकते हैं। अपनी संचित पूंजी से उतना ही धन उद्योग या व्यापार में लगाइये जो असफल होने पर डूब भी जाए तो आपकी परिस्थितियों एवं खर्चों पर कोई विपरीत प्रभाव न पडे।

सरकारी एवं निजी तंत्र में मशीनीकरण एवं आधुनिकीकरण के कारण नौकरियेां के अवसर प्रतिवर्ष कम होते जा रहे है। देश में बेरोजगारी समाप्त करने के लिए तेजी से औद्योगिक एवं व्यापारिक विस्तार ही एकमात्र विकल्प है। यदि इस दिशा में सही कदम, सही सोच और सही माध्यम से हम आगे बढे तो हमारी युवा पीढी आर्थिक रूप से संपन्न हो सकती है। आज केंद्रीय शासन करोंडो रूपये प्रतिवर्ष स्वरोजगार हेतु योजनाओं के क्रियान्वयन में खर्च कर रही है परंतु इसके हितग्राहियों द्वारा नियमित उत्पादन के विक्रय के लिए कोई भी शासकीय माध्यम नही है। इसके कारण वे प्रतिस्पर्धा में बडी कंपनियों के आगे टिक नही पाते और उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। देश में नौकरियेां के अनेक सुअवसर उपलब्ध है परंतु आपकी आवश्यकता उसके अनुरूप अपने आप को मानसिक एवं वैचारिक रूप से बदलने की है।

हमारा देश प्राचीनकाल से ही उद्योग एवं व्यापार में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। हमारे यहाँ शून्य का अविष्कार कर विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाया था। किसी भी उद्योग या व्यापार को सफलता पूर्वक चलाने के लिए हमें सजग रहकर त्वरित निर्णय लेना पडता है। ईश्वर के प्रति समर्पण और विश्वास रखकर अपने व्यापार एवं उद्योग की समृद्धि की कामना मन में रखनी चाहिए। ईश्वर के प्रति हमारे मन में सच्ची आस्था हो तो स्वमेव ही उद्योग और व्यापार की कठिनाईयां समाप्त होकर सफलता की ओर अग्रसर होगें। आज किसी भी उद्योग या व्यापार में धन कमाना आसान नही है। सफलता प्राप्त करने के लिए वर्तमान समय की स्पर्धा को ध्यान में रखते हुए असफलता के विषय में पहले से गंभीरता पूर्वक विचार कर लेना चाहिए यदि हम असफलता पर प्रहार करना जानते हो तो सफलता अपने आप ही प्राप्त होगी। किसी भी व्यापार केा करना एक सकारात्मक प्रयास है, इसके साथ ही नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करना भी आवश्यक है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारे प्रतिस्पर्धी हमें सरलता से सफलता प्राप्त नही करने देंगे। हम सजग रहकर अपने प्रयासों से उन्हें प्रभावहीन बनाकर ही व्यापार में स्थापित हो सकते है।

किसी भी व्यापार में कर्ज और पूंजी में समन्वय होना चाहिए चाहे वह कर्ज आपने बैंक या निजी संस्थानों से ही क्यों ना लिया हो। हमें पूंजीगत निवेश को कार्यकारी पूंजी से हमेशा अलग रखना चाहिए ताकि व्यापार को अर्थाभाव का सामना नही करना पडे। अधिकांश व्यापारियेां की असफलता का यही एक प्रमुख कारण रहता है। किसी भी उद्योग या व्यापार में संचालन गणित का खेल है और यदि आप इसमें पारंगत है तभी उद्योग या व्यापार को सफलता पूर्वक चला सकेंगे।

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