मुक्म्मल मोहब्बत - 10 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मुक्म्मल मोहब्बत - 10


मुक्म्मल मोहब्बत -10


"मौत सरसराती हुई आये और आपसे अठखेलियाँ खेलने लगे.जिदंगी हाथ से रेत सी फिसलने वाली हो.इस खौफनाक मंजर से हम रूबरू हो रहे हों.तब ,अगर कोई सफेद बादल सा हमें अपने आगोश में ले ले.और फिर हम जिंदगी की दहलीज पर खड़े हों-एक नई जिदंगी हमारे आगे खडी़ मुस्कुरा रही हो-तब हमें जिदंगी देने वाला वह शक्स हमारे लिए खुदा नहीं बन जाता क्या ?"मधुलिका ने हाथ में पहने मोगरे के गजरे को चूमते हुए कहा. ऐसा लग रहा था कि आवाज उसके अंदर कहीं गहरे से आ रही है.


साथ ही लगा किसी साहित्यकार परिवार से होगी तभी इतने खूबसूरत शब्दों का प्रयोग कर रही है. मैंने उसके चेहरे पर नजरें गढ़ाते हुए पूँछा-"तुम कविताएं करती हो?"


"नहीं, मुझे कविताएं लिखना नहीं आता. लेकिन, सुदंर कविताएं पढ़ना और सुनना अच्छा लगता है."वह पलकें झुकाए गजरा सूंघने में मशगूल थी.

मैं उसकी खूबसूरती के साथ-साथ उसकी बुध्दि का भी कायल हो गया. आज यह बात गलत साबित है गई-हुस्न बड़ा नाजुक होता है. अक्ल का बोझ उठाया नहीं जाता.

उसे सिर से पाँव तक देखा मैंने उसे-पीली सरसों सी महक रही थी. हल्के पीले रंग की फ्राक पर हरे रंग की लेस.उसी से मैचिंग केप.सफेद मोजे के साथ हरे रंग के जूते.


"ओय! डियर रायटर ,मैं तुम्हें किसी पोईम की लाईन नहीं सुना रही हूँ."मुझे खामोशी से अपनी ओर ताकतें पाकर वह बोली.


"अंय..."मैं एकदम हड़बड़ा सा गया.


"डियर, लेपटॉप उठाओ और लिखना शुरू करो."वह लेपटॉप की ओर इशारा करते हुए बोली.


"हां,क्या लिखूँ?"मैंने लेपटॉप खोलते हुए कहा.

"मौत सरसराती हुई...."मैंने बताया था न!

उसने मुझे एक टीचर की तरह हड़काया तो मुझे हँसी आ गई. मैंने उसके बोले शब्दों को ज्यों का त्यों टाईप कर दिया.

"हां,हेडिंग क्या डाला?"उसने बड़ी -बड़ी आँखें झपकाकर पूँछा.

"मुक्म्मल मोहब्बत."मैंने तपाक से कहा.

"वेरी गुड !यू आर अ गुड ब्वॉय."उसने संतुष्टि से गर्दन हिलायी.

"ऑय एम ब्वॉय...."मैं ब्वॉय शब्द पर जोर देकर हँसा.


"यस,जेन्ट्स ब्वॉय, लेडीज गर्ल."उसने बड़े भोलेपन से कहा.


मुझे उसके भोलेपन पर बहुत तेज हँसी आ गई.
वह भी खुलकर हँसी. एक खनकती हुई हँसी .लगा -चारों ओर ढ़ेर सारी घंटियां एक साथ बज गई हो. फिर मेरे चेहरे पर नजर गढ़ाते हुए बोली-"बिल्कुल बादल की तरह हँसते हो.एकदम बिंदास."

"कौन बादल..."

"मेरा दोस्त.... नहीं बॉडीगार्ड..... नहीं खुदा..... शायद सब कुछ."वह इस तरह बोल रही थी जैसे आवाज उसके दिल से आ रही हो.

"ओह !तुम्हारे पापा ने तुम्हारे लिए बॉडीगार्ड रखा था."


"नहीं, बादल मेरा बॉडीगार्ड नहीं है. वह मेरे ही कालेज में मुझसे एक क्लास आगे है.मैं नाइन्थ में वह टेन्थ में .कालेज में गेम्स कंप्टीशन होने वाले थे.सभी स्टूडेंट्स गेम्स पीरियड में प्रेक्टिस कर रहे थे. मेरी क्लास मेट अनी ने जेवलिन फेंका. मैं उसे उठाने भागी.तभी बादल ने बीच में आकर अपना हाथ जेवलिन में मार दिया. फट गई उसकी हथेली .हाथ रंग गया खून से उसका."


कुछ रूककर उसने मेरी ओर देखा फिर बोली-"जानते हो उसने ऐसा क्यों किया?"

मेरे टाईप करते हुए हाथ रूक गये "तुम बताओ."

"अगर बादल ने अपना हाथ जेवलिन में न मारा होता तो जेवलिन मेरे सीने में घुसकर पार निकल जाता."कहते हुए उसकी आँखें नम हो गई.


"ओह,मॉय गॉड !"एक बार के लिए मेरा मुँह खुला रह गया.


"....और में बच गई."वह खोई -खोई सी बोली.


"बादल...सुपर हीरो."मैं बुदबुदाया.

"यस,डियर. सुपर हीरो. किसी की भी मुसीबत में अपना सीना आगे कर देने वाला. किसी के भी दर्द का घूंट भर लेने वाला. ऊपर वाले ने बॉडी भी उसको ऐसी ही दी है. अच्छी हाईट,गठा हुआ शरीर. सफेद बादल जैसा रंग,हवा जैसी फुर्ती. बड़ी-बड़ी गोल ,सर्चलाइट जैसी चमकीली आँखें....."

मैं हाथ रोक कर हँसा-"सर्चलाइट जैसी आँखें..... लिखूँ क्या?"


"हां...हां...उसकी पूरी बॉडी में उसकी आँखें ही सबसे सुपर हैं. अपनी सर्चलाइट जैसी आँखों से कुछ भी सर्च कर लेता है.खासकर किसी की प्रॉब्लम. और जानते हो स्वीट !. देखते ही देखते उसे सॉल्व भी कर देता है. पता नहीं कैसे...."कहते -कहते वह झील के पानी में खो गई.


मैंने चारों ओर निगाहें दौड़ाई. गहरा सिलेटी रंग पहाड़ियों से उतर कर झील की ओर बढ़ रहा था.धीरे धीरे यह सिलेटी रंग गहराने लगेगा और अँधेरे मे तब्दील हो जायेगा.

मैंने लैपटॉप बंद कर बैग में रख लिया और वोट किनारे की ओर ले जाने लगा.

मुझे पता था-मधुलिका को अंधेरा होने से पहले घर वापस जाना होगा.


क्रमशः