निद्रा....शरीर रूपी मकान का एक महत्वपूर्ण उपस्तम्भ Karishma Varlani द्वारा स्वास्थ्य में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • ऋषि की शक्ति

    ऋषि की शक्ति एक बार एक ऋषि जंगल में रहते थे। वह बहुत शक्तिशा...

  • बुजुर्गो का आशिष - 9

    पटारा खुलते ही नसीब खुल गया... जब पटारे मैं रखी गई हर कहानी...

  • इश्क दा मारा - 24

    राजीव के भागने की खबर सुन कर यूवी परेशान हो जाता है और सोचने...

  • द्वारावती - 70

    70लौटकर दोनों समुद्र तट पर आ गए। समुद्र का बर्ताव कुछ भिन्न...

  • Venom Mafiya - 7

    अब आगे दीवाली के बाद की सुबह अंश के लिए नई मुश्किलें लेकर आई...

श्रेणी
शेयर करे

निद्रा....शरीर रूपी मकान का एक महत्वपूर्ण उपस्तम्भ

निद्रा शरीर रुपी मकान का एक महत्वपूर्ण उपस्तम्भ -

निद्रा के अधीन है 6 द्वंद

दोस्तों हम सभी जानते है आहार और नींद यह दो हमारी ज़िंदगी का अति महत्वपूर्ण हिस्सा हैं इन दोनों का मात्रा पूर्वक होना हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण योग़दान अदा करता है ।

यह दोनों ही मात्रा पूर्वक हो तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बखूबी बनी रहती है वरन यही अनेकों रोगो का कारण भी होते है
यहां तक कि आयुर्वेद के सिद्धांतों के हिसाब से हमारा अमात्रा पूर्वक लिए हुए निद्रा व आहार हमारे अत्यधिक मोटापे तथा ज़रूरत से ज़्यादा दुबले होने में भी हिस्सेदारी रखते हैं।

जब प्रमाण का ज्ञान इतना अधिक आवश्यक है तो जानते है कि निद्रा का असल प्रमाण क्या हो?

आधुनिक विज्ञान व हुए शोध के अनुसार 12 वर्ष तक की आय तक अमूमन प्रतिदिन 10 घण्टा ,45 वर्ष तक की आय के व्यक्ति के लिए 7 घण्टा तथा ततपश्चात 6घण्टा की निद्रा महत्वपूर्ण है।।

मात्रा में ली हुई यह निद्रा हमें 6 गुणों तथा यही निद्रा जब अमात्रा पूर्वक ही जाती है तो 6 हानिकारक कारणों की निदान बन जाती है। अतः कहा गया है कि निद्रा के अधीन 6 द्वंद होते हैं।

1) सुख -दुःख = जब हम स्वास्थय के विषय मे बात करते है तो सुख से अर्थ आरोग्य व दुख से अर्थ रोग ग्रस्त होना लिया जाता है। सम्यक तरह से ली हुई निद्रा हमारी आहार का सही तरह से पाचन कर हमें उपहार में एक अच्छी प्रतिरोधक क्षमत्व को प्रदान करती है। वही जब निद्रा अत्यधिक या अति न्यून हो जाये तो हमारा भोजन पाचन भी असंतुलित होने से हमारी रोग प्रतिरोधक भी कम हो जाती है और ऐसे में हमे अनेकों हाइपरसेंसिटीवी डिसॉर्र्ड्स (एलर्जिक) का सामना करना पड़ता है ।

2) पुष्टि व कार्श्य- सम्यक निद्रा हमारे शरीर के ढांचे को भी सन्तुलित रखती है मात्रा से अधिक ली हुई निद्रा मोटापा व तदनन्तर अनेको लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर का कारण होती है। ज़रूरत से कम ली हुई निद्रा हमे दिन प्रतिदिन कृश करती जाती है ।

3) बल व अबल - जब आहार का सही पाचन हो जाता है तो हमे बल की अन्यथा अबल की अनुभूति होती है।

4) व्रषता व क्लैव्य -यही नही अपितु सम्यक निद्रा हॉर्मोन के स्तर को भी सही बनाये रखने में योगदान देती है वहीं कम या अधिक ली हुई निद्रा हॉर्मोन के असन्तुलित होने से होने वाले विकारो व ततपश्चात इनफर्टिलिटी की भी कारणभूत हो जाती है।

5) ज्ञान व अज्ञान - सम्यक निद्रा बुद्धि व स्मृति को सम्यक रख हमें ज्ञान की उत्त्पति कराते है यही कारण है की हमे अक्सर हमारे अभिभावक यह कहा करते है की परीक्षा से पहले अच्छी निद्रा ली जानी चाहिए। अन्यथा असम्यक निद्रा मोह स्मृति नाश जैसे अनेको रोगों को करने वाली होती है।

6) जीवन व मरण- सही निद्रा एक सुख पूर्वक जीवन देती है वही एक शोध के अनुसा एक व्यक्ति बिन सोये अधिकतम 11 दिन रह सकता है।


दिन में सोने का विधान -
आयुर्वेद के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति को मात्र ग्रीष्म ऋतु में ही दिन में सोना निर्देशित है।


कैसे हो अनिद्रा की चिकित्सा =
अनिद्रा का मुख्य कारण वर्तमान परिप्रेक्ष्य में तनाव है। इस हेतु आवश्यक है हम "बेड प्रेयर" की रीति का पालन करे।
सोने से पहले अपने अपने आराध्य को अपनी सम्पूर्ण चिंता सौंप दे तथा जो कुछ भी आपके पास है उसका शुक्रिया अदा करे ऐसा करने से आप बेफिक्र हो जायेगे तथा अगले दिन की शुरुआत एक नए उत्साह के साथ कर सकेंगे।

अति निद्रा की चिकित्सा में व्यायाम है कारागार-
व्यायाम हमारे शरीर को चुस्त कर देता है , व्यायाम से निकला हुआ स्वेद अनेक टॉक्सिन्स को भी बाहर कर देता है जिससे बारबार नींद आने की समस्या से निजात मिलती है। साथ ही व्यायाम से बढ़ा हुआ रक्त का प्रवाह मस्तिष्क को पर्याप्त आपूर्ति कर हमे जाग्रत अवस्था मे रखता है। साथ ही अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा और हमारा उदीर्ण सत्व हमे जाग्रत अवस्था देने के लिए आवश्यक है।


डॉ. करिश्मा वरलानी