चेक मेट - 12 Saumil Kikani द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चेक मेट - 12

Episode 12

शिवा ओर रघु देसाई को लेके अंदर घर मे आये तब उसके चेहरे पर एक गर्व से भरी मुस्कान थी और यह देख कर राठोड ओर सोलंकी चौंक गए लेकिन तुरंत ही स्वस्थ हो कर...

राठोड: (देसाई को देख के) आप की मुस्कान देख कर में यह कह सकता हु की हम सही रास्ते पे है।

देसाई: हा। रास्ता तो बिल्कुल सही है।

सोलंकी: (सवालिया नज़रो से) लेकिन??

देसाई: (गर्व से) लेकिन बहुत पीछे हो। नही पहोच पाओगे।

राठोड: वो सब हम देख लेंगे। बस हमे ये बताओ के तुम्हारा क्या रोल है इस कहानी में?

सोलंकी: हा ओर कैसे ओर क्यों सूमित को बचाया। हेल्प की।

देसाई: सूमित मेरा दामाद है।

यह सुन कर राठोड, सोलंकी, रघु ओर शिवा चौक जाते है।

राठोड: क्या? दामाद?

देसाई: सही सुना आपने। दामाद है मेरा। डॉ नेहा मेरी बेटी है।

सोलंकी: चाइला, क्या फेमेली है। दामाद कस्टम में रह कर के स्मगलिंग करता है, फिर उसी के सगरित को उड़ा देता है उसमें बाप ओर बेटी मदद करते है ओर से गर्व करते है।

रघु: ए भाऊ , तुज़्या डोका फिरात काय। अपने दामाद को कान के नीचे मार्के लाइन पे लाना चाइये न।

राठोड: रघु ये वख्त भाषण देने के ये ज्ञान देने का नही है।

देसाई: बिल्कुल। ये उड़ते पंछी के पर काटके पिंजरे में डाल ने का वख्त है। जो अब बहुत दूर उड़ ने वाला है या फिर उड़ चुका है।

राठोड तुरंत ही सोलंकी को देखता है और तुरंत ही सोलंकी अपना फोन निकाल के एक नम्बर डायल करता है ओवसमने वाले से कुछ बात करता है। फिर राठोड को देख कर "हो गया" वाला इशारा आंखों से करता है, यह देख कर ..

राठोड: एक बात बताओ। तुम इसमें कब ,कैसे ओर क्यों घुसे।

देसाई: पहले से ही था। जब ये प्लान बना तब से।

सोलंकी: कब से?

देसाई: 3 साल पहले से।

राठोड: मतलब तीन साल से ये नोटंकी लिखी जा रही थी। वाह साब , आपने तो अमीर खान को भी पीछे छोड़ दिया।

सब टोंट मरते हुए हस्ते है यह देख कर देसाई मुस्कुराता है और..

देसाई: जितने टोंट मारने है मार सकते है। क्यों कि सालो से मैने ओर मेरी फेमेली ने बहुत से टोंट सुने है। सुनते आए है। कोई फर्क नही पड़ता अब।

सोलंकी: कैसे टोंट? और किए लिए ?

देसाई: में, सूमित के पिता मनोहर जागीरदार ओर प्रदीप के पिता करसन पटेल हैम तीनो एक ही गाँव के है। मोरबी ।। गुजरात। तीनो बचपन के दोस्त थे।

यह सुन कर सब को फिर से धक्का लगा। लेकिन राठोड ओर सोलंकी को गन्ध आ चुकी थी कि कट हुआ हो सकता था ।

राठोड: फिर। किसने चु.%^ काटा तुम्हरा?

सोलंकी: ऑफकोर्स प्रदीप के बाप ने ही सर। इसी लिये तो तीन साल की प्लानिंग के बाद ठोक दिया उसको।

देसाई: हा। प्रदीप के बाप ने हमे एक आईडिया दिया था कि ब्याज का धंधा करना चाहिए। जिस से कमाई ज्यादा होगी। हमे भी ठीक लगा कि हां जरूरत होगी वो लेगा और ब्याज भी देगा। सब लिखित होता था। प्रॉपर पेपरवर्क के साथ। लेकिन..

सोलंकी: बस ये लेकिन ही सुन् ना है हमे।

देसाई: एक व्यापारी ने अपने धंधे के लिए हमसे 1लाख रुपया मांगा था और क्यों कि साल दो साल भर में हमने ब्याज से 3 एक लाख जमा कर लिए थे तो डरने में कोई दिक्कत नही थी। हर वख्त की तरह उस बंदे ने अपनी जमीन गिरवी रख कर लाख रुपया हमसे भयाज पे लिया (याद करते हुए) बस वही गलती कर बैठा।
करसन ने वो जमीन , जमीन दफ्तर के बड़े अफसर को पैसा खिलाकर अपने नाम कर दिया और एक गांजे के व्यापारी को कुछ 1 लाख में बेच दी। उसकी उस व्यापारी को या हमे तब तक बु नही आयी जब तक वो हरामी गाँव छोड़ कर यह भाग नही आया। हम तो ब्याज के हिसाब से पैसा लेते रहे और जब यह बात पता चली उस व्यापारी ने हम तीनों पर फ्रॉड का केस ठोक दिया। करसन तो भाग चुका था , हाथ मे आए मेयर मनोहर। उठा के फेक दिया जेल मे। कुछ 3 हफ्ते बाद पुलिस और व्यापारी को पता चला कि ये कारनामा सिर्फ करसन का ही था तो हमे छोड़ दिया लेकिन तब तक हमारी इज़्ज़त गाँव मे नीलाम हो चुकी थी। अब वहा धंधा करना मुश्किल था। और बचे भी बड़े हो रहे थे। या लिए हम यहां आ गए। दो उम्मीदों में।
एक हम उस कुते को पकड़ सके और गाँव वाला धंधा छोटे पैमाने पे ही सही या कर सके।

राठोड: मनोहर का क्या हुआ।?

देसाई: मुम्बई में जो बहाड आयी थी उसमें मनोहर ओर भाभी दोनों चल बसे।

सोलंकी: तो इतना टाइम क्यों लगाया प्लानिंग में। पहले भी कर ही सकते थे।

देसाई: पेट मे भूख की आग और कुछ नही सोचने देती। पहले पेट और सर के बारे में सोचा। जब लगा के बचचे भी सेट हो गए फिर ये प्लान किया।

राठोड: माना कि आप के साथ गलत हुआ तो क्या आप भी गलत करेंगे?

देसाई: में देसाई हु साब, गांधी नही।

राठोड: सूमित ओर नेहा कहा है?

देसाई: जहा उन्हें होना चाहिए। आपसे कोसो दूर।

सोलंकी: नही जा पाएंगे । अभी अपनी xuv में एरपोर्ट की तरफ निकले है। हेना?

देसाई: अच्छा नेटवर्क है। अच्छा लगा । लेकिन कोई फायदा नही है। try your best sir. मेरा रोल अब खत्म।

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Xuv में सूमित ओर नेहा बैठे है और car स्पीड से मुंबई के रास्तों को चीरते हुए जा रही है । सुबह के अभी 9 बजे थे लेकिन ट्राफिक काफि था जिस वजह से नेहा काफी टेंसन में थी लेकिन इसी वजह से सूमित खुश था। उसने खाकी के जाल से उड़ने के लिए कुछ सोच रखा था।

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क्या सूमित ओर नेहा पुलिस के हाथों में आएंगे। क्या राठोड ओर सोलंकी ये साबित कर पाएंगे कि प्रदीप की मोत एक्सिडेंट नही लेकिन हत्या थी।?

जान ने के लिए पढ़े 13 एपिसोड।