चेक मेट - 6 Saumil Kikani द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चेक मेट - 6

Episode 6

सोलंकी और राठोड मकान के पार्किंग एरिया में खड़े थे और अभी कुछ देर पहेले ही ambulance आयी थी और सुमित को ले के गई , एम्ब्युलन्स को जाते हुए दोनों देख रहे थे. ठंड की मौसम थी और अभी सुभह के 6:30 बजे थे.
(* वाचक को बता दे कि आगे हुई तमाम घटना के early morning भोर के 4 बजे से चल रही है जिसका सेतु अगले एपिसोड्स में भी आएगा)

(राठोड ने सोलंकी को घर में जाने का इशारा किया और दोनों प्रदिप के घर मे वॉपस आये , तब राठोड दुखी था लेकिन उस से ज्यादा भन्नाया हुआ था , जब कि सोलंकी को एक ही बात खोरे जा रही थी कि धमाका हुआ कहा से और कैसे? बारिश का मौसम तो है नही की पानी की वजह से या गर्मीयो में लोड शेडिंग की वजह से होने वाले ट्रांसफॉर्मर के धमाके हो। और अगर वो धमाका ट्रांसफॉर्मर का ही है तो भी इतना धुंआ तो आना नही ही चाहिए इसी लिए उसने उपर आते वक्त रघु ओर शिवा को इशारो से क्या करना है वो बता दिया था , ये सोच विचार चल ही रहे थे कि....)

राठोड: हमारे होते हुए भी कोई सुमित पे एटेक कर गया.

सोलंकी: धमाके ने गड़बड़ करदी। इतना धुंआ आया कि न में आप को देख पाया ना अजु बाजू के फर्नीचर को, कुछ हल्का भी दिखता तो उस हरामी को पकड़ के मार मार कर उसकी खाल निकाल कर अपन जुता बनाता।

राठोड:मेरा भी वही हाल था। न कुछ दिख रहा था न कुछ बुझ रहा था ऊपर से आंखों में जलन भी इतनी हो रही थी कि अभी भी थोड़ा थोड़ा पानी निकल रहा है।

सोलंकी को तुरंत कुछ समज में आया और आदत से मजबूर उसके मुंह से एक गाली निकली..

सोलंकी: मा की आंख.. टियर गेस. धमाका किसका हो सकता है वो कुछ ही देर में शिवा ओर रघु पता लगा लेंगे लेकिन धुंआ श्यमभर टके टियर गेस का ही है, आंखों में अब तक जलन, कुछ भी ना दिखना , तीखी खासी, और अब तक हम दोनों का सर चकराना ... हम किसी के सर्वेलन्स में है सर.

राठोड: यस, सोलंकी, यू आर राइट. हम पर कोई नज़र रखे है?

सोलंकी: सिर्फ हम पर??

राठोड: (तुरंत ही चोंक जाता है) F@#$... सुमित..

सोलंकी: हा सर. क्यों कि ये केस जितना पेचीदा है उतना ही सुमित भी है , वही तो बता रहा था और ये सब हुआ।

राठोड:( याद आते ही) हा, तुम कुछ कह रहे थे सुमित के बारे में? क्या पेचीदगी है?

सोलंकी: सुमित और प्रदीप दोनों इस सिंडिकेट का हिस्सा थे।

राठोड: (एक दम शोक हो जाता है) क्या?? सुमित भी?

सोलंकी: इसि लिए तो, प्रदीप ओर सुमित दोनों पे हमला हुआ। प्रदीप को तो उसके पेसमेकर से उड़ा दिया किसी तरह लेकिन सुमित पे दो बार ट्राई हुआ। इस बार का पता नही बचेगा या नही।

राठोड: उसे बचना ही होगा सोलंकी, he must live. नही तो गुलाम का गला हाथ मे आते आते छूट जाएगा।

सोलंकी: मला माहित है सर, और में भी चाहता हु की गुलाम पकड़ा जाए।

राठोड: ये , सुमित का इंवॉलमेन्ट का कैसे पता चला?

सोलंकी: फिरदौस से।

राठोड: what? फिरदौस? वो तो उसका इंफॉर्मर्स है ना?

सोलंकी: बिल्कुल , लकिन उस ने उतना ही कहा उसे फोन पे जितना हमने उसे कहे ने को बोला। क्यों कि तिवारी और शिवेंदु एक ही खबर लेके आये की सुमित सिंडीकेट का हिस्सा है तो में चोंक गया और जब पता चला की कालरा ही गुलाम है वो इन्फॉर्मेशन सुमित के फिरदौस ने दी तो मेरा Instinct मुजे कहने लगा कि फिरदौस और कुछ भी जानता है और् इसी लिए मेरे दो कॉन्स्टेबल्स गणेश और सुरति ने फिरदौस को उठाया और हमारी लेन्गवेज में पूछ और वो तोते की तरह बोलने लगा.

राठोड: मतलब जो भी कुछ फोन पे फिरदौस ने सुमित को बताया वो तुम जान चुके थे लेकिन सुमित भी इन्वॉल्व है वो भी जान चुके थे । और वो तुम मुजे यह आके उसके सामने ही बताना चाहते थे जिस से हम उसे और ट्रेप कर सके।

सोलंकी: जी सर।

राठोड: लेकिन जैसे ही तुम वो बात मुजे बताने लगे वही वो धमाका हुआ और ओर टियर गेस कही से छोड़ा गया ताकि सुमित को मार दिया जाए। जिस से प्रदीप की तरह सुमीत को भी जनके रास्ते से हटा दिया जाए। एक काम करो सोलंकी , तुमारे 4-5 फेलोऑफिसर्स को उस एम्ब्युलन्स के पीछे लगा दो। सुमित को एक स्क्रेच भी नही आनी चाहिए।

सोलंकी: जी सर। (केह कर अपना फोन लेता है और और सामने अपने ऑफिसर्स कों राठोड के दिया आदेश उसे देता है ) (कुछ सोचते हुए) सर लेकिन उसपे हमला हुआ कैसे? आप ओर में यह ही थे, कही हिले नही, हमे ही कुछ नही दिख रहा था तो आने वाले को तो क्या दिख होगा, ओर मान ले की वो स्मोक मास्क पहेन के आया होगा तो भी यही से गुजरा होगा , तो उसका एहसास भी क्यों नही हुआ।

राठोड: शायद हम पैनिक कर गए थे सोलंकी, इसी का फायदा उठाया उस ने।

सोलंकी: लेकिन सर , मारा कैसे। मतलब एक वो धमाके के अलावा कुछ सुना नही, कोई स्टेबिंग नही, कोई गला घोंटने का निशान नही..

राठोड: वो धमाका ही कवर था।

सोलंकी: मतलब , फायर हुआ लेकिन उस धमाके ने उसकी आवाज़ दबा दी।

राठोड: हा। यही हुआ होगा।

सोलंकी: सोरी सर, लेकिन वो सामने वाले बैडरूम में था। बेड रुम में कोई खिड़की नही पड़ती। तो कैसे सर?

राठोड: हम.. बात तो सही है सोलंकी। वहा ही कुछ हुआ है ? पर क्या और कैसे?

(उसी वख्त रघु ओर शिवा आते है और ..)

शिवा:(दोनों को देख कर) सर , शुद्ध प्लानिंग आहे।

सोलंकी: कसा प्लानिंग?

रघु: सर, इमारतीच्या बाजूला कोई ट्रान्सफॉर्मरवर लोखंडी साखळी फेकली, त्याचा कारण विस्फोट जाला।

शिवा: और सर, किसी ने नीचे से उपर की तरफ कुछ फेका हो ऐसा दिखा नही किसी को।

राठोड: अभी पोने सात ही हुए है कोई उठा भी नही होगा कैसे पता चलेगा अगर कोई आया भी होगा तो।

सोलंकी: आता काई करणार सर।

राठोड: कुछ तो मिलेगा। फिर से चेक करो। रघु ओर शिवा , फिर से सबको पूछो। बार बार पूछो। अलग अलग तरीके से पूछो। कुछ तो मिलेगा ही।

(उसी वख्त एक तरफ सोलंकी का कोल बजता है और दुसरी तरफ राठोड का भि फोन बजता है , दोनों अपना अपना कोल उठा कर बात करते है उस वख्त तक रघु ओर शिवा अपने काम कर ने केलिये जा चुके थे.. दोनों लोग फोन पर बात कर रहे है और कुछ सेकण्ड्स तक शांति छा जाती है और फिर दोनों शोक से एक दूसरे की ओर देखते हुए...)

सोलंकी: Sumit is no more..

राठोड( ठंडा पड़ जाता है .. फिर कुछ देर बाद थोड़ा स्वस्थ हो कर..) : Dr Neha too.

अब सोलंकी की बारी थी खून जम जाने की.
प्रदीप जो 400 करॉड की लेंडिंग का accuse था वो, जो उसका केस देख रहा था और जो उसका इस लेंडिंग में पार्टनर था वो सुमित और प्रदीप मर्डर केस में डॉक्टर की अपनी ड्यूटी निभाने वाली डॉ नेहा का भी खून हो गया। ये केस किस दिशा में जा रहा था ये इन दोनों मेसे किसी को पता नही था। लेकिन एक आदमी के अलावा।