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फिर कौन था वो? - 4 - अंतिम भाग

फिर कौन था वो?

शिल्पा शर्मा

(4)

अब तो मीता और सिमरन दोनों ही डर और घबराहट से कांप रहे थे.
‘‘तुमने भी देखा... देखा था... ना... सिमरन प्रशांत को? कहीं उन्हें देखना मेरी आंखों का भ्रम तो नहीं था?’’
‘‘हां... हां मीता... हां... मैंने अपनी आंखों से देखा था. हम दोनों को एक साथ भ्रम नहीं हो सकता. ओह गॉड... ओह गॉड... और फिर बाथरूम की लाइट और नल वो कैसे चल रहे थे?’’
दोनों अभी बात कर ही रहे थे कि मीता का मोबाइल फिर बजा. प्रशांत थे.

‘‘मीता... मीता... तुम क्या कह रही थीं? मैं वहीं हूं? ये कैसे हो सकता है? तुम सेफ़ तो हो ना?’’
‘‘हां, मैं ठीक हूं... पर मैं तुम्हें कैसे बताऊं प्रशांत... और मैं अकेली ही नहीं थी. सिमरन... सिमरन थी... उसने भी तुम्हें देखा और... और...’’
‘‘तुम मेरे बारे में ज़्यादा सोचती हो ना इसलिए तुम्हें ऐसा लगा होगा... नाउ लिसन टू मी. जस्ट रिलैक्स.’’
‘‘नहीं... प्रशांत... सिमरन ने भी...’’
‘‘सिमरन है वहां?तुम उससे मेरी बात कराओ. और सुनो, तुम आज या तो सिमरन के यहां रुक जाओ या उसे अपने साथ सोने कह दो... प्लीज़ अकेली मत रहना .नहीं तो मुझे चिंता रहेगी तुम्हारी... सिमरन को फ़ोन दो.’’
मीता ने फ़ोन सिमरन की ओर बढ़ा दिया.
‘‘हेलो प्रशांत, मीता सही कह रही है... हम दोनों ने आपको...’’
‘‘सिमरन आप कैसी बात कर रही हैं?’’ लगभग हंसते हुए आगे प्रशांत ने कहा,‘‘मेरे पंद्रह दिन दूर रहने से मेरी बीवी को इल्यूशन सा हो रहा है, पर आपको तो ऐसा नहीं होना चाहिए...’’
‘‘लेकिन हम दोनों सच कह रहे हैं... आप यक़ीन क्यों नहीं कर रहे हैं...’’
‘‘सिमरन आप ही कहिए यक़ीन करने जैसी बात हो तो करूं ना? अच्छा इसे छोड़िए मैं आपसे एक रिक्वेस्ट कर रहा था. कल तो मैं आ ही जाऊंगा, लेकिन जिस तरह मीता डरी हुई है मैं नहीं चाहता कि वो आज अकेली रहे घर पर. आप चाहें तो उसे अपने घर ले जा सकती हैं या फिर आप आज रात उसके साथ रुक जातीं तो अच्छा होता.’’
‘‘हां... हां... बिल्कुल प्रशांत. बस, करवा चौथ की पूजा के बाद. वैसे तो मैं और मीता दोनों ही पूजा करने जाएंगे.फिर अमन से कह दूंगी. मैं आपके यहां ही रुक जाऊंगी... लीजिए मीता से बात कीजिए...’’ यह कहते हुए सिमरन ने फ़ोन मीता को दे दिया.
‘‘सुनो मीता, आज अकेली मत रहना. सिमरन से कह दिया है वो रुक जाएगी तुम्हारे साथ. और हां, पूजा के बाद मुझे वीडियो कॉल कर लेना. ओके...’’
‘‘हां प्रशांत. इस तरह...अब... अब... अकेले तो मैं रह भी नहीं पाऊंगी... काश तुम आ जाते...’’
‘‘कल तो आ ही रहा हूं... सुबह तक की ही तो बात है जान. टेक केयर... ओके!’’
‘‘हां... कॉल करती हूं. पूजा के बाद.’’
फ़ोन रखते ही मीता ने कहा,‘‘सिमरन देखा था न तुमने भी?’’
‘‘हां यार... पर पता नहीं... अब कोई एक्स्प्लेनेशन भी तो नहीं है...’’
‘‘हां... लेकिन...’’
‘‘अरे अब छोड़ ये बातें... चल चांद आ गया होगा.पूजा की थाली ले, छत पर चलते हैं.’’
बुरी तरह से डरी हुई सिमरन ने ख़ुद टेबल पर से पूजा की थाली उठाई और मीता का हाथ पकड़ा और बोली,‘‘तुम चाबी ले लो घर की और चलो...’’

मीता तो जैसे कुछ समझ पाने की स्थिति में नहीं थी.तो जैसा सिमरन ने कहा उसने वैसा ही किया. सिमरन उसे अपने घर ले गई. वहां से पूजा की थाली लेकर दोनों छत पर चले आए. उनकी बहुमंज़िला इमारत की छत पर बहुत सी महिलाएं सजी-धजी अपने-अपने पतियों के साथ चांद के निकलने का इंतज़ार कर रही थीं. सिमरन ने एक हाथ में पूजा की थाली तो दूसरे में मीता का हाथ थामा हुआ था और वो सीधे अमन के पास पहुंची.
अमन उन्हें साथ देखकर मुस्कुराया,‘‘अरे चांद निकलता तो मैं फ़ोन कर देता ना... अभी तो आया नहीं है...’’
सिमरन बोली,‘‘हां, हम दोनों थोड़ा डरे हुए हैं तो सोचा हम ही यहां आ जाते हैं.’’
फिर सिमरन ने अमन को सारी बात बताई कि उन दोनों ने प्रशांत को देखा, लेकिन प्रशांत तो अभी आए ही नहीं हैं. उनकी बातें सुनकर अमन मुस्कुराते हुए बोला,‘‘अरे... मैं समझ गया. सुबह से बिना पानी पिए उपवास किया हुआ है ना इसीलिए कुछ का कुछ देख रही हो तुम दोनों. बस, चांद आते ही अर्घ्य दे कर खाना खा लेना.सब ठीक हो जाएगा.’’
सिमरन झल्ला गई,‘‘अरे बात वो नहीं है... न तुम समझ रहे हो, न प्रशांत मान रहा था... ’’
‘‘मानने जैसी बात हो तब तो माने कोई,’’ अमन ने कहा.
‘‘पर मैं और मीता डर रहे हैं और प्रशांत ने रिक्वेस्ट की है कि यदि आज रात मैं सिमरन के साथ रुक जाऊं तो अच्छा होगा...’’
‘‘हां, क्यों नहीं. आज रात की ही तो बात है,’’ अमन ने हामी दे दी.
पूजा कर के मीता, सिमरन और अमन नीचे उतरे तो सिमरन बोली,‘‘तू घर चल मीता. मैं चेंज करके और खाना खा के बस, आधे घंटे में आई.’’
मीता का एक मन हुआ कि कह दे मुझे नहीं जाना अपने घर. मुझे बहुत डर लग रहा है. फिर उसने घड़ी पर नज़र डाली तो देखा पौने दस बज रहे हैं. दस बजे तो प्रशांत की फ़्लाइट है. उसे वीडियो कॉल भी तो करना था. ये सोचते ही उसने सिमरन की ओर देख कर हामी में सिर हिलाया और अपने फ़्लैट में चली गई.
घर पहुंचते ही उसने प्रशांत को कॉल मिलाया. प्रशांत उसे देखते ही बोला,‘‘तुम बहुत सुंदर लग रही हो मीता. मुझे बहुत बुरा लग रहा है कि पहली करवा चौथ पर मैं तुम्हारे साथ नहीं हूं... पर... आई होप यू अंडरस्टैंड जान...’’
‘‘हां... हां... मुझे पता है तुम्हें भी उतना ही बुरा लग रहा है, जितना मुझे... पर कोई बात नहीं... अब जॉब तो नहीं छोड़ सकते है ना?’’ यह कहकर मीता हंस दी.
‘‘अरे तुम ग़ुस्सा कर लेती हो तो कम गिल्ट होता है, पर ये प्यार से बात मान लेती हो ना, अच्छी बच्ची की तरह तो मुझे बहुत गिल्ट हो जाता है.... सच!’’
‘‘अरे कल आ रहे हो ना, कर लूंगी ग़ुस्सा...’’ ये कहकर मीता फिर हंस दी.
‘‘सुनो, तुमने कुछ खाया कि नहीं? चलो मेरे सामने तोड़ो अपना व्रत...’’
मीता जल्दी से डायनिंग टेबल की ओर गई. थाली में खाना परोसा और प्रशांत के सामने ही थोड़ा-सा खाना खाया.
‘‘चलो मीता.अब रखता हूं. बोर्डिंग का टाइम हो गया.कल मिलते हैं... बाय जान... लव यू...’’

‘‘लव यू टू... लव यू लॉट्स...’’

मीता ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और मोबाइल सोफ़े पर पटक दिया.उसे एहसास हुआ कि वाक़ई उसे बहुत तेज़ भूख लगी है. उसने पहले तो जल्दी-जल्दी खाना खाया और फिर झटपट चेंज किया. अभी वो किचन समेट ही रही थी कि डोरबेल बजी. मीता कांप गई... उसे दो घंटे पहले घटी घटना याद हो आई. फिर उसने हिम्मत बटोरी. सोचा सिमरन होगी. उसने दरवाज़ा खोला. बाहर सिमरन ही थी. उसकी जान में जान आई.
‘‘अच्छा हुआ तू जल्दी आ गई,’’ सिमरन को देखते ही मीता ने कहा,‘‘आ जा...’’
‘‘हां, बस चेंज किया. अमन ने और मैंने खाना खाया और आ गई. तेरी बात हो गई प्रशांत से?’’
‘‘हां, बात भी हो गई और उन्होंने प्लेन भी बोर्ड कर लिया.’’
‘‘गुड... कल वो आ जाएंगे...’’ अभी सिमरन ये कह ही रही थी कि बात काटते हुए मीता ने कहा,‘‘हां, और तुझे अपनी ड्यूटी से छुट्टी मिल जाएगी. कल अपने पति के साथ सो पाएगी...’’ यह कहते हुए खिलखिला दी वह.
सिमरन भी मुस्कुरा दी. फिर बोली,‘‘अरे कुछ लोगों को अपनी ड्यूटी से कभी छुट्टी नहीं मिलती रे. यहां ख़त्म तो कहीं और शुरू...’’
‘‘भई मेरे यहां आज के बाद तुझे नहीं करनी पड़ेगी ड्यूटी...’’ मीता ने मुस्कान के साथ कहा.
‘‘हां, हां मुझे पता है... पता है कि तू बड़ी समझदार है... पर तुझे एक और बात बतानी है मुझे...’’
‘‘क्या?’’
‘‘अरे अंदर तो चल.बिस्तर पर लंब-लेट हो कर बताती हूं.’’
दोनों पड़ोसनें बिस्तर पर आ गईं.
‘‘हां, अब बता...’’ मीता बोली.
‘‘पता है, आज की घटना के बाद मुझे वो बात याद आई जो मेरी पहली मेड ने मुझे बताई थी.’’
‘‘किस घटना के बाद? कौन सी बात?’’
‘‘अरे वही. जो हमने देखा और जिसे अमन और प्रशांत मानने ही तैयार नहीं हैं. पता है मेरी मेड कह रही थी कि हमारे पड़ोस की जो बिल्डिंग है ना, उसकी बारहवीं मंज़िल पर एक कपल रहता था...’’
‘‘ऐSSSS सिमरन, रात को ऐसी बातें कर के तू मुझे डरा मत...’’
‘‘अरे, डरा नहीं रही हूं.और ये बात डरने वाली है भी नहीं. आगे तो सुन... उनकी शादी को दो-तीन साल ही हुए थे और बीवी कंसीव नहीं कर पा रही थी. जब उन लोगों ने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला समस्या बीवी को ही थी. तो वो डरने लगी कि कहीं उसका पति उसे छोड़ न दे...’’
‘‘फिर...’’ मीता को आगे जानने की उत्सुकता हुई.
‘‘हालांकि उसका पति उसे बहुत प्यार करता था. पर उसे न जाने क्यों अपने पति पर शक़ होने लगा. शायद अपनी कमी की वजह से. दोनों में आए दिन झगड़े होने लगे. पर वो अलग नहीं हुए. पत्नी ने कई बार अपने पति पर शक़ करते हुए कई आरोप भी लगाए, तलाक़ भी मांगा. लेकिन पति हर बार समझा लेता था... शायद अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था. पर पत्नी थी कि समझ तो जाती, लेकिन फिर वहीं लौट आती. एक दिन न जाने क्यूं पति का सब्र जवाब दे गया. उसने कहा,‘तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है तो लो मैं आज अपना जीवन ख़त्म ही कर लेता हूं. और वो अपने फ़्लैट की विंडो पर चढ़ गया. बारहवीं मंज़िल की विंडो. उसे चढ़ता देख उसकी बीवी उसे पकड़ने आई. वो उसे मना लेना चाहती थी. सोच रही थी कि अब बिल्कुल भी शक़ नहीं करेगी अपने पति पर. पर न जाने अचानक क्या हुआ कि अपने पति को पकड़ने की कोशिश में उसने और उसके पति दोनों ने संतुलन खोया और वहां से नीचे आ गिरे...’’
‘‘उफ़... कितना दुखद है!’’ मीता की आवाज़ में दर्द था.
‘‘हां... पर कहते हैं, उसके बाद से उसकी बीवी को आसपास की बिल्डिंग्स में देखते हैं लोग. ख़ासतौर पर उन कई लोगों ने देखा है, जिनके यहां कपल्स के बीच लड़ाई हो जाती है...’’ सिमरन यह कहते हुए मुस्कुरा दी और आगे बोली,‘‘शायद अपनी ग़लती किसी और को दोहराता देख वो कपल्स को समझाने आ जाती हो.’’
‘‘सिमरन... तू रात को मुझे और मत डरा. वैसे भी मेरे पति तो पिछले 15 दिनों से हैं नहीं. तो लड़ाई कैसे होती?’’ मीता की आवाज़ में डर भी था और शिकायत भी थी.
‘‘तो उससे पहले लड़ी होगी...’’ यह कहकर सिमरन हंस पड़ी.
‘‘ऐSSS चल... सो जाते हैं. नहीं तो तू तो मेरा दम निकाल के ही दम लेगी.’’
‘‘हां... हां, चल मुझे भी नींद आ रही है,’’ सिमरन ने जम्हाई लेते हुए कहा,‘‘और सुन, सुबह मुझे जल्दी जाना है घर. तुझे डिस्टर्ब किए बिना चली जाऊं तो डर मत जाना.’’
‘‘ज़रा-सी खटपट से मेरी नींद खुल जाती है यार. तू उठेगी तो नींद अपने आप ही खुल जाएगी.’’
दिनभर का निर्जल उपवास और उसके बाद खाना खाने के तुरंत बाद जैसी नींद आती है, बस वैसी ही नींद आ गई दोनों पड़ोसनों को. सुबह मीता की नींद डोरबेल बजने से खुली. उसकी नज़र बेड के ठीक सामने लगी घड़ी पर पड़ी. आठ बज चुके थे. उसने बिस्तर पर अपने बग़ल में नज़र डाली. सिमरन चली गई थी. उसे आज उठने में बड़ी देर हो गई ये सोचते ही उसे एहसास हुआ कि बाहर प्रशांत होंगे. तब तक डोरबेल दोबारा बजी. मीता झटके से उठी. दरवाज़ा खोला. प्रशांत ही थे.
‘‘अभी तक उठी नहीं हमारी बेग़म?’’ प्रशांत ने उसका उनींदा चेहरा देखकर कहा.
‘‘हां. बड़ी गहरी नींद आई. सिमरन भी कब चली गई पता ही नहीं चला.’’
‘‘चलो नींद अच्छी आई. मतलब डर तो निकल गया तुम्हारा...’’ प्रशांत अपना सामान अंदर लाते हुए बोले.
‘‘हां... चलो मैं चाय चढ़ाती हूं.’’
‘‘मैं समझ गया था, तुम सो रही हो...’’
‘‘कैसे?’’
‘‘वॉट्सऐप पर मैसेज किया था तुम्हें. एयरपोर्ट पर लैंड करते ही... पर तुमने देखा ही नहीं था.’’
‘‘ओह हां. कल तो तुमसे बात करने के बाद से तो मैंने फ़ोन देखा ही नहीं,’’ यह कहते हुए मीता ने सोफ़े पर पड़ा फ़ोन उठाया.
वॉट्सऐप पर दो बिना पढ़े मैसेज थे. एक प्रशांत का, जो सुबह-सुबह आया था और दूसरा सिमरन का. सिमरन का मैसेज? शायद जगान नहीं चाहती थी तो मैसेज डाल दिया होगा यह सोचते हुए मीता ने स्क्रोल किया तो उसका ध्यान गया कि सिमरन का मैसेज रात साढ़े दस बजे का है. वो एक सांस में मैसेज पढ़ गई ‘‘खाना खाते ही सिमरन को उल्टियां होने लगीं थीं. यहां पास के हॉस्पिटल में उसे दिखाया तो डॉक्टर ने कहा उसे डीहाइड्रेशन हो गया है. सलाइन लगा दी है. वो रातभर हॉस्पिटल में ही रहेगी. मैं सुबह आपको उसकी तबियत की ख़बर दूंगा.-अमन’’
ये पढ़ते ही मीता के हाथे से मोबाइल छूट कर फ़र्श पर गिर पड़ा. वो सिहर उठी और धम्म से सोफ़े पर बैठ गई. अब उसे ये अच्छी तरह समझ में आ रहा था कि कौन था वो, जो उससे बार-बार मिलकर उसे कुछ समझाने की कोशिश कर रहा था.

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