“राहुल मेरे बाबू अभी मुझे आकर सिया रेस्टोरेन्ट में मिलो मुझे तुमसे अभी मिलना है प्लीज बाबू” ये मैसेज राहुल के मोबाइल में आता है स्नेहा के नम्बर से। स्नेहा का मैसेज देखते ही राहुल भंवरे के तरह सिया रेस्टोरेन्ट खींचा चला जाता है जहाँ पर कान्स्टेबल बलबीर उसका इन्तेजार कर रहा होता है। एक टेबल पर राहुल जाकर बैठ जाता है और स्नेहा का इंतेजार करने लगता है। जब वह पूरी तरह से बलबीर और अन्य कान्सटेबलों द्वारा घेर लिया जाता है तो बलबीर उसके पास जाता है और उसे कॉलर से पकड़ के उठाता।
“ओ छोरे चुपचाप चलेगा तो फायदे में रहेगा वरना यहाँ से थाने तक रेहपटे लगाता हुआ ले जाऊँगा”- का.बलबीर
“कककककौन है आप ?मुझे कहाँ ले जा रहे मैंने क्या किया है?”- राहुल
“चल सब पता चल जावेगा तब तक तू बक बक मत कर”- का. बलबीर
बलबीर राहुल को लेकर थाने पहुँचता है जहाँ पर बहुत सारे व्यापारी हो हल्ला मचाये हुये होते है। वो सारे के सारे थाने का घेराव करने की कोशिश कर रहे होते है इंस्पेक्टर शिवानी बाहर आती है।
“नही चलेगी भाई नही चलेगी पुलिस गुँगा गर्दी नही चलेगी.......पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद मुर्दाबाद”- भीड़ से एक नेता व्यापारी
“रबि चोर नही व्यापारी है, पुलिस प्रशासन हाय हाय”- एक और भीड से व्यापारी
“देखिये आप लोग शान्त हो जाइये प्लीज हम जाँच कर रहे है हम जल्द ही किसी ठोस नतीजे पर पहुँच जायेंगे तब तक के लिये कापोरेट करे प्लीज”- इ. शिवानी
“मैडम हम आपको मात्र 24 घंटे का समय दे रहे रबि को या तो दोषी साबित कीजिये या उसे रिहा कीजिये नही हम आपको बता रहे हम शहर जाम कर देगें पूरा का पूरा और इसकी पूरी जिम्मेदार आप होंगी”- व्यापार मंडल अध्यक्ष
(हालांकि व्यापार मंडल द्वारा लगातार रबि की जमानत की कोशिशें की जा रही थी लेकिन पुलिस की चार्ज शीट इतनी मजबूत थी कि रबि को जमानत तो नही मिल रही थी और मिलती भी कैसे कोई अपना खड़ा भी नही था भाग दौड़ करने वाला बाकी नेता नगरी के लोग अपनी राजनीति चमका रहे थे।)
व्यापार मंडल के लोग धमकी देकर चले गये उधर राहुल को लेकर बलबीर थाने पहुँचता है लॉकअप में स. इ. विकास राहुल से पूछता है कि ये फोन उसे कहाँ से मिला। वह पहले तो कुछ नही बोला चुपचाप डरा सहमा सा बैठा था लेकिन जब बलबीर ने गुस्से में आकर उसे थप्पड़ मारे तो वो बोलने लगा
“मैंने ये मोबाइल माँ की अलमारी से चुराया था। ये फोन पूजा आन्टी का है पूजा आन्टी और माँ का उस रात खूब झगड़ा हुआ था माँ आन्टी को खूब गालियाँ दे रही थी और बाल पकड़ के खूब मारपीट की थी फिर सूबह में हम लोग नानी के यहाँ चले गये।” – राहुल
“तुम्हारी माँ और पूजा के बीच झगड़ा किस बात से हुआ था?”- स. इ. विकास
“ये नही पता सर मैंने कुछ नही किया प्लीज मुझे छोड़ दो”- राहुल
(राहुल का बयान सुनकर तो इ. शिवानी और स. इ विकास एक दम भौचक्के हो गये थे लेकिन अभी भी ये किलियर नही था कि पूजा की हत्या किसने की और झगडा किसी बात पर हुआ था। इं. शिवानी ने तुरन्त कान्सटेबल मोनी को लिया और सुशीला के घर के लिये रवाना हुई और उसे पूछताछ की बात कर के ले आयी। )
“क्यो मारा पूजा को? तुम्हारे लड़के ने तुम्हारे बारे में सबकुछ बता दिया है हमें तुम्हारी भलाई इसी में है कि खुद अपना जुर्म कुबुल कर लो। कम मार खाओगी वरना इतना मारेंगे तुम्हे कि तुम्हारा सारा सच खुल के आ जायेगा”- इ. शिवानी
( इ. शिवानी ने वास्तव में सुशीला पर एक तरह का जाल बिछाया था ताकी जो कुछ सच है वो बता दे ऐसा कह कर की तुम्हारी सारी सच्चाई राहुल ने बता दी । पहले तो सुशीला कुछ नही बोली लेकिन बाद जब पुलिसिया हाथ पड़े तो सारी अकड़ निकल गयी।)
“धोखा दिया था पूजा ने इसी लिये मार डाला साली को”- सुशीला
“कैसा धोखा ?”- इ. शिवानी
“साली प्यार का नाटक कर के मुझसे किराया माफ करवा ली और कुतिया माँ बनने जा रही थी रबि के बच्चे की और शादी करने जा रही थी इस लिये मार डाला साली को।”- सुशीला
(ये सुशीला के ये शब्द सुनकर इ. शिवानी और अऩ्य जो वहां मजूद थे उनके कान में ऐसा लगा जैसे किसी ने गर्म लावा पिघला कर डाल दिया हो। फिर जो सच था वो था। पुलिस की सख्ती के आगे सुशीला टूट गयी और उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया उसने बताया कि)
“पूजा अपनी बेटी के साथ मेरे मकान में रहने आयी थी उसका पति जेल में था वह बिल्कुल अकेली थी। उसको रबि ने मेरे मकान में रखवाया था वह रबि के यहाँ घरेलू काम किया करती थी। मेरा पति बाहर रहता था इस लिये मैं और पूजा अक्सर रातों को साथ में बैठकर बातचीत किया करते थे हमारे बीच बहुत नजदिकीयाँ आ गयी उसने मुझे बताया कि उसका पति जेल गया क्योंकि पूजा का फतेपुर में एक औरत के साथ प्यार वाला सम्बन्ध था। उस औरत के पति ने पूजा और उस औरत को एक साथ कुछ करते देख लिया और उल्टा सीधा पूरे गाँव में कहने लगा । पूजा ये सब देखकर रोने लगी और जिसके बाद उसके पति ने उस औरत के पति को मार डाला। मुझे पता नही चला कि कब मैं उसे प्यार कर बैठी। उसने मेरे साथ धोखा किया प्यार का नाटक करके मुझसे किराया माफ कराया। रात रात भर मेरे साथ रहती थी सेक्स करती थी और रबि को भी फंसाकर उससे प्रेगनेंट हो गयी उस रात जब मुझे पता चला कि वो प्रेगनेंट है तो मैंने गुस्से में उससे मारपीट की उसके पेट में बहुत मारा ताकि उसका बच्चा मर जाये । मुझे बहुत जलन हो रही थी। उसने मुझे धोखा दिया था। मैं अगले दिन अपने मायके चली गयी ताकि मेरी जलन और गुस्सा शान्त हो जाये लेकिन वो नही हुआ तो मैं दो दिन बाद शाम को वापस उससे मिलने आयी। मैं उससे सारी बोलकर उससे बच्चा गिराने को कहने लगी ताकि हमारा प्यार बना रहे लेकिन उस कुतिया ने माना कर दिया और बोली कि ये बच्चा रबि का है और मैं रबि से शादी करने वाली हूँ। ये सुनकर मेरा गुस्सा बहुत अधिक बढ़ गया और मैंने उसका तकिया से मुँह दबाकर मार डाला मेरा दिमाग काम नही कर रहा था उसकी बेटी खूब रो रही थी मैंने उसी समय उसे भी तकिया से दबा कर मार डाला और मायके वापस चली गयी।”
समलैंगिक सम्बन्धों के बारे में टीवी समाचारों एवं समाचार पत्रों में ही अभी तक थाने के लगभग सभी पुलिस कर्मियों ने सुना था लेकिन आज उनके ही थाने से समलैंगिक सम्बन्ध के चलते हत्या का मामला उजागर हुआ था सभी पुलिस कर्मी झटका खा गये थे। जैसे काटो तो खून नही वाली स्थिति सभी के साथ थी।
सुशीला के जुर्म कबूल नामा के आधार पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की जिसके अन्तर्गत धारा 201 सबूत मिटाना, धारा 302 साशय हत्या, धारा182 झूठे केस में किसी को फँसाना और 211 पुलिस को गुमराह करना एवं अन्य धाराओं के अन्तर्गत दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई।
सुशीला के पकड़े जाने के बाद रबि को इं. शिवानी ने अपने पास बुलाया जो कि एक दम गुमसुम था। इ. शिवानी उसे संत्वना देने की कोशिश करती है।
“रबि हमारी तुमसे कोई दुश्मनी नही थी केस में जो सामने था उसी के आधार पर पुलिस ने अपनी कार्यवाही की मुझे पर्सनली बहुत दुख है तुम्हारे साथ जो भी कुछ हुआ लेकिन तुम जिन्दगी नये सिरे से शुरू करो जो होना था वो तो हो गया।”- इ. शिवानी
“मैडम पूजा ने बताया था कि मैं बाप बनने वाला हूँ जैसे ही मैंने ये खबर सुनी मैं तुरन्त पंजाब से घर के लिये वापस लौटा मेरा मोबाइल फोन और कुछ सामान चोरी हो गया था। पहले भाइयों ने छोड़ दिया फिर माँ छोड़कर चली गयी एक मेरी हंसी खुशी थी पूजा वो भी छोड़कर चली गयी अब मेरे जीने का क्या मतलब मैडम................. ”- रबि
(इतना कहकर रबि जोर से रोने लगा जैसे लगा कि उसका सीना आज फट जायेगा कांस्टेबल बलबीर उसे रोकने के लिये आगे बढता है लेकिन इं. शिवानी इशारे से रोक देती है। शिवानी को लगता है कि उसे रोने दे ताकि रबि का दर्द कुछ कम हो जाये। रबि के जाने के बाद शिवानी अपनी आंखो की नमी को छिपाने की कोशिश करती है । रबि के दर्द को इ. शिवानी भी महसूस कर पा रही थी क्यों कि उन्होने भी अपना प्यार खोया था और रबि ने भी।
बेशक क्राइम नम्बर 77 19 साल्व हो चुका था लेकिन व्यापारियों के हंगामें और आला अधिकारियों एवं प्रशासन ने मुख्यमंत्री के दौरे के मद्देनजर इं. शिवानी का ट्रान्सफर दूसरे शहर कर दिया। भारी मन से इं. शिवानी दूसरे शहर जाने को तैयारी करने लगती है ट्रान्सफर की खबर मिलते ही राजीब शिवानी के सामने खड़ा होकर माफी माँगने लगता है।
“राजीव जी आप पूरी जिन्दगी अपने पिता के अपने कर्तव्य को नही समझ पाये तो मुझे भी समझ नही पायेंगे इस लिये जाइये पहले अपने पिता से माफी माँगिये वो अपने बेटे की तलाश में जाने कब से भटक रहे है। अगर उनका दर्द तुम्हे समझ आ जाये तो आना मेरे पास मेरे दिल के दरवाजे हमेशा तुम्हारे लिये खुले रहेंगे।”- इ. शिवानी
इतना कहकर आँखो में नमी लिये इ. शिवानी कार में बैठकर दूसरे शहर को रवाना हो जाती है। राजीव वही स्तब्ध सा खड़ा रह जाता है..............................समाप्त