क्राइम नम्बर 77 19 - 6 RISHABH PANDEY द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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क्राइम नम्बर 77 19 - 6

(इंस्पेक्टर शिवानी के सिर में दर्द होने के चलते वो आज दोपहर में थाने पहुँचती है।)


“मैडम आपसे एक आदमी मिलना चाहता है? अपना नाम कमल नाथ बता रहा है। सुबह से आपका वेट कर रहे है।”- कांस्टेबल

“ठीक है बुलाइये उन्हे और हाँ एक चाय भेज देना”- इ. शिवानी


“ओके मैडम”- कांस्टेबल

(थोड़ी देर में एक लगभग 6 फिट से ऊँची लम्बाई का सुडौल कद काठी का एक व्यक्ति जिसकी मूछे बड़ी बड़ी थी। उम्र होने के बावजूद वह पूरी तरह से फिट नजर आ रहा था, इं. शिवानी के केबिन में प्रवेश करता है)



“जी कहिये..!!! मैं आपकी क्या मद्दत कर सकती हूँ”- इं. शिवानी


“बेटे आप मुझे नहीं जानती या पहचानती है लेकिन मैं आपको बहुत अच्छे से जानता हूँ।मेरा नाम कमल नाथ तिवारी है।”-कमल नाथ


“बेटे मैं राजीव का फादर हूँ”- कमल नाथ

(यह सुनते ही इं. शिवानी अपनी चेयर से उठ जाती है और जाकर कमल के चरण स्पर्श करती है।)


“माफ कीजियेगा लेकिन राजीव ने कभी भी आपके बारे में जिक्र नहीं किया”- इं. शिवानी


“हाँ क्योंकि मेंरा बेटा और मेरी पत्नी मुझे पसन्द नही करते है”- कमलनाथ (उदास होकर)

“लेकिन ऐसा क्यों पिता जी?”- इं. शिवानी


“बेटा मैं पुलिस में था अपनी नौकरी के चलते मैं अपनी पत्नी और बेटे को समय नही दे पाता था मेरी एक बेटी राजीव की बहन थी। जो बहुत बिमार थी और उस दिन मेरी एक वी आई पी ड्यूटी लगा दी गयी थी। मेरी पत्नी ने मुझे बार बार टेलीफोन करवाया लेकिन मैं ड्यूटी के चलते घर नही जा पाया और मेरी बेटी की मृत्यु हो गयी।”-कमल नाथ (इतना कहते ही कमलनाथ की आँखों से आँशू बह चले।)
(शिवानी ने कमल नाथ को पानी का गिलास देकर पानी पीने को कहा।)



“मेरी बेटी की मौत का सदमा मेरी पत्नी और राजीव दोनों को बहुत तगड़ा लगा और वो दोनों घर छोड़कर चले गये। उन दिनों में मेरे ऊपर एक मुकदमे के सिल्ल सिल्ले में इंक्वारी चल रही थी मैं चाहकर भी पत्नी और राजीव के लिये नौकरी नहीं छोड़ पाया। मैंने राजीव और उसकी माँ को बहुत खोजा लेकिन वो नहीं मिले फिर एक दिन मुझे कहीं से खबर मिली मैं उनसे मिलने गया तो दोनों ने मिलने तक से मना कर दिया। राजीव पुलिस और मुझसे बहुत नफरत करता है।”- कमल नाथ

(यह सब सुनकर इं. शिवानी एक दम से शाक्ड हो जाती है। कमल इतनी बात कहकर बहुत अधिक दुखी हो जाते है लेकिन खुद को सम्भालते हुये कहते है।)

“बेटे.........!!! मैं जानता हूँ मेरा तुम पर कोई हक नहीं है लेकिन कुछ भी हो तुम हो तो मेरी होने वाली बहू ही इस सच को कोई बदल नही सकता। इसलिये मैं तुमसे इतना कहना चाहता हूँ कि यदि तुम राजीव को चुनना तो नौकरी को मत चुनना और नौकरी को चुनना तो राजीव से शादी मत करना । बेचारे के जीवन में मेरी वजह से पहले ही बहुत से दुख रहे है। मैं नही चाहता जो अभी तक मेरी वजह से हुआ वो आगे तुम्हारी वजह से भी हो। ”- कमलनाथ (इतना कह कर कमल उठकर जाने लगते है।)



“रूकिये पापा जी। बैठिये बहू कहा है तो ऐसे ही चले जायेंगे बेटा नाराज है तो क्या बहू से भी बात नही करेंगे।”- इं. शिवानी



(इं. शिवानी की बात को सुनकर कमलनाथ वात्सल्य से भाव विभोर हो उठे एक बार को तो मन हुआ की। सामने खड़ी अपनी बहू को गले से लगा ले और खूब आशीष दे किन्तु थाने और बहू की मर्यादा ने उन्हे रोक लिया। तब तक चाय आ गयी और दोनों ने चाय पी।)



“पापा जी आप बिल्कुल चिन्ता न करे मैं राजीव से बात करूँगी। और आपका परिवार फिर से एक होगा।”- इं. शिवानी

(कमल जानते थे शिवानी का ये प्रयास उसे परेशान करने के सिवाय और कुछ नही देगा लेकिन जाने क्यों वो कुछ कह नही पाये। मन मे सन्तोष लिए थोड़ी देर बाद वो चले गये।)


(आज जो हुआ शिवानी उससे पूरी तरह से हिल गयी थी। अपनी टेबल पर अपनी निजी जिन्दगी और काम के तनाव में मेलजोल बैठाने का प्रयास कर रही होती है। कि अचानक से इं. शिवानी का ध्यान इस बात पर जाता है कि रबि ने बताया है कि उसकी बात पूजा से फोन पर हुई थी लेकिन पूजा की बॉडी के पास या कमरे में कोई भी फोन नही मिला था। उसे लगता है कि रबि झूठी कहानी बना रहा है। शिवानी उठकर सीधा लाक अप की तरफ जाती है और रबि से पूजा के फोन के बारे में पूछती है लेकिन रबि कुछ बोलता नही गुमसुम बैठा रहता है। कभी कभी एक दम से पूजा पूजा की रट लगा कर चिल्लाने लगता है। पुलिस रबि को न्यायालय में पेश करती है और 14 दिन का रिमान्ड की माँग करती है लेकिन न्यायालय केवल 7 दिन की रिमान्ड मंजूर करती है।)




क्या सच में पूजा और उसकी बेटी को रबि ने ही मारा ? क्या पूजा के पति इस केस में मायने नही रखता ? क्या राजीव अपने पिता को माफ कर पायेगा?..........जानिये आगे के अंको मे........