न्याय-एक अछूत लड़की की कथा(अंतिम भाग) Kishanlal Sharma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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न्याय-एक अछूत लड़की की कथा(अंतिम भाग)

"तेरा दिमाग तो खराब नही हो गया।पागलों की सी बात कर रही है।तू होश में तो है।अछूतों को मेरे घर की देहरी लांघने की इज़ज़त नही है।और तू अपनी बेटी को मेरे घर की बहू बनाने की बात कर रही है"।छमिया की बात सुनकर ठाकुर आग बबूला हो गया।
"मैं अछूत हूँ।तेरी नज़र में मेरी बेटी भी अछूत है।कमली से जबरदस्ती करते समय तेरे बेटे को ख्याल नही आया कि वह अछूत है।उसे छूना भी तुम्हारे यहाँ वर्जित है।"छमिया ने ठाकुर पर कटाक्ष किया था।
"मेरे बेटे ने तेरी बेटी के साथ कोई नया काम नही किया है।ठाकुर खानदान के लोग न जाने कितनी सदियों से अछूतों के साथ जबरदस्ती करते आये है।मेरे बेटे ने अपने खानदान, पूर्वजो की परंपरा का ही निर्वाह किया है।"ठाकुर दीवानसिंह ने गर्व से अपने बेटे के कृत्य का समर्थन किया था।
"ठाकुर तू बिल्कुल झूंठ नही कह रहा।सत्य कह रहा है।लेकिन भूल गया।वो जमाना दूसरा था।पहले अछूत औरते अपनी इज़्ज़त लूटवाकर भी चुप रह जाती थी क्योंकि उनकी सुनने वाला कोई नही था।अब देश आजाद हो चुका है।जमाना बदल गया है।अब हमारी भी सुनने वाले है,"ठाकुर की बात सुनकर छमिया बोली,"अगर तूने मेरी बात नही मानी,तो तेरे लिए ठीक नही होगा।"
"अच्छा"ठाकुर अकड़कर बोला,"तू क्या करेगी?"
"अगर तूने अपने बेटे राजपाल की शादी मेरी बेटी कमली के साथ नही की तो मैं तेरे बेटे के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट लिखुँवाऊंगी।"छमिया ने कहा था।
"तू मुझे धमकी दे रही है।है गांव में किसी की हिम्मत जो ठाकुर दीवान सिंह के खिलाफ रिपोर्ट लिखाये।तेरी कोई औकात नही और तू मेरे खिलाफ रिपोर्ट लिखायेगी,"ठाकुर दीवान सिंह अहंकार से गर्दन अकड़कर बोला,"गांव का दरोगा मेरी मुट्ठी में है।कोर्ट कचहरी करना गुड्डे गुड़ियों का खेल नही है।कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए बहुत पैसा चाहिए।मैं ऊंचे से ऊंचा वकील कर सकता हूँ।तेरे पास है,वकील करने को पैसा।मैं तेरी गीदड़ भभकी में आने वाला नही हूँ"।
"ठाकुर,मैं अनपढ़,गंवार जरूर हूँ,लेकिन मूर्ख नही हूँ।मैं खूब अच्छी तरह जानती हूँ।गांव की पुलिस तेरे तलवे चाटती है।इसलिए गांव का दरोगा तेरे खिलाफ मेरी कोई बात नही सुनेगा।तेरे पास पैसे की कोई कमी नही है।पैसे के बल पर तु न्याय को खरीद सकता है,"छमिया बोली,"मुझे भी पुलिस और कोर्ट पर बिल्कुल भी भरोसा नही है।इसलिए मैं इनके पास नही जाऊंगी।"
"तो फिर तू कहा जाएगी?"छमिया की बात सुनकर ठाकुर हाथ नचाते हुए गर्व से बोला,"इनके अलावा और कौन है जो तेरी सुनेगा?"
"मैं अखबार और टी वी वालो के पास जाऊंगी।जैसे ही तेरे बेटे की करतूत समाचार बनेगी।सरकार मेरी बेटी को न्याय दिलाने के लिए खुद मेरी चौखट पर दौड़ी हुई चली आएगी।"
ठाकुर ने सोचा था।छमिया रो धोकर चुप बैठ जायेगी।लेकिन छमिया ने जो कहा उसे सुनकर ठाकुर के होश उड़ गए थे।छमिया तो अपनी बात कहकर चली गयी थी।लेकिन ठाकुर सोच में पड़ गया था।
अगर वह एक अछूत लड़की को अपनी पुत्र वधू बनाता है,तो समाज,बिरादरी ,गांव में उसकी क्या इज़्ज़त रह जायेगी।अगर वह अपने बेटे राजपाल कि शादी छमिया की बेटी कमली से नही करता,तो राजपाल बलात्कार के जुर्म मे पकड़ा जाएगा।ठाकुर के एक तरफ कुआं दूसरी तरफ खाई थी।ठाकुर की समझ मे ही नही आ रहा था।वह करे तो क्या करे?