My One Sided Love - 3 Shubham Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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My One Sided Love - 3

कृष - ओके पापा.माँ मै चलता हूँ।
(कृष माँ के पैर छूता है और बहन को गले लगा कर बाहर आकर ऑटो में बैठ जाता है)

(मेरे पापा भी उसके साथ जा रहे है ऑटो में,मुझे स्टेशन छोड़ने। ये पहली बार था जब मै ऐसे घर से दूर जा रहा। वैसे तो जबसे ये तय हुआ था की मैं देहरादून जा रहा तबसे कई बार हम दुखी हो जाते थे की अब मैं दूर चला जाऊंगा पर आज देरी होने के कारण सारा ध्यान ट्रेन छूट ना जाए उसपे था। ऑटो बढ़ गया जैसे ऑटो गली में मुड़ा मैं पीछे पलट के देखा, माँ और दीदी वैसे ही वही खड़ी थी दी माँ को पकड़ के खड़ी जैसे मैंने उन्हें ऐसे देखा मैं अपने आँशु रोक नहीं पाया वो अपने आप बेहने लगे। पर पापा को अपने आँशु नहीं दिखा सकता था क्युकी फिर वो भी परेशां होते।इसलिए मैंने आँशु पोछे और सामने देखने लगा )
कुछ दूर चलने के बाद कृष ऑ.टो वाले से - भाई आगे वाली गली में थोडा ले लेना।
पापा - क्यों कृष ??
कृष - पापा वो अमर भी साथ ही चलेगा।
पापा - अच्छा अच्छा .....
ऑटोवाला - भाई साहब मुझे लेट हो रहा एक तो आपने घर पर ही लेट किया ऊपर से उस गली में ट्रैफिक भी बहुत रहता है, उन्हें ही इधर बुला लेना चाहिए था।
कृष - अरे भाई ले लोना थोडा सा ही दूर है। वो वेसे भी घर के बाहर काफी देर से मेरा वेट कर रहा है वैसे ही वो गुस्साया होगा।
(अमर यानी की मेरा तीसरा दोस्त, उसे इतना गुस्सा आता है की क्या बताऊ.और उसके गुस्से की वजह से हम हमेशा ही प्रॉब्लम में फस जाते थे)
ऑटोवाला झुंझला कर उस गली में ले लेता है। वो लोग 10 मिनट तक ट्रैफिक में फसे रहने के बाद अमर के घर के बाहर पहुचते हैं।
अमर(गुस्साते हुए.) - तू कहा था कृष ?? मै कब से तेरा वेट कर रहा हूँ ??
तभी ऑटो वाला बोलता है.
औटोवाला - भाई साहब आप थोड़ा सा अगर मेन रोड पर आ जाते तो हमे इधर नहीं आना पड़ता ना। पता है आपकी वजह से हम लोग 10 मिनट जाम में फसे थे।
(अमर को पहले ही गुस्सा आ रहा था और ऑटोवाले की बात से वो और गुस्सा जाता है.)
कृष - तू बैठ जल्दी हम वैसे ही लेट हो रहे है, गुस्सा बाद में कर लेना।
अमर - नहीं मै नहीं बैठूँगा, और तू भी उतर, हम लोग दूसरा ऑटो कर लेंगे।
कृष - तू पागल हो गया है क्या, भाई वैसे ही बहुत लेट हो रहा है.तू चल जल्दी।
(कृष के बहुत समझाने के बाद भी अमर नहीं मानता है और उन्हें ऑटो छोड़ना पड़ता है.काफी वेट करने करने के बाद भी उन्हें दूसरा ऑटो नहीं मिलता है.)
तभी प्रीन्स का फ़ोन आता है।
प्रिंस - कहाँ हो तुम लोग? ट्रैन आ चुकी है और 15 मिनट में निकलेगी।
कृष - हाँ बस पहुच रहे तू सीट खोज हम लोग की.हम लोग बस आ रहे हैं।
प्रीन्स- पर इतना लेट क्यों हो रहा है?
कृष - तुझे आ कर सारी बात बताता हूँ..
(कृष फ़ोन रख देता है)

पापा - अब तुम लोग ऑटो का वेट करोगे तो और देर हो जाएगी.तुम लोग एक काम करो
उधर से एक शॉर्टकट है अगर अभी निकले तो 12 13 मिनट में पहुच जाओगे, बट तेज जाना होगा.
अमर - हाँ मैंने वो रास्ता देखा है.
पापा - ठीक है तो तुम लोग अब निकलो.
कृष - ओके पापा ...
(कृष और अमर उस रास्ते से चल देते हैं .और कृष के पापा घरको लौट जाते हैं। पर साथ में सामान होने के के कारन उन्हें थोड़ा लेट हो जाता है और वो जैसे ही पहुचते है.ट्रेन चलने लगती है.फिर फिल्मी स्टाइल में यह दोनों ट्रेन के पीछे भागते है और प्रीन्स और चंदू इनका हाथ पकड़ कर ट्रेन में चढ़ाते है.)
कृष - थैंक गॉड हम ट्रेन में चढ़ गए वरना इसने तो पुरो इन्तेजाम बना लिया था ट्रेन मिस करने का।
अमर - मैंने कुछ नहीं किया वो सब ऑटो वाले की गलती थी।
कृष - तू तो बोल ही मत, मुझे सब पता है किसकी गलती थी.चंदू हम सबके टिकेट तेरे पास है ना ??
चंदू - हाँ बस हम तीन के.अमर कल मिल गया था तो मैंने उसका उसको दे दिया था.रुक अभी निकलता हूँ।
प्रीन्स- अबे बता तो हुआ क्या था?
कृष - अब तू तो जानता ही है इसके गुस्से को.....
अमर - कृष तू जानता है गलती ऑटो वाले की थी..मुझे और गुस्सा मत दिला।
कृष - मै गुस्सा नहीं दिला रहा हूँ.मै तो बस सच कह रहा हूँ।
अमर - मतलब तू कह रहा है मेरी गलती है ??
कृष - हाँ और क्या।
(अमर गुस्सा जाता है.और जो टिकट चंदू पैकेट से निकलता है अमर उन सब को उससे ले कर फाड़ कर ट्रेन के बाहर फेक देता है.)
कृष,प्रीन्स और चंदू तीनो एक साथ - तूने यह क्या किया ??? तेरा दिमाग तो सही है ??
(तभी सामने से टी.टी आता दिखाई देता है.)
कृष - अगर टी.टी आ जाएगा तो हम क्या करेंगे ??
चंदू - आ जायेगा नहीं आ गया..
प्रिंस - अब क्या करे ???
कृष - अब उससे बचने का एक ही रास्ता है।
चंदू - वो क्या ??

कृष - टॉयलेट
तीनो टॉयलेट की तरफ भागते हैं.और साथ में अमर को भी खीचते हुए ले जाते हैं।
अमर - मुझे क्यों ले जा रहे हो.मेरे पास तो टिकेट है।
(सब बिना कुछ जवाब दिए अमर को खीच कर बाथरूम में ले जाते हैं और दरवाजा बंद कर लेते हैं.)
कृष - चल अब अपना जल्दी से अपना टिकट पेंट में से निकाल।
अमर -क्यों पर ??
कृष - क्योंकी जब टी.टी टॉयलेट का दरवाजा खट खटायेगा तो एक हाथ बाहर करके टिकेट दिखा देना.वो थोड़ी ना सोचेगा की एक बाथरूम में 4 लोग घुसे है।
(तब तक टी.टी.दरवाजा खट खटाता है. अमर अपना हाथ बाहर करके टिकेट दिखाता है और टी.टी.चला जाता है.उसके जाते ही टॉयलेट के बाहर एक सुन्दर सी लड़की आ कर खड़ी होती है, शायद उसे भी टॉयलेट जाना रहता है. )
चंदू.- अब निकलोगे या अन्दर ही बैठे रहोगे।
कृष - हाँ पर एक एक कर के निकलना, वरना अगर किसी ने हम सब को एक साथ बाहर आते देखा तो पता नहीं क्या सोचेगा।
(सबसे पहले अमर निकलता है और उसके निकलते ही वो लड़की अन्दर घुस जाती है और अन्दर पहले से तीन लोगो को देख कर वो जोर से चिल्लाती है तभी कृष उसका मुह अपने हाथ से बंद कर लेता है.)
कृष - तुम चिल्ला क्यों रही हो ? प्लीज शोर मत करो।
(कृष अपना हाथ हटा लेता है.)
लड़की - तुम तीनो अन्दर क्या कर रहे हो ? कहीं तुम लोग मेरा रेप करने के बारे में तो नहीं ना सोच रहे हो ?? हाँ ये ही बात ही है.मैंने देखा था, एक बार की, बाथरूम में लड़की के साथ....और अभी एक लड़का भी भागता हुआ बाहर गया है, कहीं तुम लोगो ने उसके साथ भी तो ???
चंदू - वाह तुम भी यह सब देखती हो! मुझे भी ऐसे वीडियोज बहुत पसंद है।
लड़की - मै गन्दी फिल्मो की नहीं न्यूज़ की बात कर रही हूँ. रास्कल
कृष - नहीं ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम समझ रही हो,हमारे पास टिकेट नहीं था इसलिए...
(कृष उसे सारी बात बताता है.)
लड़की - ओह.अच्छा अब समझी....

चंदू - इट्स ओके बट तुम झूठी चिल्ला रही थी तुम्हे भी समझना चाहिए की हम लोग इतनी छोटी सी जगह में तुम्हारे साथ क्या ही करेंगे।
लड़की - मतलब अगर बड़ी जगह रहती तो करते ?
कृष - अरे नहीं यह तो पागल है..आई थिंक अब हमे चलना चाहिए.
(सब बाहर आकर अपनी सीट पर बैठते है.)
प्रिंस - थैंक गॉड बच गए..
कृष - हाँ यार, आज साला पूरा दिन सुबह से ही बेकार जा रहा है।
चंदू - मेरा दिन तो कल रात से ही बेकार जा रहा है।
प्रीन्स - अब बस सामने की दो सीटो पे कोई सुन्दर सी लड़की आ जाए तो पूरा सफ़र उसे देखते और उससे बात करते कट जायेगा।
चंदू - हाँ यार मै भी ये ही सोच रहा हूँ..
अमर - क्या बे तुम लोगहमेशा लड़कियों की ही बात करते रहते हो।
प्रिंस - तो क्या तुझे लड़को की बात करना पसंद है ??
चंदू- हा हा.अबे वो लड़की क्या कह रही थी की हम लोग अमर के साथ बाथरूम में कहीं वो तो नहीं कर रहे थे..हा हा