My One Sided Love - 4 Shubham Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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My One Sided Love - 4

(तभी ट्रेन एक स्टेशन पर रूकती है और एक छोटा सा लड़का आ कर उनकी सीट के पास खड़ा हो जाता है)
प्रीन्स - अबे यह कौन है ??
(अभी वो लोग सोचते ही रहते हैं की तभी उसके पीछे लाइन से 5 और लड़के आ कर खड़े हो जाते हैं, बिलकुल मोबाइल के नेटवर्क की तरह। )
प्रीन्स - अच्छा ,तभी मै कहू मेरे फ़ोन में नेटवर्क क्यों नहीं आ रहा है, नेटवर्क तो यहाँ खड़ा है।
अमर - अबे उसमे भी 4 ही लाइन होती हैं यह तो 6 हैं।
कृष - नेटवर्क तो आ गया पर मोबाइल कहा है..आई मीन इनके माँ बाप कहा है ?

(तभी उन्हें एक मोटी सी औरत और उसके साथ ३ बैग उठाये एक दुबला पतला सा आदमी आते दिखता है )

चंदू - येही तुम्हारे मम्मी पापा है ?

(बच्चे कोई जवाब नहीं देते हैं )

प्रीन्स - मुझे तो यही लग रहे।

चंदू - मुझे तो नहीं लगता इसके ६ बच्चे होंगे।

प्रीन्स - ६ बच्चे हैं तभी ऐसा है।

(सब हसने लगते है प्रीन्स की बात पे)

(अभी प्रीन्स, अमर, चंदू और कृष एक ही बर्थ पे बैठे रहते हैं आदमी तीनो बैग नीचे रखता है और सामने वाली बर्थ पे लुढ़क जाता है, फिर औरत आती है और वो भी उसी बर्थ पे बैठ जाती है, वैसे उसे बैठने के लिए बर्थ की जरुरत थी तो नहीं, उसे देख के तो लग रहा था वो अपना सोफे साथ ही ले कर चलती है , हाहा )

प्रीन्स - तो आंटी आप लोग भी देहरादून जा रहे हैं ?
औरत - हाँ मेरे पति को मेरे भाई ने देहरादून में एक नौकरी दिलवाई है इसलिए, शादी के ६ बाद इनकी नौकरी लगी है जाके।
अमर - मतलब अंकल पहले काम नहीं करते थे।
प्रीन्स (धीरे से) - तू भी गजब बात करता 6 6 बच्चे पैदा करना कोई आसन काम थोड़ी ना है.सारा टाइम तो इसी में चला जाता होगा।

औरत - क्या कहा तुमने?

चंदू -कुछ नहीं आंटी ये कह रहा, नौकरी भले ना हो पर अंकल ने आपको खाली पेट नहीं रखा कभी।

औरत(ऊपर की बर्थ को देखते हुए ) - आप लोगो की कौन सी सीट है?

कृष - जिसपे आप लोग बैठे है वो और बीच वाली छोड़ के बाकी ४ हमारी है।

प्रीन्स - आपकी कौन सी सीट है ?

औरत - यह देख के बताना जरा। (औरत प्रीन्स की तरफ टिकट बढ़ाते हुए कहती है )

प्रीन्स - आंटी आपकी तो बस दो ही सीट है एक जिसपे आप लोग बैठे है वो और एक इसके ऊपर बीच वाली। बच्चो की सीट नहीं है?

(अब तक शाम हो चली थी और ट्रैन अपनी रफ़्तार से भाग रही थी )

औरत - ५ ६ के साल बचे की कहा टिकट लगती है बेटा ।

अमर - आंटी ५ ६ साल के बच्चे की भले ना लगे पर ५ ६ बच्चो के लिए तो सीट लेनी चाहिए थी।

आंटी - अब क्या बताऊ बेटा तुम तो जानते ही हो अंकल की नौकरी नहीं थी, इसलिए।अच्छा आप लोग तो अभी नीचे बैठे है तो तब तक मै इन बच्चो को ऊपर बैठा दूँ?

कृष(एक नजर उन् बच्चो को देखता है सब शकल से एक नंबर के शैतान लग रहे थे) - हाँ हाँ, क्यों नहीं।
(औरत उन सबको ऊपर उठाने के लिए उठती है पर उससे उठा नहीं जाता है )

औरत (अपने पति को धक्का देते हुए )- उठोजी बैठा तो दो इनको ऊपर की सीट पे।

(उसके धक्का देने से बर्थ पे थक के पड़ा हुआ उसका आदमी फिसल के सामने वाली बर्थ के नीचे चला जाता है )

अमर (उसके आदमी को उठाते हुए ) - कोई नहीं आंटी हम बैठा देते हैं।

सब मिल के सारे बच्चो को ऊपर बैठा देते हैं।
(अभी वो लोग उनको बैठा के शांति से बर्थ पे बैठे ही रहते है की तभी)
एक बच्चा - मम्मी भूख लगी है।

( वो बच्चा इतनी जोर से चिल्लाता है मनो भूख नहीं आग लगी हो, सब के सब ऊपर वाली बर्थ की तरफ देखने लगते हैं )

(उसके साथ साथ फिर सब एक साथ चिल्लाने लगते हैं। कृष और उसके दोस्तों को समझ ही नहीं आता ये हो रहा )
औरत - प्लीज जल्दी से आप मेरा वो बैग उठा के दीजिये।

(चंदू बैग उठा के औरत को देता है पर बच्चे अभी भी चिल्लाये जा रहे, आस पास के बर्थ वालो को तो अपने कानो पे हाथ रखना पड़ गया उनकी आवाज सुन के)

(औरत बैग खोल के कुछ खाने का सामान निकलती है, अभी औरत उनसे कहे की ये खाने का सामान उन् बच्चो को दे दो उससे पहले ही ये चारो औरत के हाथ से खाना ले कर बच्चो को पकड़ा देते है। जैसे ही बच्चो को खाना मिलता है वो शांत हो जाते है और तब जाके सब चैन सांस लेते हैं )

औरत - माफ़ करिएगा मेरे बच्चो की एक बुरी आदत है, हर काम इन सबको को एक साथ ही लगता है..
अमर(चैन की सांस लेते हुए ) - कोई बात नहीं आंटी।

(तभी ऊपर से पानी का फुआरा शुरू हो जाता है)
कृष - अबे अब यह पानी का झरना कहा से बह रहा है।
(तभी पानी की कुछ बुँदे कृष के मुह में जाती हैं)
कृष - अबे पर इस पानी का श्वाद इतना खारा क्यों है ??
(सब ऊपर देखते है अभी वो समझ पाते की क्या हो रहा तब तक ऊपर से एक साथ ६ फुहारे शुरू हो जाते है। सब के सब फुहारों से बचने के लिए इधर उधर भागने लगते हैं। थोड़े देर की बूंदा बांदी के बाद बारिश बंद होती है। पर इस बूंदा बांदी ने सबको भीगा दिया, कृष और उसके दोस्त वाशरूम में जा कर खुद को साफ़ करते हैं )

आंटी - माफ़ करो बच्चो, हमेशा तो यह बता देते हैं पर पता नहीं आज क्यों नहीं बताया।
अमर(बच्चे नहीं शैतान हैं इतना खाएंगे तो यही करेंगे ना ) - कोई बात नहीं..पर अब आप प्लीज इन्हें निचे ही बैठा दीजिये..

औरत - थोड़े देर बस और बैठने दे दीजिये हम लोग भी खाना खा ले फिर इनको बैठा लेंगे।

(यह कह के औरत खाना खाने लगती है, अब तक उसके पति को भी होश आगया रहता है अभी वो खाना कहते ही रहते है की तभी। ..)

एक बच्चा - मम्मी पॉटी...

औरत (अपने पति से ) -अजी जल्दी इसे ले कर जाओ नहीं तो येही कर देगा

(उसका पति एक को ले कर जाता है तभी दूसरा चिल्लाने लगता है। उसे औरत लेकर जाती है पर तब तक तीसरा चिल्लाने लगता है.)
अमर - अब इसका क्या करे ??
कृष - इसका नहीं इनका, सुना नहीं था इन सबको हर काम एक साथ ही लगता है।
(तभी वो चारो बच्चे भी चिल्लाने लगते हैं)
प्रीन्स - जल्दी इन सबको लेकर चलो वरना अगर येही कर दिया इन्होनो ने तो पूरा सफ़र गन्दगी में ही बिताना पड़ेगा।
(सब उन सबको ले कर भागते हैं। सब के सब बच्चो को टॉयलेट में घुसा देते है, जब कृष लेकर पहुचता है तो हर टॉयलेट का दरवाजा बंद रहता है.कृष उसे उठाया रहता है और लड़का चिल्लाता ही रहता और, और वो कृष के ऊपर ही पोटी कर देता है।)