दी लॉक डाउन टेल्स :कुछ खट्टी कुछ मीठी - 1 - सौतन से छुटकारा RISHABH PANDEY द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

दी लॉक डाउन टेल्स :कुछ खट्टी कुछ मीठी - 1 - सौतन से छुटकारा

दी लॉक डाउन टेल्स इसके अंतर्गत देश व्यापी लॉक डाउन के समय की कुछ कहानियों का संग्रह है।। आज की पहली कहानी सौतन से छुटकारा आपके सामने है.....






एक सरकारी विभाग में कार्यरत राजेश विभाग का संविदा कर्मी था, अपनी लगभग 40 से50 प्रतिशत सैलरी वह अपनी शराब पर उड़ा देता था। लेकिन इन सब के बाद भी अपनी बीवी और बच्चो से उसे बहुत प्यार था। मुझे याद है शायद ही कभी उसने अपनी बीवी या बच्चो पर हाथ उठाया हो जो कि एक शराबी के लिए बहुत ही आम बात है। इसके उलट राजेश अगर कभी बीवी बच्चो को किसी बात के लिए मारती तो वो अपने सामने बच्चो को मारते नही देख पाता था। लेकिन शराब की लत उसे मजबूर कर देती थी कई बार बीवी के सामने वो रोने लगता था कि वो शराब के बिना जी नही पायेगा।


नही तो वो शराब न पिएं बीवी भी अब राजेश की हालत समझ चुकी थी इस लिए जब भी गुस्सा होती बुरा भला कहती थी कभी कभी तो लड़ते हुए मार भी देती थी लेकिन वो मार सिर्फ प्यार बढ़ाती थी। बीवी मारती और राजेश मुस्करा देता बीवी का गुस्सा हिरन हो जाता। राजेश की बीवी कमला को अब समझ आने लगा था कि ऐसे काम नही चलेगा आर्थिक तंगी बनी रहेगी इस लिए कमला ने भी काम करने की ठानी और करती भी क्यों न राजेश की आधी सैलरी तो शराब में चली जाती थी बच्चे बड़े हो रहे थे खर्च अब बढ़ रहा था। राजेश पहले तो अनमना किया लेकिन बाद में मान गया। कमला ने सिलाई का काम शुरू कर दिया। वह दिन में राजेश के जाने के बाद औरतों के सलवार शूट, मैक्सी, फ्रॉक, ब्लाउज और अन्य तरह के कपड़े सिलती थी। धीरे धीरे कमला की आमदनी राजेश से भी ज्यादा हो गयी। अब राजेश और कमला के बीच झगड़े नही होते थे।

कमला राजेश से लड़ती जरूर थी लेकिन उसे राजेश से इतना प्यार था कि वो कभी भी राजेश को छोड़कर जाने की बात नही कहती थी। जब भी कोई आस पास की औरते कहती कि सबक सिखाने के लिए कुछ दिन मायके चली जाओ राजेश का दिमाग दुरुस्त हो जाएगा।
तो जबाव देती नही जीजी मर्द तो मर्द ही होता है मेरा मर्द जैसा भी है मेरा है और मजबूरी में पीता है बाकी मुझे बहुत प्यार करता है कभी भी मुझे मारता नही है उल्टे मैं ही मार देती हूँ।

कमला के काम बढ़ने से और औरते कमला के साथ जुड़ गई। कमला ने राजेश से अब महंगी शराब पीने को खुद बोलती कि तुम सस्ती वाली मत पिया करो शरीर जला देती है देखो कितने दुबले हो गए हो। राजेश कमला की सुन कर महंगी कुछ दिन महंगी पिया लेकिन उसे मजा देशी शराब में ही आता था।



इस लिए वो कमला की चोरी से अक्सर देशी शराब पी ही लेता था। जिंदगी कमला के काम के चलते अब बहुत बढ़िया चल रही थी कोई दिक्कत नही थी। आर्थिक स्थिति ठीक हुई तो खान पान दुरुस्त हुआ तो राजेश का स्वास्थ्य भी अब कुछ ठीक हो गया था।


सब ठीक जा रहा था कि देश व्यापी लॉक डाउन की घोषणा हुई कमला मन ही मन बड़ी खुश थी क्योंकि उसका सुहाग उसका पति अब कुछ दिन बिना शराब के रहने वाला था।

"न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी, जब मिलेगी ही नही तो कैसे गले लगाओ के मेरी सौतन को बलम जी"- कमला

जबाव में राजेश ने बस चिढ़ के मुस्करा दिया।

राजेश की शराब की अमल दिन बा दिन बढ़ती जा रही थी। लेकिन कोई चारा नही था। घर के बाहर जाने की सोच भी नही सकता था क्योंकि पिछले ही दिन बगल वाले गुप्ता और लोग बाहर खड़े होकर बात कर रहे थे तो पुलिस वालों ने बहुत पीटा था। लॉक डाउन को लगभग 1 महीना बीत गया था कमला मन ही मन खुश थी क्योंकि लगभग 1 महीने से उसका शराबी पति बिना शराब के था अमल लगती तो थोड़ा बहुत इधर उधर का कुछ नशा करने की कोशिश करता था। एक दिन दूध वाले से पूछा कि कुछ जुगाड़ कर दो यार नही तो ऐसे ही मर जाऊंगा दूध वाले ने बताया कि इस समय पास की बस्ती में कच्ची शराब ही मिल सकती है बाकी और कोई विकल्प नही है। राजेश पढा लिखा था वह जानता था कि कच्ची पीने से उसकी मौत तक हो सकती है बीवी और बच्चो का मुंह देख के 2 दिन तक तो वो नही गया फिर एक दिन शाम को सोचा कि थोड़ी पी लेता हूँ कुछ तो आराम आएगा और ये सोचकर वह निकल पड़ा। पास की बस्ती में पहुँच कर शराब की अड्डी पर जहां पर पहले 20 रुपये गिलास की शराब अब 60 रुपये में मिल रही थी। 2 पेग पीकर घर आ गया। कमला ने जब देखा राजेश पीकर आया है तो पहले नाराज हुई लेकिन जब पता चला कि कच्ची पीकर आया है तो लगी उसे झाड़ू से मारने। मारते मारते खुद रोने लगी। उस दिन घर पर खाना नही बना बच्चे सुबह का खा कर सो गए। सुबह में राजेश ने कमला से माफी मांगी और नही पियेगा बोलकर उसे मनाने लगा।
कमला खुद जानती थी कि राजेश कितना भी कह ले बिना पिये मानेगा नही इस लिए वो कुछ बोल नही रही थी।



"तुम बिना मेरे सौतन के नही रह सकते न तो तुम भी सुन लो अब जिस दिन तुम ये सुअर का मूत पीकर आओगे उसी दिन मैं भी पियूंगी तुम अकेले नही मरोगे। तुम्हारे साथ मैं भी मरूँगी।" - कमला (इतना कह कर कमला खूब रोने लगी)

कमला की ये बात जैसे राजेश के दिल को घर कर गयी या दूसरे शब्दों में कहे तो उसके मेल इगो को हर्ट कर गयी। उसी क्षण राजेश ने कमला के। सामने बच्चो के सर की कसम खाई

"मेरी कमली मैं हमारे बच्चों के सर की कसम खाता हूं आज के बाद मैं कभी शराब को हाथ नही लगाऊंगा लेकिन तू ये जहर कभी न पीना मेरी जान तेरे बिना नही जी सकता मैं"- राजेश


कमला को लगा ये सिर्फ आवेश में लिया गया प्रण था। जो कि था राजेश को इस प्रण को निभाने में बहुत परेशानियां हुई लेकिन उसकी जीवन संगनी कमला उसके साथ हर कदम थी जिससे राजेश को शराब की लत से और कमला को सौतन दोनो से छुटकारा मिल गया।



ये थी राजेश और कमला की लॉक डाउन की कहानी, फिर मिलेंगे अलगे अंक में लॉक डाउन की खट्टी मिठ्ठी यादों की एक और कहानी के साथ....दी लॉक डाउन टेल्स में