क्या नाम दूँ ..! - 1 Ajay Shree द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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क्या नाम दूँ ..! - 1

क्या नाम दूँ ..!

अजयश्री

प्रथम अध्याय

“आखिर तुमने मुझे समझ क्या रखा है ! आज पाँच साल तक साथ रहने के बाद तुम कह रहे हो कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ ..इन पाँच सालों में शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब तुमने मुझे इस छत के नीचे मेरी कोरी सफ़ेद चादर पर धब्बे न दिए हो | एक, दो, तीन, चार, पाँच...गिनती कम पड़ जायेगी, पर तुम्हारी हवस की सिलवटें इस चादर पर आज भी दिखती हैं | और तुम कहते हो मैं तुम्हारी पत्नी बनने के काबिल नहीं हूँ | ”

“क्या नहीं किया मैंने इस लिव इन रिलेशन में तुम्हें पाने के लिए ...हाउ डेयर यू ..आखिर तुम थे क्या !सिम्पली एक पोस्ट ग्रेजुएट, जो नौकरी के लिए मारा-मारा फिर रहा था, जिसे ठीक से बात करने की तमीज़ नहीं थी | अंग्रेजी तो छोड़ो, हिन्दी भी ठीक से नहीं बोल पाते थे तुम !कैसे खड़े थे इंटरव्यू वाले दिन मेरे सामने, वही तुम्हारी असली औकात थी ...पर वाह, क्या कमाल के एक्टर हो तुम ;तुम्हें तो फिल्मों में काम करना चाहिए | धोखा खा गई तुम्हारी भोली सूरत और इमोशनल बातों से| मुझे क्या मालूम था इस भोली सूरत के पीछे एक शातिर दिमाग वाला भेड़िया छुपा है, जो मौका मिलते ही किसी मेमने को शिकार बना लेगा | ”

“और तुमने क्या किया ;मुझे मात्र अपनी तरक्की की सीढ़ी बना कर आगे बढ़ गये | अच्छा होता मैं तुम्हारा असली चेहरा उस दिन देख पाती | दो कपड़ों में लेकर आई थी ;तुम्हें तुम्हारी बेबसी और लाचारी देखकर इस महानगर के अपने खुद के घर में ...| मैंने सोचा, चलो गाँव का सीधा-साधा लड़का है, कहाँ मारा-मारा फिरेगा, हमारी ही कम्पनी में काम करता है, सो रख लिया पेइंग गेस्ट | आखिर मैं भी तो नई आई थी कभी इस शहर में| अपना दु:ख समझकर जगह दी तुम्हें, पर तुमने क्या किया, आज मेरे ही घर में मुझे गेस्ट की हैसियत में ला दिया | ”

“बहुत हो गया मानसी अब छुप रहो! चीख पड़ा आदर्श | हाँ माना कि तुमने मुझे नौकरी दी, रहने को घर दिया ;पर प्यार का फैसला तुम्हारा था सिर्फ तुम्हारा | मैंने कभी नहीं कहा तुम मुझसे प्यार करो, और अब कह भी नहीं सकता क्योंकि मैं शादी शुदा हूँ...| ”

“...क्या, तुम शादीशुदा हो !” मानसी चौक गयी ...”ओ माई गॉड...”उसका मुहँ खुला का खुला रह गया |

“हाँ हाँ, मैं शादीशुदा हूँ | पर तुमने कभी बताने का मौका दिया ! नहीं कभी मेरे बारे में जानने की कोशिश की | तुम्हारे पास तो इन फालतू कामों के लिए वक्त ही नहीं है | क्या करता तुम्हारे एक तरफा प्यार के आगे, जिसे अपनी बात के आगे कुछ भी सुनना गवारा नहीं | ”

“याद है न वह दिन, जब तुमने मुझसे पहली बार फिजिकल रिलेशन बनाया था | मैंने कितनी बार कोशिश की तुम्हें समझाने की, पर तुम कुछ सुनना ही नहीं चाहती थी | अप्रैल का फर्स्ट वीक था, तुम जी.एम्.एडमिनिस्ट्रेशन के साथ आयी थी मेरे केबिन में....सारे स्टाफ के सामने उन्होंने बधाई दी, कि मेरी वजह से इस साल ढाई परसेंट की एक्स्ट्रा ग्रोथ हुई है | सबके सामने बधाई देने के बाद तुमने धीरे से कहा कि पार्टी तो बनाती है ...जिसे सबने सुन लिया | फिर क्या ..रात दस बजे जो काकटेल पार्टी शुरू हुई ..”

जैसे-जैसे रात अपने शवाब पर पहुँचती गयी, लोगों के पैग बढ़ते गए | ‘बलम पिचकारी ...’से लेकर ‘रात सैयां ने मुझको ताना दिया..’रैप पर सब थिरकते रहे | अंत में होटल के मैनेजर ने आकर कहा, सर हम पहले ही लेट हो चुके हैं, अब पार्टी समाप्त कीजिए, वैसे भी लगभग सारे मेहमान जा चुके है|

“डोंट वरी, मैं कुछ करता हूँ ..”आदर्श ने समझाते हुए कहा |

बस बहुत गया मैम, अब चलें !सब चले गए | ”

“व्हॉट ... सब चले गये.. “अपनी अर्धनिद्रा से जागते हुए मानसी ने आदर्श से पूछा |

“हाँ मैम सब चले गये, अब हमें भी चलना चाहिए| ”

“ओ.के... बस ये लास्ट पैग फिनिश कर लूँ तो चलती हूँ | ”

और मानसी ने एक साँस में आधी ग्लास रेड वाइन गटक ली | ”ओ नो इस रेड वाइन ने तो वोदका का सारा नशा बेकार कर दिया | ”

“अब चलते हैं मैम.. प्लीज!..”

“आफकोर्स, माई लिटिल बेबी | ”

“ नो मैम.. मी आदर्श !”

“ आई नो, यू आर आदर्श.... माई बेबी...!”मानसी ने न जाने क्यों हँसते हुए फिर बेबी कह दिया | इस बार आदर्श थोड़ा झुँझला उठा..

“बस अब हमें चलना होगा, सब लोग देख रहे हैं | ”

“ अच्छा ओ.के. बाँय...गुडनाईट एवरीबडी ...!” और आदर्श के कंधे पर हाथ डालकर गुनगुनाने लगी | ’मुझ को यारों माफ़ करना मैं नशे में हूँ | ’

किसी तरह आदर्श मानसी को सँभालते हुए पोर्टिको में लगी गाड़ी तक लाया | पीछे की सीट पर बैठने के लिए जैसे ही उसने दरवाजा खोला | मानसी बोल पड़ी –“गाड़ी मैं ड्राइव करूँगी| ”

“ नहीं मैम, आप बहुत नशे में हैं | ”

“डोंटवरी, वो नशा ही क्या जो होश में रहने दे...मैं बिल्कुल ठीक हूँ ;तुम आओ आगे की सीट पर बैठ जाओ .फिर देखो मैं कैसे गाड़ी चलाती हूँ | ”

डरते हुए आदर्श बैठ गया | ’पर मैम धीरे चलाइयेगा, रात का समय है | ’

“लगता है मेरा बच्चा डर गया !”

“नहीं मैम ऐसी बात नहीं है !” खुद को सँभालते उए आदर्श बोला | ”

फर्र की आवाज के साथ गाड़ी मेन रोड पर आ गयी | बाहर निकलकर गाड़ी जैसे ही इंण्डिया गेट के सामने वाली सड़क पर आई, सामने से आती हुई बाइक से टकराते हुए बची | बाइक वाला हडबडाहट में गिरते-गिरते बचा | मनसी उसे फलाइंग किस देते हुए आगे बढ़ गई | आदर्श अपने को रोक नहीं सका | हैण्ड ब्रेक खीचतें हुए उसने जोर से डॉटा...

“क्या करती हैं आप !” गाड़ी तेज आवाज के साथ रुक गयी| गाड़ी रुकते ही वह झट से उतरकर ड्राइविंग डोर की तरफ आया, दरवाजा खोलते हुए बोला “आप बाहर आइए, और उधर वाली सीट पर जाकर बैठिए| ”

इस बार मानसी कुछ बोल न सकी | बस मुस्कुराती हुई उतर गई| पकड़ते हुए आदर्श ने दूसरी तरफ बैठाते हुए सीट बेल्ट लगा दी, और खुद गाड़ी चलाते हुए साउथ एक्सटेंशन के मल्टीफ्लेक्स एन्क्लेव में आया | गाड़ी पार्क करने के बाद थर्ड फ्लोर के अपने अपार्टमेन्ट में पँहुचा| चाभी निकालकर दरवाजा खोला | लाइट ऑन की | दरवाजा बंद करने के बाद मानसी को उसके कमरे में छोड़ने के पश्यात अपने कमरे में जाने लगा |

तभी मानसी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रुकने को कहा |

“कहाँ जा रहा है मेरा बच्चा..?”

मैम बहुत रात हो चुकी है;कुछ देर में सुबह होने वाली है ...

सो लीजिए ऑफिस भी जाना है| ”

“कमाल करते हो तुम भी ; जब सुबह होने वाली है तो सोने से क्या फ़ायदा, चलो हम जगते हैं !”

नहीं मैम अपने कमरे में चलता हूँ; सुबह से काम करते-करते थक गया हूँ | ”

“अभी से थक गये ;अभी तो बहुत काम करने हैं लाइफ में| ”

“मेरा मतलब ये नहीं ...हमें थोड़ा आराम कर लेना चाहिए ....मैम “

“ये क्या मैम-मैम लगा रखा है...मानसी बोलो ..तुम्हारे लिए मैं सिर्फ मानसी...माई चीकू-चीकू लवली बेबी ...”और इसी के साथ मानसी ने आदर्श को अपनी बाँहों में भर लिया |

“ये क्या कर रही हैं आप, होश में आइये, प्लीज मैम ....

“शटअप ...डोंटक्राई...इट्स माई ऑर्डर, मी मानसी अरोरा योर डी.जी.एम पर्सनल | ”

“आई नो वेरी वेल ..प्लीज ..आप समझने की कोशिश कीजिए ..मैं ..नहीं सोच सकता ...आप नहीं जानती मैं शादी ...

“व्हॉट रबिश ...मैं अभी शादी नहीं सुहागरात की बात कर रही हूँ ...”चीख पड़ी मानसी | चुपचाप खडा रहा आदर्श ...थोड़ी देर कमरे में खामोशी छायी रही |

“मेरा बच्चा, मेरा बेबी ...जानू नाराज हो गया ...सॉरी-सॉरी क्या करूँ मैं ...तुमसे इश्क जो करने लगी हूँ ...वह शेर है न ...इश्क ने गालिब हमको निकम्मा बना दिया, वरना हम भी थे आदमी काम के ...आई एम् इन लव..विद यू | तुम भी सोच रहे होगे कि 38 ईयर ओल्ड मानसी को, जो तुमसे चार साल बड़ी है, उसे लव कैसे हो गया!..क्या करूँ दिल के हाथों मजबूर हो गयी ...तुम यूपी और बिहार के मर्दों में स्या..ला गजब की सेक्स अपील होती है, यहाँ तक की तुम्हारे कल्चर, इनोसेंस में भी एक अपील होती है जो तुम्हें तुम्हारी जड़ों से बाँधे रहती है | यही डेडीकेशन, मेरे प्रति वफादारी, साथ रहते हुए भी कभी कातिल निगाहों से नहीं देखा...क्यूं बेबी नहीं देखा न...|

आदर्श अभी कुछ सोचता उससे पहले मानसी ने उसे अपनी बाँहों मे भर लिया...”कम ऑन बेबी हेल्प मी..हग मी | ”

आदर्श कुछ न कर सका, चाह कर भी उसकी बाँहों से खुद को छुड़ा नहीं पाया | मानसी ने कब अपनी शर्ट-ट्राउजर बाहर निकाली और आदर्श का ट्राउजर कब नीचे सरक गया पता ही नहीं चला | उँगलियाँ हरकत कर रही थी तभी आदर्श चीखा..

“मैम..!”

“नो बेबी, मैंने कहा न.. नो मैम, केवल मानसी... बोलेगा न मेरा बच्चा | ”

इस बच्चा में उसकी चीख कहीं खो गयी, उसे पता ही नहीं चला | चिल्ड ए.सी.में भी उसे गर्मी लग रही थी | तभी लाइट चली गयी | फ्रिज में रखी बर्फ पिघलने लगी | जब तक लाइट आती, पानी फैल चुका था | ...

“क्या करता मैं तुम्हारी जिद के आगे | सोचा, चलो वक्त आयेगा तो देखा जाएगा... वैसे भी पूरी कम्पनी में ये फेमस है कि तुमको मर्दों से सख्त नफरत है | ....

‘नही ! ये झूठ है, मुझे मर्द नहीं उनकी गंदी सोच से नफरत है और फिर तुम्हारे जैसा मर्द अब तक मिला भी नहीं था, जो मेरी फीलिंग, इमोशंस को समझ सके |

क्रमश:...

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