एनीमल फॉर्म - 4 Suraj Prakash द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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एनीमल फॉर्म - 4

एनीमल फॉर्म

जॉर्ज ऑर्वेल

अनुवाद:

सूरज प्रकाश

(4)

गर्मियों के बीतते न बीतते बाड़े में हुई घटना का समाचार देश के आधे भाग तक फैल चुका था। हर दिन स्नोबॉल और नेपोलियन कबूतरों के झुण्डों को उड़ान पर भेजते। उन्हें यह हिदायत थी कि वे पास-पड़ौस के बाड़ों में पशुओं से मिलें-जुलें और उन्हें बगावत की कहानी सुनाएं। उन्हें ’इंग्लैण्ड के पशु‘ की धुन सिखाएं।

मिस्टर जोन्स अपना अधिकतर समय विलिंगडन में ’रेड लायन की मधुशाला‘ में बैठे हुए गुजारता। उसे जो भी श्रोता मिलता उसी के सामने वह दुखड़ा रोने लगता कि किस तरह कुछ निकम्मे पशुओं के झुण्ड ने उसे उसकी सम्पत्ति से बेदखल कर दिया है। उसके साथ भारी अन्याय हुआ है। दूसरे किसान शुरू-शुरू में उससे सिद्धांत रूप में सहानुभूति रखते रहे, लेकिन मदद के लिए आगे नहीं आए। उनमें से प्रत्येक मन-ही-मन लड्डू फोड़ रहा था कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जोन्स के दुर्भाग्य को अपने सौभाग्य में बदल डालें। सौभाग्य से पशु बाड़े के दोनों तरफ के बाड़ों के मालिकों में कभी भी पटती नहीं थी। इनमें से एक बाड़े का नाम फॉक्सवुड था। यह लंबा-चौड़ा, उपेक्षित, पुराने टाइप का फार्म था। जहां-तहां झाड़ खंखार उगे हुए थे। चरागाहों में कुछ उगता नहीं था और बाड़ें दयनीय हालत में थीं। इस बाड़े के मालिक का नाम विलकिंगटन था। वह आराम-पसंद भलमानस किसान था। अपना ज्यादातर वक्त मौसम के हिसाब से मछली मारने या शिकार करने में गुजारता था। दूसरा बाड़ा पिंचफील्ड कहलाता था। वह बाड़ा छोटा और साफ-सुथरा था। फ्रेडरिक नाम का इसका मालिक कठोर, धूर्त आदमी था। हमेशा मुकदमेबाजी में उलझा रहता। उसके बारे में मशहूर था कि वह मुश्किल-से-मुश्किल सौदे पटा लेता है। दोनों एक-दूसरे को फूटी-आंख नहीं सुहाते थे। आपस में इतना अधिक चिढ़ते थे कि बेशक अपने ही हित में हो, किसी समझौते पर पहुंच पाना उनके लिए मुश्किल था।

इसके बावजूद दोनों, बाड़े में हुई बगावत से डरे हुए थे। उन्हें चिंता लगी हुई थी कहीं उनके पशु भी इस बारे में ज्यादा कुछ न जान लें। शुरू में तो उन्होंने इस विचार को ही हंसी में उड़ाने की कोशिश की कि भला पशु अपने आप बाड़े कैसे चला सकते हैं। उनका कहना था कि पूरा मामला ही पखवाड़े भर में निपट जाएगा। उन्होंने यह खबर उड़ाई कि मैनर फार्म में (वे इसे मैनर फार्म कहने पर ही जोर देते रहे, वे पशुबाड़ा या एनिमल फार्म नाम ही कैसे बर्दाश्त करते) दरअसल पशु आपस में ही लड़ मर रहे हैं। वे बहुत तेजी से भुखमरी की हालत में आ गए हैं। जब वक्त गुजरा और पाया गया कि पशु भूख से नहीं मरे हैं, तो फ्रेडरिक और विलकिंगटन ने अपना राग बदल दिया और अब पशु बाड़े में पनप रही भयानक चरित्रहीनता और दुष्टता की बात करने लगे। उन्होंने खबर उड़ाई कि वहां जानवर आपस में एक-दूसरे को मार कर खा रहे हैं, लाल-गर्म सलाखों से एक-दूसरे को दाग रहे हैं, और उनकी मादाएं ’कॉमन‘ हैं। सब उनका मिल-जुलकर उपभोग कर रहे हैं। फ्रेडरिक और विलकिंगटन का कहना था कि प्रकृति के नियम के खिलाफ बगावत करने का यही नतीजा सामने आया है।

अलबत्ता, इन कहानियों पर कभी भी पूरी तरह विश्वास नहीं किया गया। एक अद्भुत बाड़ा है, जहां से आदमियों को खदेड़ कर बाहर निकाल दिया गया है, और पशु अपनी सारी व्यवस्थाएं खुद कर रहे हैं, इसकी अफवाहें अस्पष्ट और विकृत रूप से प्रचारित होती रहीं। पूरे साल तक बगावत की लहर-सी देश के दूर-दराज के इलाकों में बहती रही। सांड़ जिन्हें हमेशा से विनम्र समझा जाता था, अचानक बिगडैल हो गए। भेड़ों ने बाड़े तोड़ डाले और घास की फसल खूंद डाली। गायों ने लात मारकर बाल्टियां उलट दीं। शिकार पर जाते घोड़ों ने अपने सवारों की बात मानने से ही इंकार कर दिया और उल्टे उन्हें ही उछालकर परे फेंक दिया। सबसे बड़ी बात यह हुई कि ’इंग्लैण्ड के पशु‘ की धुन और यहां तक कि गीत के बोल भी हर जगह सबकी जबान पर चढ़े हुए थे। ये सब अजब की गति से चारों तरफ पहुंचे थे। जब मनुष्य लोग इस गीत को सुनते तो वे अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाते थे। हालांकि बाहर से यही जतलाते कि यह सब बकवास है। वे कहते कि बात वे समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर पशु कैसे इस घृणित तुकबंदी को गाने की जुर्रत कर रहे हैं। यदि कोई पशु इसे गाता पाया जाता तो उसे तुरंत कोड़ों से पीटकर धुन दिया जाता। इसके बावजूद गीत दबाए नहीं दब रहा था। कस्तूरा पक्षी झाड़ियों में छुपकर इसे कूकते, कबूतरों ने इसे चिराबेल पेड़ों पर गुटर गूं करके गाया। यह लुहार के यहां शोरगुल में जा मिला और गिरजाघर की घंटियों की गूंज का हिस्सा बन गया। और जब आदमियों ने इसे सुना तो थर्रा कर रह गए। इसमें उन्हें अपनी कयामत की भविष्यवाणी सुनायी दे रही थी।

अक्टूबर के शुरू में, जब मकई की फसल काट कर खलिहान में पहुंचाई जा चुकी थी और उसमें से कुछ के दाने भी निकाले जा चुके थे, कबूतरों का एक झुण्ड हवा में पंख फड़फड़ाता हुआ आया। यह झुण्ड पशु बाड़े में बहुत अधिक उत्तेजना में पहुंचा। जोन्स और उसके सभी नौकर-चाकर, फॉक्सवुड और पिंचफील्ड के छः आदमियों के साथ पांच सलाखों वाले गेट तक आ पहुंचे थे और बाड़े की तरफ आने वाली कच्ची सड़क की तरफ बढ़ रहे थे। जोन्स के सिवाय वे सब के सब हाथों में लाठियां लिए हुए थे। जोन्स हाथों में बंदूक थामे आगे-आगे चला आ रहा था। इसमें कोई शक नहीं था कि वे बाड़े पर फिर से कब्जा करने की नीयत से हमला करने आए थे।

इसकी आशंका बहुत पहले से की जा रही थी। सब तैयारियां पूरी कर ली गयी थीं। स्नोबॉल जिसने फार्म हाउस में पड़ी एक पुरानी किताब में से जूलियस सीजर की मुहिमों का अध्ययन कर रखा था, इस समय सुरक्षात्मक हमले का इंचार्ज था। उसने फटाफट आदेश दिए और दो ही मिनटों में सभी पशु अपनी-अपनी जगह पर थे।

जैसे ही आदमी लोग फार्म हाउस के पास पहुंचे, स्नोबॉल ने पहला हमला बोल दिया। सभी कबूतर, जिनकी संख्या पैंतीस थी, आदमियों के सिरों के ऊपर उड़ानें भरने लगे और हवा में से उनके सिरों पर बीट करने लगे। आदमी जब तक इनसे निपटते, झाड़ियों के पीछे छुपे बैठे हंसों ने अचानक हमला कर दिया और उनकी पिण्डलियों पर लगे चोंचें मारने। अलबत्ता, यह हल्के किस्म की मुठभेड़ वाली झड़प थी, जिसका मकसद अव्यवस्था फैलाना था। आदमियों ने आसानी से हंसों को लाठियों से परे हांक दिया। स्नोबॉल ने तब दूसरी पंक्ति का हमला बोला। मुरियल, बैंजामिन और सभी भेड़ें तथा इन सबके आगे स्नोबॉल खुद आगे की तरफ तेजी से बढ़े। उन्होंने चारों तरफ से आदमियों को धकियाया और टक्करें मारीं, तब तक बैंजामिन घूमा और अपने छोटे-छोटे खुरों से उन पर दुलत्तियां झाड़ने लगे। लेकिन एक बार फिर आदमी अपनी लाठियों से और गुलमेखों जड़े जूतों से भारी पड़ने लगे। तभी स्नोबॉल की चीत्कार सुनकर जो कि मैदान छोड़ने का संकेत था, सभी जानवर पीछे मुड़े और दरवाजे में से अहाते की ओर भाग गए।

आदमियों ने विजय का सिंहनाद किया। उन्होंने देखा कि उनकी कल्पना के अनुरूप, उनके दुश्मनों के छक्के छूट गए थे। वे उनके पीछे अफरा-तफरी में भागे और यही स्नोबॉल चाहता था। जैसे ही वे अहाते के भीतर पहुंचे, तीनों घोड़ों, तीनों गायों और बाकी सूअरों ने, जो कि तबेले में घात लगाकर छुपे बैठे थे, अचानक आदमियों के पीछे से आए और उन्हें घsर लिया। तब स्नोबॉल ने हमला बोलने का इशारा किया। वह खुद जोन्स की तरफ लपका। जोन्स ने उसे देखा, अपनी बंदूक उठायी और फायर कर दिया। गोलियां स्नोबॉल की पीठ को खरोंचती, खूनी लकीरें बनाती हुई निकल गयीं, और एक भेड़ उसकी जद में आकर मर गई। एक पल के लिए भी रुके बिना स्नोबॉल अपने पूरे वजन के साथ जोन्स की टांगों से जा भिड़ा। जोन्स उछलकर गोबर की एक ढेरी पर गिर पड़ा। बंदूक उसके हाथों से छिटक गई, लेकिन सबसे ज्यादा थर्राने वाला दृश्य बॉक्सर का था। वह अपनी पिछली दो टांगों पर खड़ा लोहे की नालें जड़े अपने विशाल सुमों से सांड़ की तरह वार कर रहा था। उसका पहला ही आघात फोक्सवुड की घुड़साल में काम करने वाले छोकरे के सिर पर लगा और वह कीचड़ में निर्जीव होकर गिर पड़ा। यह देखते ही, कई आदमियों ने अपनी लाठियां छोड़ दीं और भागने की कोशिश करने लगे। उनमें भगदड़ मच गई और अगले ही पल सब पशु मिलकर उन्हें अहातों में चारों तरफ दौड़ने लगे। उन्हें सींग भोंके गए, दुलत्तियां मारी गइऔ, काटा गया और उन्हें पैरों तले रौंदा गया। बाड़े में कोई भी ऐसा पशु नहीं था जिसने अपने तरीके से उनसे बदला न चुकाया हो। यहां तक कि बिल्ली भी अचानक एक छत से एक ग्वाले के कंधे पर कूदी और अपने पंजे उसकी गर्दन में गड़ा दिए। वह ग्वाला भयंकर रूप से चीखा। एक पल के लिए जब बाहर जाने का रास्ता साफ दिखा तो आदमी सर पर पांव रखकर अहाते से भागे और भागते-भागते बड़ी सड़क तक जा पहुंचे। और इस तरह अपने हमले के पांच मिनट के भीतर वे उसी तरह शर्मनाक तरीके से मैदान छोड़ते नजर आए। उनके पीछे हंसों का झुण्ड फुफकारता और उनकी पिण्डलियों पर चोंचें मारता दौड़ रहा था।

एक आदमी को छोड़कर सब वापिस जा चुके थे। पीछे अहाते में बॉक्सर अपने सुमों पर टाप रहा था। वह कीचड़ में औंधे पड़े घुड़साल वाले छोकरे को सीधा करने की कोशिश कर रहा था। लड़का बिल्कुल हिला-डुला नहीं।

’यह मर चुका है।‘ बॉक्सर ने दुखी होते हुए कहा। ’ऐसा करने का मेरा कोई इरादा नहीं था। मैं भूल गया था कि मैंने नालें लगा रखी हैं। कौन विश्वास करेगा कि मैंने यह जानबूझ कर नहीं किया है?‘

’भावुक होने की जरूरत नहीं कॉमरेड!‘ स्नोबॉल चिल्लाया। उसके जख्मों से अभी भी खून रिस रहा था। ’युद्ध-युद्ध ही होता है। अच्छा आदमी केवल वही है जो मर चुका है।‘

’किसी की, यहां तक मनुष्य की भी, जान लेने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी।‘

बॉक्सर ने अपनी बात दोहरायी।

उसकी आंखें आंसुओं से भरी थीं।

’मौली कहां है?‘ किसी ने आश्चर्य व्यक्त किया।

मौली दरअसल गायब थी। एक पल के लिए तो संकट की स्थिति आ गई। यह भय व्याप गया कि कहीं आदमियों ने उसे कोई नुकसान न पहुंचाया हो, या उसे अपने साथ न ले गए हों। लेकिन आखिर में वह अपने थान में छुपी हुई पायी गयी। उसने नाद में घास के बीच अपना मुंह छुपा रखा था। जैसे ही बंदूक की गोली चली थी, वह भागकर यहां आ गयी थी। और जब सब दूसरे जन उसे खोजने के बाद वापिस आए, तो पाया गया कि घुड़साल वाला छोकरा, दरअसल केवल सन्न हुआ था। होश आते ही फूट लिया।

अब पशु चरम उत्तेजना में फिर से जमा हुए। हर कोई दूसरों से ऊंची आवाज में, लड़ाई में अपनी खुद की बहादुरी के किस्से बखान करने लगा। तत्काल ही विजय के उपलक्ष्य में बिना किसी तैयारी के एक उत्सव मना लिया गया। ध्वजारोहण किया गया और कई-कई बार ’इंग्लैण्ड के पशु‘ गीत गाया गया। तब मारी गयी भेड़ का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उसकी समाधि पर कंटीली घास का एक पौधा लगाया गया। समाधि के पास ही स्नोबॉल ने संक्षिप्त-सा भाषण दिया जिसमें उसने इस बात पर जोर दिया कि जरूरत पड़ने पर सभी पशु अपने बाड़े के लिए मरने के लिए तैयार रहें।

पशुओं ने एक सैन्य अलंकरण ’पशु वीर, उत्तम कोटि‘ शुरू करने का निर्णय बहुमत से ले लिया और वहीं और तभी ये अलंकरण स्नोबॉल और बॉक्सर को प्रदान कर दिए गए। इसमें एक पीतल का पदक था। (ये सचमुच घोड़ों के पुराने पद थे जो साज-सामान के कमरे में पड़े हुए मिल गए थे) इसे रविवार और छुट्टी के दिन धारण किया जाना था। एक और अलंकरण ’पशु वीर, मध्यम कोटि‘ भी बनाया गया जो मरणोपरांत मृतक भेड़ को प्रदान किया गया।

इस बात पर बहुत चर्चा हुई कि आखिर इस लड़ाई को नाम क्या दिया जाए? आखिर में इसे ’तबेले की लड़ाई‘ नाम दिया गया, क्योंकि यही वह जगह थी, जहां से घात लगाकर हमला किया गया था। मिस्टर जोन्स की बंदूक कीचड़ में पड़ी मिल गई थी। यह भी पता चला कि फार्म हाउस में गोलियों का भण्डार रखा है। यह फैसला किया गया कि इस बंदूक को झण्डे के चबूतरे के पास, अत्र-शत्र की तरह सजा कर रखा जाए। इसे साल में दो बार चलाया जाए। एक बार बारह अक्टूबर को तबेले की लड़ाई की वर्षगांठ पर और दूसरी बार 24 जून को अर्थात बगावत की वर्षगांठ पर।