एनीमल फॉर्म - 5 Suraj Prakash द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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एनीमल फॉर्म - 5

एनीमल फॉर्म

जॉर्ज ऑर्वेल

अनुवाद:

सूरज प्रकाश

(5)

सर्दियों के नजदीक आने के साथ-साथ मौली और अधिक उत्पाती होती चली गयी। वह रोज सुबह काम के लिए देर से पहुंचती। वह बहाना यह लगाती कि वह देर तक सोती रह गयी। वह जानी-अनजानी पीड़ाओं की शिकायत करती, हालांकि उसकी खुराक अच्छी-खासी थी। वह किसी न किसी बहाने से काम से जी चुराती, वहां से भागती और पीने के पानी वाले ताल पर चली जाती। वहां वह खड़ी होकर फूहड़ों की तरह अपनी परछाई निहारती रहती। लेकिन इससे अधिक गंभीर किस्म की अफवाहें भी उसके बारे में फैली हुई थीं। एक दिन जैसे ही मौली मस्ती में टहलते हुए, अपनी लंबी पूंछ मटकाते हुए और सूखी घास का डण्ठल चबाते हुए अहाते में घुसी तो क्लोवर उसके साथ हो ली।

’मौली‘, उसने कहा, ’मुझे तुमसे एक बहुत ही गंभीर बात करनी है। आज मैंने तुम्हें पशु बाड़े को फॉक्सवुड से अलग करने वाली झाड़ी के पार झांकते हुए देखा। मिस्टर विलकिंगटन के आदमियों में से एक झाड़ी की उस तरफ खड़ा हुआ था। और मैं काफी दूर थी, लेकिन मुझे पक्का यकीन है कि मैंने देखा वह तुमसे बात कर रहा था और तुम उसे अपनी नाक सहलाने दे रही थी। इसका क्या मतलब है, मौली?‘

’नहीं, नहीं, उसने ऐसा नहीं किया। मैं नहीं थी। यह सच नहीं है।‘ मौली जोर से बोली। वह इठलाने और जमीन खूंदने लगी।

’मौली, मेरी आंखों में झांक कर देखो। क्या तुम मुझे वचन दे सकती हो कि वह तुम्हारी नाक नहीं सहला रहा था?‘

’यह सच नहीं है।‘ मौली ने अपने शब्द दोहराए, लेकिन वह क्लोवर से आंखें नहीं मिला सकी। अगले ही पल वह अपने पंजों पर उछली और खेत की तरफ सरपट दौड़ ली।

क्लोवर को एक तरीका सूझा। किसी से भी कुछ कहे बिना वह मौली के थान पर गई और अपने सुम से पुआल को पलट दिया। पुआल के नीचे थोड़ी-सी गुड़ की भेली और अलग-अलग रंगों के रिबनों के कई गुच्छे छुपे रखे थे।

तीन दिन बाद मौली गायब हो गई। कई हफ्तों तक तो उसका कुछ भी अता-पता नहीं मिला। फिर कबूतरों ने बताया कि उन्होंने उसे विलिंगडन के परली तरफ देखा है। वह लाल-काले रंग में पुते एक शानदार तांगे के बम में जुती हुई थी। वह तांगा एक सार्वजनिक इमारत के बाहर खड़ा था। एक मोटा-सा ललछौंहे मुंह वाला आदमी, जिसने चारखाने वाला जांघया ऐर गेटिस यानी घुटनों तक के जूते पहने हुए थे, और भठियारों जैसा लग रहा था, मौली की नाक सहलाते हुए उसे गुड़ खिला रहा था। मौली का कोट नया-नया था और उसने अपने भालकेशों पर सिंदूरी रिबन बांधा हुआ था। कबूतरों ने बताया कि लगता है, जैसे वह अब बहुत खुश है। इसके बाद किसी भी पशु ने मौली का जिक्र नहीं किया।

जनवरी का मौसम बहुत-बहुत खराब आया। धरती लोहे की तरह सख्त हो गई थी। खेतों में कुछ भी नहीं किया जा सका। बड़े बखार में कई बैठकें आयोजित की गइऔ और सूअरों ने आने वाले मौसम के लिए काम की रूपरेखा बनाने में खुद को व्यस्त कर लिया। यह स्वीकार कर लिया गया कि सूअर, जो घोषित रूप से दूसरे जानवरों से ज्यादा चतुर हैं, बाड़े की नीतियों के सभी सवाल तय किया करें, हालांकि उनके फैसले बहुमत से समर्थन के बाद लागू किए जाने थे। यह व्यवस्था ठीक-ठाक चलती रहती, अगर स्नोबॉल और नेपोलियन के बीच विवाद न उठ खड़े होते। ये दोनों उस हर मुद्दे पर असहमत हो जाते, जहां असहमत होने की गुंजाइश होती। यदि दोनों में से एक ज्यादा एकड़ में जौ बोने का सुझाव देता तो तय था, दूसरा जई के लिए ज्यादा एकड़ जमीन की मांग करेगा, और यदि उनमें से एक बताता कि फलां-फलां खेत बंदगोभी के लिए बिलकुल सही है, तो दूसरा घोषणा कर देता कि यह तो सिवाय कंदमूल के, किसी भी दूसरी चीज के लिए बेकार है। दोनों के अपने समर्थक थे, और कई बार गरमागरम बहसें हो जातीं। बैठकों में स्नोबॉल अक्सर अपने बेहतरीन भाषणों की वजह से बहुमत से जीत जाता, लेकिन नेपोलियन बीच-बीच में अपने लिए प्रचार करा के समर्थन पा लेता। वह भेड़ों के संबंध में खासतौर पर सफल था। पिछले कुछ अरसे से भेड़ों ने ’चार टांगें अच्छी, दो टांगें खराब, आते-जाते, मौसम-बेमौसम मिमियाना शुरू कर दिया था। वे अक्सर यह गा कर बैठक में व्यवधान डालतीं। यह पाया गया कि वे स्नोबॉल के भाषण के दौरान नाजुक क्षणों में ’चार टांगें अच्छी, दो टांगें खराब‘ का राग विशेष रूप से अलापने लगतीं। स्नोबॉल को फार्म हाउस के ’किसान‘ और ’पशुपालक‘ पत्रिकाओं के कुछ पुराने अंक मिल गए थे और इसने इनका बारीकी से अध्ययन किया था। उसके पास नवीनता और सुधारों के लिए ढेरों योजनाएं थीं। वह खेतों की नालियों, चारे को हरा बनाए रखने और कचरे आदि के बारे में विद्वतापूर्ण बातें करता। उसने पशुओं के लिए एक ऐसी पेचीदा योजना बनायी थी कि वे सीधे ही खेतों में हर दिन अलग-अलग जगह पर हगा करें। इससे ढुलाई की मेहनत बचेगी। नेपोलियन की खुद की कोई योजना नहीं होती थी, लेकिन वह शांति से कहता कि स्नोबॉल की योजनाओं से कुछ नहीं होने वाला। लगता, वह अपने समय की प्रतीक्षा कर रहा है। लेकिन कुल मिलाकर उनका कोई भी विवाद इतना कटु नहीं था, जितना पवनचक्की को लेकर हुआ।

लंबे चरागाह में, फार्म की इमारतों के पास ही वहां एक छोटी-सी टेकरी थी, जो बाड़े की सबसे ऊंची जगह थी। जमीन का सर्वेक्षण करने के बाद स्नोबॉल ने घोषणा की कि यह पवनचक्की के लिए बिल्कुल सही जगह है। पवनचक्की से डायनमो चलाया जा सकेगा और बाड़े को बिजली की सप्लाई की जा सकेगी। इससे थानों में रोशनी होगी, सर्दियों में वे गर्म रहेंगे। इससे एक चक्करदार आरी, चारा काटने की मशीन, चुकन्दर की फांकें काटने की मशीन और दूध दुहने की बिजली की मशीन भी चलायी जा सकेगी। पशुओं ने इससे पहले कभी इस तरह की चीजों के बारे में सुना भी नहीं था क्योंकि बाड़ा पुराने किस्म का था और उसमें बाबा आदम के जमाने की मशीनें थीं। वे मुंह बाए सुनते रहे और स्नोबॉल उन शानदार मशीनों की मायावी तस्वीरें खींचता रहा जो उनके काम कर दिया करेंगी और वे आराम से खेतों में चरते रहेंगे या पढ़-लिखकर या बातचीत करके अपना ज्ञान बढ़ाते रहेंगे।

कुछ ही सप्ताहों में पवनचक्की के लिए स्नोबॉल ने योजनाओं को अंतिम रूप दे दिया। इसके ज्यादातर ब्यौरे मिस्टर जोन्स की तीन किताबों ’घर में करने के हजार उपयोगी काम‘, ’हर आदमी खुद का मित्री, और ’नौसिखुओं के लिए बिजली‘ से आए। स्नोबॉल ने अपने अध्ययन के लिए सायबान चुना जो कभी अण्डे सेने के बक्से रखने के काम आता था। इसका लकड़ी का समतल चिकना फर्श ड्राइंग का काम करने के लिए उपयुक्त था। वह खुद को घंटों के लिए इस कमरे में बंद कर लेता। एक पत्थर के टुकड़े की मदद से किताबें खुली रखता, अपने पैर के जोड़ों के बीच चॉक का एक टुकड़ा फंसा कर वह तेजी से आगे-पीछे चलता, एक के बाद दूसरी रेखाएं खींचता और उत्तेजना से धीमे-धीमे प्यां-प्यां करता। धीरे-धीरे ये खाके क्रैंकों और दांतेदार पहियों के जटिल जाल में बदल गए। इनसे आधे से ज्यादा फर्श भर गया। दूसरे पशुओं को ये सब बिल्कुल समझ में नहीं आए, इसके बावजूद वे इनसे प्रभावित हुए। सबके सब स्नोबॉल की ड्राइंग देखने दिन में कम से कम एक बार तो जरूर आते। यहां तक कि मुर्गियां और बत्तखें भी आयीं। वे इस बात का खास ख्याल रखतीं कि कहीं उनके पांव चॉक के निशानों पर न पड़ जाएं। सिर्फ नेपोलियन अलग-थलग बना रहा। उसने शुरू से ही खुद को पवनचक्की के खिलाफ घोषित कर रखा था। अलबत्ता, एक दिन वह अचानक ही, बिना किसी उम्मीद के खाकों का मुआयना करने आ पहुंचा और सायबान में भारी कदमों से चहल-कदमी करता रहा। वह खाकों की सभी बारीकियों को गौर से देखता रहा और उन पर एक-दो बार घुर-घुर किया। वह उन्हें कनखियों से ध्यानपूर्वक देखता थोड़ी देर खड़ा रहा, अचानक उसने अपनी टांग उठायी, खाकों पर मूत किया और एक शब्द भी बोले बिना बाहर निकल गया।

पवनचक्की के मामले पर पूरा बाड़ा भीतर तक बंटा हुआ था। स्नोबॉल इस बात से इंकार नहीं करता था कि इसे बनाना मुश्किल काम होगा। पत्थरों की खुदाई करनी होगी, उनकी दीवारें खड़ी की जाएंगी, पाल बनाए जाने होंगे और इसके बाद डायनेमो और तारों की जरूरत पड़ेगी। (इन्हें कैसे हासिल किया जाना था, स्नोबॉल ने यह नहीं बताया) लेकिन उसका दावा था कि यह सब साल भर में किया जा सकता है। उसने घोषणा की कि इसके बाद इतने परिश्रम की बचत होगी कि पशुओं को सप्ताह में सिर्फ तीन दिन काम करने की जरूरत पड़ेगी। दूसरी तरफ नेपोलियन ने तर्क दिया कि इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने की है, और अगर वे पवनचक्की पर वक्त बरबाद करते रहे तो सबके सब भूखे मर जाएंगे। पशुओं ने इन नारों के अंतर्गत खुद को दो धड़ों में बांट लिया। ’स्नोबॉल को वोट दो, सप्ताह में तीन दिन काम करो‘ और ’नेपोलियन को वोट दो और भरी हुई नाद पाओ।‘ बैंजामिन ही ऐसा अकेला पशु था जो किसी भी धड़े की तरफ नहीं झुका। उसने दोनों ही बातें मानने से इंकार कर दिया कि या तो ज्यादा खाना मिला करेगा या फिर पवनचक्की से मेहनत की बचत होगी। पवनचक्की या पवनचक्की नहीं, उसका कहना था, जिंदगी हमेशा पहले की ही तरह अर्थात ’बदहाली‘ में चलती रहेगी।

पवनचक्की के लिए विवादों के अलावा, बाड़े की सुरक्षा का भी प्रश्न था। यह अच्छी तरह महसूस कर लिया गया था कि मनुष्यों को तबेले की लड़ाई में हरा तो दिया गया है, वे फिर से मिस्टर जोन्स को वापिस लाने के लिए दूसरा और पहले से ज्यादा संकल्प के साथ हमला कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए उनके पास ठोस कारण भी थे, क्योंकि उनकी हार की खबर देश के दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच गई थी और पड़ोसी बाड़ों के पशु अब पहले की तुलना में ज्यादा बेचैन थे। हमेशा की तरह, स्नोबॉल और नेपोलियन एक दूसरे से असहमत थे। नेपोलियन के अनुसार पशुओं को जो सबसे जरूरी काम करना चाहिए, वह यह है कि बंदूकें आदि हासिल की जाएं और उन्हें चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया जाए। स्नोबॉल का कहना था कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा कबूतर बाहर भेजते रहना चाहिए जो पास-पड़ोस के बाड़ों में बगावत के लिए उन्हें उकसाएंगे। एक ने यह तर्क दिया कि यदि वे खुद की रक्षा नहीं कर पाए तो तय है, उन्हें हरा दिया जाएगा और दूसरे का तर्क था कि यदि हर जगह बगावत हो जाए, तो उन्हें अपनी रक्षा करने की कोई जरूरत नहीं। पशुओं ने पहले नेपोलियन को सुना, फिर स्नोबॉल की बात सुनी। वे यह तय नहीं कर पाए कि इनमें से सही कौन है, अलबत्ता वे हमेशा खुद को उससे सहमत पाते जो उस समय उनके सामने बोल रहा होता।

आखिर वह दिन आ ही गया जब स्नोबॉल की योजनाएं पूरी हो गइऔ। आने वाले रविवार को होने वाली बैठक में यह सवाल मतदान के लिए सामने रखा जाना था कि पवनचक्की पर काम शुरू किया जाए या नहीं। जब सारे पशु बड़े बखार में जमा हो गए तो स्नोबॉल उठा और भेड़ों की मिमियाहट के द्वारा व्यवधान डालने के बावजूद पवनचक्की के निर्माण के समर्थन में अपने कारण गिनाने लगा। तब नेपोलियन जवाब देने के लिए खड़ा हुआ। उसने बहुत मजे से कहा कि पवनचक्की सिर्फ बकवास है और कि उसकी सलाह है कि कोई भी इसके पक्ष में वोट न दे। वह यह कहकर बैठ गया। वह मुश्किल से तीस सैकेण्ड के लिए बोला होगा और उसने इस बात की शायद ही परवाह की कि उसकी बात ने क्या प्रभाव छोड़ा है। इस पर स्नोबॉल अपनी टांगों पर उछला, और भेड़ों को, जिन्होंने फिर से मिमियाना शुरू कर दिया था, डपटकर चुप कराते हुए, पवनचक्की के पक्ष में भावपूर्ण अपील करने लगा। अब तक तो पशु अपनी-अपनी सहानुभूति में बराबर-बराबर बंटे हुए थे, लेकिन एक ही पल में स्नोबॉल की वाकपटुता ने उन्हें पिघला दिया। आवेशपूर्ण वाक्यों में उसने उस वक्त के बाड़े की तस्वीर खींची, जब पशुओं की पीठ पर से घनौना बोझ उतार दिया जाएगा। अब उसकी कल्पनाशीलता चारा काटने की मशीनों और शलगम की फांकें करने वाली मशीन से आगे जा चुकी थी। उसने कहा कि बिजली थैशिंग मशीनें, हल, हेंगा, लोढ़े चला सकती है और कटाई कर सकती है, फसल के गट्ठे बांध सकती है। इसके अलावा इससे हर थान को अपनी बिजली, रोशनी, ठण्डा और गर्म पानी और बिजली का हीटर मिल सकेगा। जब उसने अपनी बात खत्म की तो इस बात में कोई शक नहीं रहा कि वोट किसके पक्ष में पड़ेंगे। लेकिन अचानक तभी नेपोलियन उठा और स्नोबॉल की तरफ अजीब तरीके से कनखियों से देखते हुए उसने बहुत ऊंची आवाज में पिनपिनाहट की आवाज निकाली। ऐसी आवाज निकालते उसे किसी ने सुना नहीं था।

इस पर वहां बाहर की तरफ से भौंकने की भयंकर आवाजें आइऔ और नौ बड़े-बड़े कुत्ते जिन्होंने पीतल जड़े कॉलर लगा रखे थे, छलांगें मारते हुए बखार में घुस आए। वे सीधे स्नोबॉल की तरफ लपके। वह ठीक वक्त पर अपनी जगह से कूदकर हटा और इस तरह उनके झपटते पंजों से खुद को बचा सका। पल भर में ही वह दरवाजे से बाहर था, और वे उसके पीछे थे। एकदम भैंचक्के और भयभीत अवाक पशु इस तरह पीछा किए जाने को देखने के लिए दरवाजे पर भीड़ लगाकर खड़े हो गए। स्नोबॉल सड़क की तरफ वाले लंबे चरागाह में सरपट दौड़ा चला जा रहा था। वह इतनी तेज दौड़ रहा था जितना तेज एक सूअर ही दौड़ सकता है। लेकिन ये कुत्ते एकदम उसके पीछे लगे हुए थे। अचानक वह रपटा और यह बिल्कुल तय लगा कि वे उसे दबोच लेंगे। वह फिर उठ खड़ा हुआ और पहले से भी ज्यादा तेज दौड़ते हुए लपका। एक बार फिर कुत्ते बिल्कुल उसके पास पहुंच गए। उनमें से एक ने तो स्नोबॉल की पूंछ अपने पंजों में दबोच ही ली थी कि स्नोबॉल ने ठीक वक्त पर पूंछ को उमेठ कर बचा लिया। तब उसने थोड़ा और दम लगाया और कुछ ही इंचों के अंतराल से बाड़े के एक छेद के पार निकल गया और फिर कभी किसी ने उसे नहीं देखा।

मूक और आंतकित पशु वापिस बखार में सरक आए। पल भर में कुत्ते छलांगें लगाते लौट आए। पहले तो कोई कल्पना भी नहीं कर सका कि आखिर ये जीव आए कहां से, लेकिन जल्दी ही इस समस्या का समाधान हो गया। ये वही पिल्ले थे जिन्हें नेपोलियन उनकी मांओं से ले गया था और उन्हें गुपचुप बड़ा करता रहा था। हालांकि वे अभी पूरी तरह जवान नहीं हुए थे, वे बड़े डील-डौल वाले कुत्ते थे, और देखने में भेड़ियों की तरह खतरनाक लग रहे थे। वे नेपोलियन से सटे खड़े रहे। यह देखा गया कि वे उसके आगे वैसे ही पूंछ हिला रहे थे, जैसे दूसरे कुत्ते मिस्टर जोन्स के आगे पूंछ हिलाने के आदी थे।

नेपोलियन और उसके पीछे-पीछे कुत्ते फर्श के उभरे हुए हिस्से पर चढ़ गए, जहां पहले अपना भाषण देने के लिए कभी मेजर खड़ा हुआ था। उसने घोषणा की कि अब से रविवार सुबह की बैठकें नहीं हुआ करेंगी। उसने कहा कि ये गैर-जरूरी हैं और इनसे समय की बरबादी होती है। भविष्य में, बाड़े के कामकाज से जुड़े सभी मामले सूअरों की एक विशेष समिति द्वारा निपटाए जाएंगे। इसका अध्यक्ष वह खुद होगा। ये बैठकें गुप्त रूप से होंगी और बाद में इसके फैसले दूसरों को सुना दिए जाएंगे। पशु तब भी रविवार की सुबह को झण्डे को सलाम करने, ’इंग्लैण्ड के पशु‘ गीत गाने और सप्ताह भर के लिए अपने आदेश लेने के लिए एकत्र हुआ करेंगे, लेकिन अब और बहसें नहीं हुआ करेंगी।

स्नोबॉल के निष्कासन से उन्हें धक्का पहुंचा, उसके बाद पशु इस उद्घ्ााsषणा से और निराश हो गए। उनमें से कइयों को अगर सही तर्क मिल जाए तो उन्होंने इसका विरोध किया होता। यहां तक कि बॉक्सर अस्पष्ट रूप से परेशान हो गया। उसने अपने कान खड़े किए। अपने भालकेशों को कई बार हिलाया और अपने विचारों को तरबीब देने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन आखिर में वह कहने लायक कुछ भी सोच नहीं पाया। अलबत्ता, खुद सूअरों में से कुछ जने ज्यादा स्पष्ट थे। पहली पंक्ति में बैठे चार बलिशूकरों ने असहमति की तेज हुंकार भरी। चारों ही अपने पैरों पर कूदे और एक साथ बोलना शुरू कर दिया। लेकिन अचानक नेपोलियन के चारों तरफ बैठे कुत्तों ने गहरी, धमकी भरी गुर्राहट निकाली, जिससे सूअर खामोश हो गए और वापिस बैठ गए। तभी भेड़ों ने ’चार टांगें अच्छी, दो टांगें खराब‘ की भीषण जुगलबंदी शुरू कर दी जो पूरे पन्द्रह मिनट तक चलती रही और इसने किसी भी चर्चा की संभावना को खत्म कर दिया।

बाद में स्क्वीलर को बाड़े में दूसरे पशुओं को नयी व्यवस्थाओं के बारे में समझाने के लिए भेजा गया।

’कॉमरेड्स‘, उसने कहा, ’मुझे विश्वास है कि यहां मौजूद प्रत्येक पशु कॉमरेड नेपोलियन के इस त्याग की सराहना करता है जो उन्होंने अपने ऊपर अतिरिक्त बोझ डाल कर किया है। यह मत समझिए, कॉमरेड्स, कि नेतृत्व से आनंद मिलता है। उसके उलटे यह एक गहरी और भारी जिम्मेदारी है। इस बात का कॉमरेड नेपोलियन से ज्यादा किसी को भी विश्वास नहीं है, कि सभी पशु बराबर हैं। इस बात की उन्हें बेहद खुशी होगी कि आप लोग अपने फैसले खुद कर सकें। लेकिन कभी-कभी आप गलत फैसले भी ले सकते हैं, कॉमरेड्स, और तब हम कहां होंगे? मान लीजिए, आप लोगों ने स्नोबॉल की पवनचक्की के ख्याली पुलाव के चक्कर में उसके पीछे चलने का फैसला कर लिया होता तो स्नोबॉल जो अब हम जानते हैं, किसी अपराधी से कम नहीं था?‘

’वह तबेले की लड़ाई में बहादुरी से लड़ा था।‘ किसी ने कहा ’बहादुरी ही काफी नहीं है।‘ स्क्वीलर ने कहा, ’निष्ठा और आज्ञापालन ज्यादा महत्वपूर्ण हैं और जहां तक तबेले की लड़ाई का सवाल है, मुझे विश्वास है, वह वक्त आएगा जब हमें पता चलेगा कि इसमें स्नोबॉल की भूमिका को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया है। अनुशासन, कॉमरेड्स, कड़ा अनुशासन! आज के लिए यही नारा है। एक गलत कदम और दुश्मन हमारे सिर पर होगा। यह तय है कॉमरेड्स की आप जोन्स को वापिस नहीं देखना चाहते?‘

एक बार फिर इस तर्क का उत्तर नहीं था। निश्चित रूप से पशु जोन्स को वापिस नहीं चाहते थे। यदि रविवार की सुबहों के समय बहसें करने से जोन्स वापिस आ सकता था, तो ये बहसें जरूर बंद हो जानी चाहिए। बॉक्सर, जिसके पास अब सोचने-समझने के लिए वक्त था, ने आम राय को इस तरह व्यक्त किया, ’यदि कॉमरेड नेपोलियन ऐसा कहते हैं, तो यह सही ही होगा‘ और तब से उसने एक ध्येय बना लिया, ’नेपोलियन हमेशा ठीक कहते हैं।‘ यह उसके ’मैं और अधिक कड़ा परिश्रम करूंगा‘ के व्यक्तिगत लक्ष्य के अलावा था।

इस समय तक मौसम खुल चुका था और वसंत के वक्त की जुताई शुरू हो चुकी थी। वह सायबान, जिसमें स्नोबॉल ने पवनचक्की के खाके खींचे थे, बंद कर दिया गया था और यह मान लिया गया था कि खाकों को जमीन पर से मिटा दिया गया है। हर रविवार की सुबह दस बजे सभी पशु बड़े बखार में इकट्ठे होते और सप्ताह के लिए अपने आदेश प्राप्त करते। जनाब मेजर की खोपड़ी, जिस पर से मांस झड़ चुका था, फलोद्यान से कब्र से खोद निकाली गई तथा झण्डे के डण्डे के नीचे एक ठूंठ पर उसे सजा दिया गया था। झण्डा चढ़ाने के बाद अब पशुओं से उम्मीद की जाती थी कि वे बखार में घुसने से पहले खोपड़ी के आगे से सम्मानजनक तरीके से गुजरें। आजकल वे पहले की तरह एक साथ नहीं बैठते थे। नेपोलियन, स्क्वीलर और मिनिमस नाम के एक दूसरे सूअर के साथ उठे हुए चबूतरे पर आगे-आगे बैठता। मिनिमस गीत और कविताएं रचने में माहिर था। नौ के नौ युवा कुत्ते उनके चारों तरफ अर्धचन्द्राकार घsरे में बैठते। दूसरे सूअरों के बैठने की जगह पीछे थी। बाकी सारे पशु उनकी तरफ मुंह करके मुख्य बखार में बैठते। नेपोलियन रूखी फौजी आवाज में सप्ताह के लिए आदेश पढ़कर सुनाता और एक बार ’इंग्लैण्ड के पशु‘ गीत गा लेने के बाद सब पशु तितर-बितर हो जाते।

स्नोबॉल की निकासी के बाद तीसरे रविवार को पशु नेपोलियन की यह उद्घोषणा सुनकर कुछ-कुछ हैरान हुए कि आखिरकार पवनचक्की बनानी ही होगी। उसने अपना विचार बदलने के पीछे कोई कारण नहीं दिया, लेकिन पशुओं को चेतावनी भर दे दी कि इस अतिरिक्त काम का मतलब बहुत अधिक मेहनत होगा, यहां तक कि उनका राशन कम करने की भी जरूरत पड़ सकती है। अलबत्ता, खाके और योजनाएं एक-एक बारीकी के साथ पहले ही तैयार किए जा चुके थे। पिछले तीन सप्ताह से सूअरों की एक विशेष समिति इस पर काम कर रही थी। दूसरे कई सुधारों के साथ पवनचक्की के निर्माण में दो साल लगने की उम्मीद थी।

उस शाम स्क्वीलर ने दूसरे पशुओं को अलग से बताया कि नेपोलियन दरअसल कभी भी पवनचक्की के विरुद्ध नहीं था। इसके विपरीत, यह नेपोलियन ही था जिसने शुरू-शुरू में पवनचक्की का समर्थन किया था, और जो नक्शे स्नोबॉल ने अण्डे सेने वाले कमरे में जमीन पर बनाए थे, वे, सच तो यह है नेपोलियन के कागजों में से चुराए गए थे। वास्तव में पवनचक्की नेपोलियन के दिमाग की ही उपज थी। किसी ने पूछा कि तब वह पवनचक्की के खिलाफ इतने कड़े विरोध में क्यों बोला था? इस पर स्क्वीलर बहुत धूर्त दिखाई दिया। ’यह तो‘, उसने कहा ’नेपोलियन की चालाकी थी। उसने ऐसा लगने दिया कि वह पवनचक्की के खिलाफ है‘ ताकि स्नोबॉल से छुटकारा पाया जा सके। स्नोबॉल एक खतरनाक चरित्र था और गलत असर डाल रहा था। अब स्नोबॉल का कांटा साफ हो चुका है, इसलिए पवनचक्की की योजना बिना किसी बाधा के पूरी की जा सकती है। ’यही‘ स्क्वीलर ने कहा, ’रणनीति कहलाती है।‘ उसने गोल-गोल घूमते हुए पूंछ ऐंठते हुए और ठहाके लगाते हुए कई बार ’रणनीति, कॉमरेड्स रणनीति‘ दोहराया। पशुओं को पक्का पता नहीं था कि इस शब्द का मतलब क्या होता है। लेकिन एक तो स्क्वीलर इतनी विश्वसनीयता के साथ बोला और दूसरे संयोग से तीन कुत्ते उस समय वहीं मौजूद थे जो धमकी भरी आवाज में गुर्रा रहे थे, सबने बिना और कोई सवाल किए उसका स्पष्टीकरण मान लिया।