Pata Ek Khoye Hue Khajane Ka - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 17

यहाँ पड़ाव में दीपक और रफिक्चाचा को गए लम्बा वक्त गुजर गया था. उनके और जेसिका के न लौटने से अन्य टीम मेम्बर्स को कुछ अनहोनी होने की दहशत पैदा हुई. वे जल्दी से खड़े हुए. और तीनों की तलाश में निकले. चारों और उनको ढूंढने लगे. पर कोई न दिखाई दिया. तीनों के नाम की पुकार भी लगाई. पर कोई उत्तर न पाकर वे उनकी तलाश में आगे बढ़े.
तभी उन्होंने एक कानफोड़ु धमाका सुना. साथ ही एक तेज रोशनी का गोला भी देखा. उन्हें कोई बड़े संकट की भनक लगी. वे गभराए. और धमाके की दिशा में भागे.
***
दीपक और रफिक्चाचा एक खड़ी चट्टान के ऊपर खड़े थे. उनके सामने ही दस बारह भेड़ियों का झुंड हमले की फिराक में था. दूसरी और से दो भालू भी अपने शिकार पर टूट पड़ने की तैयारी में थे. और बीच में जेसिका इन सब से बेखबर आँखों में दूरबीन लगाए देखे जा रही थी. दोनों के पास वक्त बिलकुल नहीं था. अगर वे बंदूक का इस्तेमाल करते तब भी एक दो भेड़ियों को ही मार सकते. पर तब गभराए हुए दूसरे भेड़िये बिफर कर जेसिका को नुकसान पहुंचा सकते थे. और वे भालू तो उनकी बंदूक की रेंज में भी नहीं थे. ऊपर से पेड़ों की वजह से बंदूक का निशाना चुक जाने की ज्यादा संभावना थी. उनके पास हथगोले भी थे. पर उसके इस्तेमाल से जेसिका को भी नुकसान पहुँच सकता था. क्यूंकि जेसिका और भेड़ियों के बीच अंतर बहुत कम था.
तुरंत दीपक ने एक त्वरित निर्णय लिया. उसने अपने पास रखे हथगोले रफिक्चाचा के हाथ में थमाते हुए कहा, "देखो, जैसे ही मैं जेसिका को पेड़ के पीछे धक्का दूँ, तुरंत आप भेड़ियों के पीछे ये हथगोले फोड़ना." रफिक्चाचा कुछ कहते, उससे पहले दीपक दौड़ा. और नीचे के एक पेड़ की मजबूत दाल पर कूदा. यह भी खयाल न किया की उस दाल पर कई सर्प हैं. और जान जाने का जोखिम है. उसने दोनों हाथों से एक अन्य दाल को पकड़ा और लटक पड़ा. वह दाल दीपक के बोझ से नीचे की और झुकी. अब दीपक दाल के सहारे इतनी ऊँचाई पर लटकने लगा था, जहां से जमीन पर कूद पड़ना आसान था.
तभी जेसिका को होश आया और उसने अगल बगल देखा. दोनों और मौत को पाकर वह गभराई.
उसी वक्त दीपक ने दाल से सीधे नीचे जंप लगाई और तुरंत जेसिका के पास पहुंचकर उसे पीछे से धक्का दिया. जेसिका इस के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी. वह नीचे गिरी और साथ ही दीपक भी गिरा. दीपक ने रेंगते और लुढ़कते हुए उसे पेड़ के पीछे किया.
अपने शिकार पर दूसरे को कब्जा करते देख, वे भेड़िये बिफर पड़े. और उन्होंने हमला कर दिया.
पर एन वक्त पर रफिक्चाचा ने कमाल कर दिया. भेड़ियों के पीछे उनके छोड़े हुए हथगोले का बड़ा धमाका हुआ. जैसे आकाश में बिजली चमकी और बादल फटा. धुल मिट्टी का गुब्बार उठा. पेड़ पौधे सारे हिल गए.
अपने पीछे इतना बड़ा धमाका और रौशनी का गोला देख, वे भेड़िये गभरा कर हमले का खयाल छोड़ आगे की और भागे. जहां उनके मार्ग में वे भालू खड़े थे. भेड़ियों और भालू के बीच गुत्थमगुत्थी हो गई.
जेसिका और दीपक को मौका मिला. दोनों खड़े हुए. दीपक को देखकर जेसिका उससे लिपट कर रो पड़ी. दीपक ने उसकी पीठ ठपठपाई और जल्दी से उसका हाथ थाम भागने लगा. वे सुरक्षित स्थान पर पहुँच गए. तभी रफिक्चाचा भी उनसे आ मिले.
वह दोनों का हालचाल पूछ ही रहे थे, उसी वक्त सामने से उनके अन्य साथी आते दिखाई दिए.
रफिक्चाचा और दीपक ने सारा माजरा उन्हें कह सुनाया. सभी ने दोनों की तारीफ की. और जेसिका को इस जंगल में आगे से सावधान रहने की सलाह दी. जेसिका भी अपनी इस बेवकूफाना हरकत पर शर्मिंदा हुई. उसने सबसे माफी मांगी. और अपनी जान बचाने के लिए दीपक एवं रफिक्चाचा के प्रति दिल से आभार प्रगट किया.
सभी अपने पड़ाव पर पहुँचे. तभी रौशनी के गोले नीचे तलहटी से उपर की और आते दिखाई दिए. उनको यह पता लगते देर न लगी कि ये रौशनी के गोले वास्तव में मशाल हैं. और वे आदि मनुष्य ही मशाल लेकर पहाड़ी पर आ रहे हैं. सायद वह हथगोले के धमाके की आवाज़ उन तक भी पहुंची थी. और वे उसी की तोह लेने आ रहे थे. ये लोग देर रात तक धमाके का पता लगाने पहाड़ी पर इधर से उधर घूमते रहे.
राजू की टीम ने अपनी झलाई हुई सभी आग और टॉर्च की रौशनी बूझा दी. उन्हें इस बात का अंदेशा था कि अगर उन मनुष्यों को उनका पता चला, तो उसे दुश्मन जानकर नया बवाल खड़ा कर सकते हैं. उन लोगों से मिलने पर ये आदि मनुष्य कैसा बर्ताव करेंगे, ये तो उन्हें नहीं पता था. पर अंडमान में बसने वाले सेंटाइन्लीस आदिमानवों के बर्ताव से उन्हें यह अंदाजा था कि ये लोग किसी बाहरी इंसान के आगमन को सहन नहीं करते. इसलिए वे चुपचाप अपने टेंट में पड़े रहे. पर वे लगातार इन मनुष्यों की हिलचाल पर निगाह रखे हुए थे. इस दौरान वे मनुष्य पास से भी गुज़रे. पर रात्रि के अंधकार एवं पेड़ों के झुरमुट में छिपे होने की वजह से उन्हें इन लोगों की हाजिरी का पता न चल पाया.
इसी दौरान एक बेहद चौंकाने वाली खबर जेसिका ने सुनाई. उसने कहा.
"हम जिस मनुष्यों को देख रहे हैं, ये सायद दुनियाँ के लिए हमारी नई खोज हो सकती है. जहां तक मैं जानती हूँ, ये आदि मनुष्यों की प्रजाति अपने आप में अनोखी है. इसके बारें में अब तक दुनियाँ कुछ नहीं जानती. और अब तक ये हमारी पहुँच से बाहर ही रही है. इसलिए यह हमारे लिए एक खुशी की खबर हो सकती है."
जेसिका की बात सुनकर सभी चकित रह गए. उन्हें इस बात का ज्ञान ही नहीं था कि वे जिस इंसानों को देख रहे हैं, उससे दुनियाँ अब तक अपरिचित ही रही है. वे इस बात का एहसास करते अभिभूत हो गए कि वे सब अनजाने में ही इस खोज अभियान का हिस्सा बन गए थे. और उनके ह्रदय में उन आदि मनुष्यों के प्रति विशेष आदर और बंधुत्व की भावना उभर आई.
इसी दौरान उन्हें एक और भेद का पता चला. उन्होंने जो पिछली रातों को चलती हुई रोशनी देखी थी, वह इन्हीं मनुष्यों की हरकतें थी. ये मनुष्य हाथों में मशाल लिए पहाड़ियों पर घूम रहे थे. जो उन लोगों ने पिछली रात में देखि थी.
अगली सुबह जब दीपक और जेसिका आमने सामने हुए. दोनों की आंखें चार हुई. वे एक दूसरे को देखते ही रह गए. दीपक मुसकुराया और आँखों ही आँखों से उसकी छेड़खानी की. जेसिका हंसी. और शर्मा कर भाग गई. दीपक लाचार होकर उसे दूर जाते देखता रहा.
अब इन लोगों को इतना तो पता चल ही गया था कि इस टापू पर कोई मनुष्य आबादी है. पर वे अब सीधे उनके नजदीक नहीं जा सकते थे. क्यूंकि अनजाने में ही हथगोले के धमाके की वजह से वे उनके दुश्मन बन बैठे थे. अब इन्हें कोई ठोस रणनीति बनानी थी और आगे की योजना पर कार्य करना था.
अब उन्होंने यह तै किया कि जेसिका उन इंसानों की खोज खबर लेने जाएगी. और इनके साथ एक दो साथियों को भेज दिया जाए. और अन्य मेम्बर्स खोह की तलाश में निकलेंगे. टेंट को नजदीक की पहाड़ी पर ही लगा देंगे. जहां सभी को साम होने से पहले पहुँच जाना था. इतना तै कर वे अलग हुए.
जेसिका के साथ दीपक ने जाना पसंद किया था. उन दोनों ने आदि मनुष्यों के कार्यकलापों की तोह लेना तै किया. इसलिए सुबह को वे पहाड़ी से नीचे तलहटी में उतर आये. और वे आदि मनुष्य क्या कर रहे हैं, छिपकर देखने लगे. वे अलग अलग स्थानों पर जा कर उनकी हिलचाल की नोंद ले रहे थे.
वे मनुष्य तरह तरह की प्रवृति में व्यस्त दिखाई दे रहे थे. कई मर्द जंगल से शिकार कर ला रहे थे. तो कुछ लोग शिकार किए हुए प्राणियों की चमड़ी उतार कर सुखा रहे थे. कोई इस चमड़ी से किसी प्रकार के साधन बना रहे थे, तो कोई मछलियों, पंखियों, प्राणियों की हड्डियाँ, सींग, पंखे, इत्यादि का इस्तेमाल कर कोई न कोई वस्तु या साधन बना रहे थे. उनके कन्धों पर तीर कमान भी लटक रहे थे. जिनका इस्तेमाल वे शिकार के लिए करते होंगे.
उनके बातचीत के तरीके में शब्द मर्यादित महसूस हो रहे थे. वाक्य भी छोटे छोटे थे. कई बार तो वे अपने संवाद में शब्द के बजाय सिर्फ विचित्र ध्वनि से ही चला रहे थे. और उन ध्वनियों में कई ध्वनि तो प्राणी एवं पंखियों की आवाज़ और प्रकृति की ध्वनि से प्रेरित थी.
उनकी औरतें सायद किसी चीज की तैयारी कर रही थी. वे जंगल से लाए हुए फूल फल, सफेद लाल काली मिट्टी, पेड़ पौधों, इत्यादि को पीसकर अलग अलग रंग का पाउडर बनाकर लकड़ी से बने बर्तन में भर रही थी.
कुछ बच्चों ने अपने पूरे बदन पर इस पाउडर को मल कर अपना हाल कुछ ऐसा बना रखा था कि असल हुलिया पहचानना मुश्किल हो रहा था. सफेद काले, लाल पीले, हरे रंगों और चेहरे पर भिन्न भिन्न प्राणियों के मुखौटे पहन ये बच्चे जैसे होली खेल रहे थे. एक दूसरे को रंग, और धूल मिट्टी उड़ा रहे थे.
उन बच्चों को देख कर दीपक के दिमाग में शरारत सूजी. वह बोला: "चलती है क्या होली खेलने?"
जिसके उत्तर में जेसिका सिर्फ हंसी.
कुछ वक्त गुजरने पर वे औरतें, कुछ मर्द और बच्चे मिलकर उस चमड़ी, हड्डियों, सींग से बने साधन और रंग भरे लकड़ी के बरतनों एवं जंगल से लाए फल फूल को उठाये कहीं जाने की तैयारी करने लगे. जेसिका को यह समझ नहीं आया कि वे इस साधनों, फल फूल और रंगों को लिए कहाँ और क्यूँ जा रहे हैं.
"सायद ये कोई त्यौहार मना रहे हैं या उसके कोई देवता की पूजा करने जा रहे हैं." जेसिका ने बगल में छिपकर बैठे हुए दीपक को धीरे से कहा.
यह सुनते ही दीपक के चेहरे पे कोई रहस्यमय सी चमक आ गई. जो जेसिका ने न देखी.
दीपक ने एक्साईट होकर जेसिका की पीठ थपथपाते हुए कहा. "तब तो हमें उनका पीछा करना ही पड़ेगा!"
क्रमशः
वे आदिम मनुष्य कहाँ जा रहे थे? दीपक के एक्साईट होने का राज़ क्या है? क्या वे आदिम लोगों का पीछा करेंगे? वहां उसे क्या मिलता है? अगले हप्ते इस राज़ से पर्दा उठेगा.
कहानी अब अत्यंत रोचक दौर में प्रवेश कर चुकी है, अतः जानने के लिए पढ़ते रहे.
अगले हप्ते कहानी जारी रहेगी.

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