बना रहे यह अहसास - 5 Sushma Munindra द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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बना रहे यह अहसास - 5

बना रहे यह अहसास

सुषमा मुनीन्द्र

5

अम्मा को एडमिट कर लिया गया।

उनके साथ मरीज की तरह व्यवहार होने लगा। वर्दीधारी कर्मचारी ने स्टाफ और भर्ती मरीजों के लिये आरक्षित लिफ्ट से उन्हें तीसरी मंजिल के आवंटित कक्ष में पहुँचा दिया। दीवार से लेकर बिस्तर तक सफेद रंग में एक सार हुआ सुंदर कक्ष। अम्मा को राजसी बोध हुआ। इतनी समर्थ हैं कि अपने लिये थोड़ा ठाट जुटा सकती हैं। बंगलों में रही हैं पर पप्पा ने समर्थ होने का बोध कभी नहीं होने दिया। मरीज के कमरे में दो व्यक्ति ही रह सकते हैं। पात्रता के लिये पर्ची बनती है। लिफ्ट मैन पर्ची देख कर काँमन लिफ्ट में प्रवेश करने देता है। काँमन लिफ्ट से पंचानन और सरस अम्मा के रूम में आये।

अम्मा ने समाचार दिया ‘‘कमरे में बहुत शांति है और ठण्डक है।’’

पंचानन की हाजिर जवाबी ‘‘एक दिन का किराया साढ़ तीन हजार रुपिया है।’’

अम्मा समझ गईं अब उन्हें दृढ़ होकर स्पष्ट बात करनी चाहिये ‘‘हमारे पास है। काहे चिंता करते हो ?’’

अम्मा का हुलिया मरीज की तरह बना दिया गया। पप्पा के न रहने पर चूड़ियाँ नहीं उतारीं लेकिन अब उतरवा कर नस में जैलको ठॅंूस दिया गया है। लाल रंग इतना पसंद है लेकिन सफेद रंग का सामने

से खुला डोरियों की सहायता से बाँध जाने वाला झबला जैसा टाँप और पैजामा पहनने का पाखण्ड करना पड़ रहा है। अम्मा ने विरोध किया ‘‘नहीं पहनेंगे सिस्टर।’’

‘‘पहन लीजिये। आराम मिलेगा।’’

अम्मा को आराम कम असहजता अधिक लग रही है।

व्याख्या ने आकर धूम मचा दी -

‘‘जम रही हो बुढ़ापे। साड़ी में जिंदगी खराब करती रही। जींस-टाँप पहनती तो पप्पा फिदा हो जाते।’’

दिनों बाद किसी ने उनके सौन्दर्य का जिक्र किया है। चाहती है उनके रूप, रंग, कद की खुल कर सराहना हो, जैसे बिरहुली में होती थी। बिरहुली छूटी, सारे भाव छूट गये।

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‘‘कितना झूठ बताती हो गूड़ा। पप्पा इतने बड़े जज्ज और हम अनपढ़। किस कारण फिदा होते ? सिविल लाइन की मिसिसॅंय (मिसेस, श्रीमतियाँ) जरूर कहती थीं मिसिस वेद आप बहुत सुंदर हैं।’’

‘‘अब भी हो। पिक्स लेती हॅंू।’’

मोबाइल पर अम्मा की पिक्स ले रही चमची का सनातन क्या करे ? वह धजा देख कर लज्जित है यह उचक-उचक कर तस्वीर ले रही है।

‘‘अब तो हमारी सुदरता को झाँई लग गई। तुम जरूर याद दिला देती हो, हम सुंदर थे।’’

‘‘अब भी हो।’’

व्याख्या जानती है अल्प शिक्षित होने के कारण अम्मा को अण्डर एसेस किया गया है। चाहती हैं सराही जायें, उन खूबियों के लिये जो उनमें हैं। अपने मेडिकल स्टूडेन्ट होने की जानकारी देकर व्यख्या ने पैरा मेडिकल स्टाफ से आग्रह कर लिया अम्मा की सराहना कर उन्हें चिल आउट किये रहना है।

अम्मा को देखने हेड सर्जन आये तब रात का आठ बज रहा था। पचास की उम्र के दुबले-पतले सर्जन स्नेह से बात करते हैं। व्याख्या जा चुकी है। रूम में सनातन और अवंती हैं। सर्जन ने अम्मा का हाथ थपक कर कहा -

‘‘कुछ टेस्ट होंगे। रिपोर्ट आने पर तय किया जायेगा क्या करना चाहिये। मिसेस वेद आप ठीक हो जायेंगी। घबराने की बात नहीं है।’’

अम्मा को मजबूती मिली ‘‘डाँक्टर साहब आपरेशन करा कर हम ठीक कर रहे हैं न ?’’

‘‘बिल्कुल ठीक कर रही हैं।’’

दूसरे दिन से जाँच शुरू हो गई।

व्हील चेयर पर अम्मा किस-किस कक्ष में ले जाई गईं। एक जाँच से लौटीं कि दूसरी का बुलावा। लगा अस्पताल आकर मरीज कुछ भी सोचने के लिये स्वतंत्र नहीं रह जाता है।

रिपोर्ट मिलने में चार दिन लग गये।

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अम्मा के रूम में पंचानन और अवंती हैं। रूम में लगे टेलीफोन पर रिंग आई। पंचानन ने रिसीवर उठाया। उधर से कहा गया हेड सर्जन से उनके चैम्बर में मिल लें। पंचानन चैम्बर में पहुँचा। सर्जन ने उसे बैठने का संकेत कर कहा -

‘‘मिसेस वेद की सर्जरी होगी। एक वाल्व चेंज होगा दूसरा रिपेयर किया जायेगा।’’

पंचानन के प्राण पशोपेश में। यकीन था दिल्ली के चिकित्सक केस को होप लेस कह देंगे।

‘‘सर, इस उम्र में सर्जरी कराना ठीक होगा ?’’

‘‘मैं हमेशा सोचता हूँ ठीक होगा। आप लोग मिसेस वेद के माइण्ड को मेक अप करें। कई बार पेशेन्ट, खास कर बुजुर्ग घबराकर इरादा बदल देते हैं कि सर्जरी नहीं करायेंगे।’’

- अम्मा के माइण्ड को कैसे मेक अप करें ? पहले ही इतना मेक अप किये हैं।

‘‘अम्मा बहुत घबराती हैं।’’

‘‘इसीलिये कहा माइण्ड को मेक अप करें। बी0पी0 ब्लड शुगर, बाँडी टेम्परेचर नारमल रहना चाहिये वरना सर्जरी टालनी पड़ती है। यहाँ रोज इतने आपरेशन होते हैं कि दूसरी डेट प्लान करने में समय लगता है।’’

- अम्मा सर्जरी कराने पर उतारू, आप करने पर उतारू।

‘‘सर्जरी कब होगी ?’’

‘‘इसी हफ्ते। ब्लड की जरूरत पड़ेगी। दो-चार डोनर तैयार रखें।’’

‘‘हम लोग सेकेण्ड ओपीनियन लेने आये थे। सर्जरी के हिसाब से पैसे का प्रबंध करके नहीं आये हैं।’’

‘‘कर लीजिये। पूरा सप्ताह है। मिसेस वेद की सर्जरी तुरंत होनी चाहिये इसलिये इसी सप्ताह की डेट रखी गई। वैसे डेट मिलने में काफी समय लग जाता है। सलाह दूँगा बाद में कराते हैं तो फिर इतने टेस्ट होंगे। आने-जाने की दिक्कत। मिसेस वेद बार-बार यात्रा करने लायक नहीं हैं।’’

पंचानन की इच्छा हुई अपनी नाड़ी का रक्त निथार कर रख दे - पैसे की व्यवस्था हो न हो, लीजिये रक्त की व्यवस्था हो गई। कीजिये सर्जरी। अम्मा कह रही थीं। पूरा कोष ले चलो। लर्नेड अधिवक्ता सनातन ने डपट दिया था लाखों रुपिया ले जायें, कोई छीन-झपट ले तो नई आफत। खुद तो मौके पर ठन-ठन गोपाल बन जाता है। हलाल मुझे होना पड़ेगा। बड़ी अफरा-तफरी है।

सनातन ने स्पष्ट कर दिया वह ठन-ठन गोपाल है।

‘‘पंचानन, ब्लड डोनर व्याख्या ले आयेगी। मेडिकल वाले ब्लड देने में नहीं डरते है। तुम तो जानते हो मेरे पास पैसा नहीं है। बैंक में जो थोड़ा-बहुत है मेरे साइन के बिना नहीं निकलेगा। पैसा निकालने हम दोनों जायें तो

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यहाँ का ये दो महिलायें नहीं सम्भाल पायेंगी। तुम आज ही महाकौशल पकड़ लो। जल्दी से जल्दी पैसा लेकर लौटो। सर्जरी होनी ही है तो जल्दी हो। काम धंधा छोड़ कर यहाँ कब तक पड़े रहें ? जो पैसा लगेगा बाद में अम्मा से ले लेना।’’

सनातन ने उसे धोबी पछाड़ दी, होटेल के कमरे में सरस ने दी -

‘‘अम्मा को वापस ले चलो। पैसा लेकर दुबारा आना तब सर्जरी होगी।’’

‘‘डाँक्टर क्या कहेंगे खैरात में अम्मा का इलाज कराने आये थे ?’’

‘‘इसकी चिंता तुम्हें क्यों है ? भैया अपना पैसा निकालें। या अम्मा निकालें। बड़ा दम भरती है उनके पास पैसा है।’’

‘‘बिना साइन के अम्मा का पैसा नहीं निकलेगा। अपने एकाउण्ट से ले आता हूँ, बाद में अम्मा से ले लूँगा।’’

सरस खुल कर बोली ‘‘सर्जरी में अम्मा को कुछ हो ............. पैसा हमारा लगेगा और अम्मा के पैसे में भैया आधे की दावेदारी करेंगे।’’

‘‘डाँक्टर से कह देता हूँ हम पैसे का इंतजाम नहीं कर सकेंगे।’’

‘‘जो मर्जी करो। मैं अब यहाँ नहीं रहूँगी।’’

‘‘भाभी अकेले कैसे सम्भालेंगी ?’’

‘‘खाना और सोना ही तो है। अम्मा की केयर स्टाफ करता है।

भाभी की बड़ी फिक्र है तो यामिनी दीदी को भेज दूँगी। दिल्ली देखने के लिये व्याकुल हो रही थी। और हाँ मैं रिस्क नहीं लूँगी। विदड्राअल फार्म लेते आना। अम्मा के साइन करा कर रख लेना।’’

सरस घर लौटी और सिद्ध राजनीतिज्ञ की तरह यामिनी के सम्मुख प्रस्तुत हुयी -

‘‘दीदी, हम बहुयें कितना ही करें, अम्मा को संतोष नहीं होगा। आप थोड़ा करोगी, बहुत लगेगा। पंचानन के साथ दिल्ली चली जाओ। पैसा लेकर तुरंत दिल्ली लौटना है। अम्मा की सज्ररी होनी है।’’

तत्काल सर्जरी होनी है - यामिनी पर तड़ित गिरा।

मान-अपमान भूल, अनुनय- विनय से गौतमजी को समझाकर उसने दिल्ली जाने की तैयारी कर ली।

यामिनी को होटेल में छोड़ पंचानन अस्पताल पहॅंुचा।

सनातन और अवंती, अम्मा के रूम में थे। पंचानन ने सनातन के मोबाइल पर काँल किया। सनातन पर्ची लेकर लिफ्ट से नीचे लाँबी में आया।

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‘‘पैसे ले आये ?’’

‘‘हाँ। तुम पैसे जमा कर दो, मैं अम्मा को देख आऊॅं। पर्ची दो।’’

सनातन से पर्ची लेकर पंचानन लिफ्ट से अम्मा के रूम में दाखिल हुआ।

अम्मा प्रतीक्षा में थी।

‘‘आ गये बेटा ?’’

‘‘हाँ। यामिनी दीदी भी आ गई है। भाभी, यामिनी दीदी, होटेल में है। आप उन्हें खाना वगैरह खिला देना। मैं अम्मा के पास हूँ।’’

अवंती चली गई।

पंचानन ने एकांत का पूरा लाभ लिया ‘‘अम्मा फार्म पर साइन कर दो।’’

अम्मा बैंक का नियम-कायदा जानने लगी हैं। पंचानन पैसा लेने गया है सुनकर दबाव में थीं। निर्धारित स्थान पर हस्ताक्षर कर दबाव मुक्त हुई -

‘‘पाई-पाई चुकायेंगे बेटा। चिंता न करना।’’

अम्मा के हस्ताक्षर करा चुका है। सचमुच चिंता नहीं करेगा।

‘‘टेंशन मत लो अम्मा।’’