दोस्ती - गलतफहमी का शिकार Neha Awasthi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दोस्ती - गलतफहमी का शिकार

स्तुति और आन्या दो सहेलियां बारिश के मौसम में साथ बैठी मजे ले रही थी । टेबल पर कॉफी रखी हुई थी और आपस में बातें चल रही थी ।

दोनों की दोस्ती ज्यादा लंबी तो नहीं कुछ 2 साल की थी पर पर गहरी इतनी कि मानो बचपन की दोस्त हो । एक दूसरे को अपनी हर बात बताना चाहें अच्छी हो या बुरी हर प्रॉब्लम शेयर करना, एक दूसरे को समझना सब कुछ बहुत अच्छा था उनके बीच में।

ऐसे ही बातों बातों में स्तुति को अपनी पुरानी फ्रेंड की याद आ गई जिससे दोस्ती काफी लंबी भी थी लगभग 7 साल और गहरी भी बहुत थी पर वो टूट गई अब पता नहीं क्यों ?
जिसका दुख और पछतावा स्तुति को काफी था क्योंकि उसे लगता था कि उसकी वजह से उसकी दोस्त उससे दूर चली गई है । ये सब बातें वह आन्या को बता रही थी और वो भी उसको ध्यान से सुन रही थी ।

स्तुति बताती है अनिका पहले वाली दोस्त बहुत अच्छी थी बहुत केयरिंग थी । दोनों एक साथ पढ़े थे 6 से 12 तक, दोनों एक दूसरे की हर बात हर आदत से वाकिफ थे । एक दूसरे की खुशी का ध्यान रखते थे वक्त बीतता गया दोस्ती गहरी होती गई ।


फिर एक दिन ऐसा आया जब दोनों को दूर होना पड़ा स्कूल खत्म होने के बाद । पर वादा किया एक दूसरे से कांटेक्ट में रहेंगे लाइफटाइम । वैसे वादा करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि हम दोनों को ही पता था कि रह नहीं पाएंगे दूसरे के बिना । स्कूल के बाद कुछ दिन तो रोज बात हुई दोनों में पर धीरे-धीरे पता नहीं क्या हुआ कि बात कम हो गई ।

आन्या ने पूछा ऐसा हुआ क्यों ?

शायद मेरी वजह से- स्तुति बोली

क्योंकि मैं झूठ बोलने लगी थी पर जानबूझकर नहीं यार अनजाने में, क्योंकि मेरी कुछ बातें उसे अच्छी नहीं लगती थी।
बात होती थी तो अपने बारे में बात करने से ज्यादा दूसरों के बारे में होती यह सब उसे पसंद नहीं था । हमारी दोस्ती काफी चर्चित थी स्कूल में इसलिए उसे कहीं ना कहीं से मेरे बारे में पता चल ही जाता और वह मुझे रोकने की कोशिश करती ।

तो मैं अपने और दोस्तों से भी बात करती पर उसे बताती नहीं लेकिन उसे पता रहता सब कुछ और फिर वो यह सोचती कि मैं झूठ बोल रही हूँ । उसे ऐसा लगता था कि मेरे ऊपर सिर्फ उसका ही अधिकार है । अब यह तो हो नहीं सकता कि और दोस्तों से बात करना बंद हो जाए और झूठ मैं उसको दुख ना पहुंचे इसलिए बोलती ।

1 साल तो लगभग ऐसा चलता रहा पर पता नहीं कब हम लोग दूर हो गए । बात तो अभी भी हो जाती है लेकिन बस फॉर्मेलिटी रह गई इतना कहते-कहते वह खो जाती है । (शायद उसे अपनी दोस्ती खोने का बहुत दुख होता है)
फिर आन्या हिला कर उसे वापस वही पर लाती है और कहती है हम हैं ना हमारे बीच ऐसा नहीं होगा ।

तो स्तुति रुंधे गले से बोलती है- यार मुझे उस के दूर जाने का बहुत दुख है और पछतावा भी है । मैं अपनी पहली दोस्ती अच्छे से निभा नहीं पाई. जो गलतफहमियों का शिकार हो गई । पर तेरे साथ दोस्ती का रिश्ता अच्छे से निभाऊंगी ।

प्रॉमिस करती हूँ तुझसे कभी झूठ नहीं बोलूंगी अच्छा लगे तुझे या बुरा ।

आन्या बोली- ये हुई ना बात । वी आर द बेस्ट फ्रेंड !
डोंट वरी

और फिर दोनों कॉफी की चुस्कियों के साथ बारिश के मजे लेने लगते हैं ।

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