Exam वाला Love Raman Verma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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Exam वाला Love

पहली परीक्षा कुछ नहीं आता । यही सही समय था खुद से साक्षात्कार का । अपनी कमियों के बारे में सोचने का और उन पर विजय पाने के बारे में भी सोचने का । Exam खत्म हो तो बस पढ़ना शुरू , सारा Syllabus 1 महीने में खत्म करके अगले 5 महीने सिर्फ Practice करूंगा ।
हर कोई यही सोच रहा था और उन सब में शामिल था अखिल जो कुछ ज्यादा सोच रहा था । CA के प्रोफेशनल Exam में यह उसकी तीसरी उपस्थिति थी । यहां मैं कुछ प्रकाश अपने पाठकों के लिए डालना चाहता हूं सीए कोर्स को लेकर । सीए कोर्स में 8 एग्जाम होते हैं , जो दो ग्रुप में बट जाते हैं प्रत्येक ग्रुप में 4 - 4 सब्जेक्ट होते हैं । परीक्षा का समय अधिकतर 2:00 से 5:00 का रहता है । परीक्षा केंद्र में प्रवेश 1:45 से आरंभ हो जाता है जिसमें 15 मिनट क्वेश्चन पेपर को पढ़ने के मिलते हैं ।
तीन बार एग्जाम देने के बाद अखिल के इस बार भी पास होने के चांस नहीं थे । पास तो तब भी नहीं होना था तो क्यों ना Exam को खुलकर किया जाए या यूं कहिए कि खुलकर जिया जाए और सभी Exams में पूरे टाइम के लिए बैठा जाए । यह सोचकर अखिल Exam करने लगा और समाप्ति के बाद Answer Sheet देकर चला गया ।


आज चौथा एग्जाम था क्योंकि रिवीजन कुछ नहीं करना था तो अखिल कक्षा में घुसने वाला पहला विद्यार्थी था एकदम Cool Look , Short T shirt , Jeans और उस पर Sunglasses । जैसे ही कक्षा में प्रविष्ट हुआ , मैडम जिसकी उम्र करीबन 23 से 25 साल रही होगी पहले से ही वहां मौजूद थी । एक Simple सी लड़की , लाल और काले मिश्रित रंग के सूट में नीचे पाजामी , गले में दुपट्टा और आंखों पर गोल चश्मा , गाल हल्के से लाल , आंखें झील - सागर , बाल खुले लंबे और जब पलट कर देखा तो हल्की मुस्कान । अखिल ने अपने Sunglasses को उतारकर पेंट की पॉकेट पर लगाया और अपनी सीट पर जाने लगा ।
मैडम ने पूछा रोल नंबर क्या है ? अखिल अपनी Over-smartness दिखा कर खुद सीट पर बैठने लगा और गलत सीट पर बैठ गया । तभी ध्यान गया कि इस मैडम ने तो सारे रोल नंबर Shuffle कर रखें तो मैडम को ही रोल नंबर बताकर सीट पूछनी पड़ी ।

"227169"

" वहां 2nd Row ,1st Column "

दोनों के चेहरे पर हल्की हल्की मुस्कान थी अखिल की इस बेवकूफी की वजह से ।
अब बाकी के छात्र भी आने लगे 15 मिनट पहले पढ़ने के लिए क्वेश्चन पेपर बांटे गए । सभी का ध्यान क्वेश्चन पेपर पर था , सिवाय अखिल के । वह अपनी शरारती नजरों से मैडम को देख रहा था जब आंखें मिलती मैडम शर्मा सी जाती । कुछ टाइम बाद उत्तर पुस्तिका बाटी गए और उसके बाद मैडम सबसे उनके प्रवेश पत्र लेने भी गई (साइन करने के लिए ) । इन सब मुलाकातों के दौरान अखिल प्यार भरी नजरों से मैडम को देखता रहा मैडम शर्माती रही ।
अखिल कभी अपना पेपर लिखता कभी मैडम को देखता । और इस तरह समय पूरा हुआ अखिल अपना पेपर छोड़कर चला गया । नीचे अपनी बाइक निकाली तो तेज बारिश शुरू हो गई कुछ देर बाद मैडम भी बाहर की तरफ आई और परीक्षा केंद्र के दरवाजे पर खड़ी हो गई । अखिल को लगा कि उसे मैडम को छोड़ने के बारे में पूछना चाहिए , तो वह जैसे ही आगे बढ़ा मैडम की Cab आ गई और वह चली गई । अखिल भी बारिश में भीगता हुआ घर पहुंचा ।


अब पांचवें Exam में मन नहीं लगा , क्योंकि नजरें उसी मैडम को ढूंढ रही थी जिसने आखिरी परीक्षा के सामने अपने नाम "दीपशिखा" के साथ हस्ताक्षर किए थे । अब नाम तो पता चल गया सोशल मीडिया पर ढूंढा जा सकता है , परंतु यदि उपनाम भी पता चल जाए तो ढूंढने में आसानी हो जाए ।
हर बार की तरह आज की परीक्षा में भी कुछ नहीं आता था । तो क्यों न समय का सदुपयोग किया जाए और सभी कक्षाओं के बाहर लिखे कक्षा अध्यापकों के नामों में दीपशिखा को खोजा जाए । 15 - 20 मिनट खोजने के बाद भी वह नाम कहीं ना मिला और लौटकर बुद्धू कक्षा में वापस आ गए । प्रश्न पत्र पर चित्रकारी करते हुए समय बीत गया और उत्तर पुस्तिका देकर अखिल सबसे पहले निकल गया । फिर नीचे दरवाजे पर भी इंतजार करने लगा पर दीपशिखा अब भी नहीं आई तो थक कर घर चला गया ।


आज छठा Exam है । यह वही Exam था जिसकी वजह से अखिल ने यह ग्रुप भरा था । क्योंकि इस एग्जाम की तैयारी काफी अच्छी थी तो अखिल ने घर पर भी पढ़ाई की और परीक्षा केंद्र पहुंचकर बाहर रिवीजन भी किया , जब तक की घंटी नहीं बज गई । समय 1:45 हो चुका था घंटी बज गई सभी लोग अंदर आए और अंत में अखिल भी अपने रूम की तरफ बढ़ने लगा । उसने अपना बैग बाहर ही रखा और प्रश्नपत्र पढ़ने की जल्दी में अपनी सीट खोजने लगा ! आज भी रोल नंबर Shuffled थे । उसने उपस्थित अध्यापक से पूछने के लिए जैसे ही चेहरा उठाया सामने ... वही मैडम दीपशिखा थी । अखिल के चेहरे पर अलग ही उत्साह उमड़ आया । वह समझ गया कि आज भी उसकी सीट वही होगी "Second Row First Coloumn" । उसने मुस्कुराहट भरे चेहरे से मैडम को देखा मैडम मुस्कुराई और और वह अपनी सीट पर जा बैठा ।
प्रश्न पत्र भी पढ़ा , मैडम को भी देखा , और उत्तर पुस्तिका भी आ गई । क्योंकि आज अखिल को सभी प्रश्न आते थे इसलिए उत्तर पुस्तिका मिलते ही लिखने लगा और लगातार मैडम की नजरों से संपर्क बनाता रहा । आग दोनों तरफ बराबर थी मुस्कुराहटे , शर्माना , गालों का लाल होना दोनों तरफ बराबरी से चल रहा था । समय इस नजरों के इश्क में कब बीत गया पता ही नहीं चला और सभी उत्तर लिखकर अखिल उत्तर पुस्तिका मैडम को देखकर एक हल्की मुस्कान के साथ चला गया ।
नीचे उसने Bike स्टार्ट की और इंतजार करने लगा मैडम के आने का । उधर दीपशिखा भी जानती थी , इसलिए उसने आज कोई कैब बुक नहीं की । दरवाजे पर पहुंची तो अखिल वही अपनी बाइक पर उसका इंतजार कर रहा था । थोड़ा मुस्कुराई और जान बूझकर अखिल को अनदेखा कर आगे बढ़ गई । अखिल आगे आया और कहा -
"चलिए मैं छोड़ देता हूं आपको , मौसम भी ठीक नहीं है बारिश कभी भी हो सकती है Bike पर बारिश से पहले पहुंच जाएंगे । "

दीप मुस्कुराई और Bike पर बैठ गई ।

दीप - तुम्हें नहीं लगता कि तुम स्मार्ट के साथ-साथ थोड़े सेवर स्मार्ट भी हो ?

अखिल - हां लगता है ना और उसका उदाहरण मैं दो बार सीट ना ढूंढ कर देख चुका हूं ।

दीप - वैसे तुम मुझे इतना क्यों देखते रहते हो कुछ इतनी भी खास नहीं है।

अखिल - ऐसा तो मत कहिए , मेरा दिल बुरा मान जाएगा । और अगर आपको तारीफें ही सुननी है तो कभी घर
आइए , मेरे लिखे शब्द आपको सब बता देंगे ।

दीप - ओह ! अच्छा तो तुम लिखते भी हो ?

अखिल - हां थोड़ा बहुत यह शायद केवल वह जो दिल को छू जाए ।

दीप - वाह जनाब तो हमने आपके दिल को छू लिया ध्यान रखना थोड़ा कहीं यह दिल खो मत बैठना ।

अखिल - सच कहूं तो जो यह दिल का लगना होता है ना वह तो पहली नजर में ही हो जाता है । उसके बाद तो
केवल औपचारिकता रह जाती है ।

दीप - अरे वाह ! बातें तो बड़ी प्यारी करते हो तुम ।
(आगे की तरफ इशारा करते हुए ) अगली गली में मोड़ लेना, वही है मेरा घर ।


दोनों दीप के घर पहुंच जाते हैं और अचानक तेज बारिश होने लगती है । दीप , अखिल को भी अंदर आने के लिए कहती है । अखिल अंदर आता है , दीप के माता-पिता से मिलता है उनका आशीर्वाद लेता है । दीप भी कॉफी बनाकर ले आती है और सभी लोग आपस में बात करते हैं ।

माताजी - क्या करते हो बेटा तुम ?

अखिल - जी सी ए फाइनल की परीक्षा दे रहा हूं ।आपका आशीर्वाद रहा तो कुछ महीने बाद डिग्री आ जाएगी ।

माताजी - अरे बिल्कुल आ जाएगी बेटा । तुम इतने सज्जन पुरुष हो , बड़ों का सत्कार करते हो तुम तो जरूर पास होंगे ।

इधर उधर की बातें चल रही थी । कुछ देर बाद बारिश भी रुक गयी । अखिल जाने लगा , जाते हुए भी सभी के पैर छुए । माताजी ने कहा भी आते रहना । खुशी से अखिल चला गया ।


अब मुलाकातों का सिलसिला बढ़ने लगा । मिलना , शॉपिंग करना , रात में साथ में खाना खाना , एक दूसरे के घर बेरोकटोक आना-जाना वगैराह-वगैराह । रिश्ता बनने लगा और गहरा भी होने लगा !फिर एक दिन अखिल दीप के रूम में गया वह वहां चुपचाप बैठी थी ।
अखिल - क्या हुआ है दीप सुबह से कोई रिस्पांस नहीं ? ना कॉल उठा रही हो ना मैसेज के जवाब दे रही हो ! हुआ क्या है?

दीप - कुछ नहीं अखिल मुझे लगता है कि अब हमें साथ रहना कम करना चाहिए वरना बाद में बहुत दिक्कत होगी ।

अखिल - क्या मतलब है तुम्हारा ? मैं तुम्हारे साथ पूरा जीवन सोच चुका हूं ,अब कैसी बातें कर रही हो यह तुम ?

दीप - नहीं अखिल यह मुमकिन नहीं , यह देखो मम्मी पापा ने मेरे लिए एक लड़का ढूंढा है । मुझे भी रात ही पता चला और इन्होंने पूरे तैयारी भी कर ली है । इस संडे लड़के वाले आ रहे हैं मुझे देखने और समझो इंगेजमेंट भी उसी दिन हो जाएगी ।

अखिल - यह क्या बेवकूफी है ? इतनी जल्दी ? और तुम्हारी मर्जी ... उसका क्या ?

दीप - नहीं अखिल मैं मम्मी-पापा के ख़िलाफ़ नहीं जा सकती ! लड़का वेल सेटल्ड है , एन आर आई है । शादी के बाद मैं भी उसके साथ ने न्यूयॉर्क शिफ्ट हो जाऊंगी । हमारा साथ यही तक था अखिल ।

अखिल - नही दीप मैं सब करूंगा , सब से लड़ लूंगा । हम दोनों साथ जाएंगे Abroad तुम बस मेरा साथ दो ।

दीप - ऐसे कैसे दे दूं अखिल ? सब खास रिश्तेदारों को बुलाने का काम शुरू हो चुका है । आने वाले संडे को सब फिक्स है । देखो रिंग ... यह हम दोनों की Rings हैं , सभी कुछ उसी दिन हो जाएगा ।

अखिल - ऐसे कैसे हो जाएगा ? और यह रिंग... यह रिंग मैं तुम्हें पहनाऊंगा । (कहकर रिंग उसके हाथ से छीन लेता है)

दीप - अखिल प्लीज वह रिंग वापिस दो ।

अखिल - नहीं यह मैं पहनाऊंगा ।

दीप - वापिस दो ... रिंग दो ... छोड़ो ।
( रिंग अब दोनों के हाथ में हैं और दोनों ही उसे दूसरे से छीनने में लगे हुए हैं )

दीप - छोड़ो अखिल 

अखिल - नहीं यह मैं पहनाऊंगा ...।

दीप - मैं कहती हूं छोड़ो ... टाइम खत्म हो गया बाकी बच्चों से भी Answer Sheet लेनी है .... छोड़ो इसे ..।

एक सपना अचानक से टूट जाता है । अखिल वहीं बैठा है , अपने छठे एग्जाम में , परीक्षा केंद्र में , उत्तर पुस्तिका में लिखने से लेकर बाइक पर घूमना और बाकी सब उसकी खुली आंखों से देखे गए सपने के अलावा कुछ ना था । उत्तर पुस्तिका देते समय उस पर नजर गई । उसमें भी कुछ ना लिख सका था ।

यह तो वही बात हो गई खाया ना पिया ग्लास तोड़ा बारह आना ।
इसके बाद रिजल्ट का क्या हुआ शायद यह बताना जरूरी नहीं ।



@LekhakRaman
06/10/2019 @3:32 Am