अम्मा टीना सुमन द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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अम्मा

चित्र आधारित प्रतियोगिता के अंतर्गत

अम्मा

अरे !बबुआ क्या हुआ ?इतना परेशान क्यों दिख रहा है??""

"अब क्या बताऊं अम्मा !सरपंच जी के पास गया था, हमारे मकान के पास जो गड्ढा हो गया है उसे भरवाने के लिए ,पर सरपंच भी ना कुछ काम का नहीं ,अब आप ही बताओ अम्मा !सरपंच ही गांव के भले के लिए काम नहीं करेगा तो कौन करेगा "???

"कह तो एकदम सही रहा है बबुआ !अब क्या करें ,हर कोई हमारे जैसा तो होता नही ,जो सबकी भलाई के लिए सोचे ,,",,,,,

"सही कह रही हो अम्मा ,,अरे ! आप ही क्यों नहीं बन जाती हमारे गांव की सरपंच , 5 महीने बाद नामांकन पत्र भर दीजिए ""

"बबुआ मजाक मत कर हमसे ,बूढ़ा शरीर उस पर अनपढ़, काला अक्षर भैंस बराबर हम कैसे बन सकते, है कि नहीं ""

"हां सो तो ठीक है पर हम सब गांव वाले आपको कब से जानते हैं अम्मा ,हमें आप पर भरोसा है, """

3 दिन तक अम्मा के दिमाग में सरपंच वाली बात घूमती रही ,पर मंजिल नहीं मिली ,,,,,,

ठीक वैसे ही जैसे अंधेरी काल कोठरी में किसी ने अम्मा को बंद कर दिया हो ,और आने-जाने के सारे दरवाजे बंद हो, और दो बूढ़ी आंखें बाहर निकलने का रास्ता देख रही हो,,,,,,!!

"अम्मा क्या हुआ ?तीन-चार दिन से देख रही हूं आप परेशान हो ,हमसे कुछ भूल हुई ,खाना-पीना दवा दारु मे कुछ परेशानी हुई, बताइए हमें ""

"अरे !नहीं बहुरिया तुम तो हमारा बड़ा ध्यान रखती हो, हां गुस्से में हम तुम्हें कभी कुछ कह जाते हैं ,वह बात अलग है ,पर हम परेशान किसी और बात को लेकर है ,वह 3 दिन पहले श्यामू मिला था ,सरपंच के बारे में बता रहा था, और हम से कह कर गिया अम्मा तुम काहे नहीं खड़ी हो जाती सरपंच के चुनाव में ,अब तुम बताओ हम अनपढ़ का करें ""

"बस इतनी सी बात अम्मा !हम आपसे कह रहे थे ना ,एक मास्टरनी के बारे में, आप से बोला तो आप गुस्सा हो गई थी ,इसलिए बिना आपको बताएं हम रोज रात का खाना बनाने के बाद वहां पढ़ने जाते हैं ,,कल ही मास्टरनी जी रही थी गांव के बुजुर्गों को भी पढ़ाना है, आप कहे तो मैं बात करूं ""!!!

अंधेरी काल कोठरी मैं किसी ने खिड़की खोल दी थी और उम्मीद की किरण आ रही थी,,,,

"अरे वाह अम्मा जी !आप तो बहुत बढ़िया सीख रही है, अच्छा किया आप की बहु ने जो आप को यहां ले आई, देखिए 2 महीने में कितना कुछ आ गया आपको ,अब ऐसे ही रोज आइएगा और घर पर भी रोज तैयारी कीजिएगा"""

अम्मा जी तोड़ कोशिश कर रही थी सलाखों को तोड़ काल कोठरी से बाहर निकलने की,,,,

आज 5 महीने बाद अम्मा चल पड़ी अपने समर्थकों के साथ ,सरपंच का पर्चा भरने ,,,,,

खुली खिड़की की सलाखों को तोड़ ,अम्मा !अंधेरी कालकोठरी से बाहर जो निकल आई थी,,,,,

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मौलिक
टीना सुमन
कोटा ,,राजस्थान