चुनाव या चुनौती Ratna Raidani द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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चुनाव या चुनौती

"लीजिये सर, मिठाई" आलोक ने डब्बा आगे बढ़ाते हुए कहा। आज वो ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था।
"अरे वाह आलोक, क्या बात है? आज सुबह सुबह मिठायी?" आलोक के बॉस शिरीष सर ने एक टुकड़ा उठाते हुए पूछा।
"हाँ सर, वो वरुण का 10th का रिजल्ट आ गया। 95% मार्क्स आये हैं।" आलोक ने गर्व से बताया।
"95% क्या बात है... बहुत बहुत बधाई हो। इस पर तो एक टुकड़ा और बनता है।" शिरीष ने एक काजू बर्फी और उठाते हुए अपनी ख़ुशी जाहिर की।

"तो फिर अब आगे क्या सोचा है वरुण ने ?" शिरीष ने पूछा।
"सर अब नंबर अच्छे आ गए हैं तो Science स्ट्रीम तो लेगा ही और फिर आगे engineeering या medical जो फील्ड चुनना चाहे उसकी मर्ज़ी।" आलोक ने हँसते हुए कहा।

"चलो ये अच्छा है। वैसे तो दोनों ही career options सिक्योर हैं। कोटा भेजने की सोच रहे हो क्या आगे की तैयारी के लिए?" शिरीष ने अगला सवाल किया।
"हाँ सर, विचार तो है। वहाँ जाकर पढ़ेगा तो आगे के लिए आसानी हो जाएगी। एक दो कोचिंग्स के बारे में पता करके रखा है।" आलोक ने अपने कुछ दोस्तों से रिजल्ट आने से पहले ही इस बारे में जानकारी इकट्ठी कर ली थी।


ऑफिस से घर वापस लौटते वक़्त आलोक ने बेकरी शॉप से केक और पेस्ट्रीज, जो उसकी पत्नी नीलिमा ने सुबह ही आर्डर कर दिए थे, वो कलेक्ट किये। साथ ही नयी स्मार्ट वाच का बॉक्स भी हाथों में था। आलोक और नीलिमा ने वरुण के लिए surprise party प्लान की थी। आखिर बेटे ने इतनी बड़ी ख़ुशी जो दी थी।

वरुण की पसंद की सभी डिशेस बनायीं थी आज नीलिमा ने। तीनो ने मिलकर केक कट किया और फिर खाने का लुफ्त उठाया।

"लो वरुण, ये हमारी तरफ से तुम्हारे लिए।" स्मार्ट वाच का बॉक्स वरुण के हाथों में रखते हुए आलोक ने कहा।

वरुण ने जल्दी से बॉक्स खोला। उसके चेहरे की चमक और ख़ुशी देखकर नीलिमा और आलोक की आँखें भी चमकने लगी।

वरुण अपनी वाच को सेट करने में busy था। आलोक ने नीलिमा से कहा, "अब आगे के बारे में सोचना है। इतने अच्छे मार्क्स आये हैं तो मैं सोच रहा हूँ की आगे की पढ़ाई और competitive exams की तैयारी के लिए कोटा ही सही रहेगा। तुम क्या कहती हो?"

"फिर तो अभी ही decide करना पड़ेगा की इंजीनियरिंग या मेडिकल कौन सा option choose करना है। वरुण बताओ मैथ्स या बायोलॉजी क्या पढ़ना चाहते हो आगे तुम? उस हिसाब से कोचिंग select करनी पड़ेगी और apply करना पड़ेगा।" नीलिमा जो खुद आलोक के ही तरह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी जानती थी की कोचिंग के एडमिशन के लिए भी कितना कम्पटीशन है।

"हाँ वरुण बताओ क्या बनना है तुम्हें? डॉक्टर या इंजीनियर?" आलोक ने हँसते हुए पूछा।

"पापा मम्मी मुझे तो हिस्ट्री और लिटरेचर पढ़ना है। इसलिए मैंने आर्ट्स स्ट्रीम लेने का सोचा है।" वरुण अपनी वाच के फीचर्स को सेट करते हुए बड़ी सरलता से बोल गया।

"क्या??" आलोक और नीलिमा के मुँह से एक साथ निकला। इस जवाब की उम्मीद तो उन्होंने सपने में भी नहीं की थी। एक बार को अगर वो कॉमर्स भी बोलता तो वो शायद मान लेते लेकिन आर्ट्स सुनके तो दोनों को जैसे सांप सूंघ गया।

"ये क्या बोल रहे हो वरुण तुम? आर्ट्स स्ट्रीम? वो कौन लेता है?" आलोक को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था।

"कई लोग लेते हैं पापा, जिनको उन सब्जेक्ट्स में इंटरेस्ट होता है।" वरुण अभी ही बात की सीरियसनेस को नहीं समझ पाया था की ये आर्ट्स शब्द सुनके उसके पेरेंट्स को कितना बड़ा झटका लगा है।

"इंटरेस्ट नहीं, जिनकी मजबूरी होती है, जिनके मार्क्स बहुत कम आते हैं, जिनसे मुश्किल पढ़ाई नहीं हो पाती, वो लोग लेते हैं आर्ट्स।" नीलिमा ने उसे कुछ सो कॉल्ड फैक्ट्स गिनाये।

"ऐसा कुछ नहीं है मम्मी। ये सब्जेक्ट्स भी कुछ आसान नहीं होते। बहुत ही डिटेल्ड और इंटरेस्टिंग होते हैं। और मैं आगे इस पर रिसर्च करना चाहता हूँ। हिस्ट्री मेरा फेवरेट सब्जेक्ट है। मैं वर्ल्ड के डिफरेंट पार्ट्स की हिस्ट्री एक्स्प्लोर करना चाहता हूँ, उसे समझना चाहता हूँ। और आपको पता तो है मैं लिखता हूँ। हिंदी और इंग्लिश दोनों हे लैंग्वेजेज मुझे कितनी पसंद है।" अब वरुण धीरे धीरे गंभीर होने लगा।

"बेटा पसंद अपनी जगह है और करियर अपनी जगह। हर फेवरेट चीज़ करियर नहीं बन सकती है। तुम अपने खाली समय में हिस्ट्री के बारे में पढ़ सकते हो। साथ ही कभी कभी लिखते भी रहना। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन करियर तो इंजीनियरिंग, मेडिकल,कॉमर्स स्ट्रीम से ही बनता है। अब हमें ही देख लो हम दोनों ही इंजीनियर हैं। तुम्हारे चाचू डॉक्टर हैं। मासी तुम्हरी CA हैं। सबने साइंस या कॉमर्स ले लिया और आगे अपना करियर इन्हीं फील्ड में बनाया है।" आलोक ने वरुण को समझाते हुए कहा।

"हाँ पापा आप लोग ये सब कुछ हो या ये करियर चुना क्योंकि शायद आप लोग ये करना चाहते थे या पता नहीं सिर्फ इस सोच की वजह से किया। पर मैं कुछ और करना चाहता हूँ। मैं खुद को इन सब जगहों पर नहीं देखता। और ये आप लोग कैसे कह सकते हो की करियर इन्हीं फ़ील्ड्स में है। बहुत से लोग हैं जिन्होंने आर्ट्स की फील्ड में खुद का नाम बनाया है।"

"हाँ पर उनकी संख्या बहुत कम है और इसमें ज्यादा स्कोप भी नहीं है। आगे चल के अच्छी सिक्योर जॉब, एक स्टेबल सैलरी ये सब के बारे में भी सोचना पड़ता है। और तेरे तो इतने अच्छे मार्क्स आये हैं। तेरी मैथ्स भी अच्छी है। साइंस ना सही कॉमर्स ले ले। ये आर्ट्स लेने की तुझे क्या जरूरत है।" नीलिमा ने थोड़ा प्यार से वरुण को मनाने की कोशिश की।

"पर मम्मी इसमें मार्क्स या मैथ्स अच्छी बुरी होने की बात ही नहीं है। और आर्ट्स मैं कोई मजबूरी में नहीं बल्कि अपनी पसंद से ले रहा हूँ।"

"ले रहा हूँ? मतलब? तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तूने पहले से ही decide कर लिया था। हमसे पूछने या डिसकस करने की जरूरत भी नहीं महसूस की?" अब आलोक की आवाज़ में तेजी बढ़ रही थी।

"आप लोगो ने भी तो पहले से ही decide कर लिया की मैं डॉक्टर या इंजीनियर ही बनूँगा। मुझसे डिसकस करने की जरूरत ही नहीं समझी। मैं क्या चाहता हूँ या सोचता हूँ वो जानने की कोशिश भी नहीं की। बस मार्क्स अच्छे आ गए तो दो options सामने लेकर रख दिए? मुझे नहीं बंधकर रहना है इसमें। मैं कुछ और एक्स्प्लोर करना चाहता हूँ, कुछ और सीखना चाहता हूँ। और रही बात जॉब या सैलरी की तो मेरे मार्क्स देख के आप लोग इतना तो assure हो जाईये की मैं कुछ न कुछ ठीक ठाक कर लूंगा।" वरुण ने आर्ट्स स्ट्रीम वाले स्कूल का एडमिशन फॉर्म और स्मार्ट वॉच दोनों टेबल पर रखी और अपने रूम में चला गया। दोनों उसे अवाक् देख रहे थे। अब decison आलोक और नीलिमा को लेना था कि उन्हें हॉल से रूम तक की दूरी तय करनी है या अपने बच्चे को खुद से दूर।