बात न करो जात की - 3 Maya द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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बात न करो जात की - 3

ठाकुर राम सिंह हाथ मुंह धोकर खाना पर बैठे थे कि, लखन बुलाने आया!

ठाकुर साहब और ठाकुर साहब हारते हुए दरवाजे के बाहर आवाज लगाता है, (तभी रवि ठाकुर राम सिंह की मंझिला बेटा) क्या हुआ लखन भैया काहे इतना हाफ रहे हो?

अरे क्या बताएं रवि बाबू गांव में आफताब और शंकर के बीच झगड़ा हो गया हैं इसलिए मालिक को आवाज लगा रहे हैं ,

ठाकुर ठाकुर साहब है क्या?

रवि-आप बाहर रुकिए अभी बावजी को बुलाता हूं!

लखन- बहुत मेहरवानी होगी,

रवि- बाबुजी खाना हो जाए तो बाहर लाखन आपका इंतजार कर रहा है,

ठाकुर - झिक हैं आता हुं,

(कुछ मिनट बाद राम सिंह लाखन के साथ उस स्थान पर पहुंचता है जहां शंकर और आफताब का विवाद शुरू हुआ था)

आफताब शर्म आनी चाहिए तुमसे यह उम्मीद नहीं था तुम दोनों अलग धर्म जाति के होते हुए भी राम लक्ष्मण की तरह रहते थे,सारे गांव में दोस्ती की मिसाल दी जाती है, और तुम दोनो ऐसा करोगे तो

यहां धर्म जाति के नाम पर कभी भी झगड़ा विवाद नहीं हुआ दिवाली सारे लोग जितना प्यार से मनाते हैं ,वैसे ही ईद वभी उतना ही सम्मान व खुशहाली पूर्वक मिलकर मनाते हैं

ठाकुर गुस्से से बोलते हुए!

शंकर - माफ करे ठाकुर साहब लेकिन हम क्या बताएं ससुरा इसकी नियत में खोट हो तो काहे की भाई गिरी और काहे की दोस्ती!

ठाकुर- बात क्या है स्पष्ट बताओ?

उससे क्या पूछत हैं मैं बताता हूं आफताब बोला

बात यह है मालिक ! एक जमीन का टुकड़ा मेरे नाम निकला है और यह बात जानने के बाद इसे पच नहीं रहा है और लगा विद्रोह करने मुझसे!

ठाकुर - मुझे कुछ भी नहीं पता बस तुम दोनों को गले मिलते देखना चाहता हूं (बहुत समझाने के बाद दोनों आखिरकार मान गए) गले मिले तभी गांव वाले ने तालियां एक साथ बजाना शुरू किया!सबके चेहरे पर मुस्कान था,तभी हरिया राम सिह का नौकर दौड़ते हुए आया !बधाई हो मालिक बधाई हो आपको बेटा हुआ है!

ढाकुर यह बात सुनकर प्रफुल्लित होता हैं और कहा देखो आफताब तुम दोनों ने दोस्ती की मेरे घर में खुशी का समाचार आया! राम सिंह वहां से अपने घर की तरफ बढ़ा!

घर आने के बाद अपने ठकुराइन रामा को खुशी से सर चुम्मते हुए कहा ! ठकुराइन आज हमारे दामन में भगवान के कृपा से सारी खुशियां मिल गया है! खुशी से

बच्चे को गोद में उठाया और बच्चे को चूमने लगा खुशी से ,ठाकुर अपने पत्नी की ओर देखते हुए किशन नाम कैसा रहेगा? (ठाकुर अपने पत्नी से पूछा) तभी मुनीम बोल पड़ा बहुत ही बढ़िया नाम है मालिक!

ढाकुर- मुनीम जी जाओ सारे गांव में मिठाइयां बटबाओ

मुनीम - अरे यह भी कोई कहने की बात है मालिक ,अभी जाकर बटबाते हैं!


६ महीना बाद

शाम का समय था रमा बच्चे को गोद में लेकर बचे को पुचकार रही थी तभी अचानक से हार्ट अटैक के कारण ठाकुर की पत्नी की मौत हो जाती है!

पूरे घर में मायूसी छा जाती है, हवेली के साथ-साथ गांव में भी दुखी की अकाल उमड पड़ती है!

ऐसे ही 2 महीने गुजर जाते हैं! तभी गांव में पचायत बुलाया

जाता हैं , ढाकुर के साथ तीन बेटे भी मौजूद होते हैं!

सरपंच - ठाकुर साहब आपकी पंचायत आपकी वजह से बुलाई गई है!

ठाकुर - मेरे कारण कोई अनावश्यक अपराध तो नहीं हो गया?

सरपंच - अरे नहीं ठाकुर आप तो एक चिटी तक नहीं मार सकते वह भी अपराध तो दूर की बात है,


ठाकुर - असल में बात क्या है?


सरपंच - सारे गांव वाले के कहने पर यह पंचायत बुलाई गई है!


आप अकेला हो गए हो आपके बच्चे छोटे-छोटे हैं


बिना औरत के घर भूत का बसेरा होता है,हम सब की बात माने तो ब्याह कर लो


ठाकुर - मैं इस उम्र में भला प्यार कैसे करूं?


हरी - (गांव के वासी) काहे नहीं ठाकुर साहब अभी उम्र ही क्या है


ठाकुर - आप सब का बहुत आभार परंतु मैं बयाह नहीं कर सकता ! मैं अपना बेटा सुंदर का बयांह करना चाहता हूं,