आकाश का संदेशा लेकर रश्मि चांदनी के घर गई और जब उसने चांदनी की मां को सारी बातें बताई। सुन उसे अपने कानों पर यकीन ना हुआ कि इतना अच्छा रिश्ता खुद चल कर उनके घर आया है। वह बार-बार रश्मि से यही कहती कि "बिटिया तूने हमारे बारे में सब बता दिया है ना उन लोगों को।"
"हां चाची मैंने खुलकर आकाश से सारी बात की थी। और अब एक हफ्ते की बात तो है वह खुद ही आकर देख लेंगे । आमने सामने बैठ कर दोनों परिवारों की बात हो जाएगी । वैसे भी रिश्ता लड़के वालों की तरफ से आया है आप ज्यादा परेशान ना हो। उन्हें हमारी चांदनी पसंद है तभी तो हां की है। जब वो लोग आए तो आप एक दूसरे से जो पूछना चाहे पूछ लेना। मैंने अपना कहा पूरा कर दिया। अपनी सहेली के लिए एक अच्छा सा लड़का ढूंढ दिया है।"
"हां हां बिटिया तुझे जितने आशीर्वाद दूं कम है । अब तो वो सब चांदनी को देख ले और रिश्ते के लिए हामी भर दे तो मेरी सारी चिंताए दूर हो। "
"वैसे तेरी सास का उन लोगों के बारे में क्या विचार है बिटिया!" दादी ने उत्सुकता से पूछा।
"वह तो तारीफ कर रही थी उन लोगों की। वैसे दादी आप लोग भी अपनी तरफ से छानबीन कर लो तो ज्यादा अच्छा है!"
"हमारा कौन बड़ा बैठा है। बस भगवान मालिक है। हमने तो उस पर छोड़ दिया है। वही भली करेंगे सब।" रश्मि की दादी ने आसमान की ओर देखते हुए हाथ जोड़ कहा है।
चांदनी को तो यकीन ही नहीं हो रहा था। उसे यह सब सपना जान पड़ता था ।
"सपना नहीं हकीकत है बिट्टू रानी। संडे को तुम्हारे सपनों के राजकुमार अपने परिवार के साथ तुम्हारा हाथ मांगने आ रहे है। बस थोड़ा बोलना कम। शादी का मामला है वैसे भी लड़के की मां को तो ज्यादा बोलने वाली लड़कियां वैसे भी पसंद नहीं आती है समझी।"
"हम ज्यादा कब बोलते हैं और तुझे इतना ही लग रहा है, हम गूंगी बन बैठ जाएंगे।" चांदनी हंसते हुए बोली।
संडे को आकाश अपने परिवार सहित चांदनी के घर पहुंचा। साथ में रश्मि व उसका पति भी था। घर के आगे जैसे ही गाड़ी रूकी तो उसकी बहनें बोली
"क्या आकाश तुम ऐसी जगह रहने वाली लड़की से शादी करोगे!"
आकाश कुछ कहता , उससे पहले उसके पापा बोले
"यह क्या कह रही हो तुम दोनों। किस तरह की सोच है तुम दोनों की। अंदर जाकर कोई भी इस तरह की बातें नहीं करेगा।"
यह सुनकर मां बेटियों का मुंह उतर गया।
चांदनी के परिवार वालों ने उनका बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया। उनका आदर सत्कार देख आकाश की मां को थोड़ी तसल्ली हुई। फिर वह बोली " बहन जी यह सब तो होता रहेगा। आप जरा बिटिया को बुला दीजिए।"
जब तक चांदनी बाहर आई, मां बेटी चोर नजरों से घर का मुआयना करती रही।
रश्मि,चांदनी को लेकर जब बाहर आई तो एक बार तो सभी की नजरें उस पर ठहर गई। चाह कर भी मां बेटी उसके रंग रूप में कोई कमी ना निकाल पा रही थी।
उसे देख कर आकाश की मां बोली
"बहन जी बेटी तो आपकी सचमुच बहुत सुंदर है। पर आपको तो पता है ना घर चलाने के लिए रूप के साथ-साथ काम आना भी जरूरी है। बेटा तुम्हे खाना बनाना तो आता है ना। घर का कामकाज कर लेती हो । इनके अलावा और क्या-क्या सीखा है तुमने!"
चांदनी कुछ कहती उससे पहले ही उसकी मां बोली
"बहन जी रिश्ते की नींव झूठ पर नहीं रखेंगे। चांदनी घर के कामों में अभी इतनी निपुण नहीं है। घर में सबकी लाडली रही है। इसलिए मैंने कभी इस पर काम का बोझ डाला नहीं। पर इतना तो आपको पता ही है बहन जी लड़कियों को तो जैसे माहौल में ढालो वैसे ही बन जाती है। आप की छाया में रहते हुए जो काम नहीं भी आते होंगे सीख लेगी और मैं भी कोशिश करूंगी कि शादी से पहले घर की जिम्मेदारी संभालने लायक बन जाए।'
"वह तो सही है लेकिन!"
कहते हो आकाश की ओर देखा तो वह समझ गई थी आकाश को यह सब अच्छा नहीं लग रहा। फिर वह बोली "चलो कोई बात नहीं। मेरे बेटे ने इसे पसंद किया है। उसकी पसंद को तो मैं ना नहीं कर सकती। निभाना उन दोनों को ही है। हम तो बस इतना चाहते हैं। लड़की सुशील व संस्कारी हो।जो ससुराल के मान सम्मान को अपना समझे और घर के बड़ों का मान सम्मान करें।"
"आप इस बात की चिंता ना करें। अच्छे गुण और संस्कार यही तो हम गरीब लोगों की जमा पूंजी होते हैं। जो हम अपने बच्चों को सौंपते हैं। आप यकीन रखिए आपको कभी मेरी बेटी से किसी बात की शिकायत ना होगी।"
"आपको भी हमारे बेटे से कुछ पूछना चाहे तो पूछ लीजिए।" आकाश की मां ने कहा।
"मैं क्या बात करूंगी इनसे। दोनों बच्चे अगर आपस में बात करना चाहे तो ज्यादा अच्छा है।" वह बोली।
"हां हां आकाश तुम दोनो को ही जीवन भर एक दूसरे का साथ निभाना है तो एक दूसरे के विचारों , पसंद नापसंद को जानना ज्यादा अच्छा है। जब तक हम बड़े आपस में कुछ और बातें कर लेते हैं।" आकाश के पापा ने कहा।
"कितना जमाना बदल गया है। हमारे समय में एक दूसरे को पसंद करना तो दूर, शादी के बाद भी कितने दिनों तक पति पत्नी सबके सामने खुलकर बात भी नहीं कर पाते थे। तुझे मौका मिला है जा शर्मा मत !" चांदनी की दादी हंसते हुए बोली।
रश्मि जब चांदनी और आकाश को दूसरे कमरे में बैठा कर जाने लगी तो चांदनी ने उसे अपने साथ में रहने का इशारा किया। यह देख रश्मि हंसते हुए बोली " पहले तो इनसे मिलने के लिए तूने मेरी जान खाई हुई थी और अब इतना शर्मा रही है। अब कर ले जितनी बातें करनी है और मुझे चलने दे। मुझे नहीं बनना कबाब के बीच हड्डी!" कह वह चली गई।
कुछ देर दोनों के बीच चुप्पी रही। चांदनी भी कुछ घबरा रही थी। आकाश ने ही चुप्पी तोड़ने के लिए कहा " लगता है रश्मि भाभी ने झूठ बोल दिया । लगता है तुम्हें शायद मैं पसंद नहीं । अगर ऐसा है तो मैं अभी बाहर जा कर मना कर देता हूं।" कह वह जाने लगा तो चांदनी तपाक से बोली
" कौन कहता है आप मुझे पसंद नहीं हो। आप तो मुझे बहुत पसंद हो।" अपनी बात पर आकाश को मुस्कुराता देख वह खुद भी शर्मा गई। और अपना चेहरा , अपने दोनों हाथ की हथेलियों से छुपा लिया। उसके चेहरे से हाथ हटाते हुए आकाश बोला
"मुझे तुम्हारा यही निश्चल रूप तो पसंद आया है। जब पहली बार तुम्हें देखा था, तब से ही तुम्हारी छवि मेरे मन में बस गई और तुम्हें मैंने जीवनसाथी बनाने का फैसला किया। क्या तुम भी मेरे लिए ऐसा ही अनुभव करती हो। क्या तुम जीवन भर मेरा साथ दोगी।"
चांदनी ने सहमति में सिर हिला दिया।
आकाश खुश होते हुए बोला " ऐसे मौन स्वीकृति नहीं। कुछ तो कहो , जिसे मैं हमेशा याद रख सकूं।!"
आकाश की बात सुन चांदनी बोली
" बस मैं इतना ही चाहती हूं कि जीवन के हर सुख दुख में आप हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। जैसा आप मुझे रखोगे मैं वैसे ही रहूंगी। मुझे वैभव नहीं आपका प्यार व विश्वास चाहिए। जीवन की किसी भी विपरीत परिस्थिति में आप मेरा साथ नहीं छोड़ेंगे। बस यही वादा चाहती हूं आपसे।"
" मैं वादा करता हूं चांदनी, जीवन भर तुम्हारा साथ निभाऊंगा और हमेशा तुम्हे दिलो जान से प्यार करता रहूंगा।" सुन चांदनी के चेहरे पर मुस्कान तैर गई।
दोनों के बाहर आने पर आकाश के पापा ने पूछा "और बरखुरदर रिश्ते पर मोहर लगा दे क्या!"
आकाश और चांदनी दोनों ने हीं मुस्कुराते हुए हामी भर दी।
यह देख चांदनी की मम्मी ने सबका मुंह मीठा कराया और बोली " भाई साहब बहुत ही सीधी-सादी है मेरी बेटी। बस यही कहना चाहूंगी अगर इससे कुछ भूल हो जाए तो अपनी बेटी समझ क्षमा कर देना इसे। "
"आप फिकर मत करो बहन जी। चांदनी हमारी बेटी जैसी ही है। अब तो आप शादी की तैयारियां करो। हम जल्द से जल्द जो पहला मुहूर्त निकलेगा, उसमें शादी करना चाहेंगे ।"
सब तय उन सबने विदा ली।
उनके जाने के बाद चांदनी की मां और दादी ने उसे ढेरों आशीर्वाद दिए। सबके ही चेहरे खुशी से चमक रहे थे।
क्रमशः
सरोज ✍️