From Bottom Of Heart - 8 Jiya Vora द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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From Bottom Of Heart - 8

1.
माँ !
याद है मुझे,
जब बचपन मै मैं गलतियां करती थी,
तब तु मेरी शरारतो को माफ कर,
मुझे प्यार से समजाती भी थी|
पर आज जब भूल होने पर दुनिया डाटती हैं,
तब तुझे याद करती हूँ माँ !

माँ !
खेलते वक़्त जब मुझे चोट लगती थी ना,
तब मुझसे ज्यादा दर्द तुझे होता था,
चिलाती मैं थी, पर परेशान तु होती थी,
पर आज जब दुनिया की ठोकरे खाती हूँ ना,
तब तुझे याद करती हूँ माँ !

माँ !
जब कोशिश करने पर भी मै हार जाती थी ना,
तब तु ही मेरा हौसला बढाती थी,
तु ही मुझे हिम्मत देती थी,
पर आज जब दुनिया नाकामयाब कहती हैं ना,
तब तुझे याद करती हु माँ !

हैं मोला,
तुजसे बस एक ही दुआ हैं,
मुझे फिर से उन दिनों मै ले चल,
जब मै मेरी माँ की आँचल मैं सोकर अपनी सारी परेशानिया भूल जाती थी |
जब मैं मेरी माँ की मुस्कुराहट देखकर, मेरी थकान दूर हो जाती थी |
काश !वो वक़्त वही थम गया होता,
काश ! मैं इस वक़्त को फिरसे दोहरा पाती |
पर ये तो वक़्त हैं,
मेरे ना कहे ही मेरे मन की बात जान लेने वाली मेरी माँ नहीं !

2.
वक्त
वक्त भी कितना अजीब है,
कभी-कभी इतना तेज गुजरता है मानो जैसे एक ही पल में हमें बरसों की खुशियां दे जाता है|

तो कभी-कभी इतना धीरे गुजरता है मानो जैसे हमारे सारे जख्मों को भर जाता है|

कभी-कभी ऐसा लगता है मानो जैसे दुनिया की सारी खुशियां इसी लम्हे में छुपी है|

तो कभी मानो जैसे सारे आँसू इस वक्त के साथ खत्म हो जाते हैं|

ना जाने यह वक्त भी कितना अजीब है,
हमेशा अपना एहसास गुजरने के बाद करवा जाता है|

3.मेरे पापा !

वह कभी मेरा जूनून बन जाते है,
तो कभी मेरी हिम्मत बन जाते है,
वह कभी मेरे सहारे बन जाते है,
तो कभी मेरे अच्छे के खातिर मुझसे भी लड़ जाते है |

वह कभी मेरी मुस्कुराहट की चाबी बन जाते है,
तो कभी मेरी सफलता की वजह बन जाते है,
वह कभी मेरी उम्मीद बन जाते है,
तो कभी मेरी सारी इच्छा पूरी करने वाले एक फ़रिश्ते बन जाते है|

उन्ही से सीखा है मैंने अपने हर सपने को हासिल करना|
उन्ही से सीखा मैंने ज़िन्दगी मैं एक काबिल इंसान बनना |

मैं उन्हें हर दम 'पापा' कहकर पुकारती हु,
पर वह कभी मेरी दुनिया के सबसे प्यारे सितारे बन जाते हैं जो मेरी जिंदगी में हर पल खुशियां फैलाकर जाते है |


4.
अब भी हमें ज़िंदा है !

कुछ जूनून ढूंढ रहे हैं,
तो कुछ संघर्ष कर रहे हैं,
कुछ हिम्मत खो रहे हैं,
तो कुछ सफलता तो खोज रहे हैं |
पर काबिलियत अब भी हमें ज़िंदा हैं |

कुछ नज़दीकीया बढ़ रही हैं,
तो कुछ फासले रहे गए हैं,
कुछ रिशतो के धागे टूट रहे हैं,
तो कुछ जुदाई के आँसू रो रहे हैं |
पर दिल में प्यार अब भी ज़िंदा हैं |

कुछ दर्द अब भी गहरे हैं,
तो कुछ खुशियाँ खोज रहे हैं,
कुछ खोने के गम मे हैं,
तो कुछ हासिल करने की चाह मैं हैं,
पर मान में आशा अब भी ज़िंदा hai |

हारते तो सैकड़ो हज़ारो लोग है,
पर हरे हुए तो वह है जो खुद ही अपनी ज़िन्दगी से हाथ धो बैठे है |
कुछ आँसू इस आंख से अब भी निकलना बाकी है,
क्युकी जीने की चाह, अब भी हमें ज़िंदा है |
-JIYA VORA