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सिंदूरी मांग



नमस्कार

लॉकडाउन में इतने दिन हो गए घर पर गए हुए पूरे 5 महीने, आज पापा मम्मी मेरे घर पे ही मिलने आ गए बहुत दिनों के बाद उन्हें देखा बहुत अच्छा लगा, एनी तो खुशी से पागल ही हो गई थी उसकी नानी जो आ गई है, सबसे बातें करते करते अचानक मम्मी ने मुझे कहा... अरे मोना तुझे पता है अपनी मोना है ना, चंदर की बहन उसके पति का एक्सीडेंट हो गया है, मोना भी साथ ही थी मोना को तो हल्की-फुल्की चोटें आई है, लेकिन उसके पति उसी टाइम उसी वक्त खत्म हो गए. ,जैसी मम्मी ने बताया अचानक से ऐसा लगा जैसे कुछ टूट सा गया हो, मेरी बचपन की सहेली मोना,हम दोनों का नाम भी एक जैसा ही था, बचपन में साथ साथ खेले साथ-साथ बड़े हुए उसकी शादी मुझसे पहले ही हो गई थी, याद है मुझे जब पहली बार उसके पति अशोक उसे देखने आए थे कितनी खुश थी मोना उसने अपना फेवरेट सूट पहना था मेहरून कलर का, मैं भी उसके साथ ही थी जब अशोक जी उसे देखने आए दोनों ही एक दूसरे को एक ही नजर में पसंद आ गए थे देखते देखते उनकी शादी भी हो गई जब शादी के बाद मोना पहली बार घर आई तो सब ने उसको देखा वह बहुत खुश थी जब वह नहा धोकर तैयार होती थी तो अपनी मांग में गहरा पूरा लंबा सिंदूर लगाती थी, पड़ोस की बड़ी बूढ़ी तो यह कहती थी "अरे छोरी यह तो पियर है यहां तो ऐसी मत रहा कर, यहां तो सिंपल सी रहा कर" पर वह कहती क्यों रहूं सिंपल, शादी हुई है मेरी और सिंदूर बड़ा लगाने से पति की उम्र भी लंबी होती है मैं तो लगाऊंगी और हम सब उसकी इस बात पर जोर से हंसने लग जाते और आज जब मम्मी ने बताया कि अशोक जी नहीं रहे उसकी वही सारी बातें, मुझे अचानक से याद आने लगी । कैसे अंधविश्वास में जी रहा है हमारा समाज लड़कियां गहरा सिंदूर लगाने को अपने पति की उम्र लंबी समझती है। लेकिन आज अभी जब खबर सुनी तो सोच में पड़ गई क्या सच में, सच में इन सब से कुछ होता है अगर इन सब से कुछ हुआ होता तो आज मोना अपने अशोक जी के बिना नहीं जी रही होती। समझ नहीं आ रहा, उससे बात करके उसे क्या तसल्ली दूं , क्या बोलूं उसे कि सब ठीक हो जाएगा जबकि मुझे पता है उसकी जिंदगी में एक कमी हमेशा रह जाएगी, उसके अशोक जी की,वह अशोक जी जो कभी उसकी जिंदगी हुआ करते थे और आज इस जिंदगी में उसे अकेला छोड़ कर चले गए, मुझे पता है मैं समझ सकती हूं वह कैसे जी रही होगी अपने बच्चों की खातिर अभी उम्र ही क्या है उसकी सिर्फ 25 साल और इतनी छोटी सी उम्र में विधवा हो जाना। वो लड़की जिसे हमेशा सजने संवरने का शौक था। आज अकेली रह गई अपनी सुनीं मांग के साथ।
उसका वह लंबा गहरा सिंदूर, जिसे वह अपनी मांग में सजाती थी। उसके पति की उम्र नहीं बड़ा
पाया।

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