शकुंतला जी के बड़े बेटे की शादी आखिकार बड़े ही धूमधाम से सीता देवी की बड़ी लड़की राशि से तय हुई। कुछ ही दिनों में शादी हो बहू राशि ने शकुंतला जी के घर कदम रखा। राशि एक ओर जहां मायके में घर की सबसे बड़ी लड़की थी,वही खुदा ना खास्ता ससुराल में भी बड़ी बहू बन गयी। इसे ही कहते है रब ने बना दी जोड़ी। शकुंतला जी का बेटा व्योम बैंक में कार्यरत था,तो उनकी बहू भी कहा बेटे से कम थी,पढ़ी लिखी बीएड है बीएड। घर के सभी नाते रिश्तेदार,मुहल्ले की महिलाएं आपस मे बाते कर रही थी, शकुंतला जी की तो किस्मत ही बुलन्द निकल गयी।
जैसा नाम वैसा ही भाव सुंदर,सुशील,शान्त स्वभाव की हमारी बहू राशि शकुंतला जी खुशी से राशि की बलैया लेते हुए कही और उसके माथे को चूम ली। सभी बहू को देख तारीफ पर तारीफ कर रहे थे। ये देख शकुंतला जी फूले ना समा रही थी। बहू राशि का घर मे चावल से भरे कलश गिरा के आगमन हुआ। कुछ देर तक तो रश्मों रिवाजो कि घड़ी चलती रही। फिर शकुंतला जी ने अपनी दोनों बेटियों के साथ राशि को उसके कमरे में ले जाने को कहा। राशि अपनी दोनों ननद अंकिता और भावना के साथ अपने कमरे में आ गयी। राशि कुछ देर तक तो बिल्कुल असहज महसूस कर रही थी,बिल्कुल नर्वस लेकिन दोनों ननद ने राशि के साथ जमकर ठहाके लगाए। परिवार के और भी बच्चे राशि के कमरे में ही आ कर बैठ गए। समय बीतता जा रहा था, राशि रात भर की थकान से बिल्कुल सुस्त हो चुकी थी ऊपर से भारी लहंगा। तभी शकुंतला जी आई और बोली अरे तुम सब यहाँ क्या जमावड़ा लगाए हो ,अरे भाभी सदैव के लिए यही आई है अब कहि और थोड़ी जाने वाली। चलो निकलो उसको भी आराम करने दो। भावना भाभी की मदद कर दो और लहँगा बदलकर बहू तुम थोड़ा आराम कर लो। जी मम्मी जी राशि ने धीरे से जवाब दिया। सभी शकुंतला जी का आदेश पाकर कमरे से बाहर चले गए और भावना और राशि मिलकर लहँगे को बदल आराम कर ने को लेट गयी। भाभी इतना सुंदर लहँगा कहा से लिया आपने- वही दक्खी लाल जी के यहाँ से राशि ने जवाब दिया। बहुत ही मस्त है मैं भी वही से लुंगी। दोनो के बीच बातचीत होते होते कब आंख लग गयी राशि को पता ही ना चला। तभी राशि को किसी की आहट कमरे में सुनाई दी राशि हड़बड़ा कर उठ कर बैठ गयी।किसी तरह असहज तरीके से पलँग के एक किनारे खड़ी हो गयी। सामने उसका पति व्योम और उसके दोनों देवर पंकज और रुपेश खड़े थे। व्योम कुछ बोलते उससे पहले पंकज ने मजाक के रूप में हँस कर कहा अरे भाभी इतना सम्मान दोगी ना तो दिनभर बस उठक-बैठक ही करती रह जाओगी क्यों व्योम भैया। उन दोनों ने चुटकी लेते हुए भावना को जगाया अरे ओ मोटी उठ शाम हो गयी है कितना शोना है। व्योम भी अपना सामान लेकर वापस से कमरे के बाहर चले गए। राशि अब थोड़ा रिलैक्स महसूस कर रही थी। तभी शकुंतला जी अंकिता उसकी छोटी ननद के साथ आई -अरे बहू आराम कर ली हो तो अब जल्दी से तैयार हो कर नीचे आ जाना मुँह दिखाई की रश्म है। जी राशि ने सर हिलाकर जवाब दिया। शकुंतला जी जाते जाते अंकिता को सहेज गयी सुंदर से सजा कर लाना अपनी भाभी ताकि सब लोग देखते ही रह जाए। अरे मम्मी भाभी को क्या सुंदर बनाना भाभी तो पहले से ही बहुत सुंदर है।
राशि कुछ ही देर में चुनरी वाली साड़ी पहन कर घूंघट में नीचे आ गयी। सबके पैर छू कर वही बीच में बैठ गयीं। राशि को सबने ढोलक दे दी कुछ देर तो राशि चुप रही फिर उसे जो आता था उसने थाप सुना दी।थाप के साथ ही गुनगुना भी दी सबने जमकर ताली बजाई। फिर शुरू हुई मुँह दिखाई की रश्म। सब ही राशि की तारीफ कर रहे थे। मगर राशि इतनी थक चुकी थी कि उसे ये सब बिल्कुल रास नही आ रहा था। लेकिन फिर भी सबको मुस्कुरा के जवाब देना और लगातार पैर छुना उसके आज कमर ही टूट रहे हो मानो लगातार। जैसे तैसे रिवाज समाप्त हुई कुछ रिश्तेदार आज ही अपने घर को लौट गए। राशि भी अपने कमरे में आ गयी। सबके चहल पहल के बीच वो पैर को सीधा कर लेट गयी।तभी राशि की ननद भावना कमरे में आई और बोली भाभी कल आपके एग्जाम है और आंख मारते हुए बोली ऑल दी बेस्ट भाभी गुड नाईट। राशि कुछ समझती की भावना दरवाजा बंद करके चली गयी। रात को कमर दर्द से राशि इतना रोने लगी कि उसे घर की याद आ गयी। तभी बगल में लेटे पतिदेव व्योम की नीद खुल गयी क्या हुआ राशि - राशि चुप होकर बोली कुछ नही बस हल्का कमर में दर्द है लेटा नही जा रहा। क्या यहाँ आयोडेक्स या वॉलिनी है। हॉ मैं अभी देता हूँ पतिदेव झट से वार्डरोब से आयोडेक्स निकाल राशि की ओर बढ़ा दिए।राशि लगा कर फिर लेटी तो सो ही गयी।