Ghar ki Murgi - 8 books and stories free download online pdf in Hindi घर की मुर्गी - पार्ट - 8 (10) 1.9k 6.7k एक दिन राशि को लेने उसके घर से व्योम और देवर जी आ गए अब तो राशि चाह कर भी रुक ना सकी दबे मन से वापस अपने ससुराल आ गयी। इधर जब वह ससुराल आई तो उसने देखा पूरा घर अस्त-व्यस्त बिखरा पड़ा है। किचन में उसकी छोटी ननद अंकिता खाना बना रही थी और शकुंतला जी लगातार उसकी मदद कर रही थी। राशि ने चुपचाप अपने कमरे से ये सारा दृश्य देखती रही । अगली सुबह राशि जल्द ना उठी और उसे किचन से भावना के बड़बड़ाने की आवाज आई। अरे जब भाभी गयी तो ठीक ठाक थी वहां जाते ही बीमार पड़ गयी। तभी ससुरजी टोकते हुए बोले क्यों वो इंसान नही। तीन सौ पैसठ दिन तो इस घर मे राशि ही दिखती है हर जगह बीमार है तो आराम कर लेने दो कुछ दिन। भावना चुप हो गयी और शकुंतला जी के साथ मिलकर खाना बनाने लगी। दो दिन तक घर का यह स्वरूप राशि को सकून दे रहा था कि तभी पापा जी ने बड़ी जोर से बरामदे में वैठे बैठे कहा- अजी शकुंतला जी जरा पकौड़े तल दीजिए तो मजा ही आजाएगा। शकुंतला जी ने तेज से गुस्साते हुए पापा जी को जवाब दिया- अजी यहाँ गर्मी में खड़े खड़े पसीना टपक रहा और इनको पकोड़े चाहिए। पकौड़े की तरह तलने की मुझे जरूरत नही। खड़े खड़े पैरों में दर्द।अरे भग्यवान पकोड़े और आपके पसीने से क्या लेना देना। अच्छा तो जरा किचन में खड़े हो कर आधे घण्टे काम कर लीजिये समझ आ जाएगा पकौड़े की कीमत। शकुंतला जी ने पापा जी को जवाब देते हुए कहा। पापा जी जोर से ठहाके लगाते हुए बोले वाह भाई वाह दो रोज खड़े होने पर तुम सब इतनी उफ़्फ़ह.. कर लिए लेकिन क्या किसी ने राशि बहू के बारे में सोचा बिल्कुल नही। या कभी राशि बहू ने ये कहा किसी से की खुद के फरमाइश को खुद से पूरा करिए। या कभी बहु ने ये कहा कि मुझे गर्मी लग रही ।बल्कि सदैव उसे सबकी पसन्द का ख्याल रखते हुए बढ़िया भोजन बना कर खिलाते देखा है। कभी भी उसे कुसी को ताना मरते बड़बड़ाते नही देखा। ना ही कभी उसे किसी की बुराई करते पाया। सदा जी जी मे सर हिलाने वाली बहु सबको नही मिलती शकुंतला जी। आज आप की बेटियां किचन में खड़ी हो गयी तो आपको समझ आया कि किचन में पसीना भी टपकता है। अगर इस घर मे अब मिलकर कार्य करे तो बहु भी भला क्यों बीमार हो। राशि ये सब अपने कमरे से सुन रही थी उसकी आंखें भर उठी। तब शकुंतला जी ने तय किया आज से सभी लोग मिलकर कार्य को निपटाएंगे ताकि बहू पर बोझ ना बना रहे। राशि ने उसी दिन पापा जी के पसंद के पकौड़े तल उन्हें खिलाया। उस दिन से सभी को समझ आ गया कि राशि भी इस घर का वो हिस्सा है जिसने पूरे घर को सँवार रखा है। बस इतनी सी थी ये लघु कहानी जिसमे घर घर की मुर्गी की व्यथा दिखाने की कोशिश की हु। राशि जैसी अनगिनत बहुए इस मकड़जाल में पिसती रहती है मगर राशि जैसी बहु मिलना सबके नसीब में नही। ‹ पिछला प्रकरणघर की मुर्गी - पार्ट - 7 Download Our App अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी AKANKSHA SRIVASTAVA फॉलो उपन्यास AKANKSHA SRIVASTAVA द्वारा हिंदी महिला विशेष कुल प्रकरण : 9 शेयर करे आपको पसंद आएंगी घर की मुर्गी - प्रस्तावना द्वारा AKANKSHA SRIVASTAVA घर की मुर्गी - पार्ट -1 द्वारा AKANKSHA SRIVASTAVA घर की मुर्गी - पार्ट -2 द्वारा AKANKSHA SRIVASTAVA घर की मुर्गी - पार्ट - 3 द्वारा AKANKSHA SRIVASTAVA घर की मुर्गी - पार्ट - 4 द्वारा AKANKSHA SRIVASTAVA घर की मुर्गी - पार्ट- 5 द्वारा AKANKSHA SRIVASTAVA घर की मुर्गी - पार्ट - 6 द्वारा AKANKSHA SRIVASTAVA घर की मुर्गी - पार्ट - 7 द्वारा AKANKSHA SRIVASTAVA NEW REALESED Biography निश्छल आत्मीयता - संस्मरण Sudhir Srivastava Drama सूर्यास्त से सूर्योदय तक हिन्दी नाटक Vrajesh Shashikant Dave Film Reviews Avatar The Last Airbender Apurv Adarsh Drama कोई अपना सा अपने जैसा - 1 Ashish Dalal Women Focused महानिशां कि ममतामयी माँ नंदलाल मणि त्रिपाठी Short Stories ऊंट और गीदड़ दिनेश कुमार कीर Love Stories नजायज रिश्ते - भाग 3 Gurwinder sidhu Fiction Stories कर्म से तपोवन तक - भाग 1 Santosh Srivastav Mythological Stories भगवान् के चौबीस अवतारों की कथा - 6 Renu Thriller द सिक्स्थ सेंस... - 1 Ritesh M Bhatnagar