एकमेडिटेशन - 2 VANDANA VANI SINGH द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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एकमेडिटेशन - 2

तीसरा प्रयोग
अब बारी तीसरे प्रयोग की है , हम पहले दोनो प्रयोग में अगर सफल हुए ये तीसरे प्रयोग बड़ी आसानी से कर सकते है। इस प्रयोग में सिर्फ हमे सारे काम concentration से करना है, जैसे
--हम भोजन कर रहे अगर तो उसमे क्या है कैसा स्वाद है क्या क्या है जितनी देर खाना खाए सिर्फ उसके बारे में सोचे।
हम दिनों रात मेहनत सिर्फ खाने के लिए ही करते है पहली जरूरत है हर जीव की , अगर हम वो नहीं कर सकते तो और क्या करेंगे, कभी अपने सोचा हो या महसूस किया हो कि खाते वक्त फोन या टेलीविज़न में इतने लीन हो जाते कि हमे पता ही नहीं चलता कि आखिर हम कितनी देर से क्या खा रहे हैं।
आज के बाद जब भी कुछ खाए उसको परखे समझे,
और खुश होकर ये भोजन हमे बड़ी भाग्य से मिला है कई बार भोजन सामने रखा होने पर भी हम खा नहीं पाते क्यो की उस वकत का भोजन हमरे हिस्से का नहीं होता।
__अगर जब भी आप किसी के पास गए हो मिलने को या कोई और काम के लिए उसे पूरा वक्त दे, जिस से मिलने गए जिस काम से गए हैं वो सोचे उसे पूरा करने की कोशिश करे
जो पढ़ने वाले लोग है, कोई एग्जाम की तयारी में है उनके लिए ये प्रयोग बहुत लाभ दाई होगा।
आप जब पढ़ाई से मन भर जाता या एसा लगने की आपको सफलता नहीं मिल सकती आप सायद उस लायक नहीं है उसके लिए आप कोई मोटिवेशनल वीडियो को देखते है, फिर थोड़ी ऊर्जा मिलती है और पढ़ने लग जाते हो वो ऊर्जा ज्यादा देर तक रुकती नहीं एसा लगता है फिर थक गए हार गए हैं। आपको ये प्रयोग करना होगा पड़ने के वक्त आप तभी पूरी लींता या ध्यान दे पाएंगे जब आपको उसकी आदत होगी
जब ध्यान से और सारे काम करेंगे तो पढ़ाई अपने आप से ध्यान से हो जाएगी, पढ़ने वाले लोगो के पास, ज्यादा बड़ी दुनिया नहीं होनी चाहिए, उतना ही बड़ा स्थान तय करे जिसमें आप चल सके आराम से दौड़ना ना पड़े, जितने भी सफल वैक्ती हुए हैं उनके पास दोस्तो से ज्यादा फॉलोअर होते क्यो की उन्होंने खुद को फॉलो करने के काबिल बनाया, उन्हेने उतने ही दोस्त बनाए जितने वो सफलता के लिए जरूरी थे,
फॉलो करने वाले लोगों की आपको जरूरत है या इन दोस्तो मे उलझना चाहते हो ये तुम्हे सोचना है। क्यो की तुम्हारे बारे सबसे अच्छा सिर्फ तुम सोच सकते हो, क्यो की तुम जानते हो अपनी कमजोरी और असफलताओं के राज तुम जानते हो कि जिस वक्त तुम किताब लेकर पढ़ने के लिए किताब हाथ में लिए हुए थे क्या सच में तुम्हारा पुरा दिमाग़ किताब प पर ही था।
ये सिर्फ तुम्हे पता हो सकता है, घर वाले कभी ये नहीं पूछते कितना पड़े कितना पड़ना है वो सिर्फ आपका रिजल्ट देखते हैं।
मुझे ये बात समझने में बड़ा वक्त लगा कि जब हमरी पढ़ाई चल रही होती तभी हम प्रेम की तरफ भी अक्रसित होते तभी हमे एक साथी की भी तलाश होती है, अगर उसे दिल से कंट्रोल करते है फिर हमारा दिमाग़ क्यो उलझता उस में?
दिल से साफ कह दो कि तुम्हारा काम तुम समझी मुझे मेरा काम करने दो।
प्रमे करना अच्छी बात है लेकिन उसके लिए खुद को खतम करना बुरा है। अब आपको लगेगा ज्यादा बड़ी बाते बोल रही हूं मै
नहीं मै ने इसमें कोई भाषा शैली का नहीं बल्कि दिल की ओर दिमाग़ की शैली ही लगाई है अगर आप इस वक्त ये पड़ रहे हैं आपमें भी कुछ खाश बात तो जरूर होगी।
आप सोच रहे होंगे कि आप अपने प्रयोगों को भूल कर किस के बारे में बात कर रही है, बिल्कुल मुझे
याद है लेकिन इसे लिखते समय मुझे एसा लग रहा तुम सभी मेरे पास हो और मै सबसे दिल खोल कर बाते कर रही हू और तुम सभी सुन रहे हो। अच्छा ये बाते हटा कर हम प्रयोग की बात करते हैं।
चौथे प्रयोग प्रयोग में हम किसी और के बारे में ज्यादा सोचेंगे नहीं की उसने क्या पहना वो किस किस से बात करता है, वो कितना बुरा है कितना खुश,, कितना सफल है, घमंडी है, ये सारी बातों को बिल्कुल अपने दिलो दिमाग़ से निकालना होगा और कभी भी भूल कर भी इनके बारे में सोचना भी आपको गलत राह पर ले जा सकता है।
कभी उन लोगो से आप प्रभावित भी नहीं होंगे जो आपकी निंदा करे,
कभी कितने बार हम घंटो दूसरो की बात करते रहते हैं उसके बारे में सोचते रहते है, कभी अगर उतना हम अपने बारे में सोचे तो कुछ हो सकता है हमरा भले ही हम बहुत बड़े ना बन पाए कम से कम हम ख़ुश तो रह पाएंगे अपने अंदर जो कमी होगी उसे तो दूर कर पाएंगे।
अगले अध्याय में हम कुछ और प्रयोगों की बात करेंगे, फिर इसके बाद ही हम मेडिटेशन सीखेंगे।।
धन्यवाद