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एकमेडिटेशन - 1

आज हम बात मेडिटेशन पे करेंगे , मेडिटेशन आज के समाज के लिए सबसे आवश्यक और महत्वपूर्ण है। अगर मेडिटेशन का का अर्थ समझे तो ध्यान पड़ने में ये समझ आता है कि ये कोई धार्मिक क्रिया है, नहीं ये धार्मिक क्रिया बिल्कुल नहीं है
जीवन मे शांति की अनुभूति कराने , सफल जीवन की और अपनी इच्छाओ को सिमित रखने की कला है।
हाँ ! मेडिटेशन को एक कला ही कह सकते है , क्योंकि हर किसी को मेडिटेशन का ज्ञान नहीं होता।
आज का समाज बहुत सी छोटी-छोटी परेशानियों से घिरा है , सबको ये लगता है की मेरी प्रॉब्लम बड़ी है उसकी छोटी है , हर किसी को अपने सामने वाला अधिक खुश नजर आता है।
जिस किसी की भी जिंदगी को हम करीब से नहीं जानते उसकी जिंदगी बड़ी खुशहाल और फूलो से भरी मालूम पडती है , उसे देख कर ऐसा प्रतीत होता है उसका जीवन कितना आनंदित है , लेकिन आप किसी एक को सोच कर देखो। जिसे तुमने सोचा की वो बहुत खुश है , उसके करीब जाकर देखो तब तुम्हे उसके दर्द का तुम्हे एहसास होगा। ये बात भी एकदम सच है की जब लोग हमसे दूर होते है , तो हम उनसे अपना दर्द साँझा नहीं करते और वो ये भी समझते है की ये जो समाज उन्हें समर्थसाली समझ रहा है वो क्या सोचेगा की वह अंदर से दुख से भरा है , उसकी सारी जिंदगी खत्म हो जाती है ये जानने मे और समझने मे की वो अपना दुख किससे कहे।
जब कभी ये दुख इतना बढ़ जाता है की उसके सहन सीमा से परे हो जाता है तब लोग आत्म हत्या जैसी घटना के सीकर हो जाते है। आपको ये सब पढ़ के ऐसा लगता होगा की ये सब तो मुझे पता ही है, लेकिन सोचो जरा की क्या आपका मन आपका कहना मानता है , क्यों ये सब तुम्हारे अचेतन मन को हर वक़्त अनुभूति होती है ! नहीं क्योंकि हम अपने दुखो से इस तरह घिर जाते है जो बाते हमें पता भी होती है उनको मानने के लिए हम तैयार नहीं होते है।कितनी बार हम उन चीजों को मांगते रहते है जिनकी हमें वास्तव मे जरुरत नहीं होती है।
लेकिन हम उसे अपनी जरुरत बना लेते है , क्योंकि कही ना कही हमें ये लगने लगता है की ये सुख देगी और हम उपयोग के लिए उनके पीछे लग जाते है।
अगर वो जरुरत पूरी भी हो जाये हमारे प्रयासो से तो भी हम रुकने वाले नहीं , हम उसके बाद ही दूसरी जरुरत बना लेते है। क्यों ? ऐसा क्या है ? इन जरूरतों के पीछे होने से क्या शांति की अनुभूति होती है ? यही सोचना है ? अपने मन मे सावल करें ???
जो लोग जीवन के आखिरी पड़ाव पे है उनसे कभी पता किया है की वो पूरी तरह से कब खुश हुए थे , जब उनको उपलब्धिया मिली या जब उनकी सादी हुई या तब जब उनकी जरूरतों की सारी वस्तुवे उनके पास है।
जवाब मिलेगा नहीं ! वो कभी संतुष्ट हुए ही नहीं , जीवन मे दुख भोगते आये है और अभी भी भोग रहे है। इन सब बिचारो से बचने के लिए ही हम मेडिटेशन करेंगे और जानेंगे की हम कौन है और क्यों ?
करते वक़्त हमें इस बात का खास ख्याल रखना होगा , इसको हमें स्वार्थ भाव से नहीं करना , ये नहीं सोचेंगे की इससे हमें बहुत सारे धन या सुख की प्राप्ती होंगी।
सभी बातो को जान लेना , समझ लेना अत्यंत आवश्यक है। अभी तक हमने सिर्फ जाना है कभी समझा नहीं , जब समझने की कोसिस की तो ऐसा लगा ये संसार समझने नहीं देता।
" जब भी हमने अपने अंदर
परिवर्तन को चाहा है
जीवन की राहो ने मुझको
हर बार हराना चाहा है। "
यही सारी मन की बिपदाओ को हटाना ही तो मेडिटे शन है , हम दूसरे शब्दो मे अगर कहे तो यह आत्मा का भोजन है। अब आपको ये लग रहा होगा की आखिर मेडिटेशन है क्या? या जो आप समझते है वही मेडिटेसन है। हाँ !सायद आपने सुना हो की जब हम अपनी आँखों को बंद करके मन एकांत करते है , या जब अपने ईस्ट देव की पूजा करते है, कुछ लोग ये भी सोच रहे होंगे की यहा मै कोई धर्म की चर्चा करुँगी। बिलकुल यहा पे कोई धर्म की चर्चा नहीं होंगी , यहा सिर्फ एक इंसान या जीवित आत्मा की ब्याख्या का बिस्तारण होगा। जैसा की मैंने पहले भी इस बारे मे बात की है उसी बात को दोहराना उचित ना होगा।
मेडिटेशन को हम किसी भी प्रकार से कर सकते है , बस हमें खुद को थोड़ा जगाना होगा ये जानने के लिए की परेशान होकर कोई काम नहीं बनते काम बनाने के लिए सिर्फ अपना 100% देना होता है।
मेडिटेशन करने से पहले हमे खुद पर कुछ प्रयोग करने होंगे.. इन प्रयोगों को करने में जब हम सफल होंगे तो मेडिटेशन अपने आप से ही होने लगेगा
पहला प्रयोग
जब भी सुबह आँख खुले एक बार अपने आँखों को खोलकर अपनी खिड़की या बालकनी से खुला आसमान देखे और अपने मन मे ये बिचार करें की सुबह कितनी अच्छी है , आज दिन मेरे लिए बहुत ही शुभ और सुखदाई होगा।
यह प्रयोग हर सुबह करें , ये मत सोचे की देर से उठते है तो नहीं कर सकते , आप जितने बजे भी उठे आपके लिए वह पहली सुबह ही होंगी।
यह पहला प्रयोग आपको प्रतिदिन करना होगा , मै आपसे ये नहीं कहती की आप पहले दिन चार बजे उठ कर ध्यान पर बैठ जाये बस यह छोटा प्रयोग प्रतिदिन करें।
जब आप पहला प्रयोग सफलता से पांच दिन कर ले तो आपको दूसरा प्रयोग करने की जरुरत पड़ेगी , विस्वास मानिये आपको इन प्रयोगो से जरूर लाभ होगा ये मेरा वादा है आपसे।
दूसरा प्रयोग
अब चलो दूसरे प्रयोग की बात करते है , दूसरे प्रयोग मे हम तेज नहीं बोलेंगे हमें अगर गुस्से मे भी जवाब देना है उसे भी हम धीमी आवाज मे देंगे।
कारण - तेज आवाज मे अधिक ऊर्जा लगती है
और अनावश्यक सोर होता है।
- तेज बोलने से हमारे दिमाग की ऊर्जा
खत्म होती है।
ध्यान रहे हमें तेज बोलने की आदत को ही बदलना है। आप सोच रहे होंगे की ये तो मेडिटेसन नहीं है। मै भी साफ शब्दो मे बता रही हूँ की हाँ ! ये एक प्रयोग है जो मेडिटेसन करने से पहले करना होगा।

जब आप पहला प्रयोग सफलता से पांच दिन कर ले तो आपको दूसरा प्रयोग करने की जरुरत पड़ेगी , विस्वास मानिये आपको इन प्रयोगो से जरूर लाभ होगा ये मेरा वादा है आपसे।
अब चलो दूसरे प्रयोग की बात करते है , दूसरे प्रयोग मे हम तेज नहीं बोलेंगे हमें अगर गुस्से मे भी जवाब देना है उसे भी हम धीमी आवाज मे देंगे।
कारण - तेज आवाज मे अधिक ऊर्जा लगती है
और अनावश्यक सोर होता है।
- तेज बोलने से हमारे दिमाग की ऊर्जा
खत्म होती है।
ध्यान रहे हमें तेज बोलने की आदत को ही बदलना है। आप सोच रहे होंगे की ये तो मेडिटेशन नहीं है। मै भी साफ शब्दो मे बता रही हूँ की हाँ ! ये एक प्रयोग है जो मेडिटेसशन करने से पहले करना होगा।
कभी जीवन इतना दुखदाई महसूस होता है लगता है अब मर जाने के अलावे कोई और रास्ता नहीं बचा है , उस वक़्त दिल के साथ क्या करना उचीत होगा , ये सोचना अत्यंत आवस्यक है।

चाहे कितना भी बड़ा सुख तुम्हे अनुभव हुआ हो , लेकिन वह निस्चित अवधि के लिए ही होता है। ठीक उसी प्रकार अपने आप को यह बात समझानी होंगी की यह छड़ीक है थोड़े समय के लिए , यह भी चला जायेगा।
हम मानते है खुद को ये बात समझा पाना इतना सरल नहीं है , लेकिन जब अत्यंत दुख महसूस हो तो ये मन मे जरूर दोहराये की ये भी चला जायेगा।
दुख के बहुत कारण हो सकते है जैसे की अपमान होना , क्या आपको याद है जब आपको बहुत ही सम्मान मिला था , वो छड़ अभी आपके जहन मे है।
हाँ ! होगा क्योंकि उस वक़्त आप खुद पर बहुत गर्व महसूस कर रहे थे , आपका चेहरा गुलाब सा खिला हुआ था , गुलाबी भी फैली हुई थी चेहरे पर , कितना मधुर और कितना सुनेहरा था वो पल। लेकिन अब आप ये बात सोचे की वो पल जब इतना अच्छा मनमोहक था तो आप उसे कैद नहीं कर पाए , तो ये पल जो तुम्हे बिलकुल पसंद नहीं जो तुम्हे पीड़ा दे रहा क्या इसे कैद कर पाओगे , नहीं ! कर सकते, ये पल भी कैद नहीं कर सकते , हाँ ! पीड़ा को कम किया जा सकता है , ये समझ कर की ये पल भी चला जायेगा। थोड़े समय बाद हमार जीवन वैसे ही सम्मान से भर जायेगा।
आपको लग रहा होगा की मै आपकी उम्मीद बढ़ा रही हूँ , लेकिन ऐसा नहीं है ये सारे प्रयोग मैंने खुद पर किया है तभी ये आपको मै बता रही हूँ।
ये प्रयोग मैंने खुद किया है ये बता कर मै अपने आप को महान साबित नहीं कर रही हूँ।
मै भी आपकी ही तरह जीवन की चुनौतियों से लड़ते हुए आगे बढ़ती जा रही हूँ।
मुझे उम्मीद है आपके लिए ये प्रयोग कारगर सिद्ध होगा , आगे के प्रयोग हम आने वाले भाग मे पढ़ेंगे हमें जरूर बताये आपको पढ़ के क्या अनुभव हुआ।

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