फिर मुलाकात होगी - 3 Lalit Raj द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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फिर मुलाकात होगी - 3

राज अपने सपने से हैरान था, अचानक अपने सपने में काजल को ऐसी हालत में देखकर वह उसके लिये और चिंतित होने लगा, जहां वो तीन वर्ष से उसे ढूंढने में लगा था लेकिन उसका पता और निशान भी कहीं नहीं मिला और सपने में उसका नजर आना उसकी फिक्र को और बढा देता है।

अब सुबह हो चुकी थी, उसके रूम में किसी के खिड़की खोलने से धूप राज के चेहरे पर पढती और वह खिड़की की तरफ से आने वाले प्रकाश की ओर उसे देखने की कोसिस करता जिसने खिड़की खोली।

तभी माँ खिड़की के पास खड़ी हुई थी और उन्होंने राज की तरफ देखते ही कहा " आज तुम देरी से उठे हो ऑफिस जाने का समय हो गया और तो और सपना भी तुम्हारा बहार इंतजार कर रही है साथ में ऑफिस जाने के लिऐ।

राज हैरान होकर अपने ऊपर से चादर उठाते हुऐ फुर्ती से माँ से कहता है "क्या सपना आई है"

माँ राज की खिचाई करते हुऐं कहती हैं " अच्छा बेटा सपना के नाम से बहुत जल्दी उठकर खडे हो गये अब जल्दी से तैयार भी होजाओ 9 बज चुके हैं।"

राज " ओ नहीं 9 बजगये " यह कहकर वो तावल लेकर बाथरूम में चला जाता है ।

राज की माँ सपना से कहती है " अभी वो नहाने गया है अभी आता ही होगा और बेटी बताओ कैसी हो "

सपना अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान रखते हुऐ माँ से कहती है " माँ में ठीक हूँ आपके आशिर्वाद से"

माँ सपना से कहती है " बेटी तुम बैठो में नाश्ता तैयार करती हूँ " यह सुनकर सपना माँ से कहती है "माँ मै भी आपकी हेल्प करती हूँ"

माँ मुस्कराते हुऐ सपना से कहती है " बेटी अभी रूको बाद में सब तुम्ही को समभालना है।" सपना यह सुनकर हल्का सा शरमाते हुऐ वहीं वापस सोफे पर बैठ जाती है।

तभी वहां राज आता है और सपना को देखकर देखता रह जाता है और सपना राज को देखकर राज की आँखों में आँखें डालकर वो धीरे धीरे उसकी ओर बढती जाती है।

राज और सपना एक दुसरे के काफी करीब होते हैं राज सपना की आँखों को देखते हुऐ सपना के होठों को देख रहा था, सपना और राज ओर करीब आने लगे तभी राज की माँ वहां अपने मुह से खिचखिच की आवाज निकालती है ।

राज और सपना माँ को देखते ही दोनों हल्का शरमा जाते हैं तभी माँ कहती हैं " नाशता तैयार है बच्चों " और माँ मजाक में मुस्कुराते हुऐ राज और सपना से कहती हैं " मेने तुम दोनो को डिस्टर्ब तो नहीं किया "

राज माँ की तरफ देखते हुऐ "क्या माँ आप भी"
माँ " कोई बात नहीं बेटा नाश्ता करो और ऑफिस निकलो और भी वक्त मिलेगा जो बीच में रूक गया था "

यह सुनते ही राज और सपना के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी और माँ भी हसने लगती हैं।

राज और सपना दोनों नाश्ता करने के बाद ऑफिस के लिऐ निकल जाते हैं, दोनों कार में बैठे हुऐ थे और सपना कार डिराईव कर रही थी।

सपना राज से पुछती है " मेने तुम्हारे चेहरे पर वो देखा जो तुम छुपाने की कोसिस कर रहे हो, क्या बात है राज तुम मुझे परेशान नजर आ रहे हो।"

राज खामोश बैठा हुआ था सायद वो सपना की बात सुन नहीं पाया उसकी नजर सामने की तरफ बिना पलक झपके हुऐ थी।

सपना कई बार राज का नाम लेती है पर राज को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था तो सपना ने अपने डिराईव हेंडल से एक हाथ छोड़कर राज को हिलाती है और जोर से आवाज में कहती है ...."राज"

एक हाथ छोड़ने से कार का बेलेंस बिगड़ जाता है और इधर राज होश में आता है।

राज कार के बेलेंस बिगड़ जाने की वजह से सपना से कहता है " यह किस तरहा डिराईव कर रही हो।"
सपना गुस्से में राज से कहती है " ओ तो तुम्हें अब होश आगया " इतना कहते ही कार एक खम्भे से टकरा जाती है।


राज सामने देखता है कि कार का काँच चूर चूर हो गया है और वह सपना की तरफ देखता है सपना के हल्के चोट होती है पर वो उस समय बेहोश थी।

राज जल्दी से उठकर सपना को होश में लाने की कोसिस करता है पर सपना को होश नहीं आता ।

वहां आस पास के लोगों ने मदत की और हॉस्पिटल तक पहुंचाया।

राज हॉस्पिटल में था और आस पास जो भी आता वो उस्से यही कहता "मुझे सपना के बारे में बताओ वो कैसी है"

तभी राज की माँ वहां आती है तब राज माँ से घबराहता हुआ पुछता है " माँ सपना कैसी है वो ठीक तो हेना"

माँ के आँखों में आंसू थे और वो राज को समभालती हैं और कहती हैं "राज बेटा परेशान मत हो सपना ठीक है "

उसी वक्त एक नर्स सपना को राज के पास ले आती है और नर्स वहां कहती है दोनों के चोट लगी है पर उसकी फिक्र नहीं है दोनों को लेकिन एक दुसरी की फिक्र जादा है तभी तो चोट का इन्हें कोई दर्द नहीं हुआ सायद एक दुसरे को देख न पाने का दर्द जादा हो तो इसलिए दोनों को पास में ही सिफ्ट कर दिया।

राज और सपना एक दुसरे को देखते हैं तब उनमें जान में जान आती है, राज सपना का बैड करीब था, राज सपना के चेहरे पर हाथ फेरता है और सपना राज का हाथ थाम लेती है और आँखों की नमी के साथ एक छोटी मुस्कान भी देती है।

राज सपना से कहता है " तुम्हें कभी कुछ नहीं होगा और न ही में कुछ होने दुंगा "

सपना सहमती हुई राज से कहती है " हम दोनों एक दूसरे के लिऐ बने हैं और हमे कोई अलग नहीं कर सकता।"

तभी माँ दोनों के हाथ पर अपना हाथ रख देती हैं और कहती हैं " मेरा भी आशिर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है के तुम दोनों कभी कुछ नहीं होगा, ईश्वर कीसी न कीसी रूप में तुम्हारी मदत करता रहेगा "

और उसी वक्त सपना के पिता वहां आजाते हैं वो परेशान थे इस खबर से पर वो दोनों मुस्कुराते देख उनकी घबराहट कम हो जाती है और वो अपनी बेटी के सर पर हाथ फेरते हैं।

सपना पिताजी की तरफ देखकर कहती है " मै ठीक हूँ पापा आप परेशान मत होना "

पिताजी " वो मुझे पता है और मुझे पूरा यकीन है राज तुम्हारे साथ है तुम्हे कभी कुछ नहीं होने देगा क्यों हेना राज (राज की तरफ देखते हुऐ कहा)
राज " हाँ पापा आप बेफिक्र रहो मै सपना का खयाल रख सकता हूँ।"


अब पूरे परिवार के चेहरे पर एक खुशी थी और वो एक दुसरे से बहुत खुश थे, एक हादसा होने के बाद भी वो निर्भय थे और उनके बीच में बस प्रेम था ।

सपना के पिता राज की माँ से घर जाने के लिऐ कहते हैं और रात में राज और सपना के पास ठहरने का फेसला लेते हैं।
राज की माँ घर जाने के लिऐ मना कर देती हैं लेकिन राज माँ को समझाते हुऐ कहता है " माँ आप घर जाकर आराम करो और हमारे पापा हेना "

राज के समझाने पर माँ चली जाती हैं, अभी रात हो चुकी थी हॉस्पिटल रात का स्टाफ ही डियूटी दे रहा था और इधर राज से सपना के पिता बात कर रहे होते हैं ,लेकिन सपना तब तक सो चुकी होती है।

राज भी सपना के पिता से कहता आप भी आराम कर लीजिए , सपना के पिता पास रूम में रखी बेंच पर लेट जाते हैं और थोड़ी ही देर में उन्हें नींद आजाती है।

राज सपना को सोते हुऐ देख रहा था और उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान भी थी।

राज सपना की तरफ देखते देखते सो जाता है और आधी रात बीत जाने के बाद राज को अपने कानों में एक आवाज सुनाई देने लगी " राज मुझे बाचाओ राज, राज, राज,राज मुझे बचाओं"

यह आवाज सुनकर वो एक दम जागकर बैठ जाता है वो घबराहट से लम्बी लम्बी सांस लेता है, पहली उसकी नजर सपना के पिता पर जाती है वो सो रहे थे और फिर वो सपना की तरफ देखता है तो वो हैरान रह जाता है क्योंकि सपना अपनी जगह पर नहीं थी।

वो सामने का दरवाजा देखता जो कि थोड़ा सा खुला और हवा से बार बार अंदर बहार होकर आवाज कर रहा था।

राज उठता है सपना को देखने के लिऐ कि वो इतनी रात में कहाँ गई,

दरवाजे से बहार आते ही राज की नजर अपने बांये हाथ की ओर गई, वह वहां सामने की ओर देखता है तो सामने हॉस्पिटल की एक बालकनी होती है जहां एक लड़की खड़ी होती है, वह उस लड़की की ओर आगे बढता जाता है, चलते समय दांये बांये और भी पेसेंट के रूम थे और वो रास्ता बालकनी तक ही जाता था।

और वह धीरे धीरे उस लड़की जक पहूंच जाता जो बालकनी में खड़ी थी, उस लड़की का चेहरा खुदके बालों से ढका था और वह बालकनी से बहार की ओर देख रही थी दोनो हाथ बालकनी की रैलिंग पर थे।

राज उस लड़की से कहता है " सुनो तुम यहां कर रही हो अपने रूम में जाओ यहां खड़े रहना ठीक नहीं है"
वो लड़की राज की बात सुनकर अपने बालों से ढके चेहरे को राज की तरफ करती है और जब राज उसे देखता है तो भयभीत हो जाता है।

फिर राज की उस लड़की के पैरों पर नजर जाती है तो वह देखता है कि उसके एक पैर में एक मजबूत कड़ी थी वह अपने सपने को याद करता है यही लड़की को उसने काजल समझकर आवाज दी थी।

राज उस लड़की से पूछता है " है तुम कौन हो और क्या चाहती हो क्या तुम किसी प्रोब्लम में हो"

वो लड़की राज को जवाब देती है " मेरा बुरा चाहने वालो ने मेरा अस्तित्व मिटा दिया और तुम हो कि मुझे यादों में जिंदा रखे हुऐ हो, राज तुम अपनी यादों से मुझे दूर कर दो अब जो है तुम्हारे करीब उनका खयाल रखो।"

राज को उस लड़की की बात सुनकर फिर वही संदेह होता है और उसे वह काजल समझकर उसे कहता है " तुम काजल हो, काजल तुम बताओ मुझे तुम्हें क्या प्रोब्लम है मै तुम्हारी मदत करूंगा"

राज की बात सुनकर वह अपना हाथ उठाकर अपने दांये हाथ की एक उंगली से सामने की ओर इसारा करती है और राज उसकी उंगली की दिशा की ओर देखता है तो वह रूम नम्बर 31 इशारा करती है और जैसे ही राज उस रूम की तरफ देखने के बाद वह फिर से उस लड़की को देखने के लिऐ पीछे घूमता है और देखने पर वहां वो लड़की नहीं दिखाई देती।


अब राज उस रूम 31 की तरफ बढता है क्योंकि वो लड़की उस रूम की तरफ इसारा कर रही थी।

वो अब रूम नम्बर 31तक पहूंच जाता है और उसका दरवाजा खोलता है तो वो सामने देखकर हैरान रह जाता है

क्योंकि सामने एक पेसेंट बैड पर सपना थी जिसके हाथ पैर बंधे हुऐ थे, और सपना राज को देखकर दर्द में तड़प कर और रोते हुऐ कहती है " राज मुझे बचाओ, मुझे यहां से ले चलो नहीं तो वो हैवान आ जाऐगा, जल्दी करो राज"

राज यह सब देखकर अंदर रूम में जा ही रहा था और दरवाजा एक काले भयानक साये के बंद हो जाता है और राज को सपना की जोर से तड़पते हुऐ उसे पुकारने की आवाज सुनाई दी " राज.....आ..आ..आ"

राज अपनी नींद से उठ जाता है राज अपने इस सपने से बहुत घबराह जाता है और फुर्ती से वह सपना की तरफ देखता है लेकिन सपना अपनी जगह पर नहीं होती है।......