राधा का हरा भरा संसार फलने फूलने से पहले ही उजड़ गया।राघव की मौत का समाचार मिलते ही राधा के हाथ की चूड़ियां तोड़ डाली गई।मांग का सिन्दूर मिटा दिया गया।माथे की बिंदी पोंछ दी गई।राधा पति के साथ कुछ ही दिन रही थी।पति के संग गुज़ारे दिनों की याद करके वह रात दिन रोती रहती।लोग सांत्वना देने आते और चले जाते।
समय गतिशील है।वह कभी नही रुकता।अपनी गति से चलता रहता है।समय गुज़रने के साथ पति की यादे भी धुंधली पड़ने लगी।
राधा अभी जवान थी।शादी के बाद पति के साथ कुछ ही दिन तो उसने गुज़ारे थे।राधा के सामने पहाड़ सी लम्बी जिंदगी पड़ी थी।उसके भविष्य को लेकर खानदान में ही नही गांव के कुछ बुजुर्ग भी चर्चा करने लगे।काफी सोच विचार करने के बाद राधा के भविष्य का फैसला कर ही लिया गया।उसे राघव के छोटे भाई माधव कि पत्नी बना दिया गया।
उन दिनों न नारी मुक्ति का ज़माना था।न महिला आंदोलन।ना ही औरत को अपने बारे में फैसला करने का अधिकार।इसलिए उसकी जिंदगी का फैसला करते समय उसकी राय नही ली गई।राधा ने कभी माधव को प्यार भरी नज़रो से नही देखा था।इसलिए राधा मन से कभी भी माधव को पति के रूप में स्वीकार नही कर सकी।
उनका रिश्ता समाज के सामने हुआ था।इसलिए वह दुत्कार भी नही सकती थी।पति बनते ही माधव ने राधा के तन पर पूर्ण अधिकार जमा लिया।मन से न चाहते हुए भी,राधा को पति के आगे समर्पण करना पड़ता था।इसी का नतीजा था कि राधा दो बच्चों की माँ बन चुकी थी।बच्चे औरत की कमजोरी होते है।बच्चों से ममता ने उसे अपना अतीत भूलने के लिए मजबूर कर दिया था।
राघव के अप्रत्याशित रूप से घर लौट आने पर वक़्त की धूल के नीचे दफन भूली बिसरी यादें फिर ताज़ा हो गई थी।वर्षो बाद राघव सही सलामत लौट आया था।लेकिन राधा के पास राघव के सामने जाने का अधिकार नही रहा था।अब वह राघव नहीं, उसके छोटे भाई माधव की पत्नी थी।समय ने ऐसा पलटा खाया था कि उसका पति अब उसका जेठ बन चुका था।अब आगे क्या होगा?वह खाट पर पड़ी इसी सोच में डूबी थी।
"राघव मरा नही।जिंदा लौट आया है।यह खबर दिन निकलते ही पूरे गांव में फेल गई थी।गांव के लोग राघव से मिलने के लिए आने लगे।मिलने आने वालों में उसके दोस्त भी थे।उन्ही में से कोई बोला था,"जिंदा तो लौट आये,लेकिन राधा नही मिलेगी।"
"क्या हुआ राधा को?"राघव ने आशचर्य से पूछा था।
"राधा अब तुमहारी पत्नी नही रही।वह माधव कि पत्नी है।"उसने पूरा समाचार सुना दिया था।
दोस्त के जाने के बाद उसने माँ से पूछा था,"राधा कन्हा है?"
माँ ने बेटे को सब कुछ साफ साफ बता दिया था।माँ की बात सुनकर दुखी मन से बोला,"माँ तुमने ऐसा क्यों किया?"
"बेटा और क्या करते?तेरी मौत का समाचार मिलने के बाद राधा के भविष्य का फैसला तो करना ही था।"
राघव को परिवार ही नही गांव के समझदार लोगो ने आकर भी समझाया था।पर वह इस फैसले से संतुष्ठ नही हुआ।अगर राधा ब्याह कर कंही और चली जाती,तो शायद राघव की इतना दुख न होता।लेकिन राधा घर मे रहकर भी उसकी नही रही थी।यह दुख का कारण था।