साइबर क्राइम - 6 - अंतिम भाग r k lal द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साइबर क्राइम - 6 - अंतिम भाग

साइबर क्राइम– भाग छः

आर० के ० लाल

कुछ दिनों में हम तैयार थे बदला लेने के लिए। एक शाम हम दोनों ने एक पार्टी के बहाने उन्हें एक होटल में बुलाया और स्पष्ट तौर पर उन्हें बताया कि हमारे पास उनके खिलाफ बहुत सबूत हैं । अगर वे चाहते हैं कि कोई कार्यवाही न करूँ तो विडियो अभी डिलीट करो और हरजाने के तौर पर मैडम को कुछ पैसे दो ताकि वे अपना नया काम शुरू कर सकें। मैंने भी अपना सर्टिफिकेट मांगा। उन्होंने हमें बहुत धमकाया मगर हम भी तैयार थे । काफी मशक्कत के बाद बात बन गयी। उन्होंने हमें पैसे तो नहीं दिये मगर वीडियो डिलीट कर दी और मेरा सर्टिफिकेट वापस कर दिया। बदले में हौं लोगों द्वारा जुटाये सबूत भी ले लिए। इस प्रकार मैडम उस कंपनी से छुटकारा पा गईं और मैं उनके चंगुल में फँसने से बच गया और हम क्राइम की दुनिया से मुक्ति पा गए।

मैंने और मैडम दोनों ने निर्णय लिया कि इस महानगरी को छोड़ कर कहीं और चले जाएंगे। हमने शहर की जगह एक ग्रामीण कस्बे को चुना। हम दोनों ने वहाँ जाकर अपना स्वतः रोजगार कर लिया है। एक कम्प्युटर स्कूल खोल लिया है अब तो मैडम मुझसे शादी भी करना चाहती हैं । मेरे हाँ करने पर उन्होंने अपने घर वालों से बात भी कर चुकी हैं।

हम दोनों ग्रामीण क्षेत्र के लिए काम करते हैं क्योंकि हमारा सोचना है कि अब तो गाँव के लोग भी इंटरनेट और ऑन लाइन बैंकिंग करते हैं। वे भी तो सोशल मीडिया पर चैट करते हैं। इसलिए हमने उन्हें आगाह करने और उन्हें साइबर क्राइम से बचाने की ठान ली है। हम एक कोर्स संचालित करते हैं उसके लिए जो पाठ्यक्रम बनाया है उसमें साइबर क्राइम का एक चैप्टर भी रखा है। हम विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं कि कैसे लोग आज इंटरनेट के अपराधियों से बचें और कानून की सहायता कैसे लें।

मैडम उन्हें समझती हैं कि अगर आप ​फ़ेसबुक पर तस्वीरें डालना चाहते हैं तो अपने ​फ़ेसबुक अकाउंट पर अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स को पब्लिक न करें। सेटिंग्स ऐसे रखें ताकि आपकी फ़ोटो आपके दोस्त या आपसे जुड़े हुए लोग ही देख पाएं, अनजान लोग उन तक न पहुंचे। अनजान लोगों को फ़ेसबुक पर न जोड़ें। सोशल मीडिया पर लाइक्स की चाहत का लोभ त्याग दें। उससे कुछ ज्यादा नहीं मिलने वाला । वाइरस ग्रस्त पोस्ट न खोलें और उन पर रेस्पोंस न दें । आपको पता रहे कि आपका नाम कहां पर और किस-किस वेबसाइट पर आ रहा है। आपकी अनुमति के बिना लोग आपको फॉलो न कर सकें तो आपका अकाउंट ज़्यादा सुरक्षित रह सकता है। जिनका झुकाव वचुर्अल की दुनिया की ओर ज़्यादा होता है वे प्रायः अपनी तारीफ़ करते लोग के चक्कर में फंस जाते हैं। साइबर क्रिमिनल ऐसे लोगों का पता लगाकर उनसे तस्वीरें और अपनी जानकारियां डालने को प्रेरित करते हैं जिसका वे दुरुपयोग करते हैं। अगर साइबर हैकर फ़िरौती मांगें तो न दें बल्कि पुलिस कि मदद लें। प्रोफेशनल लोगों को केवल लिंकड-इन पर जोड़ें।

वो बताती है कि सावधानी के लिए डोमेन - नाम या ई-मेल पते में वर्तनी या व्याकरण संबंधी त्रुटियों के लिए देखें। साइबर अपराधी अक्सर ऐसे ई-मेल पते का उपयोग करते हैं जो प्रसिद्ध कंपनियों के नामों से मिलते जुलते हैं। किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले कई बार सोचें। संदिग्ध ई-मेल पर क्लिक न करें। वेबसाइटों से उत्पन्न होने वाले नकली एंटीवायरस करेपर कभी भी क्लिक न करें। अपने ऑपरेटिंग सिस्टम को हमेशा अपडेट रखें। परमिसन देते समय सावधान रहें क्योंकि उनका उपयोग किसी अपलिकेशन द्वारा किया जा सकता है। एप्लिकेशन डाउनलोड करने से पहले हमेशा परमिसन की जांच करें। समीक्षा और रेटिंग की जाँच करें। पचास हज़ार से कम डाउनलोड होने पर ऐप डाउनलोड करने से बचें। थर्ड पार्टी ऐप स्टोर्स से ऐप डाउनलोड न करें। कभी भी पायरेटेड / क्रैक किए गए ऐप डाउनलोड न करें। फ़ोन कॉल या एसएमएस पर कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा न करें। यदि संवेदनशील जानकारी रखते हैं, तो एन्क्रिप्टेड कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, यूएसबी आदि का उपयोग करें। अपने पासवर्ड कभी भी पोस्ट-इट या नोटपैड पर न लिखें। कभी भी अपने सिस्टम को अप्राप्य न रखें। इसे हमेशा मजबूत पासवर्ड से सुरक्षित रखें। अपने फ़ोन को अनलॉक न रखें।

मैं भी रिसर्च करके एंटि मैलवेयर, एंटि वायरस और एंटि स्पायवेयर प्रोग्राम तैयार कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि ऐसा सॉफ्टवेर बनाऊँ जो हमें बता सके कि मुझसे बात करने वाला वास्तव में कौन है, उसकी लोकसन का पता चलता रहे अथवा उसकी फोटो हमारे सिस्टम पर विजबल होती रहे। साथ ही सभी पासवर्ड बायोमेट्रिक हों ताकि धोखा –धड़ी कम हो सके । जिस प्रकार ट्रोजन से अपराधी हम पर नजर रखते हैं उसी प्रकार हमारा कोई नया सॉफ्टवेर अपराधियों पर नजर रखेगा। तब तक लोगों को साइबर अपराधों और साइबर कानूनों की जानकारी लेनी चाहिए। किसी एमर्जेंसी में सर्च इंजिन की सहायता लोग लेते हैं परंतु उसमें टॉप में अंकित नंबर भी गलत डाल कर अपराधी गुमराह करते हैं जिससे सावधान रहना चाहिए ।

(नोट- सभी कुछ काल्पनिक है।)

--------समाप्त-------